मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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नदी और पहाड़
अच्छे दोस्त हैं
नदी और पहाड़
दिनभर एक दूसरे को धकियाते
खुसुर-पुसुर बतियाते हैं ...
Jyoti khare
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सुनहरे दिनों की यात्रा में आपका स्वागत है :
मनोज कुमार पाण्डेय की कहानी

असुविधा पर
Ashok Kumar pandey
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‘कोई ट्रॉल करो न, प्लीज'
व्यंग्य
क्या आपने ट्रॉल को देखा है ? तो उनके बारे में सुना तो होगा ! सुना है आजकल काफी मशहूर हो चले हैं। कई सेलेब्रिटीं कहती रहतीं हैं-‘क्या बताऊं यार, मेरे पीछें तो आजकल ट्रॉल पड़े हैं़:( कहने का मन होता है-‘फिर तो काफ़ी मशहूर हों आप!’ ट्रॉल बदतमीज़ी करतेे होंगे पर कई साल से मुल्क़ में जो वातावरण बना है, ट्रॉल्स ही कई लोगों को हीरो/शहीद भी बनाते हैं। कभी-कभी ट्रॉल्स के नाम भी दिलचस्प होते हैं, जैसे-‘आई लव यू’, रोटी-रोज़ी, एक्स-वाई-ज़ेड....
Sanjay Grover -
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सन्नाटे ही बोलते
भटक रहे किस खोज में, क्या जीवन का अर्थ
शेष रह गयी अस्थियां, प्रयत्न हुए सब व्यर्थ...
sapne(सपने) पर
shashi purwar






हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसतरंगी चर्चा मंच सजाने के लिए बधाइयाँ। मेरे ब्लॉग को भी स्थान देने हेतु आपका हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा हेतु हार्दिक बधाई व हमें शामिल करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूबसूरत चर्चा
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