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रविवार, मार्च 18, 2012

"कुछ रंग दुनियां के" (चर्चा मंच-822)

मित्रों!
      चर्चा मंच पर लिंकों का चयन इतना सरल भी नहीं होता! इसमें समय तो लगता ही है साथ ही यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि कोई महत्वपूर्ण पोस्ट छूट न जाए। यद्यपि हम चर्चाकार बहुत सावधानी से लिंको का चयन करते हैं मगर फिर भी बहुत से ब्लॉग चर्चा में आने से रह ही जाते हैं। हिन्दी ब्लॉगिस्तान के सभी साथियों से मेरा अनुरोध है कि यदि हमारी नज़रों से कुछ ब्लॉग ओझल हो जाएँ तो आप टिप्पणियों के माध्यम से भी हमें निःसंकोच सूचित कर सकते हैं।
       कल का मेरा दिन नाजुक फूलों के साथ गुजरा ..महका महका हरा भरा  *कहीं खिलती थी चटख चांदनी ...* *कहीं भवरों का भी पहरा था …* और उस सुन्दर याद ...के कुछ रंग दुनियां के - डॉ नूतन गैरोला जी दिखा रहीं हैं। स्पंदन SPANDAN में आज है- "स्मृतियों में रूस" लोकार्पित.लोकार्पण सुश्री संगीता बहादुर ( डारेक्टर नेहरु सेंटर) १४ मार्च बुधवार की शाम को लन्दन स्थित नेहरु सेंटर में पुस्तक " स्मृतियों में रूस " का अनावरण हुआ .जिसके लिए चर्चा मंच की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार कीजिए। रमिया का एक दिन.... (महिला दिवस के बहाने) खटे सदा रमिया मगर, मिया बजाएं ढाप ।  तन मन को देती जला, रहा दूसरा ताप। रहा दूसरा ताप, हाथ पे हाथ धरे है...! महँगी रोटी-सस्ती कार।  "खिसक गया जीवन आधार"...। लोको पायलटो की अजब कहानी ! BALAJI यात्री का परिवार जब, कर स्वागत संतुष्ट । मेरा घर सोता मिले, बेगम मिलती रुष्ट । तन मन को देती जला, रहा निकम्मा ताप! पढ़ने से इस पोस्ट को, नहीं लगेगा पाप!! किस्सा चुइंग गम का चॉकलेट टॉफी या फिर चुइंग गम इनके बिना तो अपनी दुनिया ही पूरी नहीं होती है। सही कह रहे हैं न दोस्तों हम। पर क्या आप जानते हैं, ये चुइंग गम....! अंकों के देवी देवता हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके. मुझे तलाश है उस देवी देवता की जिनका काम है...!अपनी गाथा आज स्वंय मै गाती हूँ  हाँ ......कौन सी उर्मिला हूँ आज मैं बतलाती हूँ -  ना जाने क्यूँ स्त्री को तुमने अबला ही माना उसका सिर्फ एक रूप ही जाना...! वक़्त की आख़िरी गठरी... लफ्ज़ की सरगोशी जिस्म की मदहोशी यूँ जैसे साँसों की रफ़्तार घटती रही, एक-एक को चुन कर हर एक को तोड़ती रही सपनों की गिनती...! फाइव स्टार अस्पताल, किस के लिए --- रोज सुबह जब अस्पताल जाता हूँ , पाता हूँ रोज वही भीड़ भाड़ । झाड़ से चेहरे, एक जैसे कैसे कैसे अरमान लिए आते हैं , क्या सबके पूरे हो पाते हैं....? वो नजर......उनकी शोख मस्त नजर में ना जाने क्या बात थी, देखा जबसे, उस पल से दिल मुझसे बेगाना हो गया.....! जीते जो तेदुलकर, जो मारे सो मीर - मेरे भारत रत्न, नई खुशियाँ नित पाओ -- *जीते जो तेदुलकर, जो मारे सो मीर ।* *शतक मीरपुर में लगा, कब से सभी अधीर....। कल किये थे हाथ पीले ...... जुड़ गया बिटिया का रिश्ता, दिन सजीले हो गये नयन कन्या दान करते , क्यों पनीले हो गये....! हाउस वाइफ.....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... * ----क्या आपकी पत्नी भी कहीं काम करती हैं ......अरे नहीं...! फ़ुरसत में ... देखी ‘कहानी’, आप भी देखिए मेरे लिए, इस सप्ताह की शुरुआत एक शानदार फ़िल्म से हुई....। उतरती धूप को वि‍दा करने आई शाम रास्‍ता भूल आज मेरी देहरी पर आ खड़ी हुर्इ् और मुझे अपनेआप में गुम पाकर कहा.....गुम क्‍यों हो....ढाका में हालांकि बंगलादेश ने एक बार फिर भारत को उलटफेर का शिकार बना दिया है, लेकिन यह मैच क्रिकेट के महानायक सचिन के सौंवे शतक के लिए इतिहास में याद रखा जयेगा...शतकों का शतक! बन गया महाशतक ! अब सवाल उठता है कि क्या ऐसा भी संभव है.? इस दिल ने नादानी में आग लगा दी पानी में ।  तुम चाहे जितने पहरेदार... बिठा दो, दो नयन मिले तो भाव एक रहते हैं, दो दिल ने कब माना है जग का बन्धन, नव सपनों का करता रहता आलिंगन....! नहीं मिलती कहीं राहत जहाँ में , ग़म के मारे को -मेरी तबीयत भी मिलती है नदिया के पानी से, जो पल में बदल देती है अपने धारे को | इस रास्ते मैंने गुज़ारे कई सफ़र तन्हा , मगर दिल ढून्ढ़ता है आज किसी सहारे को ...! भारतीय काव्यशास्त्रपिछले अंक में अर्थदोषों पर चर्चा समाप्त हो गयी थी। *इसअंक से रसदोषों पर चर्चा प्रारम्भ हो रही है...! यह बज़ट शहर और गाँव के बीच की दूरी कम करेगी -दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का बज़ट पेश होने के बाद चैन की सांस रहे थे, देश के दादा. घर का बज़ट तो संभाला जाता नहीं है लोगों से, और मीन मेख निकलते हैं, ...! काश आई पी एस अफसर राहूल शर्मा को भी किसी का सहारा मिला होता !!!! ज्‍योतिष के क्षेत्र में 20 वर्षों से अधिक के अध्‍ययन के बावजूद प्रतिदिन कुछ ग्रहों के आम जनजीवन पर पडनेवाले नए नए रहस्‍यों की जानकारी के मोह ने मुझे अभी तक...!  हम हृदय का उमड़ता आवेग कुछ पल रोक लेते, समय यदि कुछ ठहर जाता,  आज जी भर देख लेते । तुम न ऐसे मुस्कराती, सकपका पलकें झपाती, ना फुलाकर गाल अपने, सलोनी सूरत बना...! इसके लिए हम जिम्मेदार ! हम किसके लिए जिम्मेदार हैं ये हमें पता होना चाहिए लेकिन हम अपनी जिम्मेदारियों से दो चार कब होते हैं और जिम्मेदार होकर भी उन्हें समझते कब है....? पार्थवी के जादू ....पार्थवी आप को कभी कभी जादू के रूप में कुछ प्रयोग कर के दिखायेगी।* *तो इस श्रृंखला का दुसरा जादू प्रस्तुत है...।  घर बनाया जोड़े तिनके तिनके हमराज खोजा सोचते सोचते रिश्ते जुड़े कुछ खून के कुछ बनाए हुए उन्ही में खोते गए खुद को भूल के पर आज लगते सब खोखले रिश्ते कठिन पहेली से ...! उसने सच कहा निर्भय हो और निर्वासित कर दिया गया अघोषित राजतंत्र ने फिर "पंजा" मारा आहत हुई "भारतीयता" जिसके ईतिहास गौरव और वैभव को ....चाणक्य की शिखा खुली है !  घर के बगीचे में जब चमेली की बेल फूलों से लदती है अपने को रोक नहीं पाता उसके पास जाकर खडा हो जाता हूँ घंटों उनकी  सुगंध   सूंघता हूँ मदमस्त हो जाता ...!
(1) एक दुनिया प्रेम की
हे प्रिये
महसूस करो
तुम्हे बुलाती हे
मेरी कोहरे में लिपटी हुई
वो शामे
जब भी होती हु में
गंगा तट पर निहारते हुए
खुद से ही बेखबर....

-0-0-0-
 
 
अब आज्ञा दीजिए!
कुछ ब्लॉगों की चर्चा लेकर-
अगले शनिवार-रविवार को फिर मिलूँगा!!
अरे हाँ!
चलते-चलते एक खुशखबरी सभी हिन्दी ब्लॉगरों के लिए-
एक साइट है हिन्दीवाणी!
आप यहाँ आइए तो सही!
मेरा मानना है कि आप फेसबुक को भूल जायेंगे!
हिन्दीवाणी  पर आप अपना खाता बना लीजिए और 
चाहे अपनी पोस्ट लगाइए या
चाहे फेसबुक की भाँति अपने मित्रों से गप-शप कीजिए!
हिन्दीवाणी  का ई-मेल है-

33 टिप्‍पणियां:

  1. अत्यन्त रोचक शैली में बनाया हुआ चर्चा का प्रारूप, आभार।

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  2. बढिया रोचक चर्चा ..
    मेरे लिंक को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार !!

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  3. चर्चा में खर्चा करे, घंटों चर्चाकार |
    सुन्दर-अतिसुन्दर लिखे, पाठक होता पार |

    पाठक होता पार, समय की पड़ती मुश्किल |
    बाढ़े ब्लॉग अपार, श्रेष्ठ प्रस्तुति कर शामिल |

    सुविधा देता मंच, पढो सब बढ़िया परचा |
    करता नहीं प्रपंच, करे तन-मन से चर्चा ||

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  4. पृष्ठ नहीं मिला--

    भारतीय काव्यशास्त्र –

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  5. भारतीय काव्य शास्त्र पर लिंक लगने से रह गया था!
    अब लिंक लगा दिया है!
    रविकर जी!
    अब आपको यह पृष्ठ मिल जायेगा!
    आभार!

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  6. बहुत बढ़िया चर्चा शास्त्री जी....
    बेहतरीन लिंक्स...
    काजल जी के कार्टून भी लाजवाब...

    शुक्रिया.
    सादर.

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  7. बढिया रोचक चर्चा ..
    पार्थवी लिंक को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार !!

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  8. रोचक पोस्ट जानकारियां ।
    आभार ।

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  9. चर्चा के सुंदरीकरण एवं व्यवसायीकरण में,फिर भी आपका
    निरपेक्ष व निष्ठावान होना,आपको बहुत ही सम्मान का पात्र
    बनता है / चर्चा मंच को एक विशिष्ठ प्रतिमान देने में आपका योगदान विशिष्ठ है सर / नमन करते हैं ,सफल सम्मानजनक संकलन , बधाई /

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  10. sach aasan nahi hai links ka dhundhkar dhundkar laakar charchamanch par jamamana.... apna bahumulya samay aap ham logon ko dete hai iske liye dhanyavad..aur sundar charcha prastuti hetu aabhar!

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  11. बहुत बढिया लिंक संयोजन ……शानदार चर्चा।

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  12. bahut rangmayee charchaa,hindivani kee jaankaaree dene ke liye shukriya

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  13. बहुरंगी चर्चा के लिए साधुवाद |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

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  14. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
    इंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।

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  15. बढ़िया चर्चा ,बढ़िया लिंक्स भी संयोजन और प्रस्तुति भी .

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  16. अभी और भी पढनी हैं - बेहतरीन लिंक्स के साथ बेहतरीन प्रस्तुति.

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  17. आज तो कई लिंक पढ़ डाले। अच्‍छा लगा। बहुत अच्‍छा मंच सजाया है आपने। शुक्रि‍या। मुझे शामि‍ल करने का आभार ।

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  18. आप का प्रयास सराहनीय है
    इस चर्चा मंच पर मेरी रचना " तुम चाहे जितने पहरेदार बिठा दो...." को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
    सादर
    आनन्द.पाठक

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  19. हमेशा की तरह उत्कृष्ट चर्चा..........
    मेरी रचना को शामिल करने हेतु आभार............

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  20. सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

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