मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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किस जुर्म की है मिली सजा
हे नीले नभ के खुदा
बता किस जुर्म की है मिली सजा
क्या था उनका गुनाह खता...
BHARTI DAS पर
Vinbharti blog
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३६०.
गाँव पर कविता
मुझे याद आता है अपना गाँव,
जहाँ मेरा जन्म हुआ, मेरा बचपन बीता.
वहां की पगडण्डियां, गलियां,चौराहे,
बैलगाड़ियाँ,लालटेनें, मंदिर की घंटियाँ,
पान की दुकान, छोटा सा रेलवे स्टेशन
और वहां के लोग याद आते हैं...
कविताएँ पर Onkar
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मोदी जी की जीत-एक विश्लेषण
मोदी जी की चुनावों में प्रचंड जीत का कई बुद्धिमान लोग अब प्रचंड विश्लेषण कर रहे हैं. पर आश्चर्य है कि कोई भी विश्लेषक उन मुद्दों की ओर संकेत नहीं कर रहा जो मेरी समझ उतने महत्वपूर्ण रहे जितने महत्वपूर्ण अन्य मुद्दे थे जिन पर बुद्धिजीवी ज़ोर दे रहे हैं. मोदी जी को लगभग सब राज्यों में पचास प्रतिशत से अधिक मत मिले जो एक असामान्य घटना है. विचार करने वाली बात है कि इतने अधिक लोग मोदी जी के पक्ष में क्यों खड़े हो गये
आपका ब्लॉग पर
i b arora
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(आलेख )
कोचिंग सेंटरों का
सरकारी पंजीयन अनिवार्य हो !
गुजरात के सूरत शहर के एक आर्ट कोचिंग संस्थान में कल भयानक अग्नि दुर्घटना हुई । हालांकि आग बुझाने की तमाम कोशिशें भी हुईं ,लेकिन अचानक लगी आग में झुलसने से कई विद्यार्थियों की मौत हो गयी । एक अत्यंत हृदयविदारक घटना है । दिवंगतों को विनम्र श्रद्धांजलि । कुछ समय पहले मैंने अपने एक फेसबुक पोस्ट में यह सुझाव दिया था कि देश भर में फैले कोचिंग सेंटरों का सरकारी पंजीयन होना चाहिए...
Swarajya karun
रवीश आप नहीं हारे हैं
प्रिय रवीश जी, नमस्ते ! मैंने आपका लेख 'क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूँ' ध्यान से पढ़ा। चूंकि आपके लेख का शीर्षक बिना प्रश्नवाचक चिन्ह के एक सवाल की तरह है इसलिए मैं पहले जवाब ही देना चाहता हूं- नहीं, आप बिल्कुल नहीं हारे हैं। आप हैं तो बहुत कुछ है। हम लोग अकेले नहीं हैं। कमज़ोर नहीं है। लोगों की समझ पर चारों तरफ़ से हमले हैं मगर वे आपको देख सुनकर अपनी समझ ठीक कर सकते हैं। रवीश कुमार अकेला ही आज की राजनीति का ईमानदार अटल विपक्ष है। मैं व्यक्तिगत रूप से इतने सालों में आपके लिखे बोले दिखाए से काफ़ी मजबूत हुआ हूँ। मेरे आत्मबल में वृद्धि हुई है....
हमारी आवाज़ पर शशिभूषण
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बेटी की चिट्टी देश के नाम
मेरे प्यारे देश भारत, आज जबकि मैं वह हूँ, जो होना चाहती थी, तो इसका सारा श्रेय मैं तुम्हें देना चाहूँगी। तुमने मेरी साँसों को हवा दी, जीवन को अन्न-जल और विकास को वह सुंदर दुनिया, जिसमें सपनों के विस्तार के लिए अनंत आकाश था और उन्हें साकार करने के लिए असीम धरा...
हमारी आवाज़ पर शशिभूषण
सुन्दर सोमवारीय चर्चा अंक। आभार आदरणीय 'उलूक' को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
मेरे लेख को स्थान देने के लिये हृदय से आभार शास्त्री सर।
जवाब देंहटाएंआपकी कृपा सदैव मुझ पर बनी रहती है।
प्रणाम।
बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति आदरणीय
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
सादर
सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. आभार
जवाब देंहटाएंलाजबाव चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा अंक सभी पठनीय सामग्री सुंदर संकलन ।
जवाब देंहटाएं