मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बकवास भटक जाती हैं
जब आस पास की
लाजवाब कविताएं
लेख कहानियाँ
बहुत सारी
आ कर इठलाती हैं
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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बनें आधुनिक
बनें आधुनिक बोलें हर इक बात में
लेकिन मोल चुकाएँ उसके साथ में
यूँ बातों में कहें लोग कुछ भला-बुरा
नहीं मगर यह दिल बदला आघात में...
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क्या मिला सचमुच शिखर ...
मिल गए ऐश्वर्य कितने अनगिनत
पञ्च-तारा जिंदगी में हो गया विस्मृत विगत
घर गली फिर गाँव फिर छूटा नगर
क्या मिला सचमुच ...
स्वप्न मेरे ...पर दिगंबर नासवा
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कमजोर पलों की गुनहगारी ....
कंकाल सी उसकी काया थीपेट पीठ में उसके समायी थीबेबसी वक्त की मारी थीकैसी वक्त की लाचारी थी...
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तुम जिन्दा रहो
...तुम जिन्दा रहो
उम्मीद का क्या
बनता और बिगडता भी है
पर याद उस दीपक की रखो
गहरे अंधेरें में भी
जो तुम्हें जीने का हौसला देता है !
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सुन्दर चर्चा आभार आदरणीय 'उलूक' को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात, पठनीय सूत्रों से सजा चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
बेहतरीन प्रस्तुति सर
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
प्रणाम
सादर