फ़ुरसत में चर्चा शुरू करने से पहले सबको सादर प्रणाम , वैसे आज चर्चा शुरू करने से पहले मैंने ज्योतिषाचार्य दवे जी की मुफ्त सलाह ली थी उन्होंने बड़े स्नेह से रफ़्तार के साथ कृष्ण की व्यथा की एक करुण कहानी बतायी. साथ ही बताया की मेरे बचपन का दोस्त.. लोकपाल बन के .कमीशनखोरी कर रहा है .
सुशासन में बदमाश मनुष्य ही नहीं , पेड़ भी होते हैं । ....अंत में पढ़े एक सत्य कथा विनीत संग पल्लवी के साथ स्कूल के माथे कलंक का टीका..
आज के लिए उतना ही ,
सादर कमल
वाह!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में चमत्कार!
शब्दों मे्ं लिंकों की भरमार!!
कमलसिंह जी आपका आभार!!!
थोडे से शब्दों में काफी लिंक पिरो दिए हैं
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
गागर में सागर ||
जवाब देंहटाएंबेहतरीन तरीके से सजाया चर्चा मंच।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट ''स्कूल के माथे कलंक का टीका'' को शामिल करने के लिए आभार.......
छोटी सही पर कमाल की चर्चा ..सभी लिनक्स पर अवश्य जाऊंगी..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
..
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंuttam charcha...
जवाब देंहटाएंthank so much for sharing my ghajal in ;charcha manch 'i really like all these links which have shown to us !
जवाब देंहटाएंsundar charcha ..vakya me koi link,vaah umda
जवाब देंहटाएंखूबसूरती से पिरोया है, एक अटूट बंधन सा प्रतीत होता है
जवाब देंहटाएंप्रतिस्पर्धा का है बाजार,
जवाब देंहटाएंचर्चामंच में लाना होगा सुधार
कुछ नया करने की कोशिश कीजिये
वरना......?-गिरने लगेगा बाजार
u to mera wasta sabdo ki jaadugari se nahi hain...dil se dhnyawaad kamal bhai ko....sabhi bade bhai log ko mera namaskaar.....
जवाब देंहटाएंAnshuman Verma