मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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किसलिये खुद सोचना
फिर बोलना भी
खुद ही हमारे होने के
डर का अहसास
किसी दिन
तेरे चेहरे पर भी दिखेगा
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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घास उगी सूखे आँगन ...
धड़ धड़ धड़ बरसा सावनभीगे,
फिसले कितने तन
घास उगी सूखे आँगन
प्यास बुझी ओ बंजर धरती तृप्त हुई
नीरस जीवन से तुलसी भी मुक्त हुई,
झींगुर की गूँजे गुंजनघास उगी ...
फिसले कितने तन
घास उगी सूखे आँगन
प्यास बुझी ओ बंजर धरती तृप्त हुई
नीरस जीवन से तुलसी भी मुक्त हुई,
झींगुर की गूँजे गुंजनघास उगी ...
स्वप्न मेरे ...पर दिगंबर नासवा
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मेरा वजूद
मेरा वजूद नहीं खोया कहीं
मेरा वजूद ही मेरी गजल है
है अलग सी पहचान मेरी
जितना भी बड़ा गुलशन हो
खुशबू मुझ में गुलाब जैसी है वहां...
नज़्म
तेरे ख़ामोश होठों पर मेरा ही नाम होता था
ये तब की बात है जबकि कोई तुझको सताता था।
बहुत परवाह करते थे हम इक़ दूजै की
पर लेकिन मुसीबत के दिनों में यार तेरा ख्याल आता है।
तेरे खामोश होठों पर...
आवाज पर Akib javed
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तलाश
किरदार अपना तलाश रहा हूँ
जमाने की ठोकरों में
बचपन अपना तलाश रहा हूँ ...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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सफ़र
हम सभी अक़्सर बस या रेल से सफ़र करते हैं
और हर लंबें सफर के रास्ते में
कुछ ऐसी जगहें आती हैं या दिखती हैं जब लगता है
कि देखो कितनी खूबसूरत जगह है,
कितने प्यारे नज़ारे हैं ...
अनकहे किस्से पर
Amit Mishra 'मौन'
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बेटी और माँ -
कविता
बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,
तेरी माँ है कभी नहीं ,
तुझको खो दूँ ऐसी इच्छा ,
मेरी न है कभी नहीं . ..
भारतीय नारी पर Shalini kaushik
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दोस्तो मेरे पास आओ
तूफानो को पतवार से बांध दिया है
बहसों, बेतुके सवालों कपटपन
और गुटबाजी की राई, नून,
लाल मिर्च से नजर उतारकर
शाम के धुंधलके में जला दिया है...
Jyoti khare
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66. जीवन का आनन्द
उत्सव |
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सुन्दर मंगलवारीय प्रस्तुति। आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सर 🙏)
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌)
मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
सादर
शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स.
इन्हीं में मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
लाजवाब चर्चा ... अच्छे लिनक्स ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...
आजकल वैसे ही लोग सिर्फ अपनी हांकते दिखते हैं दूसरों की रचनाओं को पढ़ना धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। शायद ही कोई पोस्ट पूरी पढ़ी जाती हो ! जब तक आपस में कुछ आत्मीयता ना हो ! फिर भी कभी-कभी कोई रचना दिल को छू जाती है तो प्रशंसा करना जरुरी लगता है ! पर जब सामने वाले के दरवाजे पर ''approval'' की कुंडी लगी दिखती है तो झुंझलाहट और अपने पर ही कोफ़्त होने लगती है कि क्या जरुरत थी ख्वामखाह, एवंई किसी की हौसला अफजाई करने की ! उस समय ऐसा लगता है कि किसी ने बाहर ही रोक दिया हो और ''साहब'' को इत्तला करने गया हो..............इसीलिए आजकल पाठकों की राय मिलनी लगभग बंद हो चुकी है।
जवाब देंहटाएंएक बार आप यदि एक पोस्ट इस मुद्दे पर, अप्रूवल हटाने की विधि के साथ डाल दें तो हो सकता है कुछ फर्क पड़े। क्योंकि यह भी हो सकता है कि अधिकाँश को इसके बारे में पता भी ना हो।
सुन्दर सार्थक सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक संयोजन के साथ सुंदर प्रस्तुति।
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