मंगल वार की चर्चाकार, राजेश कुमारी की आप सब को नमस्कार |मेरा प्रथम प्रयास है चर्चा मंच पर, अतः कोई त्रुटी हो तो क्षमा कर देना |
लीजिये आप सब की खिदमत में विभिन्न सूत्रों का गुलदस्ता पेश करती हूँ आशा है आप सब को पसंद आएगा |
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(1) -बबन पाण्डेय की गंभीर कविताएं
(1) -बबन पाण्डेय की गंभीर कविताएं
भगदड़ - भगदड़ क्यों मची थी मुझे नहीं पता न जानने की कोशिस की मैंने लोगों ने कहा -भागो! भागो! शामिल हो गया मैं भी // बाद में पता चला गिर गया था कोई भूख से खून..
(2) काव्य मंजूषा
तजुर्बों के रास्तों से, उम्र का गुज़रना.... - तजुर्बों के रास्तों से उम्र का गुज़रना, फिर आड़ी-तिरछी पगडंडियों का चेहरे पे जमना, चाहत, वफ़ा, उल्फत का एक-एक कर उदास होना, हकीक़त के ज...
(3) उच्चारण
"उनसे मुलाकात हो गयी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') - *इक हादसे में उनसे मुलाकात हो गयी।*** *रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।।*** *देखा उन्हें मगर न कोई बात कर सके**,* *केवल नजर मिली**, **नजर में बात हो गयी।**...
मस्त माल-मधु चाभ, वकालत प्रवचन भाषण - -मदारी बुद्धि -सतीश सक्सेना सतीश सक्सेना at मेरे गीत ! वाणी के व्यवसाय में, सदा लाभ ही लाभ । न हर्रे न फिटकरी, मस्त माल-मधु चाभ । मस्त माल-मधु चाभ, वका...
कहानी-चिता की आग - शाम गहराने लगी थी.रजनी अपने कमरे में खड़ी खिड़की से दूर आकाश ताक रही थी.परिंदे अपने बसेरों की ओर लौट रहे थे.उसने कमरे की बत्ती भी नहीं जलाई थी.शायद जलान...
सूरजमुखी - वह पैदाइशी सूरजमुखी तो नहीं थी, पर उसका दुर्भाग्य ही था कि दस साल की उम्र में ल्यूकोडर्मा नामक चर्म रोग उसकी अँगुलियों के पोरों, कनपटियों, पलकों और पीठ से...
(8) Akanksha
महिमा अति की - रसना रस में पगी शब्दों में मिठास घुली आल्हादित मन कर गयी सुफल सकारथ कर गयी पर अति मिठास से कानों में जब मिश्री घुली हुआ संशय मन में पीछे से कोई वार न...
चले चतुर चौकन्ने चौकस- - श्वेत कनपटी तनिक सी, मुखड़ा गोल-मटोल । नई व्याहता दोस्त की, खिसकी अंकल बोल । चले चतुर चौकन्ने चौकस । केश रँगा मूंछे मुड़ा, चौखाने की शर्ट | अन्दर खींचे पेट क...
चलने में जो मजा है मंजील में नहीं ....... - जीवन में अगर कोई रूचि ना हो तो जीवन नीरस और बोरियत से भरा लगता है ! ऐसे लगता है जैसे जीवन में कोई चैलेन्ज नहीं कुछ नहीं यह भी कोई जीना है भला ? जब रूचि की...
कभी कभी..... - कभी कभी देखी है उनकी आँखें, अपलक कभी-कभी, सपने भी देखे हमने, दिन में कभी-कभी! किस सोचमें डूबी, किस बात का है गम, चेहरा जो उनका देखा, मैंने कभी - कभी!
गीत मेरे तुम गाते रहना.. -*गीत मेरे तुम गाते रहना* *मैं रहूँ या न रहूँ* * * *गीत मेरे तुम गाते रहना* * * * खुशी हो चाहे गम * * * * यूँ ही गुनगुनाते रहना* * * * गीत मेरे तुम गाते रहना...
जंगल से जंगल की ओर --- भाग ४. - हज़ारों लाखों साल पहले आदि मानव जंगलों , पहाड़ों और गुफाओं में रहता था । फिर उसने समूह में रहना सीखा , झोंपड पट्टी में रहना शुरू किया । जैसे जैसे मनुष्य
(14) राजभाषा हिंदी
कुरुक्षेत्र ... षष्ठ सर्ग .... भाग --3 / रामधारी सिंह दिनकर - प्रस्तुत भाग में कवि आज भी आम जीवन में चलने वाले कुरुक्षेत्र से चिंतित है ... मानव आज विज्ञान की राह पर चल रहा है उस पर कवि हृदय मंगलवासियों को चेतावन.
इसका नाम प्रजातंत्र है,कभी स्वस्थ होता था - यह जो तुम्हें बीमार असहाय दिख रहा है इसका नाम प्रजातंत्र है कभी स्वस्थ होता था खुशहाली के सपने देखता था उसे जन्म देने वालों के सपनो को साकार करने की...
लगातार बढ़ते जा रहे हैं अश्लीलता के दबाव -*लेखिका : वन्दना भारतीय* आजादी की एक लम्बी यात्रा के बाद आज़ देश सामाजिक जीवन के सबसे विडंबनापूर्ण बिंदु पर खड़ा है. हर समाज की एक आंतरिक गति होती है. स्थ...
खोजता हूँ खुद को खुद को जानता नहीं. - इस तरफ भी वही है, वो ये मानता नहीं; कैसे हों पार तैरना तो जानता नहीं. अब तक मेरे वजूद को झुठला रहा है वो; कहता है कि मुझ को पहचानता नहीं. मैने कहा मैं बस
(18) SADA
अविचल रहता सत्य ...!!! -सत्य क्या है किसी बात पर हम अटल होते हैं चट्टानों से डिगाये नहीं डिगते घात, आघात, कुठाराघात कितने भी कोई कर ले पर सत्य सदैव हर अवस्...
हाँ ........मैंने भी इक पाप किया है - आज भी दुखता होगा अंतस आज भी बंधाती होगी खुद को वो ढांढस शायद अपने किये अकृत्य पर शर्मिंदा होकर जब कहीं कुछ पढ़ती होगी या कहीं कुछ लिखती होगी या कुछ द...
और अंत में मेरी एक मुलाकात
एक मुलाकात - *सुबह सुबह जैसे ही फ़ोन की घंटी बजी उधर से हमारे ब्लोगिंग शिरोमणि डॉ रूप चन्द्र शास्त्री मयंक जी की आवाज सुनाई दी |नमस्कार शुभप्रभात करने के बाद बातो बा...
और इसी के साथ ही आप लोगों से विदा लेती हूँ भूल चूक माफ़ करना पहला प्रयास है धन्यवाद, आपका दिन मंगलमय हो
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जवाब देंहटाएंआज का चर्चामंच थोड़ी देर से आया
आज सुबह से इसने हमें इंतजार करवाया
देर से आया पर दुरुस्त आया
नये चर्चाकर का नया गुल्दस्ता इसने दिखाया
बहुत सुंदर बनाया बेहतरीन लिंक्स से सजाया।
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राजेश कुमारी जी का प्रथम गुलदस्ता वाकई काबिले तारीफ है । बधाई !!!
बढ़िया ढंग से संयोजित किये गए लिंक, ऐसा नहीं लगता है कि आपने पहली बार ये किया है, सभी तरह के पुष्पों से सजाया गया है, अभी सब पढ़े नहीं जा सके हैं, पढूंगा. बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर चर्चा सजाने के लिए बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगा खुशबुदार गुलदस्ता...आभार!!!
राजेश दी प्रणाम आपका स्वागत स्वागत |
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच मुकाम आपका स्वागत स्वागत |
पहली चर्चा पर ही लूटा प्यार सभी का -
है बढ़िया पैगाम आपका स्वागत स्वागत ||
वाकई बढ़िया लिंक्स के साथ सजा गुलदस्ता बहुत पसंद आया !
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को शामिल करने के लिये !
अच्छी लिंक्स के साथ करीने से सजाया गया आज का चर्चा मंच |प्रथम प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
kuchh achchhe links mile. dhanywaad...aur aabhaar ..
जवाब देंहटाएंसभी लिंक उम्दा हैं... आभार और बधाई
जवाब देंहटाएंसतरंगी लिंक्स प्रस्तुति के लिए चर्चा मंच में आपका प्रयास सार्थक रहा,मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार,.....बधाई ......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा................
जवाब देंहटाएंबधाई राजेश जी...............
पहला प्रयास ही उत्तम.....
सादर.
पहले ही दिन आपने छक्का मार दिया।
जवाब देंहटाएंकत्तई नहीं लग रहा है कि आपने पहली बार चर्चा मंच को सजाया है।
बहुत सुंदर लिंक्स और उससे भी बेहतर प्रस्तुति
बहुत बहुत शुभकामनाएं..
प्रथम प्रयास बहुत बढ़िया रहा!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ..
आभार !
प्रथम चर्चा की बधाई एवं शुभकामनायें ....!!
जवाब देंहटाएंप्रथम चर्चा पर बहुत-बहुत बधाई.....सुन्दर लिक्स...मेरी रचना को मान देने के लिए आप का आभार राजेशजी..
जवाब देंहटाएंmahkta saa man mohak chachaa manch.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंबड़े ही रोचक सूत्र ढूढ़कर लायी हैं आप..
जवाब देंहटाएंसुन्दर है कोई पूर्वाग्रह न पाले Keep it up
जवाब देंहटाएंrajeshji ko badhaayee sundar manch sanyojan ke liye
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी का प्रथम गुलदस्ता वाकई काबिले तारीफ है । बधाई !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शुरुआत...बधाई !
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों ने मेरा इतना उत्साह वर्धन किया आप की प्यारी सकारात्मक टिप्पणियों की मैं शुक्रगुजार हूँ आभारी हूँ धन्यवाद
जवाब देंहटाएंचर्चा में विशिष्ट लिंक्स का समावेश अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा.....:)
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी आपका आभार!
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा की गयी चर्चाको देख कर लगता है कि आपने चर्चा को बहुत श्रम से सँवारा है!
चर्चा मंच मे आपका स्वागत और अभिनन्दन है!
पाँच दिन देहरादून रह कर आज खटीमा लौट आया हूँ!
शु्क्रिया प्रविष्टियों के इस गुलदस्ते में गीता दत्त से जुड़े मेरे आलेख को स्थान देने के लिए।
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