आज मैं फुरसत से चर्चा का शुभारम्भ करता हूँ! सबसे पहले पढ़िए न दैन्यं न पलायनम्
प्रवीण पाण्डेय का ब्लॉग
मेरे कुम्हार
ब्रह्मा जी ने रच दिए, अलग-अलग आकार।
किन्तु एक ही शक्ल के, रचता पात्र कुम्हार।।
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सड़कों पर लाना नही, मानसून में कार।
समतल पक्के मार्ग में, दल-दल की भरमार।।
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उज्ज्वल चन्दा में लगे, कुछ काले से दाग।
क्रोधित सूरज हो रहा, उगल रहा है आग।।
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रिमझिम सावन बरसता, पुरवाई का जोर।
मक्का की सोंधी महक, फैली है चहुँ ओर।।
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जाति-पाँति के जाल में, जकड़ा अपना देश।
आरक्षण की आड़ में, बिगड़ा सब परिवेश।।
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लिख-लिखकर पन्ने भरे, कलम गई है सूख।
किन्तु नहीं अब तक मिटी, जिज्ञासा की भूख।।
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पढ़-लिखकर ज्ञानी बने, किया न कुछ सत्कर्म।
जगत नियन्ता देखता, क्या है धर्म-अधर्म।।
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बहुत चाव से अर्चना, करती सुर में बात।
पग-पग पर मिलते मगर, जीवन में आघात।।
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दस्तक देती मौत को, रोक सका नही कोय।
ऐसी धरती है कहाँ, मौत जहाँ नही होय।।
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बहुत बधाई आपको, जुग-जुग जियो अनन्त।
स्रजन करो साहित्य का, बनकर सच्चे सन्त।।
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गिरीश वर्मा दे रहे, सबको न्योता खास।
लिखो हमारे ब्लॉग पर, हास और परिहास।।
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काव्य मंजुषा में सजे, गीत-गजल और छन्द।
स्वप्न मंजूषा शैल हैं, ब्लॉगिंग में निर्द्वन्द।।
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जूते का तो पाँव में, होता है सम्मान।
जूता जब सिर पर चढ़े, कर देता अपमान।।
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नाम कमाया कला में, जाय बसे परदेश।
हिन्दुस्तानी में भरा, जहर भरा सन्देश।।
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दूल्हा दुल्हिन में रहे, सौ वर्षों तक प्यार।
सप्तपदी हो सार्थक, जीवन का आधार।।
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कमल खिला है ताल में, बरसा पावन नीर।
गोरी का चौमास में, भीगा-भीगा चीर।।
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Aug 3, 2010 | Author: आनन्द पाण्डेय | Source: महाकवि वचन
चिट्ठाजगत के प्रिय मित्रों, बन्धुओं, ज्येष्ठों एवं अग्रजों । आज आपके इस प्रिय दोस्त अर्थात् मेरा जन्मदिवस है । अब मैं केवल ये चाहता हूँ कि आपमें से जो भी मेरे ज्येष्ठ हैं वो मुझे अपना शुभ आशीर्वाद दें । जो मुझसे छोटे हैं या मेरे बराबर हैं वो मुझे शुभकामनाएँ दें कि मैं इसी तरह ही चिट्ठाजगत पर संस्कृत की सेवा कर सकूँ ।
जन्म-दिवस पर आपको, कोटि-कोटि आशीष।
पावसमय जग को करो, बन करके रजनीश।।
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और अन्त में-अब इसको देखो!!
Author: Kirtish Bhatt, Cartoonist | Source: Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
Cartoon by Kirtish Bhatt www.bamulahija.com
छपतेःछपते! गीत.......मेरी अनुभूतियाँ भगदड़... भगदड़ दुनिया में मची, मारा-मारी होय। क्रूर-काल के चक्र से, नही अछूता कोय।। |
बहुत अच्छी सजी है आज की चर्चा |अभी तो केवल बाहर से ही झांका है अब फुरसत मिलते ही दोपहर में सारी लिंक्स का आनंद उठाउगी |पुनःअच्छी लिंक्स के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर है आज का संकलन - बहुत सी अच्छी पोस्ट्स पढने को मिलीं, धन्यवाद शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंवाह-वाह क्या मारा है, चर्चा की बौछार।
जवाब देंहटाएंछा गया है मंच पर रंगों का त्योहार॥
शामिल करे मान दिया, मेरा हास्य फुहार।
शब्द नहीं हैं पास मेरे, कैसे दूं आभार॥
बहुत अच्छी कविता, नहीं चर्चा, .. नही कविता ... नहीं चर्चा, ... चर्चा .. कविता.. कविता .. चर्चा....
ॐ
जवाब देंहटाएंरूपचंद्रजी छा गए , सचमुच आप मयंक !
लाए चर्चामंच का ख़ूब आज का अंक !!
शास्त्रीजी
प्रणाम !
प्रस्तुत करने का आपका अंदाज़ दिल लूट रहा है …
बहुत बहुत बधाई !
लाए नेट समुद्र से मोती सच्चे छांट !
धन्य ! ख़ज़ाना क़ीमती दिया जगत में बांट !!
आज की चर्चा में सम्मिलित आप सब को बधाइयां !
… आऊंगा मैं आप सब के यहां ,
आप सब का भी शस्वरं पर हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइएगा…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
चर्चा की अद्भुत विधा देख हम मुस्काते हैं
जवाब देंहटाएंकितने सारे लिंक मिले अच्छा जी हम जाते हैं..
बहुत बहुत बढ़िया...
धन्यवाद...
काव्यात्मक चर्चा तो सच में विलक्षण है।
जवाब देंहटाएंआज की यह दोहा चर्चा बहुत मन को भाई ....आपकी लेखनी को नमन ....बहुत उम्दा चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंमयंक जी अच्छा सजाया है , आपने चर्चा मंच ,बधाई । "कुम्हार" एक ऐसा सृजक है जिसने विध्वंस के इस युग मे भी केवल सृजन करना सीखा है । मेरा नमन स्वीकार हो । - आशुतोश मिश्र
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा का आज अंदाज़ आपका अद्भुत और निराला है।
जवाब देंहटाएंछांट-छांट कर पोस्टों को क्या खूब निकाला है॥
ऐसे ही नहीं मिलता रत्न बेश-क़ीमती सागर से,
लगता है आपने पूरा ब्लॉग जगत ही खंगाला है।
rang birangi khubsoorat charcha.
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा चर्चा शास्त्री जी! आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंआज तो अपने रंग मे आ गये है शास्त्री जी………………बहुत ही सुन्दर चर्चा मंच सजाया है………………बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा। और हाँ, कार्टून का जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ कुछ कहा न जायेगा.....
जवाब देंहटाएंपर कहे बिना भी कहाँ रहा जायेगा.....
अभी कुछ देखा नहीं सिवा "मेरे कुम्हार".....
सबको मुझ तक पहुँचाने के लिए आपका आभार.....
बहुत ही अच्छा !!
जवाब देंहटाएंsundar ati sajjaa banee, kaviraai ke sang
जवाब देंहटाएंiseeliye to aap ko kahate sabhee mayank
bahut achchha laga Shastri jee.
हो रही हैरान देख चर्चा मंच के नित नए ये रंग
जवाब देंहटाएंअब कौन पथ मैं भी चुनु जो सब हो जाये प्रसन्न.
शास्त्री जी बहुत बहुत अच्छी चर्चा.
चर्चा के विभिन्न आयामों से आपने सब चर्चाओं को पीछे छो्ड दिया है. आपके जितने प्रयोग शायद ही कोई कर पाये.
जवाब देंहटाएंरामराम.