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शनिवार, अगस्त 07, 2010

"जाने कितनी यादों को....." (चर्चा मंच - 238)

ना कोई शृंगार है, ना कोई प्रपंच।
सजा रहा हूँ आज फिर, चर्चा का यह मंच।।
आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ-
दोहों से सुशोभित आज का चर्चा मंच!




दिल के आँगन में दबी, खट्टी-मीठी याद।
आ जाता सन्तोष है, पिया मिलन के बाद।।
जाने कितनी यादों को -
जाने कितनी यादों को, अपने दिल के आंगन में , सजा रखा है , जब तुम छोटी सी परी थीं , प्रथम कदम उठाया था , आगे बढ़ना चाहा था , 
अपने नन्हें हाथों से तुमने , मेरी उ..

माँ के हाथों से बने, खाने में है स्वाद।
बसी हुई हर कौर में, माँ-ममता की याद।।



 रश्मि जी ने अपने ब्लॉग 'अपनी उनकी सबकी बातें' पर जब कहा कि " काश रोहन के द्वारा पढ़ी गई कविता की पंक्तियाँ मुझे याद रह जातीं " तो मुझे अपने हॉस्टल के दिनों...

नभ में बादल छा गये, छम-छम बरसा मेह।
सुन कजरी के बोल को,मन में सरसा नेह।।

सावन और बारिश का अटूट सम्बन्ध है। इनसे ना जाने कितनी लोक-मान्यताएं और लोक-संस्कृति के रंग जुड़े हुए हैं, उन्हीं में से एक है- कजरी. उत्तर भारत में रहने वाल...

मुझे शिकायत हे यही, आया ताई राज।
मिस टेढ़ी के शीश पर, धरा ताऊ ने ताज।।

कल की पोस्ट वो मुलतानी मिट्टी से तख्ती को पोतना पर * * *श्री राज भाटिया जी ने कहा - * "अमित भाई बहुत सुंदर यादे याद दिला दी आप ने. लेकिन आप तो हम से काफ़ी बा...

माँ के स्तनपान को, तरस रही सन्तान।
नवयुग की माँ में भरा, फीगर का अभिमान।। 

इधर के वर्षों में यह आश्चर्यजनक रूप से देखने में आया है कि कुछ महिलाएँ अपनी फिगर के लिए बच्चों को स्तनपान कराने से परहेज करने लगी हैं। ऐसे में सवाल यही है कि...



गौतम, गांधी, बोस की, ये ही हैं तस्वीर।
नन्हे सुमन जगायेंगे, भारत की तकदीर।।
*हम भारत के भाग्य विधाता, नया राष्ट्र निर्माण करेंगे ।* *
निज-भारत के लिए निछावर, हँस-हँस अपने प्राण करेंगे ।। * *
गौतम, गाँधी, इन्दिरा जी की, हम ही तो तस्वीर...

इधर-उधर बिखरे हुए, मेरे अभिनव छन्द।
मिल-जूल कर हैं बन गये, मेरी नज़्म पसन्द।।

 चेहरे पर ये लकीरें नहीं उम्र के निशान आंसू हैं जो सूख गये बिन पोंछे ही .... सितम कर-कर के दिल भरा नहीं आपका जब भी मिलते हैं कह्ते हैं मुस्कुराईये तीर अ..

हम आयोजक ही भले, क्योंकर खेलें खेल।
ज़र और इज़्जतदार का, क्योंकर होगा मेल।।


 हम हम वो हैं, जो खेल करवा सकते हैं, खेल कर सकते हैं, पर खेल सकते नहीं।
 दे सकते हैं पर मेडल, ले सकते नहीं। 
बन सकते हैं किरायेदार, 
पर खरीदार हो सकते नहीं।..

बेरंग होना भी कभी, दे जाता आनन्द।
झंझावातो में भला, किसे सुहाते रंग।।



 कभी कभी कुछ तुलिका के माध्यम से कुछ कहने का जी चाहता है। जीवन की आपाधापी के बीच हजारों उलझने दिमाग में चलती रहती हैं। कभी उलझती है तो कभी सुलझती हैं। कभी ...


हँसने से कट जायंगे, सारे दिल के रोग।
तन-मन को भोजन मिले, काया रहे निरोग।।



हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि … हंसने से वायरस जनित रोगों और ट्यूमर सेल्स को नष्ट करने वाले किलर सेल्स में बढोत्तरी होती है। क्‍या सोचोगे?
 *शिक्षिका* भगावन स..चला चला मै यू चला

स्वरोदय विज्ञान का, लाये तीसरा अंक।
पञ्चप्राण पावन बनें, दूर करो सब पंक।।

*अंक-3*** *स्वरोदय विज्ञान* [image: मेरा फोटो]आचार्य परशुराम राय [image: image] 
इन पाँचों प्राणों के द्वारा पाँच उपप्राणों का सृजन होता है जिन्हें नाग, कू...


कलम सहेली बन गई, कोरा कागज मीत।
अब उभरेंगे पटल पर, प्यारे-प्यारे गीत।।

* * * एक आहट ........जैसे * *हवा में घुल के.....* ***हलके फुल्के से लिबास में * *सहमी सी ....घबराई सी * *थोड़ी सी शरमाई सी * * करती है होले से दस्तक * *दिल ...

निज बाबुल को दे रही, बबली शुभ आशीष।
बाबा तुम जुग-जुग जियो, कृपा करेंगे ईश।।


हम आपके जन्मदिन पर माँगते है ये दुआ, उम्र आपकी हो सूरज जैसी जिसे याद रखे ये दुनिया, शुभदिन ये आए आपके जीवन में हज़ार बार, वादा करते हैं देंगे आपको खुशियाँ अप...


ईश्वर, अल्लाह, गॉड को, भुना रहे हैं लोग।
भेद-भाव की आड़ में, खाते मोहनभोग।।
आज बात मैं यहाँ गोरी चमड़ी के ईशू भक्तों की मानवता के प्रति 
भेद-भावपूर्ण और संवेदनहीन अमानवीय कृत्यों की करने जा रहा था, 
मगर चूँकि जब शीर्षक ही मैंने ऐंसा द...

नगर-नगर का हो गया, ऐसा ही कुछ हाल।
आवासों का हर जगह, पड़ने लगा अकाल।
बोकारो में मकान की इतनी किल्‍लत है !! -  
पिछले अंक में आपने पढा कि कितनी माथापच्‍ची के बाद हमने आखिरकार बच्‍चों का बोकारो में एडमिशन करवा ही लिया। 1998 के फरवरी के अंत में बच्‍चों के दाखिले से लेक...

धन के स्वामी हो गये, अपने धन के दास।
यही पुरातन सभ्यता का कर रहे विनाश।।
अस्त्र सश्त्रों के विषय में मेरी अल्पज्ञता 
ठीक वैसी ही है ,जैसी मंत्री पद पर आसीन किसी जनसेवक की 
अपने क्षेत्र की जनसमस्याओं के विषय में हुआ करती है..सो पूर...

गुलशन माली का रहा, युगों-युगों से संग।
छंद-गीत तो अमर है, मिट जाता है अंग।।
पहली बरसी पर विशेष - गीतकार गुलशन बावरा -
मेरे देश की धरती जैसे लोकप्रिय गीतों के रचयिता और जाने माने गीतकार गुलशन बावरा का ०७/०८/२००९ को दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया था । गीतकार की पड़ोस...

कैसे तुम्हें भुलाउँगा,ओ मेरे मनमीत।
प्रतिदिन तेरी याद में, लिखता हूँ नवगीत।।
मैं तुझसे मुहोब्बत नहीं करता.....?????? -  
ट* * * * *मैं कई बार * *खुद को * *गफलत में डालता हूँ* *कि मैं तुझसे * *मुहोब्बत नहीं करता* *मगर जब भी * *तेरी नज़रों से * *दूर होता हूँ * *खुद ...




भोले पक्षी छिप गये, खुले घूमते बाज़।
पढ़े-लिखे नौकर हुए, आया जंगल राज।।
खुले घूमते बाज
है कैसा अंधेर ये, कैसा जंगल राज. 
पंछी थर-थर कांपते, खुले घूमते बाज. 
खुले घूमते बाज जहाँ तक नजर पड़ी है. 
सोने की चिड़िया पर इनकी आंख गडी है. 
झपट चोंच में भर लेने को कमर कसी है. 
चिड़िया है अनजान बात बस इतनी सी है.

चर्चा पूरी हो गई, भली करेंगे राम।
सभी ब्लॉगरों को करूँ, कोटि-कोटि प्रणाम।।

26 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन लिंक्स से सजी चर्चा.बहुत खूब.

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  2. Sabse pehle to bahut bahut shukriyaa charcha me shamil karne k liye ...or is pankti ne dil ko chhoo liya ..कलम सहेली बन गई, कोरा कागज मीत। अब उभरेंगे पटल पर, प्यारे-प्यारे गीत..thnks a lot :)..

    aapka pryaas bahut pasand aaya ..chacha acchi lagi :)

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी चर्चा सभी सार्थक और सुन्दर रचनाओं को समेटे हुए ! बधाई एवं आभार !

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  4. दोहों के साथ चर्चा का अंदाज निराला रहा

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी लिंक्स की खोज और चर्चा दोनो ही बहुत आकर्षित करने वाले हैं |बहुत आभार
    आशा

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  6. आपका जबाब नहीं शास्‍त्री जी .. बहुत ही अच्‍छे से सजाया है चर्चामंच को !!

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  7. शेरों और दोहों से चर्चा का नया अंदाज़ खूब है ...
    आभार ...!

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  8. * आप पहले काव्यमय टिप्पणियाँ किया करते थे .वह दौर अब चर्चा में लौट रहा है।
    * जब इंसान भला काम करेगा तो राम तो भली करेंगे ही।

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  9. काव्य रस से भरी हुई चर्चा यह छू रही आसमान।
    शामिल किया ब्लॉग हमारा, दिया हमें सम्मान॥

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  10. दोहों से सजी चर्चा का , भा गया अंदाज़ |
    काव्यरस से भरा हुआ चर्चा मंच है आज ||

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  11. पहली टिप्पणी में त्रुटि रहने के कारण फिर से लिख रही हूँ .....
    पहला प्रयास असफल रहा ...शास्त्री जी आप इतने दोहे कैसे बना लेते हैं ??????

    दोहों से चर्चा सजी, भाया यह अंदाज़ |
    काव्यकलश के साथ में, अंक सजाया आज |

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  12. पहले तो मैं आपका शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरी शायरी चर्चा में लाने के लिए! बहुत सुन्दर चर्चा किया है आपने!

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  13. बहुत बहुत आभार मेरी पोस्ट को इतने सुन्दर रूप से यहाँ शामिल करने के लिए ! बेहद उम्दा चर्चा !

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  14. चर्चा का एक और ख़ूबसूरत काव्यमय अंदाज शास्त्री जी ! बहुत सुन्दर !

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  15. वाह शास्त्री जी आपकी दोहमय चर्चा तो बहुत ही सुन्दर होती है और लिंक्स भी एक से बढकर एक लगाये हैं…………………आभार्।

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  16. इस काव्यात्मक चर्चा के लिए हार्दिक बधाई।

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  17. आपको काव्य करते देख के..
    हमारे भी बजने लगे मृदंग
    खुद को कविराज समझने लगे.
    हम से हो रहे देखो कितने प्रपंच.

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  18. वाह शास्त्री जी । बेहतरीन दोहे संकलन किया है ।
    आभार ।

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  19. शास्त्री जी बहुत ही रोचक चिट्ठा चर्चा...हर लिंक से पहले सुंदर दोहो का समावेश चर्चा मंच में चार चाँद लगा दिया..लाज़वाब प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई..प्रणाम

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  20. बहुत ही सार्थक और उपयोगी चर्चा .........अंदाज़ का तो कहना ही क्या

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  21. हमेशा की तरह चकाचक
    सजी हुई पोस्ट
    वाकई काफी अच्छे लिंक्स मिले

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