दोस्तों! आज हमारे यहां बिजली ओर नेट दोनों समस्या कर रहे हैं इसलिए जल्दी-जल्दी में जो चर्चा बन पड़ी पेश है उसका
लिंक नं. 1-
दिलबाग की कुण्डलियां बेसुरम ब्लॉग पर
कपड़े ऐसे पहनते, बाहर झांके अंग।
कैसे आज रिवाज हैं, कैसा है ये ढंग।।
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शाश्वत शिल्प-ग़ज़ल
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निरामिष
अन्न / फल / फूल / कंद / मूल आदि पर आधारित आहार , और चल प्राणियों से प्राप्त आहारों में मूल फर्क क्या है?
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पुरवा बयार कभी अकेले नहीं आती है
यादों का पुलिंदा साथ उड़ा लाती है
यादों का पुलिंदा साथ उड़ा लाती है
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इसने नजरें उठाई, उसने सुना
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और अन्त में
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जब भी ये कलियाँ फूल बनी
(यह श्रृंगारपरक गीत आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत है उम्मीद है आप सब इसका भरपूर आनन्द लेंगे और इस गीत के बावत हमें ज़ुरूर बताएंगे)
(यह श्रृंगारपरक गीत आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत है उम्मीद है आप सब इसका भरपूर आनन्द लेंगे और इस गीत के बावत हमें ज़ुरूर बताएंगे)
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
बहुत सुन्दर रही आज की चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
वाह भई ग़ाफ़िल जी बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंshubhprabhat ...badhia charcha ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चायों ...
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
subah subah bahut sundar rang birangi charcha achche links ke saath padhne ko mili.meri rachna ko shaamil karne ke liye bahut aabhar.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा.....आभार!
जवाब देंहटाएंचन्द्र भूषण जी नें शानदार सोम सजाया है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही श्रेष्ठ है आज की चर्चा और कडियाँ।
निरामिष के आलेख को चर्चा में स्थान देने के लिए आभार!!
बहुत ही बढि़या चर्चा आभार ।
जवाब देंहटाएंalag alag prakaar kee rachnaaon ke links
जवाब देंहटाएंvividhtaa se bharpoor
mazaa aaayaa
बढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स।
सुंदर चित्रमय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकुंडलियाँ शामिल करने के लिए आभार
बहुरंगी लिंक्स से सजी चर्चा से सजी रचना |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबधाई |
आशा
Prichayaatamk Photo ke saath itne saare sundar link mile ..abhibhut hun Charcha se .. bahut sundar charcha..
जवाब देंहटाएंसुंदर, सुसज्जित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआाभार।
blog jagat se jude sabhi vyaktiyon ko berozgaari vs rozgaari aur us par berozgaari ki supremacy batane ke liye....
जवाब देंहटाएंabhaar :)
naaz
अच्छे लिंक्स से सजी चर्चा.
जवाब देंहटाएंbadiya shringar karati charcha prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंचर्चा का यह अंदाज लाजवाब कर गया।
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मुई दिल्ली की सर्दी..
... बुशरा अलवेरा की जुबानी।
वाह बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर पहली बार आया हूँ सरे लिंक बेमिसाल हैं ...........
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर पहली बार आया हूँ सारे लिंक बेमिसाल हैं ...........
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा, सुन्दर सूत्र।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा । आभार गाफिल जी ।
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