फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

रविवार, मई 20, 2018

"वो ही अधिक अमीर" (चर्चा अंक-2976)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

हरफ़नमौला - 

अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं- आपकी तारीफ़ ? भला कोई अपने मुँह से अपनी तारीफ़ करता है? अब क्या-क्या कहूँ अपने बारे में, मुझे तो शरम आती है. फिर भी बताना तो पड़ेगा ही .लेकिन तारीफ़ नहीं ,असलियत ही कुबूलूँगा. हाँ, मैं हरफ़नमौला आदमी हूँ ... 
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना 
--

दूर की बड़ी मछली से  

पास की छोटी मछली भली होती है 

जब तक चूजे अंडे से बाहर न आ  जाएं

तब तक उनकी गिनती नहीं करनी चाहिए

जब तक ताजा पानी न मिल जाए
तब तक गंदे पानी को नहीं फेंकना चाहिए... 
--
--
--

----- ॥ दोहा-द्वादश ॥ ----- 

समय संगत चलिहौ रे समय जगत का बाहि | 
समउ रहत सब साध है समय बिरत कछु नाहि || १ || 
भावार्थ : - समय जगत का वाहन है एतएव समय के साथ ही चलना चाहिए | समय रहते ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं समय व्यतीत होने पर पश्चात के अतिरिक्त कुछ भी शेष नहीं रहता ... 

NEET-NEET पर 
Neetu Singhal  
--

माँ 😍 

भ्रुण में धड़कन भरती माँ
रग रग में है बहती माँ
रौशन कुल का दीपक हो
तन की पीड़ा सहती माँ
बाहों के झूले में रखकर
लोरी सुन्दर गहती माँ... 
ऋता शेखर 'मधु'  
--

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी. 😊

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति
    सभी रचनाएँ उत्क्रष्टता को प्राप्त हैं
    सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ
    मेरी रचना को भी मान देने के लिए हार्दिक आभार
    सादर नमन
    शुभ संध्या 🙇

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! आभार आपका शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. कल नेट से दूर रहने का खेद है, मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।