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गुरुवार, अगस्त 12, 2010

आगामी महाभारत की पग ध्वनियाँ-----(चर्चा मंच—243)

                      

               चर्चाकार:---पं.डी.के.शर्मा “वत्स”

ये सुबह जो आके ठहर गई है बे रौशनी सी अजाब जैसी ! (अली सैयद)

अपनी जैविक घड़ी पे भरोसा टूट सा चला है...भोर पांच पंद्रह का अलार्म लगा कर सोया था हालांकि कुदरत की घड़ियां सुबह दो बजे से ही बजने लगी हैं...पास ही कहीं बिजली गिरी होगी! उठकर देखता हूं, बारिश तेजतर होती हुई,दूर स्ट्रीट लाईट सिमट सी गई है गोया तूफ़ान के आसार से सहमी हुई हो !यक़ीनन कोई और वक्त होता होगा जबकि बूंदे गिनना रोमांटिक एहसासों में शामिल होता हो पर अभी तो उन्हें बूंदे मानने की हिमाकत नहीं कर सकता, आंगन के पक्के फर्श पर हथौड़ों सी बजती हुई, भय पैदा करती हुई, वापस अपने बिस्तर पर दुबक गया हूं पर नींद जा चुकी है कोसों दूर!

जूता है महान...बड़े बडों को इसने (antony joseph)

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जूते का आविष्कार जिस महान ने भी किया उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि लोगों के पैरों के लिये बनाया गया जूता किसी दिन इतना महान हो जायेगा कि वह बड़े से बड़े नेताओं के ऊपर बरसेगा। चाहे वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी हो या भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम अथवा अमरीका के पूर्व शक्तिशाली राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश यह अब उन महान नेताओं में शुमार हो गये हैं,जिन्हें जूते खाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,और भी कितने नेता जूता खा चुके होंगे इसका रिकार्ड नहीं लेकिन कई ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी न कभी किसी से चप्पल या जूता जरूर खाया होगा।

व्यंग्य - प्रेरणा की प्रेरणा (वीरेन्द्र जैन)

image वो तो अच्छा है कि लोग बाग आज के सत्तारूढ़ नेताओं की सलाहों पर ध्यान नही देते हैं बरना बेचारे बारहों महीने प्रेरणा लेते लेते परेशान हो जाते। सुबह से चाहे टीवी ख़ोलो या अखबार पढ़ो,उसमें कोई राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या जम्बो जैट मंत्रिमण्डल के दीगर मंत्री कहीं न कहीं कहते मिल जायेंगे कि देश की जनता को फलां फलां के जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए।

अरब न दरब झूठ का गौरब(करण समस्तीपुरी)

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एंह... गाँव-घर के रमन-चमन का एगो अलगे मजा है। ई रंग-रहस, उ अलमस्ती, हे उ अपनापन... गालियो दे तो लगे फूले बरसता है। ससुर डांट-डपट में भी छुर-छुरा के हंसी का फुहार फूट पड़ता है। लेकिन धीरे-धीरे अब उहाँ भी नया जमाना का गरम हवा बहने लगा है।
उ कहते हैं न.... गीत-प्रीत सबै बिसरी जब रीती के बोझ पड़ीं सर पे....!" ई दुटकियारी नौकरी के चक्कर में लाखो का गवई मौज गंवाना पड़ता है। बड़ी दिन पर ई बार मौका लगा था। केतना बदल गया है गाँव भी... !

संस्कार विज्ञान------(प्रथम भाग) (धर्म यात्रा)
किसी भी मनुष्य में अपने पूर्वजन्म के कर्मों के संस्कार तो रहते ही हैं. गर्भ के,माता-पिता के,उनकी वंशानुगत क्रमधारा के भी संस्कार रहते हैं.अब संस्कार हैं तो उनमें से कुछ अच्छे होंगें तो कुछ बुरे भी.बुरे संस्कारों को विकार कहा जाता है.जो जडता की ओर ले जाए सो विकार.जो भीतर के विकारों को मिटा दे वो संस्कार.संस्कार माने सँवारना,सुधारना.जैसे….दर्पण को स्वच्छ करना,चमकाना.जैसे रत्न जब खान से निकाला जाता है तो उसमें मिट्टी लगी होती है,बेडौल होता है.उसको साफ करते हैं,चमकाते हैं;छंटाई-घिसाई भी करते हैं और पालिश भी.उसकी चमक,स्निग्धता प्रकट हो जाने पर भी,उसे पिरोने के लिए जो छिद्राभाव होता है.उसकी भी छिद्र करके पूर्ती की जाती है.हमारे संस्कार भी कुछ इसी प्रकार के हैं.बीजगत और गर्भगत दोषों को मिटाना और जीवन को चेतनोन्मुख करके पुरूषार्थ की प्राप्ति के योग्य बनाना संस्कारों का प्रयोजन है.इसी को हमारे शास्त्रों में दोषापनयन,गुणाधान एवं हीनांगपूर्ती के नाम से कहा गया है.

मिल गया लंबी उम्र देने वाला चमत्कारिक पौधा!
अनादि काल से देवी-देवताओं एवं मुनियों को चिरायु बनाने और उन्हें बल प्रदान करने वाला पौधा रीवा के जंगलों में होने का दावा क कि
या गया है। सैकड़ों वर्ष पहले पृथ्वी से विलुप्त हो चुके “सोमवल्ली” नामक इस दुर्लभ पौधे को लेकर वन विभाग का दावा है कि सोमवल्ली पौधा पूरी दुनिया में अब कहीं नहीं है। हजारों वर्ष पुराने इस विलुप्त पौधे के बारे में अब भले ही कहीं उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है।

आगामी महाभारत की पग ध्वनियाँ (राकेश शर्मा)

आज - कल
कौन नहीं है अर्जुन
किसे नहीं दिखाई पडती
आपनी चिड़िया की आँख
सिद्ध हस्त हैं सभी
सत्ता की द्रोपदी का
वरन करने में
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अब बन्द करो तुम,मन्दिर-मस्जिद निर्माण!(निरंजन मिश्र “अनाम”)

imageचीख उठे
मन्दिर-मस्जिद की कारा से,
बन्दी अल्लाह-ओ-भगवान!
पूजित होने दो पत्थरों-मीनारों की जगह,
नया इन्सान!
जगत का होने दो कल्याण!!!
मुक्त करो!
इन काली दीवारों से
और न अब गुमराह करो तुम
श्रद्धा से, प्यारों से!
ओ मन्दिर-मस्जिद के तक्षक, ठेकेदार धर्म के
करो आज इस पुण्य भूमी पर मिट्टी का आहवान
जगत का होने दो कल्याण!!!

अतीत-एक शाश्वत सत्य (महेन्द्र आर्य)

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घडी रुक जाती है
समय नहीं रुकता
भागता रहता है निरंतर
क्षण भर को नहीं मध्यांतर
कितनी तेजी से बदलता है
भविष्य वर्तमान में
वर्तमान अतीत में
भविष्य! एक भ्रम है
जो अज्ञात है वो भ्रम है
वर्तमान एक प्रक्रिया है
एक नए अतीत के निर्माण की
जो बीत रहा है
जो व्यतीत हो रहा है
हाँ, वही तो अतीत हो रहा है

जल रहा कश्मीर!!!(मेरे भाव)

बर्फीली घाटियाँ
फूलों की वादियाँ
शोखी की रहनुमाई
यौवन लेता अंगड़ाई।
फिरती है एक लड़की
कुछ भूली बिसराई
ढूंढ़ती है यादें
है बहुत घबराई।
लाज पर पहरा नहीं
रक्षित नहीं है आबरू
सब तरफ शमशीर है
जल रहा कश्मीर है ।

हे स्वप्न!तुम्हारा ऋणी हूँ मैं(डा.जे.पी.तिवारी)

हे मेरे स्वप्न!
तुम्ही तो मेरे मीत हो
जीवन के गीत हो
लक्ष्य के संगीत हो.
तुम्ही ने तो दिखाया है
मुझे उन्नति का मार्ग
प्रशस्त किया है -
जीवन की राह.
मै भी भटकता रहता
औरों की तरह...
परन्तु
तुमने बोध कराया है

नेपल्स का सौंदर्य(श्रीमति आशा जोगलेकर)

image नेपल्स एक अद्भुत और खूबसूरत जो कि अपनी एक बांह से समंदर को अपने आगोश में बांधने की कोशिश करता सा प्रतीत होता है।यहीं से आप देख सकते हैं विसूवियस पर्वत के नजारे। यह भी अपनी खूबसूरती तथा अपने इतिहास की वजह से जग प्रसिध्द है । इसका ऐतिहासिक उद्गम कोई 7 वी शताब्दी में हुआ जब ग्रीक लोगों ने एट्रुस्कन लोगों के साथ युद्ध करने के हेतु इसे अपनी कॉलोनी के रूप में विकसित किया। नाम दिया नापोलीस आर्थात न्यू सिट


हमारे दादाजी घुड़सवारी के बड़े शौक़ीन थे । एक दिन उन्होंने एक शानदार घोड़ी खरीदी । देखने वालों में से किसी ने कहा --बड़ी किस्मत वाली घोड़ी है । देखना नौ महीने...



अब ईश्वर के बाद डॉ नरेश त्रेहान का ही सहारा है, हो सके तो आप भी प्रार्थना करना कि भैया जल्द स्वस्थ हो जाएँ प्यारे ब्लोगर बन्धुओ ! आपसे एक ज़रूरी बात कहनी है बहुत दिनों से कुछ लिख नहीं पा रहा हूँ और आपको पढ़ भी नहीं पा रहा हूँ क्योंकि मेरे आदरणीय अग्रज श्री र...



हिन्द-युग्म: मी लार्ड! इसे सजा दीजिए हिन्द-युग्म: मी लार्ड! इसे सजा दीजिए

                                           नया चिट्ठा, नई शुरूआत

अकसर पढते हुए...किताबों से गुजरते हुए...कुछ अंश..पंक्तियाँ...पैराग्राफ हमें काफी पसंद आते हैं...प्रभावित करते हैं...सामान्‍य से ज्‍यादा सम्‍प्रेषित हो जाते हैं...चौंकाते हैं..कभी अपनी शैली से,शिल्‍प से,आलंकारिकता से और कभी विचारों के नएपन से...ऐसे में उन्‍हें साझा करने का मन करता है...कई बार इसी तरह दूसरे मित्रों के द्वारा हम अच्‍छी किताबों से परिचित हो जाते हैं..इसी जरूरत की उपज है यह(सामूहिक)ब्‍लॉग…..पुस्‍तकायन

कार्टून: हे भगवान !! शेरा को ये क्या हो गया ??(बामुलाहिजा)

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कार्टून :चलिए भ्रष्टाचार का रौब झाड़ते हैं


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14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर चर्चा!
    काफी अच्छे लिंक मिल गये!

    जवाब देंहटाएं
  2. काफ़ी अच्छी चर्चा लगाई है………………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्कार जी
    रोचक व बढ़िया चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छी और सार्थक चर्चा |बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन चर्चा।
    हमारे ब्लॉग को शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत जोरदार चर्चा पंडितजी. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  7. कई दिन बाद महसूस किया कि चर्चाएँ तो और भी बेहतरीन हो गई हैं.. आभार सर..

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  9. कितने श्रम से आप ब्लॉग जगत के मोती चुन-चुन कर लाते हैं। आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

    ………….
    अभी कब्ज़ा नहीं है उसके तन पर...
    साहित्यिक चोरी का निर्ललज्ज कारनामा.....

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  10. पंडित जी,
    ये ज़ाकिर भाई भी कमाल हैं आप चुन चुन के लाये ये तो कबूल किया पर... इनमें से एक मोती अब तक उनकी राह तक रहा है ! उसका क्या ? :)

    जवाब देंहटाएं

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