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शुक्रवार, जनवरी 06, 2012

दसमेश पिता के वारिश --चर्चा-मंच 750


दसमेश पिता के वारिश हम ..

    वाहो !,वाहो ! गोबिंद सिंह जी, आपे गुरु चेला 

          पावन गुरु -पर्व पर समस्त देश- विदेश वासियों को लख-लख वधाईयां ,प्यार ,शुभकामनायें ,मीरी[शक्ति  ] और पीरी[ज्ञान ] के सद्द- वाहक   बनें .....

           स्वांसों ,निगाहों,हर धड़कन  में मेरी दाते
जीवन नहाया तेरे प्यार  में  -
अर्पण ,समर्पण सारे जीवन का दर्शन दाते 
वारु  मैं जीवन तेरी राह में -
आह न निकले कटे गर्दन हमारी दाते 
रखना सदा तूं  पनाह में -
रोम-रोम ऋणी है तेरा बख्सा  है अमृत दाते ,
जीवन सफल है दरबार में -
सरबंस दानी दाते,दुनियां में न कोई शानी,
दीनों ,धर्म के उपकार में -
मीरी और पीरी दाते ,जीवन की थाती मेरी ,
किश्ती बचायी मझधार से- 
                                               उदय वीर सिंह .

सर्वांगासन से लौट आती है बालों की रंगत

कुमार राधारमण 

स्वास्थ्य-सबके लिए


कृष्ण की व्यथा







नहीं कहा था मैंने 
कि 
गढ़ दो तुम 
मुझे मूर्तियों में


  संगीता स्वरुप ( गीत ) द्वारा

सरदी,सड़क और कोहरा !

दोपहर बीत जाने के बाद
कोहरा और घना हो चला था
 
 संतोष त्रिवेदी  बैसवारी baiswari

योगनंद की कथा

164323_156157637769910_100001270242605_331280_1205394_nआदरणीय सुधी जनों को  अनामिका का नमन ! पिछले चार अंकों में आपने कथासरित्सागर से शिव-पार्वती जी की कथा, वररुचि की कथा पाटलिपुत्र (पटना)नगर की कथा, और उपकोषा की बुद्धिमत्ता पढ़ी.
कथासरित्सागर को गुणाढय की बृहत्कथा भी कहा जाता है.  कथासरित्सागर की कहानियों में अनेक अद्भुत नारी चारित्र भी हैं और इतिहास प्रसिद्द नायकों की कथाएं भी हैं. कथासरित्सागर कथाओं की मंजूषा प्रस्तुत करता है. इसी श्रृंखला को क्रमबद्ध करते हुए पिछले अंक में वररुचि के मुंह से बृहत्कथा सुन कर पिशाच योनी में विंध्य के बीहड़ में रहने वाला यक्ष काणभूति शाप से मुक्त हुआ और वररुचि की प्रशंसा करते हुए उससे उसकी आत्मकथा सुनाने का आग्रह करता है. वररुचि काणभूति को अपनी आपबीती सुनाते हुए अपनी पत्नी उपकोषा के चरित्र और बुद्धिमत्ता की कथा सुनाता है . अब आगे...

राजनेताओं के भरोसे न रहें मुसलमान।



 ('जनसंदेश टाइम्‍स' में 27 दिसम्‍बर, 2011 को प्रकाशित)
यह सच है कि इंडोनेशिया के बाद विश्‍व में सबसे ज्‍यादा मुसलमान भारत में रहते हैं, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि जो स्थिति इंडोनेशिया जैसे पिछड़े देश के मुसलमानों की है, भारत में भी कमोबेश स्थिति वही है। यूँ तो वर्तमान में डॉ0 अब्‍दुल कलाम आजाद से लेकर अजीम प्रेमजी, सानिया मिर्जा, शाहरूख खान और ए.आर. रहमान जैसे कुछ बेहद चमकीले नाम गिनाए जो सकते हैं, जो मुस्लिम वर्ग से ताल्‍लुक रखते हैं, पर यह भी कटु सत्‍य है कि एक आम आदमी के दिमाग में मुस्लिम शब्‍द कौंधते ही जो छवि कौंधती है, वह बहुत अच्‍छी नहीं होती। हैरत की बात यह है कि न तो इस बात के लिए मुसलमान चिंतित नजर आते हैं, न मुस्लिम जमातें और सरकार या राजनैतिक दलों का तो खैर कोई प्रश्‍न ही नहीं उठता, क्‍योंकि उनका काम ही होता है वोट से मतलब रखना और येन-केन-प्रकारेण जनता का दोहन करना--

मारक सिद्ध हो रही है यह 'डेस्क टॉप डाईट '

ram ram bhai 
 THE DESK TOP DIET /DO YOUR EATING HABITS GO AWRY WHEN YOU ARE AT YOUR WORKPLACE ?SET THINGS RIGHT (Divashri.Sinha@timesgroup.com/MUMBAI MIRROR ,JANUARY4,2012.
बैठे - बैठे डेस्क टॉप में एक साथ कितने ही कामों को दिन भर में अंजाम देती युवा प्रोफेशनल्स की यह युवा भीड़ खाना पकाने और सेहत के मुफीद खाने -पीने का अपने तैं वक्त नहीं निकाल पा रही है .यही वजह है इनके ऑफिस की दराजें जंक फ़ूड से  

मन के उद्यान में

"निरंतर" की कलम से.....
मन के उद्यान में 
भावनाओं के वृक्ष
स्नेह,प्रेम से वंचित
अनमने भाव से
निस्तेज खड़े हुए
ना कुम्हलाये
ना मुरझाये
ना ही सूखे
स्नेह के फल ,

अंतर

विशाल__दिल की कलम से

क्यों बुनती रहती हो तुम
शब्दों के मकड़ जाल
उलझा कर कागज़ के टुकड़ों पर
फिर कहती हो 
हल करो पहेलियाँ 
देखो कितने रंग भर के बनाई है
कितने गूढ़ रहस्य छिपे हैं
इन तस्वीरों में

मनोज पटेल द्वारा 
*पाब्लो नेरुदा की 'सवालों की किताब' से कुछ सवाल...* * * * * * * *कुछ सवाल : पाब्लो नेरुदा * (अनुवाद : मनोज पटेल) जब मैंने एक बार फिर से देखा समुद्र को समुद्र ने मुझे देखा होगा या नहीं? लहरें क्यों मुझसे प...

जब हुए सपने रंगीन ,
मैंने कोरे कागज पर ,
जब नाम लिखा तेरा ,
कागज पर स्याही मिटी नहीं ,
सूख गई और गहरी हुई ,
लिखी इबारत परवान चढ़ी,
फिर दिल में उतरी और पैठ गई ,
उसे मिटाना सरल नहीं था,
आशा द्वारा

दिल दुखे तेरा या मेरा बात एक ही ...












   सदा
मैं गिला तुमसे करूं भी तो भला किस बात का,
तोड़कर वादों को मनाना तुम्‍हें किस बात का ।

दुनिया की भीड़ में अकेला हो तो कोई क्‍या कहे,
ये दौर ही है ऐसा जहां मोल नहीं जज्‍बात का ।

  रिंकू सिवान  द्वारा  Computer Tips & Tricks  पर
हाथी के लिए एक कहावत है कि जिंदा हाथी लाख का और मर गया तो सवा लाख का। यही कहावत शुतुरमुर्ग पर भी फिट बैठती है। जिंदा शुतुरमुर्ग साल में *30* अंडे देता है और एक अंडा तक़रीबन* 2000* रुपए में बिकता है इस तरह...

विधानसभा चुनाव और बाम-पंथ


सन1942 ई .के भारत छोड़ो आंदोलन मे मात्र 17 वर्ष की आयु मे सक्रिय भाग लेने वाले ग्राम -कांकेरा,पोस्ट-अकबरपुर,जिला-मथुरा-281406 के मूल निवासी विजय आर्य सिद्धान्त शास्त्री जी आर्यप्रतिनिधि सभा से 26 वर्ष एक माह सम्बद्ध रह कर फिर स्वतंत्र रूप से स्वामी दयानन्द'सरस्वती' की नीतियों तथा उपदेशों के प्रचारक रहे हैं उनकी यह देश-भक्तिपूर्ण रचना आप भी देखें-


सुखदाई        सत         युग               लाना है। 
कलि         काल      कलंक        मिटाना      है। 
नित     प्रातः    प्रभु       गुण              गायें गे । 
सिर    मात -पिता        को                नायें  गे। 
शुचि संध्या यज्ञ रचाएंगे। सुंदर सुगंध फैलाएँगे। 
                                    दुर्गुण दुर्गंध मिटाना है। । 1 । । 


बदलाव ...

वो रचना चाहते हैं नया इतिहास
पर नहीं भूलना चाहते
खरोच के निशान

बदलना चाहते हैं परम्पराएं
पर नहीं छोड़ना चाहते अधूरा विश्वास

बनाना चाहते हैं नए नियम
नहीं बदलना चाहते पुरानी परिपाटी

  वन्दना द्वारा  ज़ख्म…जो फूलों ने दिये - पर
विकलांगता तन की नहीं मन की होती है यूँ ही नहीं हौसलों में परवाज़ होती है घुट्टी में घोट कर पिलाया नहीं था माँ ने दूध उसने तो हर बूँद में पिलाई थी हौसलों की गूँज ये उड़ान नहीं किसी दर्द की पहचान है ये तो आ...

सूरज छिपा रजाई अन्दर,
धरती धूप बिना ठिठुराती.
जाना पड़ता स्कूल ठण्ड में,
तुमको दया नहीं क्यों आती.
------कैलाश शर्मा

"रंग-बिरंगी चिड़िया रानी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

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रंग-बिरंगी चिड़िया रानी। 
सबको लगती बहुत सुहानी।। 

दाना-दुनका चुग कर आती। 
फिर डाली पर है सुस्ताती।
My Photo
पल्लवी जी की आशा... जो कि बेसुरम पर है, को अवश्य देखें और समझें आप सब

और  "रविकर" की एक पुरानी रचना--

1999 का नव-वर्ष

वायदा किया था अठहत्तर में पर |
आज निन्यानवे का नया फेर है --
छोड़ छुट्टा दिया न रहा काम का 
अब समय-सेर के सिर सवा सेर है ||
                    था दिया के तले अँधेरा बहुत 
                    आज ऊपर अँधेरा दिया के किया |
                    मै समझता रहा बीस बस बीस में 
                    टाल इक्कीस में, क्या किया कर दिया ||

Cartoon by Kirtish Bhatt
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28 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    वाहे गुरू जी का खलसा!
    वाहे गुरू जी की फतह!!

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  2. भावपूर्ण चर्चा |कार्टून तो बहुत अच्छा लगा |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. Photo umda,
    apki rachna umda.

    Waah...

    विश्व संस्कृति की तरह ही भारतीय संस्कृति भी बड़ी अद्भुत है।
    http://mypoeticresponse.blogspot.com/2012/01/blog-post.html

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  4. कुछ लिंक्स तो बहुत ही अच्छे हैं... बेहतरीन प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार लिंक्स्…………सुन्दर चर्चा।

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  6. इस चर्चा मे मेरी भी पोस्ट शामिल करने हेतु 'रविकर जी'एवं शास्त्री जी को धन्यवाद। काफी अच्छे लिंक्स से परिचय हुआ।

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  7. बहुत ही बढि़या लिंक्‍स का संयोजन जिनके बीच मेरी रचना भी शामिल है ...आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  8. चर्चा ,चयन प्रस्तुति आकर्षक .साज सज्जा बेहतरीन .बधाई .

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  9. waah sir shandaar links ke saath sarthak charcha....meri post ko yahan sthan dene ke liye abhaar

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिये आभार..

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सार्थक चर्चा ......
    welcome to new post--जिन्दगीं--

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर सार्थक चर्चा प्रस्तुति .....आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  13. सुव्यवस्थित रंगविरंगी चर्चा.

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सार्थक चर्चा ......
    welcome to new post--जिन्दगीं--

    जवाब देंहटाएं
  15. आज तो भाई साहब सारे लिंक्स पढ़े और टिप्पणियाँ भी की.स्वाद आगया .बधाई आपको विशेष साज्सजा लिए होती है आपकी चर्चा आत्मीय लगाव भी .

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  16. रविकर जी,बहुत ही सुन्दर चर्चा,
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार.

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  17. ravikarji achhe links,charchaa manch par ek aadh kavitaa par har baar charchaa kee jaaye to shaayad achhaa rahegaa

    जवाब देंहटाएं
  18. बढिया प्रस्‍तुति। बेहतर लिंक्‍स।

    जवाब देंहटाएं
  19. बेहतर चर्चा, शुक्रिया रविकर जी!!

    जवाब देंहटाएं
  20. बढ़िया चर्चा ....
    मेरे ब्लॉग से जुड़ने और पढने के लिए इस लिंक पे क्लिक करें
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

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