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Wednesday, August 18, 2010

"अगर होते रेणु तो पूछता ......" (चर्चा मंच-249)

सीधी-सच्ची बात में, होता नही प्रपंच।
लेकर कुछ प्रविष्टियाँ, आया चर्चा-मंच।।
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कसम तीसरी खा रहा, भोला गाड़ीवान।
रेणु जी के पात्र का, गुम हो गया निशान।।
- * एक अकेली रचना कितनी - कितनी रचनाओं की उत्स- भूमि बन जाती है
अगर यह देखना हो तो हिन्दी साहित्य और सिनेमा के इतिहास में
अपना विशिष्ट स्थान रखने वाली कृति 'ती...
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कदम-कदम पर बढ़ रही, सुन्दरता की होड़।
रंग-भेद का रोग तो, है समाज का कोढ़।।
केवल सुंदरता और सही शरीर के दम पर अच्छी नौकरी पाने की चाह रखने वाली महिलाएं जरा संभल जाएं। कोलरेडो के डेवर बिजनस स्कूल द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार य...
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बारिश अच्छी देखकर, खुश हो रहा किसान।
जी भर जल का पान कर, खड़ा धूप में धान।।
धूप में खड़ा है धान
- ** आज बहुत दिनों के बाद ब्लाग पर सीधे / आनलाइन कुछ यँ ही लिख - सा दिया है। अब यह कविता है तो ठीक ! नहीं है तो भी ठीक ! क्या करूँ 'कवित विवेक एक नहिं मोरे...

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ज्योतिष का और रोग का, गहरा है सम्बन्ध।
जुड़े हुए हैं परस्पर, प्राकृतिक अनुबन्ध।।
आजहम लोगों नें स्वास्थय की समस्या को बिल्कुल टेढी खीर बना डाला है,स्वाभाविकता और सादगी तो जैसे बिल्कुल ही दूर भाग चुकी है. हम प्रकृ्ति केनियमों को न तो ...
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कविताओं का काव्य में, किया सरस अनुवाद।
कार्य बहुत यह कठिन है, समय होत बरबाद।।
- Wendy Barker The Pool Small fish break the surface but always
I am waiting for the deep-rooted lily to bloom again, planted so down in my silt. वेंड...
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कम्प्यूटर जी बन गये, नवयुग का वरदान।
जन-जन को सिखला रहे, ये नूतन विज्ञान।।
- *कम्प्यूटर का युग अब आया।* *इसमें सारा ज्ञान समाया।।* *मोटी पोथी सभी हटा दो।* *बस्ते का अब भार घटा दो।।* *थोड़ी कॉपी, पेन चाहिए।* *हमको मन में चैन चाहिए...

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धन-दौलत रखना नहीं, घर में सदा सँवार।
फोकट में कहलाओगे, मूरख और गँवार।।
- पिछले अंकों में आपने पढा कि प्याज़ खाना मेरे लिये ठीक नहीं है। डरावने सपने आते हैं। ऐसे ही एक सपने के बीच जब पत्नी ने मुझे जगाकर बताया कि किसी घुसपैठिये ने हम...
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पूरब से उगता है जो, और पश्चिम में छिप जाता है!
वह प्रकाश का पुंज, हमारा सूरज कहलाता है!।
आज सांझ सूरज... कुछ अलसाया हुआ सा, शफक पर ठहरा रहा कुछ देर ..
जैसे .. रात का अभी कुछ श्रंगार बाकी था !!

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हाकिम आये हैं नये, ग्रहण किया पदभार।
रौब-दाब दिखलाय कर, छवि को रहे सुधार।।

- इमेज सत्येन्द्र झा नए हाकिम के पदभार ग्रहण करते ही विभाग में हडकंप मच गया था। फ़ाइल पर आपत्तियां दर्ज होने लगी,बिल-भुगतान का प्रवाह रुक गया। क्रय-दर कम ...
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रंग-मंच पर छाये हैं, भाँति-भाँति के रंग।
सुख और दुख का साथ है, ये जीवन के अंग।।
- हे भगवान् !..आज फिर देर हो जायेगी ..ओ भईया ज़रा जल्दी करना ..
मैंने रिक्शे वाले से कहा ..वो भी बुदबुदाया ..रिक्शा है मैडम हवाई जहाज नहीं...और मैं मन ही ...
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सुन्दर चित्र सजे हुए, बतियाते हैं मौन।
प्राकृतिक संगीत को, छेड़ रहा है कौन।।

- खामोशी भी सरगम गाए करे तन्हाई अब चहल पहल पंख हजारों मिले सपनों को अरमानो ने भरी उड़ान खिले मन की बगीया में कई फूल अचानक उमंगों के भँवरें गुन गुनाए तन मन महक उ...

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राजनीति का जाल ले, आये सागर बीच।
छोटे मछुआरे रहे, इनका कुर्ता खींच।।
- *राजनीति में मर्यादा का भी पालन होना चाहिए : मनमोहन सिंह * एक और !! *रहम करो माई बाप !* *माया-ममता का पालन करते-करते* *तो हम सड़क पर आ गए और आप है* *कि.....
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गाँवों है रम रहा, अपनापन भरपूर।
किन्तु जमाना जा रहा, अब गाँवों से दूर।।
- कल आजादी का पर्व था और सुबह-सुबह ही धर्म-संकट उपस्थित हो गया।
15 अगस्‍त होने के साथ कल रविवार भी था तो पिकनिक का दिन भी था।
सुबह से ही लोग अपने घरों से निक...
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दुश्मन में गुण बहुत हैं, दुश्मन है वरदान।
करता हमें सचेत यह, शत्रु बहुत महान।।
- क्या आपको नहीं लगता कि हमें उन लोगों का शुक्रगुजार होना चाहिए
जो लगातार झूठ बोलते हैं। यदि झूठ बोलने वाले नहीं होते तो
शायद हमें सच की कीमत का अन्दाजा भी न...
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अमर रहेगा देश में, कवि प्रदीप का नाम।
कविवर मेरे आपको, कोटि-कोटि प्रणाम।।

- आज है १५ अगस्त और १५ अगस्त पर एक गीतकार के लिखे फ़िल्मी गीत पूरे भारत में गुंजायमान हो जाते है क्योकि देश भक्ति का अमर गीतकार कह लो या कवि प्रदीप कह लो बात...
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बहुत बधाई आपको, बुरा भला है ब्लॉग।
चिंगारी के बदन से, जुदा न होती आग।।
- यदि अंग्रेजी, हिंदी और अन्य भाषाओं में ऑनलाइन अभिव्यक्ति के माध्यमों की बात की जाए तो जिस एक शब्द पर सबकी निगाहें रुकती है, वह ब्लॉग है। वर्ष 1999 में पीट...


दिनचर्या के पृष्ठ पर, अंकित है इतिहास।
नस्ल नयी यह पढ़ेगी, ऐसा है विश्वास।।
- मेरी डायरी का, हर पन्ना खाली नहीं है , सब पर कुछ न कुछ लिखा है , जो भी लिखा है असत्य नहीं है , पर पढ़ा जाए जरूरी भी नहीं है , कुछ पन्नों पर पेन्सिल से लिखा है.

ज़ख्म...जो फूलों ने दिये

सावन कितना बरस ले...

मन के आँगन

की धरती
तो कब की
सूखे की
भयावह मार से
फट चुकी है...

"रिम-झिम सावन बरसता,मगर न भीगा अंग।
सब आँगन नही भीगते, श्याम घटा के संग।।"
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कोई
अमीरी से दुखी, मन से है बेहाल।

कोई फकीरी में सुखी, रहता मालामाल।।
कोई अपने गिरेबान में झाँक के बताये.. -
*सब की जुबा पर एक ही राग हैदेश का कैसा बिगड़ा हाल है ?कोई गरीबी को रोता हैतो किसी ने नेता को कोसा हैकोई चीखता कानून पेतो कोई गुंडागर्दी...

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और अन्त में देखिए!


सारी दुनिया से अलग, अपना प्यारा देश।
अनेकता में एकता, का सुन्दर परिवेश।।

- *स्वतंत्रता दिवस के मौके पर

आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.*

आज एक गज़ल, जो चंद रोज पहले महावीर ब्लॉग पर छपी थी.
महावीर ब्लॉग से अप...




19 comments:

  1. मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार|बढ़िया लिंक्स के लिए बधाई |
    आशा

    ReplyDelete
  2. दोहे छंदों संग बढ़िया चर्चा . शास्त्री जी

    ReplyDelete
  3. सुन्दर और सारगर्भित चर्चा………………आभार्।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर और विस्तृत चर्चा ...

    ReplyDelete
  5. चर्चा मंच के मंच पर उम्दा लिंक्स हजार।
    रोज - रोज मिलता रहे पढ़्ने का उपहार।
    *
    लिक्खूँ कम ज्यादा पढूँ अपनी तो यह रीत।
    सीखूँ नित्य नवीन कुछ बढ़े साहित्यिक प्रीत।
    *
    चर्चा मंच की टीम का बहुत ही अच्छा काम।
    मिलजुल कर आगे बढ़ें सबको मेरा सलाम।
    *
    विनती इतनी है मगर छाँटें कुछ गुण - दोष।
    ताकि हम पहचान सकें कैसा अपना कोष?
    *
    धन्यवाद एक बार फिर और बहुत आभार।
    ऐसे ही मिलता रहे चर्चा मंच का प्यार!

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  6. बहुत बढ़िया संकलन ....

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  7. उत्तम प्रसतुति

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  8. वह बहुत ही खूबसूरत चर्चा रही.
    सिद्धेश्वर जी के कमेंट्स ने हौसला बडा दिया.

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  9. अद्भ्त शास्त्री जी।
    आप चर्चा की नई परिभाषा गढ रहे हैं।

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  10. नमस्कार,

    हिन्दी ब्लॉगिंग के पास आज सब कुछ है, केवल एक कमी है, Erotica (काम साहित्य) का कोई ब्लॉग नहीं है, अपनी सीमित योग्यता से इस कमी को दूर करने का क्षुद्र प्रयास किया है मैंने, अपने ब्लॉग बस काम ही काम... Erotica in Hindi. के माध्यम से।

    समय मिले और मूड करे तो अवश्य देखियेगा:-

    टिल्लू की मम्मी

    टिल्लू की मम्मी -२

    ReplyDelete
  11. नमस्कार,

    हिन्दी ब्लॉगिंग के पास आज सब कुछ है, केवल एक कमी है, Erotica (काम साहित्य) का कोई ब्लॉग नहीं है, अपनी सीमित योग्यता से इस कमी को दूर करने का क्षुद्र प्रयास किया है मैंने, अपने ब्लॉग बस काम ही काम... Erotica in Hindi. के माध्यम से।

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    टिल्लू की मम्मी

    टिल्लू की मम्मी -२

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  12. बहुत बढ़िया चर्चा....

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  13. सुंदर प्रस्तुति!

    हिन्दी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।

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  14. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    हंसना ज़रूरी है क्यूंकि …हंसने से सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।

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  15. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    हंसना ज़रूरी है क्यूंकि …हंसने से सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।

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"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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