चर्चा चरखा से खफा, चर्चित परचित लोग । विगत बार मुझसे जुटा, तेरह का संयोग । तेरह का संयोग, छपी रचना न झांकी। आत्म-मुग्ध का योग, पिनकते महा-पिनाकी । करिए मुझको माफ़, सूखने पर क्या बरखा ? काटो मन भर सूत, चलाकर चर्चा चरखा ।। 1 ------रविकर सभी पाठकों का आभार जिन्होंने पिछली चर्चा का अवलोकन किया और टिप्पणी दी -- चुनी गई रचनाओं की सूचना इस बार प्रेषित नहीं कर पा रहा हूँ -- सम्बंधित ब्लॉग पर गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें 2yummii Indian sweet dish - jalebi...!!! |
3कहानियो के मन से .....अटेंशन – एक व्यंग्य कथा !!!कुछ दिन पहले तक मेरी हालत बहुत खराब थी . मुझे कहीं से कोई भी अटेंशन नहीं मिल रही थी . हर कोई मुझे बस टेंशन देकर चला जाता था , जैसे मैं रास्ते का भिखारी हूँ और मुझे कोई भी भीख में टेंशन दे देता था. मैं बहुत दुखी था . कोई रास्ता नहीं सुझायी देता था. मुझे कहीं से कोई भी अटेंशन मिलने के असार नज़र नहीं आ रहे थे .मैंने बहुत कोशिश की , इधर से उधर , किसी तरह से मुझे अटेंशन मिले , लेकिन मुझे कोई फायदा नहीं हुआ. उल्टा टेंशन बढ गयी . ऊपर से बीबी –बच्चे और आस पड़ोस के लोग और ताना मारते थे, कि इतनी उम्र हो गयी , मुझे कोई जानता ही नहीं था . रोज अखबार और टीवी ,रेडियो में दूसरों के नाम और उनके किये गए अच्छे –बुरे काम देख-पढ़-सुन कर दिल जल जाता था . मुझे लगने लगा था कि मेरा जन्म बेकार हो गया है . |
आज के लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी उनमें सहिष्णुता का अभाव होना है। आज के लोगों में धैर्य एकदम नहीं रह गया है। बात-बात में लोग तैश में आ जाते है। बात का बतंगड़ बना देते हैं। तिल का ताड़ बना देते हैं। कहानी को उपन्यास बना देते हैं। महत्वहीन घटना को भी ब्रेकिंग न्यूज बना देते हैं। न्यूज वाले बनाए तो बात समझ में आती है कि क्योंकि उन्हें टीआरपी बढ़ानी होती है। |
5राजभाषा हिंदीगणतंत्र दिवस के अवसर पर …26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ भरतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराकर भारतीय गणतंत्र के जन्म और धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राष्ट्र की घोषणा की। आइए इसके कुछ ऐतिहासिक पहलुओं को याद करते चलें। दो दशक पूर्व इसी दिन (26 जनवरी) हमारे देश के तत्कालीन नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों, ने एक सपना करोड़ों देशवासियों के मन में जगाया था। कलकत्ता अधिवेशन और डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव 31 दिसंबर 1929 की मध्य रात्रि में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर सत्र के दौरान राष्ट्र को स्वतंत्र बनाने की जो पहल की गई थी, उसका एक अलग इतिहास है। 1928 में कांग्रेस का अधिवेशन कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था। पं. मोतीलाल नेहरू सभापति थे। इसमें एक सर्वदलीय सम्मेलन भी हुआ। उसके सामने नेहरू कमिटी की रिपोर्ट पेश की गई। साइमन कमीशन भारत पहुंच गया था। इसलिए भारत के सभी दलों को यह साबित करना कि वे एकमत हैं, और भी ज़रूरी हो गया था। इस अधिवेशन में नेहरू रिपोर्ट के डोमिनियन स्टेटस के लक्ष्य को एक शर्त के साथ स्वीकार कर लिया गया। |
बकरी की हांक से पद्मश्री के धाक तक....अतुल श्रीवास्तव
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प्लीज़ क्रांति न करे कोई No Revolutionडा. अनवर जमालदेश में आज अंग्रेज़ी राज नहीं है और उनके क़ानून में कुछ घटा बढ़ाकर हमने उसे अपना भी बना लिया है लेकिन हमें देखना होगा कि इस क़ानून का लाभ देश के ग़रीबों को कितना मिल रहा है ?दहेज उत्पीड़न के एक मुक़ददमे को लड़ते हुए आज एक लड़की को चार साल हो गए हैं। हमने देखा है कि उसे अब तक न तो उसके पति से कोई खर्चा मिला है और न ही उसकी ससुराल से उसका सामान ही वापस मिला है। अभी कितने साल और लग जाएं इसका कोई अंदाज़ा नहीं है। ऐसे में ज़ालिम पक्ष को सज़ा दिलाने के लिए कौन कब तक लड़े और अपनी उम्र गंवाए ? |
8अविभाज्य भारत की पुकार --नीरज द्विवेदी धधकते घाव बंजर जमीन के, शर्मों हया का पानी नदारद है, मैं देख सोच जलता हूँ, जर्रा जर्रा पिघलता हूँ, मत होना विस्मित उस दिन, जो दूर नहीं, जब दुनिया का सिरमौर बना, मैं हँसता हूँ। |
गर्भावस्था के दौरान योगडा. राधा रमणगर्भावस्था के दौरान शरीर का आकार ऐसा हो जाता है, जो योग में ज़रूरी लचीलेपन की इजाज़त नहीं देता। अपनी सीमाओं के बावजूद गर्भवती योग के चुनिंदा आसन करके चुस्त-दुरुस्त रह सकती है। किसी भी आसन की सफलता उसे धीरे-धीरे करने में है। हमेशा कुछ देर तक आसन की चरम अवस्था में रुकना फायदेमंद होता है। तितली आसन यह एक सरल आसन है। यदि गर्भावस्था की पहली तिमाही में ही शुरू कर दिया जाए तो प्रसव की पीड़ा भी कम हो जाएगी। इस आसान से पुट्ठे और जंघाओं के आंतरिक हिस्से का तनाव कम होकर खुल जाता है। इससे घुटनों का लचीलापन बढ़ता है। कैसे करें चटाई पर इस तरह बैठें कि आपके पैर सामने की ओर रहें। अपने टखनों को पकड़कर अपनी ओर जितना नज़दीक खींच सकती हैं, खींचें। दोनों पैरों की एड़ियाँ जंघा के संधिस्थ को स्पर्श करें तो ज़्यादा अच्छा है। अब अपने घुटनों को फर्श से स्पर्श कराने के लिए दबाएँ। दबाने के लिए कोहनियों का इस्तेमाल कर सकती हैं, क्योंकि हाथों से तो आपने टखने पकड़ रखे हैं। |
10चुनाव में ईमानदारी ... ना बाबा नाउत्तर प्रदेश के चुनावी सफर पर निकला तो कुछ उत्साहित था, मुझे लग रहा था कि ईमानदारी को लेकर अन्ना ने इतनी तो जागरुकता फैला ही दी होगी कि गांव गांव में लोग ईमानदारी की बात करते होंगे और चुनाव में इस बार दागी उम्मीदवारों से दूरी बनाकर ईमानदार और साफ सुथरी छवि वाले उम्मीदवार के साथ खड़े होंगे। |
11रुश्दी घटिया और दोयम दर्जे के लेखक: काटजूद्वारा |
साहित्य प्रेमी संघ पर हर एक में कहीं भीतर ही होता है कृष्ण और होता है एक निरंतर महाभारत भीतर ही भीतर, क्यों ढूढते है हम सारथी जब स्वयं में है कृष्ण, मैं तुम और हम में बटा ये चक्रव्यूह तोड़ता है भीतर का ही अर्जुन, माटी है और सिर्फ माटी है हर रोज यहां देखता हुं मैं तुम और हम का कुरुक्षेत्र !! |
13आप सबसे एक बार फिर कहना है कि-याँ पे तो बिन बुलाये चले आइए जनाब!खुश होइए भी और खुशी लुटाइए जनाब!! ग़ाफ़िल हूँ मेरी बात हंसी में उड़ाइए! ख़ुद पर यक़ीन हो तो मुस्कुराइए जनाब!! -ग़ाफ़िल बाप रे! फिर चुनाव!!बेसुरम पर गाफिल की प्रस्तुति |
15कांग्रेस और संघ :- राम भरोसे हिन्दुस्तान.....कांग्रेस, बाबा रामदेव में आर एस एस का षड्यंत्र देखती है... बाबा रामदेव को संघ का एजेंट बताती है.... इसका क्या कहेंगे...? दिग्विजय सिंह जैसे नेता इसे संघीय आतंक-वाद का नाम देते हैं.... आतंक-वाद? आखिर आतंक-वाद की परिभाषा क्या है... कांग्रेस के इस कदम को खिसियानी बिल्ली का नाम नहीं देंगे...... आखिर कांग्रेस के इस निरंकुश कदम के पीछे का मक्सद क्या है, यह कोई नासमझी में उठाया गया कदम नहीं है, दिग्गी राजा कोई नासमझ नहीं है जो बेसमझे इस प्रकार की टिप्पणी करेंगे..... यह एक सोची समझी साजिश है..... कांगेसी थिंक टैंक नें पूरी तरह से सोचनें और समझनें के बाद इस प्रकार का निर्णय लिया है..... बिखरा विपक्ष... पूरे तीन साल की बची हुई सत्ता और हिन्दुत्व विरोधी एजेन्डा.... यह सब इन्ही का नतीज़ा हैं..... |
16 मनोज पटेल पढ़ते-पढ़ते पर *राबर्टो जुअर्रोज़ की 'सिक्स्थ वर्टिकल पोएट्री' से एक कविता...* * * * * * * *राबर्टो जुअर्रोज़ की कविता * (अनुवाद : मनोज पटेल) घंटी भरी है हवा से मगर बजती नहीं वह. उड़ान से भरी है चिड़िया मगर गतिहीन है... |
17 घोटू काव्य का संसार - पर बूढा होता प्रजातंत्र ---------------------- पेंसठ साल का प्रजातंत्र और बासठ का गणतंत्र दोनों की ही उमर सठिया गयी है और सहारे के लिए,हाथों में,लाठियां आ गयी है मगर कुछ नेताओं ने, सत्ता को बना लिया अपनी ... |
18 गणतंत्र दिवस के अवसर परगणतंत्र दिवस के अवसर पर आइये एक दूसरे को शुभकामना देते हुए आइये शपथ लें कि - अपने संविधान - तिरंगे, राष्ट्र गान और सभी दिवंगत महापुरुषों का सम्मान करेंगे, संविधान कि सभी धाराओं एवं नियमों का ठीक से पालन हो इसका ध्यान रखेंगे, अंग्रेजी लिखेंगे - पढेंगे - बोलेंगे लेकिन मातृभाषा हिंदी का ह्रदय में सबसे विशेष स्थान रखेंगे....... |
19 वन्दना ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर नहीं हूँ मैं देशभक्त क्या करूँ देशभक्त बनकर जब रोज नए घोटाले करने हैं जब रोज जनता को लूटना खसोटना है जब रोज भ्रष्टाचार के नए नए मार्ग खोजने हैं जब रोज सच का गला घोंटना है जब रोज गणतंत्र के नाम पर सब्जबाग द... |
20नुश्खे सेहत के :राम राम भाई परपश्चिम ऑस्ट्रेलिया विश्व विद्यालय के रिसर्चरों ने दावा किया है की दिन में तीन मर्तबा एक एक कप ब्लेक टी (बिना दूध के स्तेमाल से तैयार )आपके रक्त चाप को खासा कम और मान्य स्तर पर रख सकती है .BLACK TEA REDUCES BLOOD PRESSURE: Researchers from western Australia claim that drinking a cup of black tea three times a day may significantly reduce your blood pressure .The research was published in the Archives of Internal Medicine. करेले का अर्क दो औंस (५६.७० ग्राम )एक कप पानी और शहद के साथ लेने से दमे (एस्मा )में आराम आता है . Mix two ounces of bitter gourd juice with a cup of honey and water for asthma. स्पर्म को आनुवंशिक नुकसानी (जेनेटि डेमेज )से बचाए रह सकता है रोजाना लिए जाने वाले एक संतरे का नियमित सेवन .यह करिश्मा इसमें मौजूद विटामिन -सी करता . |
21अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)जन गण मन के मधुर सुरों से.......अरुणोदय की मंगल बेला कलश लिये ऊषा का आना कलरव के सरगम वंदन से श्रम का सूरज पूजा जाना.22 ZEAL - पर आजादी मिले ६४ वर्ष बीत गए और संविधान बने ६२ वर्ष। लेकिन क्या भारतवर्ष में तरक्की हुयी है? हम जहाँ थे वहीँ हैं या फिर और पीछे चले गए हैं ? इतने वर्षों में क्या तरक्की की है हमने ? अशिक्षित बच्चों की संख्या... 23 भारत देश हमारा प्यारा बड़ा अनोखा अद्भुत न्यारा शत शत इसे नमन ....... ------------------------------------ तरह तरह की भाषाएँ हैं भिन्न भिन्न है बोली रहन सहन पहनावे कितने फिर भी सब हमजोली भारत देश हमारा... 24बेटीआशा Akanksha -परक्यूँ उदास माँ दिखती है जब भी कुछ जानना चाहूँ यूँ ही टाल देती है| रह ना पाई कुलबुलाई समय देख प्रश्न दागा क्या तुम मुझे नहीं चाहतीं मेरे आने में है दोष क्या क्यूँ खुश दिखाई नहीं देतीं ? माँ धीमे से मुस्कुराई पर उदासी न छिपा पाई बेटी तू यह नहीं जानती सब की चाहत है बेटा 25 संदीप पवाँर (जाट देवता) की पसंद के चुटकुले गुदगुदी मनोरंजनअगर किसी ने सारे पढ लिये तो देखना उसकी आँखे ऐसी तो नहीं हो गयी है।एक आम सूचना- सभी हंस गुल्ले मैंने किसी न किसी के ब्लॉग के लिये है जिन्हे मैं कई महीनों से एकत्र कर रहा था, मैंने एक भी नहीं लिखा है।पढ़े और जमकर हँसे........... (मैं तो ब्लॉगिंग छोड रहा था अब झेलों) 26.1.12गणतंत्र दिवस की तहे दिल से मुबारकबाद.राजपथ जाने को आतुर पर इंडिया गेट तक पहुंचे उन सभी: ग्राहक का इन्तेज़ार में खड़े कोटोन केंडी सेलर को ; पिसी दाल से बनाए करारे लड्डू - कुतरी मूली और हरी मिर्च की चटनी के साथ परोसने को आतुर – लड्डूवाले को; अन्त में- "ज़िन्दग़ी में बड़े झमेले हैं" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") |
बहुत सुंदर चर्चा ... सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंचैतन्य को शामिल करने का आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सी लिंक्स लिए चर्चा के लिए बधाई रविकर जी |गणतंत्र दिवस के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंमेरी कविता सम्मिलित करने के लिए आभार |
आशा
रविकर जी
जवाब देंहटाएंआपका बहुत धन्यवाद.
मेरी कहानी को शामिल करने के लिये आभार !!
आपका
विजय
sunder links ...
जवाब देंहटाएंघर हमारे बने तबेले हैं
जवाब देंहटाएंज़िन्दग़ी में बड़े झमेले हैं
तन्त्र से लोक का नहीं नाता
हर जगह दासता के मेले हैं...
यही है गण निरपेक्ष तंत्र भैया .पूरी झांकी दिखला दी गण तंत्र की .चर्चा के लिए मुबारक अभी सभी लिनक्स पढूंगा .
बढ़िया सूत्र, पठनीय..
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा, आकर्षक लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत कहर बरपा गई, रवि बिन अबके शीत
ऋतु बसंती गाये ना, अब बिरहा के गीत.
चर्चा चरखा से खफा, चर्चित परचित लोग ।
जवाब देंहटाएंविगत बार मुझसे जुटा, तेरह का संयोग ।
तेरह का संयोग, छपी रचना न झांकी।
आत्म-मुग्ध का योग, पिनकते महा-पिनाकी ।
लोजी शुरू में ही छक्का मार दिया चर्चा कार ने सहवाग बन गए आप चर्चा मंच के .
चर्चा अति सुन्दर है ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर और विस्तृत चर्चा | बहुत अच्छे लिंक्स |
जवाब देंहटाएंआभार |
बहुत ही बढि़या लिंक्स का संयोजन किया है आपने ।
जवाब देंहटाएंरविकर जी; बक बक को शामिल करने पर बहुत बहुत आभार....
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आना सार्थक हुआ - ५-६ लिंक पर जा रहे हैं;
घर हमारे बने तबेले हैं
जवाब देंहटाएंज़िन्दग़ी में बड़े झमेले हैं
तन्त्र से लोक का नहीं नाता
हर जगह दासता के मेले हैं...
मुबारक यह गण निरपेक्ष तंत्र .
उपयोगी चर्चा, आभार रविकर जी!!
जवाब देंहटाएंnice charcha. very good
जवाब देंहटाएंआपका यह प्रयास सराहनीय है
जवाब देंहटाएंआपका यह प्रयास सराहनीय है
जवाब देंहटाएंRAVIKAR JI
जवाब देंहटाएंBAHUT ACHCHHE LINKS SANJOYE HAIN AAPNE .AABHAR
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसचमुच...ज़िंदगी के इन झमेलों में भी इतनी बढिया चर्चा करना आप ही का काम है रविकर जी :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
♥ Shukriya.
BAHUT ACHCHHE LINKS.......
जवाब देंहटाएंबहुत सी सुन्दर लिंक्स लिए चर्चा... बधाई...
जवाब देंहटाएंरविकर जी |गणतंत्र दिवस और वसंत पंचमी के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं |
मेरी कविता "भारत देश हमारा प्यारा" को भ्रमर का दर्द और दर्पण से आप ने चुना बहुत ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर५