आज सुबह भी रक्षाबन्धन की काफी पोस्टों को चर्चा मंच में शामिल किया था! परन्तु यह त्यौहार इतना महत्वपूर्ण है कि अब भी इस पावन पर्व की पोस्ट लगाने से अपने को नही रोक पा रहा हूँ! ---000--- पोस्ट बन गई है तो- कल का कौन इन्तज़ार करे! आज ही प्रकाशित कर देता हूँ! |
सबसे पहले सुनिए एक गीत इसको अपने स्वर से सजाया है अर्चना चावजी ने- सचमुच रिश्ते आभासी नहीं होतेभैया मेरे राखी के बंधन को निभानागीत के भावों के ओतप्रोत आज का दिन भारतीय संस्कृति का वो त्यौहार है जो मन मानस की ….. रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं...
परीक्षा के परिणाम - * :: हंसे मुस्कुराएं, शांति फैलाएं!! ::* परीक्षा के परिणाम खदेरन, फुलमतिया और उनके सुपुत्र भगावन से अब तक तो आप भलि-भांति परिचित हो ही चुके हैं। आज आ... |
जी हाँ! रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर यहाँ खून की होली खेलने की परम्परा है- मयंक "मन्दिर में खून की होली" - बग्वाल मेला साल में रक्षा-बन्धन के दिन आता है। आज के दिन बहने अपने भाईयों को राखी बाँधती हैं। परन्तु उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले म...
मेरी आवाज राखी के पावन पर्व पर मैं क्यों हूँ निशब्द ? - 26 वीं मंजिल पर अपने नन्हे से अपार्टमेंट में बैठा जब मैं चारों और देखता हूँ तो जगमग रोशनी ही रोशनी नजर आती है, मेरी नजर गिद्ध की नजर तो नहीं पर जहाँ तक ..
राखी - * राखी की शुभकामनाएं * *वो छुटपन के झगड़े / वो गुड़िया के कपड़े /* *वो तुम्हारा रूठना इक चवन्नी के लिए / * *वो मेरी शरारत पर पिटना तुम्हारा / * *वो पापा ... |
सहज साहित्य पर हैं कुछ चतुर्भुज छन्द! रक्षा-बंधन पर विशेष - * * *कुछ पास कुछ दूर बहनें*** * रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’*** *दुनिया का ऊँचा प्यार बहनें*** * गरिमा- रूप साकार बहनें*** *रेशमी धागों से बँधा है*** *हैं स...
आखरी सुम्मार | Author: ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey | Source: मानसिक हलचल मन्दिर को जाने वाली सड़क पर एक (अन)अधिकृत चुंगी बना ली है लुंगाड़ो नें। मन्दिर जाने वालों को नहीं रोकते। आने वाले वाहनों से रोक कर वसूली करते हैं। श्रावण के महीने में चला है यह। आज श्रावण महीने का आखिरी सोमवार है। अब बन्द होने वाली है यह ... |
और यह रहा ब्लॉग में ब्लॉग- रक्षा बन धन यानी रक्षाबंधन>> मंगलवार, २४ अगस्त २०१०पढ़ने के लिए चटकायेंरक्षा बन धन यानी रक्षाबंधन : पढ़ें डीएलए के पेज 11 पर क्लिक कीजिए>> मंगलवार, २४ अगस्त २०१०इस लेख को पढ़ने के लिए आपको डीएलए इंटरनेट एक्सप्लोरर में खोलना होगा। वहां पर डीएलए बिल्कुल सही दिखलाई देता है और पढ़ा जाता है। आगरा संस्करण में क्लिक करें पेज नंबर 11 पर । दिल्ली और अलीगढ़, मथुरा, एटा, इटावा, मेरठ, झांसी के संस्करणों में पेज नंबर 10 पर क्लिक कीजिए। यह संपादकीय पेज है। यहां पर और भी बहुत कुछ मिलेगा, तो सिर्फ इतने से ही सब्र मत कीजिएगा।अगर आप पूरा अखबार पढ़ेंगे तो अगले दिन फिर इसे ही तलाशेंगे। इसलिए इसे अपने फेवरिट में अवश्य जोड़ लीजिएगा। पर ध्यान रहे इंटरनेट एक्सप्लोरर : अन्य ब्राउजर्स में यह खुलेगा तो सही पर सही से खोलकर पढ़ नहीं पायेंगे।पढ़ लें तो अवश्य बतलाइयेगा। रक्षा बन धन यानी रक्षाबंधन में धन, जिससे जुड़ा हुआ है बहनों का मन। |
इस अवसर पर बच्चों को कौन भुला सकता है? नन्हा मन राखी के तार - रामेश्वर कम्बोज हिमान्शु - नमस्कार बच्चो , रक्षा-बन्धन की हार्दिक बधाई और शुभ-कामनाएं । आज आपके लिए भेजी हैं प्यारी-प्यारी नन्ही-नन्ही कविताएं " रामेश्वर कम्बोज हिमान्शु "जी नें । ...
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कुछ और बेहतरीन ब्लॉग्स के लिंक देने के लिए आभार शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!
जवाब देंहटाएंachhi charcha...
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंभारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
बहुत बढ़िया रही चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं:: हंसना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
बहुत ही बेहतरीन चर्चा ।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत सार्थक और आनंद दायक |बधाई |
बहुत अधिक व्यस्तता के कारण कल आपको रक्षा बंधन
के लिए शुभ कामनाएं ना दे सकी |खैर देर से ही सही ,मेरी ओर से आपको सपरिवार शुभ कामनाएं |
मेरी कविता को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आभार |
आशा
Accha laga yahan aa kar!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत अच्छी प्रस्तुति..!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंअनेकता में नेकता
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत की एकता।