मित्रों!
हमारे सहयोगी चर्चाकार कमलसिंह (नारद) जी ने
यह आधी अधूरी चर्चा लगाई थी।
“मत”दान महादान
अन्ना या सरकार
अंधविश्वास
बेटी की विदाई
कसम
मंच का मॉडरेटर होने के नाते इसे पूरी करना
मेरा नैतिक दायित्व है। (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मंयंक')
इसके बाद देखिए-
खामोश जिंदगी
एक समय था जब हिन्दी कवि-सम्मेलनों में प्रस्तुति देने वाले सभी कवियों की * *अपनी एक अलग पहचान होती थी. लोग केवल अपनी लिखी कवितायेँ ही सुनाते थे मगर अब हिन्दी कवि-सम्मेलनों में
अब कविता चोरों का बोलबाला कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है!
हमदर्दी के जज़्बात से ख़ाली होकर
कविताएं गाने का मतलब
क्या रह जाता है.....?
हिमनगरी से ‘हिमप्रस्थ’!
यमलोक का रास्ता
देखिए दुनिया का सबसे ख़ौफ़नाक रास्ता।
इसे देखकर कलेजा मुंह को आ सकता है। ...
सागर का दर्द - बरसों से मिलने की आस लिये बैठा हूँ
इंतजार की आग में पल-पल जला करता हूँ
ख्वाबों से तेरे,दिल को बहलाये रहता हूँ सागर हूँ
फिर भी, मैं प्यास लिये बैठा हूँ.... ।
बल्ले-बल्ले करते काजल कुमार
प्रिय मित्रो सादर ब्लॉगस्ते!
साथियों काजल और सुरमा सुन्दरी के नैनों को और अधिक आकर्षक व कटीला बनाने का काम करते हैं.....
हाशिये का 'मैं '......
मै ......, ना -ना नाम नहीं बताना चाहता
वर्ना - जाति , धर्म , संप्रदाय में बाँट दिया जाऊंगा ..
पढना चाहता हूँ , आगे बढ़ना चाहता हूँ......!
काव्यान्जलि ...
हमारे सहयोगी चर्चाकार कमलसिंह (नारद) जी ने
यह आधी अधूरी चर्चा लगाई थी।
“मत”दान महादान
अन्ना या सरकार
अंधविश्वास
बेटी की विदाई
कसम
मंच का मॉडरेटर होने के नाते इसे पूरी करना
मेरा नैतिक दायित्व है। (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मंयंक')
इसके बाद देखिए-
खामोश जिंदगी
राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर आप सभी से ये निवेदन है कि अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करें .हम सौभाग्यशाली हैं जो हमें ये अधिकार मिला है .! वोट डाल ले ...वोट डाल ले ..
न दैन्यं न पलायनम्
कुछ अध्याय मेरे जीवन के
खुले बन्द वातायन, मन के भाव विचरना चाहें अब,
कुछ अध्याय मेरे जीवन के पुनः सँवरना चाहें अब....।
बड़ी ही शबनमी ये है रात , क्यों न मचले हृदय के जज्बात, आशा में देवी निद्रा से हसीन मुलाकात, आँखों ही आँखों में ज्यों हो जाए बात....।
न दैन्यं न पलायनम्
कुछ अध्याय मेरे जीवन के
खुले बन्द वातायन, मन के भाव विचरना चाहें अब,
कुछ अध्याय मेरे जीवन के पुनः सँवरना चाहें अब....।
एक समय था जब हिन्दी कवि-सम्मेलनों में प्रस्तुति देने वाले सभी कवियों की * *अपनी एक अलग पहचान होती थी. लोग केवल अपनी लिखी कवितायेँ ही सुनाते थे मगर अब हिन्दी कवि-सम्मेलनों में
अब कविता चोरों का बोलबाला कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है!

कविताएं गाने का मतलब
क्या रह जाता है.....?
यमलोक का रास्ता
देखिए दुनिया का सबसे ख़ौफ़नाक रास्ता।
इसे देखकर कलेजा मुंह को आ सकता है। ...
सागर का दर्द - बरसों से मिलने की आस लिये बैठा हूँ
इंतजार की आग में पल-पल जला करता हूँ
ख्वाबों से तेरे,दिल को बहलाये रहता हूँ सागर हूँ
फिर भी, मैं प्यास लिये बैठा हूँ.... ।
बल्ले-बल्ले करते काजल कुमार
प्रिय मित्रो सादर ब्लॉगस्ते!
साथियों काजल और सुरमा सुन्दरी के नैनों को और अधिक आकर्षक व कटीला बनाने का काम करते हैं.....
हाशिये का 'मैं '......
मै ......, ना -ना नाम नहीं बताना चाहता
वर्ना - जाति , धर्म , संप्रदाय में बाँट दिया जाऊंगा ..
पढना चाहता हूँ , आगे बढ़ना चाहता हूँ......!
बादशाह खान और नेताजी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस हमारे देश के
स्वाधीनता-संग्राम के अग्रणी ,
प्रभावशाली , लोकप्रिय और महान योद्धा थे.... |
खिल जायेंगे नव सुमन,
उपवन मुस्कायेगा!!
कुहासे की चादर धरा पर बिछी हुई।
नभ ने ढाँप ली है अमल-धवल रुई।।....
रायपुर से चला पत्र ग्यारह दिनों में भी दिल्ली नहीं पहुंचा - एक बात जानने की इच्छा है कि इस तरह की लापरवाही की शिकायत किसे और कहाँ की जाए, जिसकी सुनवाई हो सके। प्रतीक्षा रहेगी।...
हूँ स्वतंत्र,
मेरा मन स्वतंत्र नहीं
स्वीकार कोई बंधन जहां चाहता वहीं
पहुंचता उन्मुक्त भाव से जीता
नियंत्रण ना कोई
उस पर निर्वाध गति से सोचता जब मन...!
फ़्रांस की राजधानी पेरिस - द सिटी ऑफ़ लव,
भव्यता, संम्पन्नता, ग्लेमर का पथप्रदर्शक.
बाकी दुनिया से अलग एक शहर,
जिसकी चकाचौंध के आगे सब कुछ फीका लगता है......
मैं प्राग में नहीं हूं.
न आइसलैंड की यात्रा पर.
न ही मेरे साथ थोर्गियर जैसा कोई मित्र है,
जो सामान्य यात्राओं को
अपनी उपस्थिति से उम्मीद से...!
कविता*
*एक टुकडा सपना*
*पत्थरों के इस शहर में*
मांगा था आदमी ने
ज़िन्दगी से ...!
भारतीय न्याय प्रणाली कितनी कमजोर और अतर्कसंगत है,
इसका आभास अक्सर होता रहता है.
ज़रा इस ताजा केस पर गौर करें- ....!
तुम लिखते नही
या मुझ तक पहुंचते नही
तुम्हारे वो खत
जिसकी भाषा,लिपि और व्याकरण
सब मुझ पर आकर सिमट जाता है
शायद संदेशवाहक बदल गये हैं
या कबूतर .....!
जब भी मुसलमान भाइयों की तरफ से कोई फतवा आता है
माननीय सरकार के हाथ फूल जातें हैं...... !
सुविधाओं की भाग-दौड़ में सुख का है अस्तित्व खो गया
देह सिर्फ रह गई व्यक्ति की पूरा ही व्यक्तित्व खो गया.....!
जनता की नजर में *
*किरकिरी बनने की टीस,*
*अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, *
*अनुच्छेद उन्नीस,*
*अंतर्मुखी, दमित-शोषित को *
*सच लिखना भाने लगा था.....!
(अनुराग शर्मा)*
देखी ज़माने की यारी ...
कभी मुझको नहीं समझा
कभी मुझको न पहचाना दिया दर्ज़ा
जो दुश्मन का कभी भी दोस्त न माना....!
नया वर्ष महंगाई लेकर,
भ्रष्टाचार को लाया है
लोकपाल क़ानून बिना ही,
26 जनवरी आया है....!
बहुत बढ़िया चर्चा..... सुंदर लिनक्स.....
ReplyDeletenice
ReplyDeleteNice Links
ReplyDeleteThanks...:)
Achhi Kivitaaye......:)
ReplyDeleteआज शेष की संख्या कम है, चर्चामंच हमारी गूगलफीड को भरता जा रहा है।
ReplyDeleteखूबसूरत गलियों की राह दिखाती खूबसूरत चर्चा
ReplyDeleteसुंदर चर्चा , आकर्षक लिंक्स...
ReplyDeletevishesh prabhavshali charcha ....
ReplyDeletebahut acchi charcha.... isme meri post ko shamil karne ka bahut bahut dhanybad...aabhar
ReplyDeleteखूबसूरत चर्चा ||
ReplyDeleteसभी रचनाएँ तो अभी तक पढ़ नहीं पाया पर लग रहा है सभी एक से एक लिंक है मौजूद | मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी |
ReplyDeleteसभी रचनाएँ तो अभी तक पढ़ नहीं पाया पर लग रहा है सभी एक से एक लिंक है मौजूद | मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी |
ReplyDeleteबल्ले-बल्ले इतने सारे अच्छे लिंक्स...
ReplyDeleteशुक्रिया...
शानदार ढंग से प्रस्तुत चर्चा के लिए बधाई, शास्त्री जी !
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा
ReplyDeleteशास्त्री जी,चर्चामंच में स्थान देने के लिए बहुत२ आभार,.....
WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
सुन्दर लिंक्स से सजी सटीक चर्चा।
ReplyDeleteअच्छी चर्चा अच्छी लिंक्स मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर चर्चा सुन्दर लिनक्स और सुन्दर संयोजन सब सुन्दर ही सुन्दर .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चर्चा..अच्छे लिंक्स,शानदार प्रस्तुति.
ReplyDeletevery nice links,thanks n aabhar.
ReplyDeleteAhdure safar ko badiya links ke sath prastut kar mukam tak le jaane ke liye aabhar!
ReplyDeleteआपकी प्रतिबद्धता को सलाम।
ReplyDeleteबढिया चर्चा।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद...वंदे मातरम्।
शास्त्री जी, आपको, सभी पाठकों और चर्चाकारों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDelete