यूँ तो कविता वगैरह के बारे में हमारी समझ और शौक दोनों ही हमेशा से शून्य बटा जीरो रहे है, इसलिए ब्लागजगत में कविताओं वाले ब्लागस से तो हमेशा दूर ही रहते हैं. लेकिन इधर कुछ दिनों से न जाने क्यूं हम भी विभिन्न ब्लागर्स की कविताएं कुछ कुछ चाव से पढने लगे.अवश्य ही इनमें अच्छी कविताएं भी होती थी और बकवास भी:इतनी बकवास की 'येनकेन प्रकारेण'कविता पूरी पढ चुकने के बाद जी में आता कि-----अब कभी जीवन में कविता नहीं पढूँगा.किन्तु कोई कोई कविता इतनी बढिया दिखाई पड जाती कि अनिच्छापूर्वक दो चार पंक्तियाँ पढते ही वो कविता अपने में उलझाकर पुराना निश्चय तोडने को विवश कर देती और फिर भविष्य में कविता पढने के लिए उत्सुकता पैदा कर देती…..बहरहाल आज की चर्चा शुरू करते हैं,वो भी अपने द्वारा पढी गई चन्द कविताओं से….. |
मिलने को व्याकुल था कितना , फिर भी क्यों कतराया मन मैं ही झुकता जाऊं क्योंकर , यह कह कर इतराया मन . चाहत बिखरी कण कण में थी , इच्छाएं पल पल में थी सब कुछ पाने की ख्वाहिश में बिखरा और छितराया मन | तुम्हारी याद में मैंने बहुत आंसू लुटाये हैं वही मोती बने हैं रात भर वो जगमगाते हैं तुम्ही ने जो कहे दो बोल मीठे प्यार के मुझ से ये पक्षी चाव से उन को ही हर पल गुनगुनाते हैं तुम्हे मेरा पता है जानते हो हाल तुम सारा पपीहे बादलों को ही उसे गा कर सुनाते हैं | रेस के घोड़े (namaste) अरे छोड़िये ! बस भी कीजिये ! किसी के पास नहीं है ..वक़्त इन फ़िज़ूल बातों का ! ये सब रेस के घोड़े हैं ! बेतहाशा भाग रहे हैं ! किसे पड़ी है कि पूछे पड़ोस की बूढ़ी अम्मा से, अम्मा घुटनों का दर्द कैसा है ! | हर बात तलब अब हम छोड़ चुके हैं अकड़ कर रहने का फन छोड़ चुके हैं। शरीक अपने गम में अब किसे करें तन्हा रहने का चलन छोड़ चुके हैं । जो दरिया था वही समंदर हो गया अश्क बहाने का हुनर अब छोड़ चुके हैं। | ज़िन्दगी थी वीरानी सी एक स्वप्न कल्पित कहानी सी जीवन के सफ़र में मै अपना सब वार रहा था हर बाज़ी हार रहा था कई सपने टूट रहे थे कई नाते छोड़ रहे थे दामन सूना था ये रस्ता जीवन का, सूना था दिल का आँगन | खुशियों के श्रोत का उदगम बता दो, जीवन में आनंद का संगम करा दो. देह के आत्मा को तृप्त कर दे जो, उस मूल्यवान वस्तु से मिलन करा दो. तलाश में जिसके संतो के भक्ति लीन, दार्शनिको के विचार जिस आस्था में विलीन. कृष्ण राधा के प्रेम संबंधो का यकीन, उनके बीच का वो अमर बंधन हसीन. अरस्तु के चमत्कारिक ज्ञान का भंडार, आइन्स्टीन के काया पलट खोजो का अम्बार. | अणु का शून्य में विलयन".............. मन को भ्रमित करता है आकृति में कटाव करता है 'काल' की उपस्थिति दर्ज करता है अस्तित्व मेटने का दावा करता है. | कत्ल-चोरियां जिनकी जाहिर नहीं है, चर्चों में उनकी शराफत रही है। दया धर्म सेवा के पाखण्डों के पीछे धन-दौलत-शोहरत की हसरत रही है। दुनियां कहती - पैसा खुदा तो नहीं कसम खुदा की, खुदा से कम भी नहीं है। | बीती यादों के रंग! बढ़ती उमंर के संग! बहुत ही याद आते हैं! -- कभी-कभी इस अतीत पर हम खुद ही रीझ जाते हैं !! | वैधानिक चेतावनी....इस कविता का वास्तविक प्यार से कोई लेना देना नही है...अगर होता है तो उसे महज संयोग मन जाये ... मेरी बातों पर कृपया थोडा सा ध्यान दें .. हम आपको बतायेंगे कैसे अपनी जान दें .... इसके लिए करना है एक छोटा सा काम पड़ोस की लडकी के घर जाइये सुबह शाम कुछ दिन बाद उसे मोहब्बत का पैगाम दें हम आपको बतायेंगे कैसे अपनी जान दें | |
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डंडे का झंडा (RD Tailang's Blog) पिछले कुछ दिनों से न जाने क्यों अचानक देश महान सा लगने लगा है। सड़कों के गढ्ढे खूबसूरत लगने लगे हैं। Delhiमें Common wealth game के Stadium की टपकती छत, हमें अपनी सी लगने लगी है…हमारे घर में भी छतें टपकती हैं,हम बालटी रखकर काम चला लेते हैं। न जाने क्यों पिछले कुछ दिनों से नेताओं के लिए मुंह से गालियां ही नहीं निकलतीं। यहां तक कि मायावती पर भी गर्व होने लगा है। और तो और Dr. Amedkar फिल्म भी 3 idiots से अच्छी लगने लगी है। | अब तो भारत में वेदों, वैदिक संस्कृ्ति के खिलाफ अनाप-शनाप बोलने, बकवास करने वालों को कम से कम अपनी नासमझी पर चुप हो जाना चाहिए। क्योकि नोबुल पुरस्कार विजेता अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के एक बुज़ुर्ग वैज्ञानिक (कर्ल) ने विज्ञान कॉंग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन में इस बात को मान लिया है कि आज जिस नैनो तकनीक(Nenotechnology) को दुनिया की श्रेष्ठतम तकनीक कहकर प्रचारित किया जा रहा है उसका प्रयोग भारत में हजारों साल पहले शुरु हो चुका था। |
आज सुबह-सुबह हलकान भाई से मुलाकात हो गई. इधर-उधर की बातें हुईं. उन्होंने बिभूति नारायण राय के बयान की निंदा की. उसके बाद मंहगाई पर चिंतित हुए. बात आगे बड़ी तो सुरेश कलमाडी की आलोचना करते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सरकार हम नागरिकों का पैसा पानी की तरह बहा रही है.पैसे के पानी की तरह बहने की बात शुरू हुई तो याद आया कि मानसून की कमी और बाढ़ पर भी बात कर सकते हैं. फिर उसपर भी बात हुई.उसके बाद उन्होंने सरकार की नीतियों पर क्षोभ प्रकट करते हुए आशंका जताई कि आनेवाला समय मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास के लिए बहुत कष्टदायक होगा. |
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष लाया जाएगा। सिंगापुर के बौद्ध संगठनों ने और एक वैश्विक अध्ययन केंद्र ने एक विश्व स्तरीय पुस्कालय के निर्माण के लिए पहले ही आर्थिक अनुदान का प्रस्ताव दिया है।नालंदा विश्वविद्यालय को बिहार में उसी जगह के नजदीक बनाने का प्रस्ताव है,जहां कभी यह प्राचीन विश्वविद्यालय हुआ करता था। यहां दर्शनशास्त्र,बौद्धधर्म,तुलनात्मक साहित्य,ऎतिहासिक अध्ययन और पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण की विशेष शिक्षा दी जाएगी। “कभी दुनिया के इतिहास में विश्वविद्यालय हमारी सबसे ब़डी बौद्धिक धरोहर थी” । |
ब्लागजगत के सभी धर्मान्ध ब्लागरों से बडे ही विनम्र भाव से एक बात कहना चाहता हूँ कि---भाई दिन रात की इस मजहबी नौटंकी में न तो मुसलमान का भला है और न हिन्दू का.मैं आप लोगों से सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि क्या आप लोग आपस में इत्तहाद की जरूरत समझते हैं कि नहीं ? यदि हाँ तो क्या आप लोग यह नहीं मानते ? कि दोनों कौम और दोनों का मजहब एक हो जाए और इस ढंग से हो जाए कि न तो किसी का मजहब डूबे और न ही किसी को अपना अपमान मालूम हो.मजहब के नाम पर आखिर कब तक आप लोग घमंड की पूजा करते रहोगे.घमंड और बेईमानी आ जाने पर मजहब, मजहब नहीं रहता बल्कि कुफ्र हो जाता है. इन्सान का असली मजहब तो उसकी ईमानदारी और मोहब्बत है.ईमान और मोहब्बत के लिए मजहब को कुर्बान किया जा सकता है लेकिन मजहब के लिए न तो ईमान की बलि दी जा सकती है और न मोहब्बत की. |
भारतीय पुलिस बिभाग पर मेरी अटूट श्रद्धा है पुलिस को देखते ही मेरा ढाचा कमान हो जाता है नहीं समझे ,बिल कुल वेसा जैसा डालर को देख कर बाकि दुनिया का होता है कास मुझे भी बचपन से पुलिस की छांव मिली होती ,अम्मा ने डराया होता ; चुप हो जा नहीं तो पुलिस आ जाएगी ,पर कसूर अम्मा का नहीं पुरखो का है .मुहल्ले में पुलिस होती तब न । यूँ तो ऊपर वालो [भगवन मत समझ लेना] की दया से अपने मोहल्ले में जच्चा-बच्चा अस्पताल से लेकर राम लीला कमेटी तक वह सभी कुछ मौजूद है जो एक मोहल्ले में हों चाहिए बस कमी है तो एक अदद थाने की । |
पुण्य के निमित्त उपवास करने वाले यह कहते नहीं अघाते कि उपवास धार्मिक ही नहीं एक वैज्ञानिक प्रविधी भी है,जिसे हमारे पूर्वजों और ऋषि-मुनियोंने अच्छे स्वास्थ्य के लिए ही निर्मित किया था। लोगों का ऐसा समझना 'कुछ हद तक'सही ही है। मगर कुछ हद तक ही क्यों?इसलिए कि सैकड़ों-हजारों साल पहले चलन में आई कोई भी चीज जरूरी नहीं कि आज के हालात में भी अक्षरश:सही बैठे। योरूप,एशिया,ऑस्ट्रेलिया,अरब देशों आदि के ट्रेडिशनल विस्डम यानी पारम्परिक ज्ञान पर गहरा अनुसंधान करने वाले अनुसंधानकर्ता एवं लेखक स्टेन गूश कहते हैं कि कुछ चीजों में पारम्परिक ज्ञान की गहरी वैज्ञानिकता देखकर सचमुच चमत्कृत हो जाना पड़ता है. | जिंदगी बहुत बडी है। आप कैसे कह सकते हैं,जिन्दगी में कुछ नहीं बचा। मेरी जिंदगी अब खराब है। जिंदगी अपने आप में ही इतनी बडी है कि इसके आगे कोई विशेषण लगाना गलत है। जिंदगी चलने का नाम है। प्यार में नाकामी मिली, तो परेशान होने से क्या हासिल होगा खुद को बेवजह परेशान करके आप खुद की और अपने परिवार की जिंदगी को तबाह क्यों कर रहे हैं। वक्त की पोटली में आपके लिए कई तोहफे रखे हैं। किसी न किसी मंजिल पर आपको पहले से ज्यादा प्यार करने वाला शख्स जरूर मिलेगा। हिम्मत मत हारिये, जिंदगी का साथ निभाइए। डिप्रेशन और दुख में डूबकर जिंदगी को नकार बैठना भी समझदारी नहीं है। अपने वर्तमान के लिए जागरूक बनें और बेहतर भविष्य के लिए खुद को तैयार करें। |
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बहुत बढ़िया रही आज की चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
बहुत-बहुत धन्यवाद!
अच्छे चुने हुए लिंक्स ..बढ़िया चर्चा .आभार
जवाब देंहटाएं। अच्छे लिंक्स के साथ एक बहुत ही सुन्दर चर्चा………आभार्।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छे चुने हुए लिंक्स ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...
आभार..!
बढ़िया चर्चा .आभार!
जवाब देंहटाएंआप सब का आभारी हूँ कि आपने हमारी पोस्ट को इस चर्चा में सम्मिलित करने के लायक समझा/
जवाब देंहटाएंआभार/
आप सब का आभारी हूँ कि आपने हमारी पोस्ट को इस चर्चा में सम्मिलित करने के लायक समझा/
जवाब देंहटाएंआभार/
sriman ji rachana ko shamil karne ke liye bahut aabhar
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा विस्तृत और लिंक्स का चुनाव बहुत अच्छा रहा ...शुभकामनायें पंडित जी !
जवाब देंहटाएंबहोत ही अच्छी चर्चा रही
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम
बढ़िया चर्चा!!
जवाब देंहटाएंdhanywad.
जवाब देंहटाएंaapke protsahan aur ashirwad ke liye.
namaste