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नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं चर्चा मंच के साथ। आज स्वतंत्रता दिवस है। इस अवस्र पर मैं आपको और आपके परिवार को आर्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। अब शुरु करते हैं आज की चर्चा। जैसा कि विदित है ढेर सारी रचनाएं अज़ादी के पर्व को समर्पित हैं। |
अनामिका जी कह रहीं हैं वीरता को अपरिहार्य करो। खुद ही भैरवी बन जाओ तुम, भैरवी संगीत से रणभूमि में बिगुल बजाओ तुम ! यह वीर रस की एक ओज से भरी हुई रचना है। सच ही कहा है कि वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। |
संगीता स्वरूप जी ने क्षणिकाओं से आज़ादी के अवसर पर अपना पैग़ाम दिया है। इस जश्ने-ए-आज़ादी पर आज़ादी…… अनेक दृश्य .. के द्वारा जहां वो जहां एक ओर विसंगतियों पर प्रहार करती हैं वहीं दूसरी ओरसंदेश भी देती हैं। आम आदमी को आज़ादी है कुछ भी बोलने की कहीं भी , कभी भी क्यों कि वह संतप्त है , पीड़ित है आक्रोशित मन से बोलना चाहता है बहुत कुछ पर उसकी सुनता कौन है इसी लिए उसकी जुबां मौन है .. इन क्षणिकाओं में व्यवस्था की विसंगतियों से आहत कवयित्री ने विषम स्थितियों का प्रभावी चित्रण किया है । |
Hindi Blog Tips पर आशीष खण्डेलवाल जी बता रहे हैं ब्लॉगर पर कमेंट्स से जुड़ीं दो नई सुविधाएं ! ये बड़े काम की जानकारी है। जिस तरह से आप अपने जीमेल अकाउंट में किसी मेल को स्पैम या नॉट स्पैम के रूप में चिन्हित करते हैं, वही तकनीक अब ब्लॉगर में भी काम करेगी। इसके लिए अब ब्लॉगर के डैशबोर्ड पर आपको “Comments” टैब दिखेगा। इस टैब के तहत आपको तीन तरह की सुविधाएं नजर आएंगी। बड़े काम की जानकारी देते हुए आशीष जी कहते हैं अब आप ब्लॉगर के डैशबोर्ड पर अपने सभी कमेंट्स एक ही जगह पर पा सकते हैं। Comments में Published नामक सब-टैब दिया गया है, जो बिल्कुल किसी ई-मेल इनबॉक्स की तरह दिखता है। इस सुविधा के जरिए आप पुरानी पोस्ट पर आए नए कमेंट्स को आसानी से ढूंढ़ सकते हैं। यहां भी आप किसी कमेंट को स्पैम के रूप में चिन्हित कर उसे तुरंत अपने ब्लॉग से हटा सकते हैं। आप किसी कमेंट को डिलीट भी कर सकते हैं और चाहें तो किसी कमेंट की सामग्री को निकाल कर (Remove Content) उसे अपने रिकॉर्ड में बरकरार रख सकते हैं। |
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सम्वेदना के स्वर सुनिए, कहते हैं स्वतंत्रता दिवस की डिस्काउंट सेल? बताते हैं ”लगता तो यही है कि अब स्वतंत्रता दिवस की पहचान बिग बाज़ार की डिस्काउंट सेल से ही होगी? सच भी है! कॉमनवेल्थ खेलों का भ्रष्टाचार हो, अवैध खनन में लुटती देश की सम्पदा हो, नरेगा-मरेगा के घोटाले हों या विदेशी कम्पनियों का बेहतर रिटर्न के लालच में देश में हो रहा निवेश हो. कुल मिलाकर देश की डिस्काउंट सेल ही तो लगी है...हर रोज़, हर ओर...”
बिग बाजार तो आर्थिक उत्सव मना रहा है। हम ही नहीं निर्धारित कर पा रहे हैं कि पहले स्वतन्त्रता सम्हालें कि घर का खर्च। |
छत्तीसगढ़ पर 'उदय' जी कह रहे हैं ए वतन मेरे वतन, क्या करूं मैं अब जतन ! देश के हालात पर चिंता जताते हुए कहते हैं ए वतन मेरे वतन क्या करूं मैं अब जतन सर जमीं से आसमां तक तुझको है मेरा नमन ए वतन मेरे वतन क्या करूं मैं अब जतन भूख से, मंहगाई से जीना हुआ दुश्वार है ए वतन मेरे वतन क्या करूं मैं अब जतन क्या वतन का हाल है भ्रष्ट हैं, भ्रष्टाचार है ए वतन मेरे वतन क्या करूं मैं अब जतन अपने मन की सच्ची बातें कह रहा है और पाठक को इस तरह उन भावों के साथ तादातम्य अनुभव करने में बड़ी सुगमता हो रही है। |
नुक्कड़ पर और ज्ञान दर्पण पर Ratan Singh Shekhawat बता रहें कि फैशन में पगड़ी खूब आगे होते-होते यहां तक पहुंच गया है कि देखिए ग्लोबल होता राजस्थानी साफा। कहते हैं पगड़ी का इस्तेमाल हमारे देश में सदियों से होता आया है | प्राचीन काल से ही हमारे यहाँ पगड़ी को व्यक्तित्व,आन,बान,शान और हैसियत का प्रतीक माना जाता रहा है | पगड़ी हमारे देश में चाहे हिन्दू शासक रहें हों या मुस्लिम शासक सभी की प्रिय रही है | आज भी पगड़ी को इज्जत का परिचायक समझा जाता है | पगड़ी को किसी के आगे रख देना सर झुकाना व उसकी अधीनता समझना माना जाता है | महाराणा प्रताप ने वर्षों में जंगल में रहना पसंद किया पर अकबर के आगे अपनी पगड़ी न झुका कर मेवाड़ी पाग (पगड़ी )की हमेशा लाज रखी | राजस्थान के रंग बिरंगे साफे हर किसी का मन मोह लेते है | आज गाँवों में भी बांधने वाले गिने चुने लोग बचे है | नयी पीढ़ी बाँधना चाहती है लेकिन यह कला सिखाने वाले भी बहुत कम है | |
बना रहे बनारस पर शैलेन्द्र नेगी सुना रहे हैं बागी फौजियों का कौमी गीत। सुनिए … हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा। पाक वतन है कौम का जन्नत से भी प्यारा। ऊपर बर्फीला पर्वत, पहरेदार हमारा। नीचे साहिल पर बजता, सागर का नक्कारा। इसकी खानें उगल रहीं सोना, हीरा, पारा। इसकी शानो शौकत का दुनिया में जयकारा। आज शहीदों ने है तुमको अहले वतन ललकारा। तोड़ो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा। |
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये से वन्दना जी का आह्वान है वन्दे मातरम कहते जाओ। सुनाती हैं वन्दे मातरम कहते जाओ आस्तीनों में साँप पाले जाओ कल की फिक्र तुम ना करना बस आज जेबें भरते जाओ सत्ता के गलियारों में बस अपनी रोटियां सेंके जाओ भ्रष्टाचार की जमीन पर तुम अपनी गोटियाँ बिछाये जाओ तिरंगे का अपमान करके वन्दे मातरम कहते जाओ कड़वा सच बयान कर दिया और सोचने पर मजबूर कर दिया आपने! |
शुरुआत हिंदी लेखन से करने वाले अंकुर द्विवेदी कहते हैं नाग पंचमी औऱ सांपो की आफत!! इस दिन सपेरे जंगलों से एक से बढकर एक प्रजाति के साँपों को पकङकर लाते है और भक्तों की भक्ति की आङ में इनका प्रयोग अपने पेट-पालन के लिए करते हैं। ये दिन संपेरों के लिए विशेष कमाई का दिन होता है। संपेरों को इस बात की बिल्कुल भी फिक्र नहीं होती है कि वो जिस जानवर का प्रयोग करके अपना पेट-पालन के लिए कर रहे है, वास्तव में उस जानवर को भी पेट की भूख मिटाने के लिए कुछ मिला है या नहीं। थोड़े से स्वार्थ के लिए जानवरों पर अत्याचार किया जाता है और उनके परिणामों के बारे में कोई नहीं सोचता। |
सरोकार है arun c roy की पोस्ट में सुख की कल्पना से। स्वप्न सारे हो गए है गंदले भविष्य लग गया है दाव पर मंत्र जो शक्ति थी अभिशाप बन उच्चारित हो रही है प्रतीत हो रहा है विष सा यह विश्व अपना ही विश्वास मार रहा है डंक हे मनु ! कैसा है यह सुख । श्रद्धा ! क्या मनु है तुम्हारा अब भी ! अपने मन के विकारों पर अंकुश , इन्द्रियों पर संयम, दुर्गुणों से दूर रहते हुए शरीर व मन को सुव्यवस्थित रखना। ऐसा होने पर सच्चे सुख की स्थापना निश्चित है। |
काव्य तरंग पर रानीविशाल की प्रस्तुति है चलो ऐसा हिन्दुस्तान बनाए........... और एक वीडियो। ये वक्त नया है नया साज़ ले सब मिलकर नई एक तान बनाए नफ़रत का हो अब नाश सदा को स्वर अमन के हरसू छा जाएं नए जोश से बढकर आगे हम अपनी मंज़िल को पाएँ यह रचना हमें नवचेतना प्रदान करती है और नकारात्मक सोच से दूर सकारात्मक सोच के क़रीब ले जाती है। |
राजभाषा हिंदी पर संगीता स्वरुप ( गीत ) जी पूछ रहीं हैं आज़ादी के इतने सालों में , क्या खोया क्या पाया हमने। आज़ादी के इतने सालों में क्या खोया क्या पाया हमने करें ज़रा हम लेखा जोखा देश संभाला क्या सच हमने ? आज़ादी के दीवाने तो देश की कश्ती थमा गए अपने स्वर में वो हमको यह गाना भी सिखा गए थे . आज़ादी के इन सालों में बीच भंवर में फंसी हुई इस कश्ती से हम ये सोचें तट को क्या पाया हमने समय के संदर्भ में, और देश की मौज़ादा हलात पर कफ़ी गहरा व्यंग्य है। |
समयचक्र पर महेन्द्र मिश्र जी बता रहे हैं आजादी के साठ वर्षो के बाद भी आमजन मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं ... आज हमारा देश करोड़ों अरबों रुपयें खर्च कर चाँद पर पहुँचने की तैयारी कर रहा है तो वही दूसरी ओर इस आजाद देश के करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे रहकर गुलामों जैसा जीवन यापन कर रहे हैं और उन्हें आजाद देश के सामान्य नागरिकों की तरह आज भी मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है . हर बार मन में प्रश्न उठता है की क्या हम स्वतंत्र हैं ..
शहर का ये हाल है तो गांवों की और कैसी कल्पना की जाए .. असंतुलित और अंधाधुध विकास का ऐसा ही फल तो लोगों को भुगतना होगा .. पता नहीं सरकार कब चेतेगी ?? |
उत्सव के रंग पर आकांक्षा जी बता रही हैं नागपंचमी पर भिन्न-भिन्न परम्पराएँ! बताती हैं नागपंचमी का त्योहार यूँ तो हर वर्ष देश के विभिन्न भागों में मनाया जाता है लेकिन उत्तरप्रदेश में इसे मनाने का ढंग कुछ अनूठा है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इस त्योहार पर राज्य में गुडि़या को पीटने की अनोखी परम्परा है. नागपंचमी को महिलाएँ घर के पुराने कपडों से गुड़िया बनाकर चौराहे पर डालती हैं और बच्चे उन्हें कोड़ो और डंडों से पीटकर खुश होते हैं। काफ़ी जानकरी से भरी प्रस्तुति। |
उच्चारण पर डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक की प्रस्तुति है “वन्दना : स्वर-अर्चना चावजी” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
मेरी गंगा भी तुम, और यमुना भी तुम, तुम ही मेरे सकल काव्य की धार हो। जिन्दगी भी हो तुम, बन्दगी भी हो तुम, गीत-गजलों का तुम ही तो आधार हो। मुझको जब से मिला आपका साथ है, शह मिली हैं बहुत, बच गईं मात है, तुम ही मझधार हो, तुम ही पतवार हो। गीत-गजलों का तुम ही तो आधार हो।। |
न दैन्यं न पलायनम् पर प्रवीण पाण्डेय दिखा रहे हैं फूलों का मुस्कराना। कहते हैं जब भी भावों को व्यक्त करने के लिये माध्यमों की बात होती है, फूलों का स्थान वनस्पति जगत से निकल कर मानवीय आलम्बनों की प्रथम पंक्ति में आ जाता है। प्रकृति के अंगों में रंगों की विविधता लिये एक यही उपमान है, शेष सभी या तो श्वेत-श्याम हैं या एकरंगी हैं। कोई देवालय में, कोई कोट में, कोई गजरे में, कोई पुष्पगुच्छ में और कोई कलाईयों में लपेट कर फूलों के माध्यम से अपने भावों को एक उच्च संवादी-स्वर दे देते हैं। प्रेमीगण रात भर न सो पाने की उलझन, विचारों की व्यग्रता, मन व्यक्त न कर पाने की विवशता और भविष्य की अनिश्चितता आदि के सारे भाव फूलों में समेटकर कह देना चाहते हैं। भावों से संतृप्त फूलों के गाढ़े रंगों को समझ सकने में भी दूसरे पक्ष से आज तक कभी कोई भूल होते नहीं देखी है हमने। जो भाव और विचार प्रकट करने में होट हिचकिचाते है फूल उन्हें बिना कुछ बोले अभिव्यक्त कर देते है| |
काव्य मंजूषा पर 'अदा' जी की प्रस्तुति है आधी रात का सवेरा ...! स्वतंत्रता यूँ अवतरित हुई थी, जैसे... धरती पर स्वर्ग से गंगोत्री उतर आई हो, आधी रात को तीन लाख ने सुर मिलाया था, 'जन-गण-मन', 'वन्दे मातरम्' का जयघोष लगाया था, पहली बार... 'शस्य-श्यामला' 'बहुबल-धारिणी' 'रिपुदल-वारिणी' शब्दों ने... स्वयं ही पुकार कर अपना सही अर्थ इस दुनिया को बताया था स्वतंत्रता दिवस के प्रथम क्षणों का भावपूर्ण वर्णन ! साथ ही ऐतहासिक चित्रों के बीच मन को जगाती प्रस्तुति। |
teekha bol है soni garg जी का “आज़ादी या सरकारी छुट्टी ???” कहती हैं आज हमारे भारत को फिर से आज़ादी की ज़रूरत है और वो आज़ादी हमें भ्रष्टाचार, आतंकवाद , घोटालो , बड़ते अपराध , बढती हुई महगाई कश्मीर और राम मंदिर जैसी और भी कई समस्याओं से तो चाहिए लेकिन उस सबसे पहले हमें अपनी छोटी मानसिकता से आज़ादी चाहिए ! जो इन सियासतदारो को अपनी गन्दी सोच और अपनी घटिया सियासत चलाने का मौका देती है तो उठाईये आज़ादी कि तरफ कदम माना की मुश्किल है लेकिन नामुमकिन तो नहीं ! कब तक बैठे के इन मंत्रियो के सहारे ?? आपकी मान्यता पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। |
बेचैन आत्मा पर बेचैन आत्मा जी की प्रस्तुति है आगे पंद्रह अगस्त कs लड़ाई हौ....... ! कहते हैं एक दिन, एक गरीब / अनपढ़ रिक्शे वाले से बातचीत के दौरान मुझे अनुभव हुआ कि यह शख्स, १५ अगस्त का शाब्दिक अर्थ आजादी ही समझता है न यह कि इस दिन देश आजाद हुआ था. वह कहता है कि आगे १५ अगस्त कs लड़ाई हौ.. तो वह यह कहना चाहता है कि आजादी के लिए संघर्ष तो आगे है. आजादी का अर्थ उसके लिए वह दिन है जब उसे भूखा न सोना पड़े, जब उसके बच्चों को शिक्षा आसानी से उपलब्ध हो, फीस-ड्रेस के लिए तड़फना न पड़े, पांच साल पहले बरसात में गिरी एक कमरे के घर वाली छत फिर से बन जाय, अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाय तो उसका इलाज उसके द्वारा कमाए जा सकने वाले पैसे में ही हो जाय, उसे कभी कुत्ता काट ले तो इंजेक्शन के लिए मालिक से लिए गए ऊधार को चुकाने के एवज में, महीनों बेगार रिक्शा न चलाना पड़े। अबहिन तs स्कूल में लइकन कs नाम लिखाई हौ फीस हौ ड्रेस हौ कापी-किताब हौ पढ़ाई हौ आगे....... पंद्रह अगस्त कs लड़ाई हौ। कविता का कथ्य बरछी सी मार करता है..तो भाषा की मधुरता मल्हम लगाती है..रिक्शे वाले की हकीकतबयानी ने आजादी के छै दशकों की सारी प्रगति की कलई खोल कर रखदी है..बस इतनी दूर ही आ पाये हैं हम अब तक..अब तो गद्देदार सरकारी कुर्सियों पे बैठे महापुरुष भी गाँधी जी का मंतर भूल गये होंगे..कोई फैसला लेते वक्त..चीजें बदलती नही ऐसे..किसी रिक्शे वाले का दो वक्त की रोटी और परिवार पालने का संघर्ष ही आजादी की लड़ाई से कम नही रह गया है.. |
आज की चर्चा विशेष है....स्वाधीनता दिवस जो है ...सबको स्वाधीनता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए आभार
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं ! जय हिंद !!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए आभार !
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं ! जय हिंद !!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमनोज जी,चर्चा के लिए आभार
सांस का हर सुमन है वतन के लिए
जिन्दगी एक हवन है वतन के लिए
कह गई फ़ांसियों में फ़ंसी गरदने
ये हमारा नमन है वतन के लिए
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
स्वाधीनता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए बधाई
आशा
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंजश्ने आजादी मुबारक हो... जय हिंद
जवाब देंहटाएंआप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं ! जय हिंद !!
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम्।
आज की चर्चा विशेष ...सबको स्वाधीनता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंhttp://rimjhim2010.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा,स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर चर्चा रहा!
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप सभी को हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं--
आज की चर्चा बहुत ही उत्तम है!
विषय के अनुरूप बहुत अच्छे लिंक मिले. आप सब को स्वाधीनता दिवस की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा की है. अच्छे लिंक मिले, आभार.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल