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सोमवार, अगस्त 30, 2010

नया सफ़र्……………चर्चा मंच-262

 दोस्तों,
लीजिये हाजिर हूँ सोमवार की चर्चा के साथ्…………उम्मीद है ये अन्दाज़ भी पसन्द आयेगा।

कविता का सफ़र चल निकला 
और हम भी साथ चल पडे .

पूरक हो तुम -------------  
वो तो हैं ही , एक के बिना दूजे का जीवन अधूरा ही तो है .

पुरुष वेश्याएं , आधुनिकता की नयी उपज--------मिथिलेश दुबे--------------
अब इतना मोल तो आधुनिक बनने का चुकाना ही पडेगा ना ?

अगर कहो तो ना छूयें?

प्रेम किससे? मुझसे या

पता नही जी, सबसे मुश्किल सवाल?

कभी कभी शब्द ही नहीं होते आभार प्रकट करे के

तो क्या हुआ------दिल मे तो है ना वो ही काफ़ी है.

मुझको जला के खुशबु की वो बारिश सा कर गया

अब ये तो हद हो गयी!

जरूर किया गया होगा आखिर इंद्रधनुष के रंग जो ठहरे.

हकलाहट : दिल पे मत ले यार . . . ! 

बिल्कुल नही लेंगे जनाब!

कोई साथ नहीं देगा 

ये तो बिल्कुल पक्की बात है.

अवधिया जी, आखिर रहोगे आप पुरातनपंथी ही

और क्या अपना पंथ नही छोड्ना चाहिये.

मैनें एक परी को मित्र बनाया

जरूर बनाना चाहिये.

वाह! क्या कहने

बेलफास्ट कवि सम्मलेन के कुछ वीडिओ क्लिप 

आपके आदेश पर------>>>दीपक मशाल

बडे फ़रमाबरदार हो…………शुक्रिया।

भगवाधारी या खादीधारी ...>>> संजय कुमार

पता नही जी ---------आजकल तो सभी लूट्धारी दिखाई देते हैं।
हमे तो पता नहीं…………देखे जो नहीं

इन शहरो में

क्या है?

अब आप क्या कहेंगे?

ऐसी हिमाकत हम कैसे कर सकते हैं?

प्रकृति से पंगा?

अंजाम के लिये तैयार रहो फिर……………
ये नकाबपोश लड़कियाँ !---आखिर कब सुधरेंगी ?
कभी नहीं-----------ये कैसे हो सकता है?

यही तो मुश्किल है………बच के रहिये।

पत्थर हो गयी हूँ ......  क्यों…………क्या हुआ?

सबकी उम्र जानने के लिए हम आज एक मजेदार ट्रिक लेकर आए हैं !!



बताइये बताइये जल्दी से…………

 मेरा देश महान्………वीरांगनाओं को नमन

चलिये दोस्तों अब आज्ञा दीजिये। अगले हफ़्ते फिर मिलती हूँ नये- नये अन्दाज़ लेकर्।
अब आप अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत करा कर होसला अफ़ज़ाई कीजियेगा।

32 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चा का यह अंदाज निराला है |यहाँ रचना का महत्व
    है ,जिसे पढ़ कर ही रचनाकार को जाना जा सकता है |केवल सतही तौर से नाम देख कर कमेन्ट
    नहीं किये जा सकते | बहुत अच्छी चर्चा ,बधाई |
    मुझे आपने ब्लॉग में स्थान दे कर जो प्रसन्नता दी है
    मैं आपकी बहुत आभारी हूं |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छे लिंक से सुसज्जित चर्चा ,आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आज की चर्चा का यह अन्दाज बहुत ही बढ़िया है!
    क्योंकि -
    1- कम स्थान में ही इसमें चर्चा के विस्तार की बहुत सम्भावनाएं हैं!
    2- टिप्पणीकार को टिप्पणी करने के लिए प्रत्येक लिंक को खोलना आवश्यक हो जाता है!
    --
    बहुत-बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  4. हर पाठक को,इन लिंक्स में से अपनी पसंद का कोई न कोई पोस्ट मिलना तय है। देखने में ये महज लिंक प्रतीत होते हैं,मगर इन्हें जुटाने के लिए आपने घंटों सर्फिंग की होगी। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढिया अंदाज में की गयी है आज की चर्चा .. बधाई आपको !!

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा का यह अंदाज निराला है ...!
    आभार...!

    जवाब देंहटाएं
  7. स्वीट और कॉम्पैकट. नया और निराला अंदाज़. एक अच्छी बात कि पोस्ट पढना जरूरी है कमेंट्स के लिए. बहुत बढ़िया लगा पोस्ट का चुनाव भी अच्छा लगा. आपकी मेहनत ne पाठकों को बहुत suvidha pradan क़ी है aapko बहुत dher shubkamnayen.

    Rachana

    जवाब देंहटाएं
  8. Vandan ji bahut hi acchi rahi aapki charcha. Majedar tippaniyon ke sath ye link aur bhi wazandar ban jate hain.
    aur aapka bahut dhanywad ki aapne meri post ko bhi charcha me shamil karne ke kabil samjha.
    Dhanywad
    Roshani

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया और विस्तृत चर्चा ....अच्छे लिंक्स मिले ..कुछ देख लिए कुछ अभी बाकी हैं ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. charchamanch nirantar pad rahi hoon...
    nischit roop se yah andaz nirala hai.. rachna ki link ke saath ek ek pankti mein aapne jo likha hai ..wah link khol padhne ko badhya karta hai...
    vastutah har rachna ko naye aayam mile hain is charcha mein shamil ho kar...
    still reading the gems that u have collected...:)thanks for including me too:)
    subhkamnayen!!!!
    prastuti prashansniya hai!

    जवाब देंहटाएं
  11. आज की चर्चा का यह अन्दाज बहुत ही बढ़िया है!
    बहुत-बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  12. वंदना जी,

    बहुत अच्छी चर्चा रही, एक अलग ही अंदाज़ में।
    बढ़िया लिंक्स मिले। कुछ पोस्टों पर जा चुकी, कुछ पर जाना बाकि है।

    आपका आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  13. वंदना जी
    बहुत बहुत धन्यवाद इतनी खुबसूरत चर्चा के लिए |सबसे सुखद पहलू है की आपने संक्षिप्त किन्तु सार्थक जवाब देकर बिना नाम दिए सबसे परिचय करवाया है |आभार
    mujhe is chrcha me sthan dene ka bahut bahut dhnywad

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत पसंद आया अंदाज़, और चर्चा भी।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही ख़ूबसूरत लिंक्स...चर्चा के नए अंदाज़ के साथ...शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  16. चर्चा का ये अन्दाज भी खूब भाया!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  17. वन्दना दीदी नमस्कार! आपका चर्चा करने का अंदाज अनूठा है। चर्चा पढ़ कर लगता है जैसे ब्लोग की बगिया से सुगन्धित फूलोँ को चुनकर चर्चामंच पर सजा दिया हैँ। बधाई! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते है।..........गजल को पढ़कर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित है। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती है।

    जवाब देंहटाएं
  18. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  19. vandana ji meri kavita shamil karne ke liye abhaar . aapka ye naya andaaz bahut hi vicharpurn hai .

    जवाब देंहटाएं
  20. अच्छी लगी चर्चा शैली..बढ़िया.

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत ही ख़ूबसूरत लिंक्स...चर्चा के नए अंदाज़ के साथ...शुक्रिया

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  22. अच्छी लगी आपकी ये चर्चा कई अच्छे लिंक मिले और मेरे ब्लॉग को अपनी इस चर्चा में शामिल करने के लिए आपका आभार !

    जवाब देंहटाएं
  23. वंदना जी ,

    मेरी पोस्ट को चर्चा के लिए चुनने के लिए बहुत बहुत आभार. वैसे मैं समझती हूँ कि हमारे इतिहास को भी कभी विषय बनाना अच्छा होता है. बहुत सी बातों से हम वाकिफ नहीं होते तो पढ़ कर अच्छा लगताहै.

    जवाब देंहटाएं
  24. दिलचस्प अंदाज़ में पेश की गई चर्चा, लिंक्स पर जाने की उत्सुकता जगाती हुई.

    जवाब देंहटाएं
  25. वंदना जी आप को इस सार्थक पहल के लिए बार बार धन्यवाद.

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  26. अच्छा लगा च्रर्चा का ये अंदाज भी ।

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  27. बहुत सुन्दर चर्चा वन्दना जी ! चर्चा का यह स्वरुप बहुत ही सार्थक और न्यायपूर्ण है ! बहुत प्रसन्नता हुई इसे देख कर ! मेरी बधाई एवं अभिनन्दन स्वीकार करें !

    जवाब देंहटाएं
  28. चुनिन्दा लिंक लगाने के लिए शुक्रिया मैम..

    जवाब देंहटाएं

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