आधे जन जेहाद में, धूल अर्ध-जन फाँक |
धूल अर्ध-जन फाँक, बिगड़ते जाते हालत |
होय मिलिट्री रूल, दीखती ऐसी नौबत |
जरदारी फिर भाग, आग से दुबई डरकर |
जनता अब तो जाग, थाम तू मचा बवंडर ||
-----रविकर
संशोधन:
शादी में बाहर गए, आये बुद्धू आप |
लेकिन कुछ शातिर बड़े, लेते गर्दन नाप ||
(१)"दोहे-ज़ालजगत पर कर्म" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")भाँति-भाँति के हो रहे, ज़ालजगत पर कर्म। शब्द-शब्द में है छिपा, धर्म-कर्म का मर्म।१। अंकित होते हैं यहाँ, जीवन के अनुभाव। कुछ शीतल से लेप हैं, कुछ देते हैं घाव।२। |
(२) मनीष सिंह निराला द्वारा * * * * जीवन पुष्प * * * * - पर ** * * *तुम्हारे जाने के कुछ निशान* *रेत पर, और मेरे मन पर* *एक साथ उभर गये ! * * इसे मिटाने की कोशिश में* *ना जाने कितने मोती आँसू के* *इस समंदर में बिखर गये !* * **आज * *आने की आहट पर * *इन हवाओं की छूअन से... |
(३)अनाथ विधवाओं की समस्या का समाधान क्या है ? Widows in Vrindawan |
(४)बच्चों को भी कराएँ ध्यान का अभ्यास कई बच्चों में ध्यान के प्रयोग कराने के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। बच्चों को ध्यान यानी मेडिटेशन कराने को लेकर कुछ लोग नाक भौं सिको़ड़ सकते हैं। ध्यान को किसी धर्म से जो़ड़कर देखना ग़लत है क्योंकि यह एकाग्रता ब़ढ़ाने की विशुद्ध वैज्ञानिक प्रक्रिया है। आजकल की शिक्षा पद्धति न तो बालक को शारीरिक दृष्टि से सक्षम बनाती है, न ही मानसिक संतुलन बनाए रखती है, न ही उसे समाज का एक सुसभ्य, सच्चरित्र, निष्ठावान, उत्तरदायी व्यक्ति बनाती है। आज के इस विज्ञान युग में किडनी, हृदय प्रत्यर्पण जैसे जटिल ऑपरेशन आसान हो गए हैं। |
(५)तुम आई जब से मेरे आँगन में - डॉ नूतन गैरोला नन्ही परी तुम फूलों पर रख पाँव आना मेरे घर रेशमी किरणें चाँद की संग साथ लाना मेरे घर ... और वह परी मेरे घर आ गयी, नन्ही गुड़िया जैसी - बेटी के रूप में - आज उसका जन्मदिन है| यह खुशियां मैं आप सब के साथ साझा कर रही हूँ.. |
(६) विजय कुमार सप्पत्ति द्वारा नुक्कड़ -पर *स्वामी विवेकानंद** **आज भी परिभाषित है** **उसकी ओज भरी वाणी से** **निकले **हुए वचन ;** **जिसका नाम था विवेकानंद !** **उठो ,**जागो , **सिंहो ;** **यही कहा था कई सदियाँ पहले** **उस महान साधू ने ,** **जि... |
(७)समय-समय की बात है प्यारे ....कभी-कभी कुछ बातों के लिए कैसे समय गुज़र जाता है पता ही नहीं चलता और कभी-कभी कुछ बातों को लेकर ऐसा लगता है, जैसे वक्त चल नहीं रहा रेंग रहा है। कुछ बातों में मन करता है बस वक्त यही थम कर रह जाये और हम सारी ज़िंदगी उस एक क्षण में गुज़ार दें। वक्त के बारे में भी जब कभी गहनता से सोचो तो बस विचार आपस में उलझते ही चले जाते है। वक्त जिसने सदियाँ देखी हैं, हर अच्छा बुरा पल देखा है इस आधार पर ज़िंदगी को देखने में वक्त से ज्यादा अच्छा अनुभव और किसी का नहीं हो सकता न काश वक्त के अनुभवों से भी हम कुछ सीख पाते तो शायद आज हम कहीं और ही होते। शायद इस दुनिया का नक्शा भी कुछ और ही होता। मगर हम तो उन में से हैं। जिन्हें वक्त की कद्र करना आता ही नहीं, तभी तो हम अपने अनुभवी बुज़ुर्गों की भी कद्र नहीं कर पाते। |
(८)भ्रष्टाचार की जय !!!!पिछले कुछ समय से काफी जोर - शोर हो - हल्ला मचाया जा रहा है कि "लोकपाल विधेयक लाओ - भ्रष्टाचार मिटाओ"............"नहीं रहेगा नामोनिशान भ्रष्टाचार का".......तो भाई अब मैं पूछता हूँ कि खाने का काम है क्या??? लाख़ों सालों से चली आ रही.........हमारे देश के कण - कण में व्याप्त भ्रष्टाचार कि परम्परा को कुछ महीनों या सालों में हटा दोगे क्या........??? अरे हजारों साल पहले चार्वाक ऋषि ने जीने के लिए एक मन्त्र बतलाया था कि "यावत जीवेत सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत".........अर्थात जब तक जियो सुख से जियो, कर्ज लेना पड़े तो लो पर घी पियो.........और हममे से तमाम लोग आज तक इसी मन्त्र पर अमल कर रहे हैं......जैसे कि कोशिश रहती है कि बस - ट्रेन में टिकट न लेना पड़े |
अरुण चन्द्र रॉय द्वारा सरोकार -पर भाई हीरालाल बन गए हो तुम एक रिटेल ब्रांड तुम्हारी जलेबियों का वज़न कर दिया गया है नियत कितनी होगी चाशनी यह भी कर दिया गया है निर्धारित तैयार किया जा रहा है तुम्हारे नाम का एक प्रतीक चिन्ह तुम्हा... |
(१०) मनोज कुमार द्वारा राजभाषा हिंदी पर विजन-वन-वल्लरी पर सोती थी सुहाग-भरी--स्नेह-स्वप्न-मग्न-- अमल-कोमल-तनु तरुणी--जुही की कली, दृग बन्द किये, शिथिल--पत्रांक में, |
(११) दिनेश पारीक द्वारा मेरी कविताओं का संग्रह पर साँसों का बंधन टूट जाता है विछोह की वेदना में हर शख्स शोक मनाता है शोक में दुनियादारी के लिए चंद अश्क भी बहाए जाते है |
(१२)नेताजी का जयमंत्र कल्याणकारक हैबेरोजगारी की बात करना नाहक है। सरकार की अक्षमता की बात करना संहारक है। रामलीला मैदान जैसा कष्टदायक है। निगमानंद जैसा हश्रदायक है |
(१३)कही-अनकहीजरुरी नहीं की .........हर बात का जबाव दिया जाये भीड़ में बहुत जी लिया ...... अब तन्हाई का भी ..... मजा लिया जाये ..... |
(१४) HAPPY LOHADI 2012 |
two liners - पसंदीदा शागिर्द को ही देता हैं... उस्ताद कड़े सबक....पसंदीदा शागिर्द को ही देता हैं... उस्ताद कड़े सबक....यही सोच... खुदा, तेरा हर इम्तिहान दिए जा रहा हूँ मैं... आलोक मेहता... |
(१५) कैलाश शर्मा द्वारा Kashish - My Poetry -पर बात जब तेरी उठी दर्द हो गये हरे, हो गये बयन निशब्द नयन ताकते रहे. |
(१६) ईं.प्रदीप कुमार साहनी द्वारा काव्य का संसार - पर (२००वीं पोस्ट) किताबों के पन्ने यूँ पलटते हुए सोचते हैं, यूँ आराम से पलट जाए जिन्दगी तो क्या बात हो । तमन्ना जो पूरी होती है सिर्फ ख्वाबों में, एक दिन हकीकत बन जाए तो क्या बात हो । शरीफों की शराफत में भी ज... |
(१७)मैं रुक गयी होतीजब मैं चली थी तो तुने रोका नहीं वरना मैं रुक गयी होती | यादें साथ थी और कुछ बातें याद थी ख़ुशबू जो आयी होती तेरे पास आने की तो मैं रुक गयी होती | |
(१८)
कुश्वंश द्वारा अनुभूतियों का आकाश -पर
तुम हो मैं हूँ और हंसीं उन्मादी शाम आओ रच दे प्यार तमाम, अधरों को अधरों की आशा, नयनों में स्वप्निल परिभाषा, योवन न होए निष्काम आओ रच दे प्यार तमाम, मन की तृस्ना बंधन आशा, मौन समर्पण ...
(१९)
डॉ .ज.प.तिवारी द्वारा pragyan-vigyan - पर
एक ऐसा समाज, ऐसा राष्ट्र, जो बसता है सितारों के पार. जो दीखता है बस ख़्वाबों में, परियों की कथा-कहानियों में. नीति शास्त्र के चिंतन-वचन में, आदर्शवाद की परिकल्पना में, सजाई रंगोली और अल्पना में. क्या इसका स...
क्या मैं एक खुबसूरत डायरी हूँ
जिसके कोरे पन्ने पर
कोई भी लिख देता है
अपना कच्चा-पक्का चिट्ठा
और मैं बन जाती हूँ
इस काल की मौन गवाह...
क्या मैं एक फोटो फ्रेम हूँ
जिसमें कस दिया जाता है
जबरन कोई भी तस्वीर
पाषाणयुगीन , मध्ययुगीन
(20)
बदरंग
वर्ज्य-नारी पर
क्या मैं एक खुबसूरत डायरी हूँ
जिसके कोरे पन्ने पर
कोई भी लिख देता है
अपना कच्चा-पक्का चिट्ठा
और मैं बन जाती हूँ
इस काल की मौन गवाह...
क्या मैं एक फोटो फ्रेम हूँ
जिसमें कस दिया जाता है
जबरन कोई भी तस्वीर
पाषाणयुगीन , मध्ययुगीन
उपयोगी लिंकों के साथ बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने, रविकर जी!
जवाब देंहटाएंआभार!
बल्ले बल्ले जी
जवाब देंहटाएंrang birangj prastutiyaa.thanks.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा सजाई है आपने ..
जवाब देंहटाएंलोहड़ी की हार्दिक बधाई
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
kalamdaan.blogspot.com
ब्लॉग्स पढने को आमंत्रित करती विस्तृत चर्चा !
जवाब देंहटाएंआभार !
very good
जवाब देंहटाएंगहरी रचनाओं से भरी आज की चर्चा..
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स।
बहुत सुन्दर चर्चा सजी आज आपने. मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद | बहुत सरे उम्दा लिंक्स का संयोजन | आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या चर्चा ..आभार ।
जवाब देंहटाएंआज के चर्चा में बहुत सुन्दर लीकों को चुनकर लाये है रविकर जी !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा अपनी रचना को आज के चर्चा मंच में पाकर !
आपका बहुत-बहुत आभार !
सुन्दर सजी हुई चर्चा मंच ...
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की बहुत -बहुत बधाई
बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंमकर सक्रांति की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये !