एक बरस में एक बार ही, आता राखी का त्योहार। भरा हुआ धागे-धागे में,भाई-बहिन का निश्छल-प्यार।। आइए आज के चर्चा मंच को सजाते हैं- |
देखिए राखी से सम्बन्धित कुछ पोस्ट-पर्व राखी पूर्णिमा का |
सुबीर संवाद सेवा रक्षा बंधन का ये पावन त्यौहार, इस त्यौहार के दिन तो केवल और केवल बहनों की ही बात होनी चाहिये । तो आज की तरही में भी आ रही हैं बहनें ही । - देखते ही देखते साल बीत जाता है । और फिर से सारे त्यौहार आ जाते हैं । अभी पिछला साल बीता ही है कि नया आ गया । फिर से राखी आ गई । राखी, एक छोटा सा धागा, ज..
लघुकथा -- दोष किसका..... ? - दोष किसका..... ? लघुकथा -- सत्येन्द्र झा युवावस्था में प्रेम-विवाह के आन्दोलनकारी समर्थक। प्रेम-विवाह किये। माँ-बाप से अनबन और घोर निराशा। वक़्त-बेवक...
काव्य मंजूषा मेरी बिटिया... - आज का ही दिन था मुझे मिली थी .. मुट्ठी में गुनगुनी धूप, चाँदनी में नहाई, सोंधी ख़ुशबू में लिपटी नूर की नमी लिए एक नयी आशा, एक नया रिश्ता, मेरे अपने से च... |
अपनी बात... रक्षा सूत्र... कैसे-कैसे.... - कई दिनों से सोच रही हूँ, कुछ लिखूं, आज लिखने बैठी तो रक्षा बंधन के लिए! क्या लिखूं उस त्यौहार पर, जिसे मैंने कभी महसूस ही नहीं किया? बहन का भाई के प्रति या ... |
Fulbagiya मुनमुन चुहिया ने बिल्ले को राखी बांधी - एक गांव के किनारे एक खेत था। खेत में चूहों के कई परिवार रहते थे। सारे चूहे चुहिया रात में अपनी बिलों से निकलते और घूम घूम कर अनाज खाते।।दिन में ... |
कबीरा खडा़ बाज़ार में सुधीर राघव: राखी का संदेशा#links - राखी का संदेशाइस बार की राखी भाइयो फिर संदेशा लाई,बांध प्रेम का धागा, कर लो मजबूत कलाई। -------- अब तो हाथ बढ़ाओ साथी लो बांध प्रेम का धागा, दुनिया नतमस्तक होगी, जब लहू हिन्दुस्तानी जागा। |
समीरलाल “समीर” जी ! यह सफ़हा ही जीवन का फलसफ़हा है! उड़न तश्तरी .... एक सफ़हा - कुछ जरुरत से ज्यादा व्यस्तताओं ने घेर रखा है. बस, दो दिन और फिर सब पूर्ववत!! कुछ उधड़े कुछ जुड़े रिश्ते चन्द पोशीदा से ज़ज्बात धुँध... |
बहिन कविता किरण ने तो आज तक चर्चा मंच की ओर झाँका तक भी नहीं है- डॉ.कविता'किरण'( कवयित्री) Dr.kavita'kiran' (poetess) रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर *********** - आकांक्षा और क्षितिज रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर आज के इस व्यवसायिक और सवेदन्हीन युग में, मेरा मन कर रहा है यहाँ अपनी भावनाएं अभिव्यक्त करने को. एक बहन वास्तव ... |
अगले हफ्ते जन्मेगा, पता ठिकाना भी मिलेगा! एक प्रयास उसका पता मिलता नहीं - अपना पता भूलती नहीं उसका पता मिलता नहीं नगरी नगरी , द्वारे द्वारे खोजती फिरूँ प्यारे को पर उसका ठिकाना मिलता नहीं कमली बन कर डोलूँ मन के वृन्दावन में ... |
मेरी बातेंबैंगलोर, दिल्ली , पटना...राखीवैसे तो राखी हर भाई के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण त्यौहार होता है..जो भाई घर से दूर दूसरे शहरों में रह रहे हैं, वो हर मुमकिन कोशिश करते हैं की राखी का त्यौहार बहनों के साथ मनाया जाए.पिछले कुछ हफ़्तों से मैं भी इसी कोशिश में लगा हुआ था की कैसे रक्षाबंधन के मौके पे घर जा सकूँ. कुछ मित्र भी राखी के मौके पे पटना आने वाले थे, तो सोचा चलो राखी बंधवाने के साथ साथ दोस्तों से भी मुलाकात हो जायेगी. ….. |
और यह रही रानीविशाल की राखी की पोस्ट- मेरे भैया .....रानीविशालआज जब देश के हर घर में बहनें भाइयों की कलाई पर अपने प्यार और विश्वास कोरेशम के खुबसूरत धागे में संजो कर बाँध रही हैं और भाई भी पुरे आत्मप्रेम और निष्ठा के साथ आस्था के इस अटूट बंधन को अपनी कलाइयों पर सजा कर अभिभूत हो रहे हैं.... .वहीँ कुछ और हम जैसे भाई बहन भी है जो आज के दिन भी दूर हैं लेकिन हम सभी जानते हैं की यह दूरी सिर्फ भौगोलिक दूरी ही हैं। भावनाएँ कभी दूरियों की मोहताज नहीं रही ... फिर भी आज के दिन जब इस दूरी का ख्याल मन में आया तो मन द्रवित हो गया ...... आँखों से बहते प्रेम के साथ जो भाव बहने लगे उन्होंने कविता का रूप लिया ..... आज होगी सुनी तुम्हारी कलाई जब यह याद मुझे आई दिल को जाने क्या हुआ मेरी आँख भर आई दिल से निकली ये दुआ चाहे दूर रहो तुम या मेरे पास रहो जहाँ भी रहो न उदास रहो चाँद तारों सी रोशन हो दुनिया तुम्हारी वो मंज़िल मिले जो तुमको हो प्यारी न संघर्ष मिले, ना आए मुश्किलें तरसे सफलता तुम्हारे लिए .... ये उम्मीदों की डोर जनम का बंधन हैं जिसका मोल न कोई गहना, साड़ी या कंगन हैं याद तो तुम्हे भी आरहे होंगे दिन वो सुहाने ढेरों शरारते और बीसों बहने वो हँसना, वो रोना, वो झगड़ा पुराना जो मेरे आँसू बहे तो कोहराम मचाना ओ भैया मेरे तुम हो ज़माने भर की खुशियों से प्यारें सदा जगमगाते रहें मेरे आँखों के तारे .... चलते चलते इस पवित्र प्रेम को बखूबी बयां करता यह गीत जो हमेशा से मैं अपने तीनो भैया को याद कर गुनगुनाया करती हूँ .....सच कहूँ तो मैं क्या दुनिया की सभी बहने अपने भाइयों के लिए यही सोचती हैं । आप सभी को रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएँ !!
किन्तु नारि की नारि से अधिक शत्रुता होय!! गीत.......मेरी अनुभूतियाँ नारी मन की थाह - सदियों से करते आए हो खामोश तुम नारी को आज भी यही चाहत है खामोशी के सन्नाटे में बस तुम्हारी ही आवाज़ गुंजित रहे .. सुकून मिलता है तुम्हें दंभ अपना...
सीला - सीला सा - सहेज लिए मैंने तेरे आंसू सारे के सारे अपनी कमीज़ की जेब में अब हर पल मेरा दिल सीला - सीला सा रहता है….
कौन कहाँ से कहाँ ? (२) - *डिनर से लौटते लौटते बहुत देर हो गयी. कालेज टाइम का दोस्त था उसका परिवार बस चुका था फिर भी ऐसा लगा नहीं कि मैं उससे बहुत दिनों के बाद मिल... |
अन्त में उत्तराखण्ड के जनकवि गिरीश तिवारी “गिर्दा” को श्रद्धांजलि- प्रतिभा की दुनिया ... अब 'गिर्दा' के गीत हमें जगाने आएंगे - *- नवीन जोशी* इस दुनिया से सभी को एक दिन जाना होता है लेकिन 'गिर्दा' (गिरीश तिवारी) के चले जाने पर भयानक सन्नाटा सा छा गया है. जैसे सारी उम्मीदें ही टूट ... शब्दों का दंगल “अश्रुपूरित-श्रद्धाञ्जलि” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) - *उत्तराखण्ड आन्दोलन के संवाहक * *गिरीश तिवारी "गिर्दा" नहीं रहे!* *श्रद्धाञ्जलि में प्रस्तुत हैं- आशा और निराशा के क्षण, पग-पग पर मिलते हैं। काँटों की पहरेदारी में, ही गुलाब खिलते हैं। जीवन कभी कठोर कठिन, और कभी सरल सा है। भोजन अमृततुल्य कभी, तो कभी गरल सा है। |
आप सभी को श्रावणी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंpiroyi gayi mala atyant sundar ban padi hai!
जवाब देंहटाएंsabon ko raksha bandhan ki subhkamnayen:)
बढ़िया चर्चा शास्त्री जी , आपको और इस मंच पर पधारने वाले सभी पाठकों को रक्षाबंधन पर्व की मंगलमय कामना !
जवाब देंहटाएंसाहित्य के क्षेत्र में डॉ. साहब आप बहुत सक्रिय हैं .....हमें आपसे प्रेरणा लेनी चाहिए...रक्षा बंधन पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें.. मेरा ब्लॉग लिंक करने के आपका तहे दिल से आभार..
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
बहुत विस्तृत सुंदर चर्चा .. आप की पूरी टीम को रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत सुंदर चर्चा ..
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
बहुत अच्छे अच्छे लिंक्स लिए हैं सब एक से बढ़ कर एक.
जवाब देंहटाएंसब को रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !
रक्षा बंधन के पुनीत पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा शास्त्री जी !
रक्षाबंधन के पावन पर्व की ढेरों शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंhttp://rp-sara.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.html#comment-form
बेहद खूबसूरत चर्चा मंच सजाया है……………काफ़ी लिंक्स मिल गये…………………आभार्।
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
रक्षाबन्धन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवम् शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा शास्त्री जी!!!
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों को रक्षा बंधन पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें!!!
बहुत बढ़िया और विस्तृत चर्चा ....
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की शुभकामनायें
सुन्दर चर्चा!!
जवाब देंहटाएंआप सभी को रक्षाबंधन पर्व की शुभकामनाएं !!
सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
यही मंच है जिसपर खड़े होकर दूर दूर तक बिखरे मोतियों से परिचय हो पता है, और इन मोतियों की माला जो आप हमें उपहार में देने के लिए परिश्रम करते हैं उसके लिए चर्चा मंच के सभी संचालक बधाई के पत्र हैं. जिसे शब्दों में नहीं कहसकती .
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.रक्षाबंधन की सभी पोस्टों को जैसे पता ही बदल कर यहां आ गया.
जवाब देंहटाएंसुंदर और विशद चर्चा, रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर और विशद चर्चा, रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं:: हंसना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
आपकी शिकायत जायज है शास्त्रीजी.आज चर्चा मंच पर राखी की शुभकामनाओं सहित उपस्थित हूँ अपना आशीर्वाद दें.चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद.
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