SHAHEEDON KO SALAM..MY SONG -MY VOICE
जो बहा देते खून अपना वतन के लिए
उन शहीदों को ....खुशनसीबों को
आज करता है हिंदुस्तान
सलाम-सलाम-सलाम !
शिखा कौशिक
गीताश्री
बदनाम बस्ती की सबसे जिद्दी लडक़ी इन दिनों बेहद चिंतित और गुस्से में है।
उसे बेचैन कर दिया है इस खबर ने कि उस बस्ती की लड़कियां अब बिहार के
गांवों, कस्बों में होने वाले रात्रिकालीन क्रिकेट मैचों में चीयर्स लीडर
बनकर जा रही हैं। बात सिर्फ चीयर्स लीडर की नहीं है, इसकी आड़ में देह के
धंधे का एक नया रूप शुरू हो गया है। लोगो की जरुरत के हिसाब से बस्ती की
चीजें बदल गई हैं। मंडी के हिसाब से चीजें नहीं बदलीं।
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गायब हो जाऊं .....जो मेरा मन कहेसोच रहा हूँकुछ पल को गायब हो कर कहीं अपने मे खो कर एक कोशिश करूँ खुद को समझने की जिसमे असफल रहा हूँ |
सोमवार सुबह सवेरे
| बाबा- बाजारउन्नयन (UNNAYANA)आस्था का हथियार , धर्म के ठेकेदार ! प्रेम की बौछार ,धन-धान्य,अमृत कृपा वर्षा रहे हैं .. कोलाहल है, बाजार में नित नए बाबा आ रहे हैं .. आधिपत्य था,जिनका सदियों से घबरा रहे हैं ... धर्म ग्रंथों के अनुसार बाबा नहीं आ रहे हैं ..... |
आओ कौओं का गला मरोड़ें : पर कोयल नहीं चाहती हैंनुक्कड़ तेतालाकौओं का गला मरोड़ना चाहते हैं कौए भी कौए नहीं देख सकते एक दूसरे को यह सच नहीं है एक मर जाता है तो जिंदा कौए लेने के लिए उसका बदला तुरंत करते हैं सभा और कर देते हैं हमला उन्हें क्या मतलब हो कोई कमला, विमला, सुशीला | ग़ज़ल : जिस्म जबसे जुबाँ हो गए
जिस्म जबसे जुबाँ हो गए
लब न जाने कहाँ खो गए
कौन दे रोज तुलसी को जल
इसलिए कैकटस बो गए
ड्राई क्लीनिंग के इस दौर में
अश्क से हम हृदय धो गए
| कुछ कहना चाहता हूँ....
दूर कही अस्मां में खो जाऊ.
खट्टी मीठी यांदे बन जाऊ.
और अकेले में रुला जाऊ.
इससे पहले कि राख हो जाऊ.
मिटटी में मिल खाक हो जाऊ.
इससे पहले कि अहसास बन जाऊ.
उन लम्हों कि साँस बन जाऊ.
इससे पहले कि कोई छीन ले.
इससे पहले कि यम मुझे भी गिन ले |
यू ट्यूब की बफरिंग से छुटकारा पाइए.
आमिर दुबई
मास्टर्स टेक टिप्स
कई बार हम यू ट्यूब पर कोई उपयोगी वीडियो देखने लगते हैं ,तो इसके बफरिंग करने
की वजह से परेशां हो जाते हैं.और आखिर वो वीडियो देखना ही छोड़ देते हैं.यू
ट्यूब ऐसी वेबसाईट है जहाँ पर हर तरह के वीडियोज देखने को मिल जाते हैं.ख़ास
कर ब्लोगिंग टिप्स ,और कंप्यूटर की समस्याओं के समाधान आपको वीडियो में देखने
को भी मिल जाते हैं.ऐसे में जब की हम यू ट्यूब पर वीडियो देख रहे हों ,और ये
बहुत ज्यादा बफरिंग करे ,यानि रुक रुक कर चले तो हमारा मूड ऑफ़ हो जाता
है.आइये आज हम जानते हैं की यू ट्यूब के वीडियोज की बफरिंग से किस तरह छुटकारा
मिल सकता है.और हम आसानी से बिना रुके टीवी की तरह यू ट्यूब वीडियोज देख सक..
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डॉ.
सिंह एक स्वतंत्र विचारक तथा लेखक हैं। इनके लगभग तीन दर्जन शोधपत्र भारत
की प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। दर्जनों
शोधार्थियों ने इनके मार्गदर्शन से अपना शोध कार्य पूरा किया, जिसका श्रेय
इन्हें कभी नहीं मिला, क्योंकि औपचारिक रूप से देवेंद्र किसी कॉलेज में
अध्यापक नहीं थे। इसके अतिरिक्त देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र एवं
पत्रिकाओं में इनके लेख तथा व्यंग की संख्या लगभग 300 है। गुमनामी में जीवन
बसर कर रहे 70 वर्षीय डॉ. देवेंद्र सिंह आज भी लिखने, पढ़ने और मार्गदर्शन
में अपना पूरा समय बिता रहे हैं।निर्मल गुप्त
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टाइटेनिकRahul Singhसिंहावलोकन
जांजगीर, छत्तीसगढ़ की मिस एनी क्लेमर फंक ने 12 अप्रैल को इसी जहाज पर अपना अड़तीसवां, आखिरी जन्मदिन मनाया।
छत्तीसगढ़
में इसाई मिशनरियों का इतिहास सन 1868 से पता लगता है, जब रेवरेन्ड लोह्र
ने बिश्रामपुर मिशन की स्थापना की। तब से बीसवीं सदी के आरंभ तक रायपुर,
चन्दखुरी, मुंगेली, पेन्ड्रा रोड, चांपा, धमतरी और जशपुर अंचल में
मेथोडिस्ट एपिस्कॉपल मिशन, इवेन्जेलिकल मिशन, लुथेरन चर्च के संस्थापकों
रेवरेन्ड एम डी एडम्स, रेवरेन्ड जी डब्ल्यू जैक्सन, रेवरेन्ड एन मैड्सन
आदि का नाम मिलता है।
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तो फिर तुम्हे कैसे निर्वस्त्र कर दूँ।
वन्दना / ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
पता है
कभी कभी क्या होता है
जब भी तुम्हे
तुम्हारे ख्याल
तुम्हारी बातें
कविता मे उतरती हैं
यूँ लगता है
जैसे मेरी चोरी
किसी ने पकड ली हो
तुम
जो सिर्फ़ मेरे हो
मेरी अमानत
मेरी मोहब्बत की इंतहा
जिसे सिर्फ़ मै ही
पढ सकती हूँ
मै ही लिख सकती हूँ
और मै ही जिसमे उतर सकती हूँ
उसे जैसे किसी ने
चौराहे पर खडा कर दिया हो
नीलामी के लिये
और तुम जानते हो ना
मै तुम्हारी बोली लगते नही देख सकती
जानते हो ना
तुम्हारा सौदा मुझे मंजूर नही
यहाँ तक कि अपनी
परछाईं से भी नही बांट सकती तुम्हे
फिर कहो कैसे
धडकनें यूँ बेआबरू हो जाती हैं
कि हर आईने मे नज़र आती हैं
देखो
तुम यूं ना आया करो
कवितायें तो सिर्फ़ कागज़ी होती ह.
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आओ मुसलमानो से बदला चुकाएंArunesh c daveअष्टावक्र अरे भाई हिंदु हो तो ईश्वर से डरो, मुसलमान हो तो खुदा का खौफ़ करो। क्यो आने वाली नस्लो के लिये जहर की बुनियाद रखते हो। अपने घर से मच्छर, चीटी, काकरोच तो हम खत्म नही कर सकते । कैसे हिंदु मुसलमानो को खत्म कर लेगा या मुसलमान हिंदुओ को खत्म कर लेगा। और जब रहना साथ ही तो भाई बनकर रहने मे भलाई है कि दुश्मन बन कर। अभी भी तर्क दिये जा सकते हैं कि हम तो शांती से रहते हैं। सामने वाला फ़लां करता है, ढिकां करता है। तो भाई कानून व्यवस्था है कि नही देश मे। इस हैवानियत का शिकार हुयी मासूम रिंकल. |
सेहत की हिफ़ाज़त का आसान तरीक़ाजान है तो जहान हैसुबह सूरज उगने से पहले उठें और पानी पीकर टहलने के लिए निकल जाएं।नमाज़ पढ़तें हों तो नमाज़ पढें वर्ना तेज़ चाल से झपटकर चलें और जब सूरज निकल जाए तो कुछ देर उसे ध्यान से देखें। भूख से कम खाएं, मौसमी फल सब्ज़ियां खाएं और अपने ख़यालात सकारात्मक बनाएं। नकारात्मक ख़याल आपके अंदर की ताक़त को खा जाते हैं। आंवला, नींबू, लहसुन, प्याज़, पपीता और मछली का इस्तेमाल ज़रूर करें। क़ब्ज़ हो तो रोज़ाना त्रिफला खाएं और पेट नर्म रहता हो तो अदरक इस्तेमाल करें। लोगों से मुस्कुराकर मिलें। |
"सत्यमेव जयते" कितने अहम हैं मुद्दे..shikha varshneyस्पंदन SPANDAN
माना कि इस शो
का संचालन एक सेलिब्रेटी. मोटी रकम लेकर कर रहा है. तो क्या ? वह अपना काम
कर रहा है .क्या उससे उस मुद्दे की गंभीरता कम हो जाती है? क्या बुराई है
अगर जनता को एक स्टार की बात समझ में आती है. पूरी दुनिया स्टार के कपडे ,
रहन सहन और चाल ढाल तक से प्रभावित हो उसे अपनाती है .तो यदि एक स्टार के
कहने से समाज में व्याप्त एक घिनौनी बुराई पर प्रभाव पढता है, उसमें कुछ
सुधार होता है तो इसमें गलत क्या है.? आखिर मकसद तो मुद्दे को उठाने का और
उसमे सुधार लाने का होना चाहिए ना कि इसका कि उसे उठा कौन रहा है.
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न्याय की भ्रूण हत्या(दिनेशराय द्विवेदी ) अनवरत
राजस्थान के हर जिले में कर्मचारी
क्षतिपूर्ति आयुक्त, वेतन भुगतान अधिनियम, न्यूनतम वेतन अधिनियम,
ग्रेच्युटी अधिनियम आदि के अंतर्गत एक एक न्यायालय स्थापित है जिस में
राजस्थान के श्रम विभाग के श्रम कल्याण अधिकारियों या उस से उच्च पद के
अधिकारियों को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाता है। लेकिन सरकार के पास
इतने सक्षम श्रम कल्याण अधिकारी ही नहीं है कि आधे न्यायालयों में भी उन की
नियुक्ति की जा सके। जिस के कारण एक एक अधिकारी को दो या तीन न्यायालयों
और कार्यालयों का काम देखना पड़ता है। वे एक जिला मुख्यालय से दूसरे जिला
मुख्यालय तक सप्ताह में दो-तीन बार सफर करते हैं और अपना यात्रा भत्ता
बनाते हैं। न्यायालय और कार्यालय सप्ताह में एक या दो दिन खुलते हैं बाकी
दिन उन में ताले लटके नजर आते हैं क्यों कि कई कार्यालयों में लिपिक और
चपरासी भी नहीं हैं जो कार्यालयों को नित्य खोल सकें। जो हैं, उन्हें भी
अपने अधिकारी की तरह ही इधर से उधर की यात्रा करनी पड़ती है।
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अलविदा!...हम चल दिए...मेरी माला,मेरे मोती...जाना तो है सभी को एक दिन...तो हम क्यों न आज ही चल दें... कहा-सुना- लिखा माफ हो दोस्तों... आप यहाँ बने रहिए खुशी से... हमें तो बस इजाजत ही दें.... |
बाहरी फिल्मो में उभरती भारत की गन्दी तस्वीर
जब आमिर खान का एक चलचित्र लगान साल २००२ के लिए आस्कर में नामांकित हुई तो जैसे पूरे देश में एक बहस सी छिड़ गयी कि आखिर भारत को अभी तक कोई आस्कर क्यों नही मिला ,हलाकि लगान भी ये करिश्मा नही कर पाई .
मुझे अमिताभ बच्चन की एक बात आ रही है जिसमे उन्होंने कहा कि आप अपनी फ्लिम में भारत कि गन्दी तस्वीर दिखायो आस्कर मिल जायेगा युवा पहलउनकी ये बात सच भी हुई जब स्लमडॉग मिलिनियर को कुल मिलकर आठ आस्कर मिले , |
*उ**स** रात एक भी बीमार की मौत नहीं हुई!*
*18,* *मार्च **1904*
वकालत के साथ-साथ गांधी जी का समाज सेवा का काम भी चल ही रहा था। उनका सबसे
प्रमुख काम ग़रीब भारतीयों को संरक्षण प्रदान करने का था। ऐसे लोगों में
अधिकांश अनुबंधित मज़दूर थे। उन प्रवासी भारतीयों को *“कुली”* कहकर पुकारा
जाता था। उन्होंने अपनी ज़मीन की बेदखली की मीयाद भी पूरी कर ली थी।
जोहान्सबर्ग के बाहर की तरफ़ इनकी बस्ती थी, जिन्हें *“कुली लोकेशन”* कहा जाता
था। इनके अधिकांश बासिंदे निर्धन और मासूम लोग थे। लोकेशन का मालिकी पट्टा तो
म्युनिसिपैलिटी ने लिया था, लेकिन अभी वहां रहने वाले भारतीयों को उ
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शारीरिक सम्बन्ध Sexual RelationshipHAKEEM YUNUS KHAN
आज के युग में शादियाँ
होती हैं देर से और युवा को कम से कम १० -१५ वर्ष इस भूख को सहन करना
पड़ता है | लोग अजीब अजीब हल निकल लेते हैं इस भूख को खत्म करने का और
इन्तेज़ार किया करते हैं कब उनको भी एक साथी मिले | आज के खुले माहौल में
युवाओं से यह आशा करना कि वो सब्र करेंगे बेवकूफी के सिवाए कुछ भी नहीं है |
हाँ बहुत से ऐसे हैं जो सब्र करते हैं और सही वक्त का सालों इन्तेज़ार कर
लिया करते हैं | ऐसे लोगों कि संख्या दिन- ब -दिन अब कम होती जा रही है |आज
के खुले माहौल में तो यह और भी मुश्किल होता जा रहा है |
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panchnamaहमारा आज
थक चुके क़दमों से नहीं चला जाता मंजिल की ओर,
नहीं गाया जाता अब जीवन का वैभव गान .......... भूल चुके अब मनस्थ राग विराग ; सपनों का जाल अब और नहीं बुना जाता ... तारों के प्रतिबिम्बा में नहीं खोज पाती अब अपनों को ; मूक हुआ ह्रदय संगीत ,राग हो चले सभी मौन ; थक चुके क़दमों से नहीं चला जाता मंजिल की ओर; |
ब्लॉग-विलासी दुनिया में-रविकर की रसीली जलेबियाँब्लॉग-विलासी दुनिया में, जो जीव विचरते हैं ।
सुख-दुःख, ईर्ष्या-प्रेम, तमाशा जीते-करते हैं ।।
"आभा मण्डल "
Sushil at "उल्लूक टाईम्स "
भीतर से तन खोखला, मन को खला विशेष ।
आभा-मंडल ले बना, धर बहुरुपिया वेश ।
धर बहुरुपिया वेश, गगरिया छलकत जाए ।
बण्डल-बाज भदेस, शान-शौकत दिखलाए ।
रविकर सज्जन वृन्द, कर्मरत हो मुस्काते ।
उपलब्धियां अनेक, किन्तु न छलकत जाते ।।
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जवाब देंहटाएं♥
आप सब को
नमस्कार !
चर्चामंच का यह अंक भी सराहनीय है…
साधुवाद आपको !
कई लिंक पर जाता रहा हूं ,
आज भी सभी जगह पहुंचने का प्रयास रहेगा …
आप सबको साथ ले'कर चलते हैं ।
आपके माध्यम से आम ब्लॉग पाठक निकट आते हैं , इसका श्रेय आपको है !
हार्दिक शुभकामनाएं !
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
चर्चामंच के पाठकों को मेरी एक नज़्म पढ़ने का आमंत्रण है …
जवाब देंहटाएंइक रात को यादों के क़ासिद ने कुंडा दिल का खटकाया !
फिर… शहनाई थी, मातम था, …और आंसू थे, अफ़साने थे !
फिर… मिलन-जुदाई की घड़ियां थीं, …और बेबस दीवाने थे !
पधारिए …शस्वरं पर
मुझे तो आदत सी होगई है सुबह सुबह चर्चा मंच देखने की |ऐसा लगता है कि यदि नहीं देखा तो सारा दिन बेकार चला जाएगा |आज की चर्चा भी शानदार है |
जवाब देंहटाएंआशा
"महा भड़ासी और भड़ास ब्लाग के पितामह डॉ.रुपेश श्रीवास्तव नहीं रहे."
जवाब देंहटाएं़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
श्रद्धांजलि !!!
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
बहुत कुछ है खास
निखर के आ रहा है
आपका नया अंदाज
चर्चामंच का आगाज़
आज कर गया
मन को उदास!
लिंक शामिल किया उसका आभार !!
पाँच दिनों तक देहरादून में रहा! आज खटीमा आ गया हूँ!
जवाब देंहटाएं--
रविकर जी आपने बहुत बढ़िया चर्चा की है!
--
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी को श्रद्धांजलि!
अत्यन्त रोचक सूत्र..
जवाब देंहटाएंडॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी को श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंडॉ रूपेश श्रीवास्तव जी को श्रद्धांजलि .
जवाब देंहटाएंसुन्दर व संयत चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रोचक सूत्र संकलन,....
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
बहुत अच्छे लिंक्स इकट्ठा किए हैं आपने। आभार मुझे भी स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएं"महा भड़ासी और भड़ास ब्लाग के पितामह डॉ.रुपेश श्रीवास्तव नहीं रहे."
जवाब देंहटाएंSad news indeed. Rest in peace !!
भड़ास ब्लाग के पितामह डॉ.रुपेश श्रीवास्तव नहीं रहे...बहुत दु:खद समाचार!..ईश्वर उनकी आत्माको शांति बक्षे!
जवाब देंहटाएं....अन्य सभी लिंक्स बहुत बढ़िया है!....आभार!
मौत कि याद दिलाने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंयह हमें सार्थक कर्म की प्रेरणा देती है.
आपकी पोस्ट मे दम है.
आपका स्वागत है.
चर्चा मंच के इस स्तरीय अंक के लिए .बधाई स्वीकार करें .
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
http://veerubhai1947.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.html#comments
jankar dukh hua ruprsh ji nhi rahe,bhagwan unki aatma ko shanti de...
जवाब देंहटाएंAap ne mere blog ko yaha jagah di iske liye bahut bahut dhanywad
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर सार्थक चर्चा प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार
Great links...Thanks Sir.
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा दिल को भा गयी.
जवाब देंहटाएंडॉ रूपेश जी को श्रद्धांजलि ...
जवाब देंहटाएं