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मंगलवार, जनवरी 24, 2012

" वो महकते रहें,हम बहकते रहें ........." (चर्चामंच-768)

नमस्‍कार। 
पहले शनिवार को अपनी पसंद के लिंक लेकर आता था, पर अब से मंगलवार को मैं आऊंगा। तो करते हैं, चर्चा की शुरूआत..... 
 तुम मुझे खून दो मैं तुम्‍हे आजादी दूंगा, ये कहा था जो सभी के दिलों में हमेशा अमर रहेंगे महानायक - नेताजी सुभाषचन्द्र बोस   ने। सोमवार 23 जनवरी को जयंती है इनकी। नमन है उस मां को जिसने ऐसा सपूत जना और नमन है देश के सच्‍चे सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस   को। मैं और मेरे साथी चर्चाकार सिर्फ इतना ही कहेंगे आप प‍ढते रहिए, टिपियाते रहिए, हम आप सबको बेहतर से बेहतर लिंक्‍स देने की कोशिश करते रहेंगे। 
वो दौर अलग था जब आदर्श की बात होती थी, अब तो न नेता वैसे हैं और न सरकार। भरोसा न हो तो देख लीजिए सरकारी लोकपाल की खामियां
और फिर चलिए! मिलकर करें नेताओं का हिसाब...
 अजीब दुविधा की स्थिति है। हमारा अतीत हमें वर्तमान में जीने नहीं देता और नेताओं के गिरते स्‍तर के बाद अब साहित्‍य में भी राजनीति हावी हो गई है... तभी तो खुशदीप जी कह रहे हैं साहित्यकार ऐसे होते हैं तो हम ब्लॉगर ही भले...
हवा हो गए बचपन के दिन
  चढ गया है मदिरा का नशा 
  और ये कहते हैं " वो महकते रहें,हम बहकते रहें ...." 
हर इंसान के जीवन में परवरिश का बडा महत्‍व होता है। परवरिश से ही किसी भी इंसान के संस्‍कार विकसित हो सकते हैं और जीवन में आ सकता है नैतिक मूल्‍य 
 मौन बिना खुद से मिलना .... संभव ही नहीं
कुछ कहना हो जब ...
खुद से कुछ सुननी हों बातें दिल की
तो उतर जाना ... तुम शब्‍दों की नाव से
लगा देना किनारे इसे चुप्‍पी के तट पर 

 कब तलक.... 
झूठा ताज दमकाएगा 
गुरूर मेरा!!!!!
भले तू यूं मेरा दिल दुखा के जा 
पर जाना है तो सच बता के जा 
जहाँ मैं बेर तोडा करती थी और तुम अमरुद की डाल पे बैठ के मुझे देखा करते थे..
जहाँ हम बैठ के सोचा करते थे की कंचों में तारे क्यूँ दिखाई देते हैं...

मैं वहीँ मिलूंगी... उसी नीले कुँए के पास
मैं नीलकंठ तो नहीं
जो सब जानकर भी
प्रेमरूपी जहर
हलक में उतार लूं..
अब तो मुझे भी
तुमसे.....तुमसा ही
वि‍षवमन  की आदत हो गई है.....।


न कोई पर्वत छूटे 
न जंगल 
न दरिया 
न पठार
सच कहना है इनका। कविता है तो जीवन है...! 
वो आनंद ही अलग है जब मिलती है विजय 
वो मौसम अलहदा होता है "ज़ज़्बात जब पिघलते हैं" 
फ़िर रग रग में बस जायेगा.
ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
हर ओर नज़र वह आयेगा.
देखो  भंवरा  कर रहा पुष्पों संग रास 
ज्यू मधुकर को हो 'कृष्ण लीला ' का आभास 
बडे दुर्भाग्‍य की बात है नार्वे सरकार ने भारतीय माँ बाप से बच्चे छीने !! 
पर राहत इस बात की कि आशा अभी बाकी है   
मां तो सबकी एक जैसी होती है, पढिये चंद लाइनें - आड़ी-तिरछी
और पढिए ये है उपलब्धि   
दुनिया में हर कोई जाने के लिए आता है पर जीना उसी का सार्थक होता है जो जिंदगी को जिंदादिली से जिए। देवानंद का जीवन ऐसा ही रहा। वो गए भी तो ये कहते कहते कि मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया 
 
सैर हो रही है ललित जी की इन दिनों गुजरात में। जानिए वहां के अनुभव.. जिससे हो रहे हैं दो चार यानि साबरमती, चरखा और ट्रैफ़िक
सीख लीजिए कुछ और शब्‍द बोलना और लिखना बोलते शब्‍द में 
 चलते चलते मिलिए मेरी बिटिया देवी से..... जो कह रही है दीवाना राधे का..... 
 ... अब दीजिए अतुल श्रीवास्‍तव को इजाजत। फिर मुलाकात होगी मुझसे अलगे मंगलवार को....पर चर्चा जारी रहेगी निरंतर..........

36 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छे लिंक लगाये हैं आपन आज की चर्चा में।
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. अतुल जी, आप जैसे लोगों ने चर्चामंच को परिपक्‍वता दी है। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चा बहुत अच्छी और विस्तृत|
    कई लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  4. नेताजी के जन्म दिवस पर उन्हें शत शत नमन ! बेहतरीन लिंक्स से सजा सुसज्जित चर्चामंच ! आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया रचनाये.....:)
    चर्चा मंच को आभार.:)

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर चर्चा मंच ..बेहतरीन संयोजनों के साथ..
    बेटियाँ घर की रौनक होती हैं ..
    स्नेहशिर्वाद ,प्यारी बिटिया रानी को..
    मेरे लेख को शामिल करने के लिए आभार..
    kalamdaan.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर, आकर्षक प्रस्‍तुति और रोचक लिंक्‍स.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही आकर्षक |
    आभार श्रीमान ||

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन लिंक्‍स से सजा है आज का चर्चा मंच... बधाई और धन्‍यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  10. अतुल जी ,बहुत आकर्षक लिंक संजोये है आपने ...

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स से सजी ख़ूबसूरत चर्चा...मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार..

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही बढि़या लिंक्‍स का संयोजन ..आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  13. आज के चर्चा मंच को विविध रंगों से सजाया है आपने ......मेरी पोस्ट को इसमें शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत बढ़िया रही आज की चर्चा |
    सादर |

    जवाब देंहटाएं
  15. मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए दिल से आभार. यूँ सहयोग की अपेक्षा रहेगी, धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बढ़ि‍या लिंक्‍स दि‍ए है आपने। अभी सारा नहीं पढा मगर जरूर पढ़ूंगी। मेरी रचना शामि‍ल करने के ि‍लए धन्‍यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  17. नेताजी का स्मरण बहुत अच्छा लगा .
    इन चुनी हुई सरस रचनाओं में से कुछ अभी पढ़नी शेष हैं -बहुत अच्छा चयन है .
    आपने उन अज्ञात लेखक की लघुकथा 'चंद लकीरें आड़ी तिरछी' को भी सम्मिलित किया ,सचमुच पठनीय रचना है.
    धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत बढ़िया चर्चा
    यहाँ स्थान देने के लिए दिल से आभार

    जवाब देंहटाएं

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