शुक्रवार की चर्चा का व्यू-काउंट 200 पार हुआ ।
पाठक-गण !!
चर्चामंच आपका आभार व्यक्त करता है ।।
परन्तु रिकार्ड 412 का है-
गुरु-जी के नाम
मंदी के इस दौर में, सेक्स कोर्स प्रारंभ ।
वेलेंसिया स्पेन में, पागल मानव दंभ ।
पागल मानव दंभ, होय एडमिशन लागे ।
वेश्यावृत्ति सीख, भाग्य निज छलें अभागे ।
माता-पुत्र दलाल, पिता पुत्री छल-छंदी ।
निकृष्ट भौतिक सोच, दूर करते हैं मंदी ।।
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कोना मदर डे हैप्पी ?
जगदानंद झा 'मनु' अपन गाम अपन बात
आब केहन जमाना आबि गेल
बर्ख में एक्के दिन
माय कए यादि करै छी,
'मदर डे' कए नाम पर
माय कए याद करै छी
की हुनक सुखएल घा कए
काठी कय क' जगाबै छी |
हम बिसैर गेलहुँ
अपन माय कए
मुदा ओ नहि बिसरली,
जाहिखन हुनका भेटलैन्ह
सुन्दर कार्ड 'हैप्पी मदर डे' लिखल
भेलैन्ह करेजा तार-तार
नोर टघैर क'
अपन स्पर्श सँ
गाल कए छुबैत
हुनक करेजा तक चलि गेल
आ करेजा में बंद
महामाय कए कोंढ़ सँ
सोनित में डुबल शव्द निकलल
आह!
की ई हमर ओहे लाल ?
जेकरा पोसलौं खून सँ
पाललहुँ अपन दूध सँ
अपने सुतलहुँ भिजल में
ओकरा लगेलहुँ करेज सँ |
आई
चारि बर्ख सँ भेटल नहि
रहि रहल अछि परदेश | यूरेकाजो नंगा है , वही चंगा है ..... |
मुद्दों की रुपहली फ़िल्म ना बन जाए ‘सत्यमेव जयते’
अनुराग मुस्कान का ब्लॉग..
जहां किसी
न्यूज़ चैनल का रिपोर्टर किसी भी ज्वलंत मुद्दे की रिपोर्टिंग करते हुए उस मुद्दे
से जुड़े सवालों का जवाब संबंधित अधिकारी अथवा विभाग से लेने की ज़िद में थानों,
चौकियों, जेलों, मंत्री निवासों और पीएमओ के बाहर भूखा-प्यासा डटा रहता है और
अंततः जवाब लेकर ही दम लेता है, उन मुद्दों को लेकर आमिर इस शो के अंत में कहते
हैं कि वो अमुक विषय से संबंधित अधिकारी को इस विषय में कार्यवाई करने के लिए
चिट्ठी लिखेंगे। उनके इसी क्लोज़िंग नोट से शो की सार्थकता का आकलन किया जा सकता
है। जहां दो अहम मुद्दों को लेकर अन्ना और रामदेव को सकड़ों पर निकलकर अनशन करके
संघर्ष करना पड़ रहा है, वहां अगर आमिर की चिट्ठी काम कर जाए तो बात ही क्या है।
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आप सबसे पहले तो माफ़ी चाहता हूं कि अमर वचन का सिलसिला मेरी व्यस्तता के चलते बीच में टूट गया था...डॉक्टर अमर कुमार के
हमारे बीच से गए करीब नौ महीने हो गए हैं...लेकिन इन नौ महीनों में
मैंने रोज़ाना अपने दिवंगत पिता को याद किया तो डॉक्टर साहब रिफ्लेक्स एक्शन कीतरह खुद-ब-खुद हमेशा मेरे ज़ेहन में आते रहे...
टिप्पणियों के रूप में उनके अनमोल शब्दों को अपने ब्लाग की मैं सबसे बड़ी धरोहर मानता हूं...
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सुंदर दिखने की चाहत और आंतरिक दमक |
इससे बेहतर है कि कार्टून बनाना-छापना बैन कर दीजिए |
भारत के महान वैज्ञानिक (Famous Indian Scientists - Popular Indian Scientists - Great Indian Scientists) |
लोग जो भी कहें, ब्लागजगत ने मेरी सोच ,अनुभव और ज्ञान को जो नए आयाम दिए हैं उसके लिए मन में कृतज्ञता के भाव ही उठते हैं ....मानव व्यवहार के कई अबूझ पहलुओं को नजदीक से जानने समझने का मौका दिया . कई मिथों को तोडा है और ऐसी सीखे दी हैं जो शेष जीवन के लिए बड़ी उपयोगी हैं .कितने ही नए चाहे दोस्त दिए हैं तो अनचाहे दुश्मन भी ...सहिष्णुता दी है ,सहने की क्षमता दी है ,अगले को सुनंने का धैर्य दिया है.नयी सीखे दी हैं और यह भी बताया है कि हमारी औकात की लक्ष्मण रेखाएं क्या हैं . मैं २००७ के आस पास अंतर्जाल से सक्रिय रूप से जुड़ा...अब दिन तारीख समय याद करने का काम कोई दूसरा कर रहा है तो काहे. |
हाइगा |
इति हैप्पी मदर्स डे ! |
फिर मैं कैसे अव्यक्त को व्यक्त कर सकती हूँ......
माँ .....मातृ दिवस ...मुबारक हो
जिस माँ ने, छोड़ा न तुझे
दुखों और तकलीफों, में एक दिन
उसी माँ के वास्ते, तुझ को मिला
याद करने के लिए, साल में सिर्फ एक दिन
मकामो मर्तबा तुझ सा किसी का हो नही सकता ,
तेरे अहसान का बदला तो अदा हो नही सकता .
जिसे गिरा दे तू एक बार अपनी नज़रों से ,
पूरी दुनिया में कोई उसका सगा हो नही सकता.
| "हैप्पी मदर्स डे""उल्लूक टाईम्स "*गाय भी माता कहलाती है सूखी हरी जैसी भी मिले घास खा ही जाती है दूध की नदियाँ बहाती है दूध देना बंद करती है तुरंत कसाई को बेची जाती है कुछ नहीं कहती है चुपचाप चली जाती है इसी तरह कई प्रकार की माँऎं संसार में पायी जाती हैं माँKashish - My Poetry
नहीं महसूस हुआ तुम्हारा भार
जब भी उठाया गोदी में,
पकड़े रही उंगलियां
कहीं भटक न जाओ,
जब भी आये रोते
लगा लिया कंधे से.
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|| माँ ||
शिवम् मिश्राबुरा भला
खट्टी चटनी - जैसी माँ
याद आती है चौका - बासन
चिमटा , फुकनी - जैसी माँ ||
बान की खुर्री खाट के ऊपर
हर आहट पर कान धरे
आधी सोयी आधी जागी
थकी दोपहरी - जैसी माँ ||
"माँ दुनिया की जननी-जाता" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मातृ दिवस पर सभी माताओं को हार्दिक नमन!
Chanakya,,,,,,, जब आत्मा के तार जुड़ जाएँ
*Chanakya*........
"जिससे आत्मा के तार जुड़ जाते हैं ,
फिर उसे देखने
के लिए आँखों की आवश्यकता नहीं पड़ती ...."
- *चाणक्य*
* जेय माँ भारती जेय माँ भारती *
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होती क्या है टीके की दवा वैक्सीन ?होती क्या है टीके की दवा वैक्सीन ?कैसे काम करती है और क्या कुछ खतरे भी हो सकतें हैं इसके इस्तेमाल से ? वैक्सीन या टीके की दवा एक जैविक नुस्खा है एक 'Biological preparation ' है .ख़ास बीमारियों से बचाव के लिए ख़ास टीके तैयार किये जाते हैं . यह व्यक्ति की रोग -प्रतिरोधन क्षमता इम्युनिटी को बढातें हैं . इनमे मौजूद रहता है एक सक्रिय क्रियाशील अभिकर्मक ,एक एक्टिव एजेंट यह बीमारी पैदा करने वाली सूक्ष्म जैविक आवयविक संगठन (सूक्ष्म जीव ,रोगकारक ) Microorganism का ही प्रति रूप होता है .अकसर यह रोग पैदा करने वाले माइक्रोब्स के कमज़ोर रूप(weakened form) या मृत रूप(killed form ) से ही तैयार क.. |
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच -BHRAMAR KA DARD AUR DAओ माँ ओ माँ ..प्रेम सुधा रस प्राण-दायिनी जान हमारी "माई" है
प्रेम सुधा रस प्राण-दायिनी जान हमारी "माई" है
ओ माँ ओ माँ ...........
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मै अनभिज्ञं रहा था कुछ दिन नाल तुम्हारे लटका
अंधकार था सोया संग -संग साथ तुम्हारे
भटका
चक्षु हमारे भले बंद थे -साथ रहा हंसता
रोता
तेरा सहारा -भोजन ले मै -खून भी लेकर पला -बढ़ा
तेरे दुर्दिन -कड़े परिश्रम -आह-आह तेरा
करना
दोल रहा था साक्षी बन मै मन ही मन रोया
करता
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चटनी का स्वाद
गांधी जी बोले, “आपको भी चटनी चाहिए?” उन्होंने एक चम्मच चटनी महाराजा की
थाली में डाल दी। महाराज ने स्वाद लेने की अधीरता में ढेर सारी चटनी एक बार
में ही मुंह में भर लिया। मुंह में चटनी के जाते ही उनके मुंह का स्वाद
बिगड़ने लगा। उन्हें अब न तो निगलते बन रहा था और न ही उगलते। उन्होंने
पूछा, “बापू ये चटनी तो बहुत कड़वी है। नीम की है क्या?”
बापू ने कहा, “हां, नीम की ही है। मैं तो सालों से इसे खा रहा हूं। आप भि
अगर अपने मुंह का स्वाद नहीं बदलेंगे, तो आन्दोलन के कष्ट को कैसे भोग
सकेंगे।”
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कोढ़ियों के मिस्ल होगा यह समाज
ज़ुल्मो-सितम को ख़ाक करने के लिए,
लाज़िमी है कुछ हवा की जाय और। उस लपट की ज़द में तो आएगा ही; बाबा या नाती या चाहे कोई और।। एक जब फुंसी हुई ग़ाफ़िल थे हम, शोर करने से नहीं अब फ़ाइदा। अब दवा ऐसी हो के पक जाय ज़ल्द; बस यही है इक कुदरती क़ाइदा।। |
सुन्दर चर्चा! कुछ कड़ियाँ पढ लीं कुछ अभी पढी जायेंगी। आभार!
जवाब देंहटाएंबहु आयामी विचारों भरी चर्चा ,विशेष रूप से मात्री-दिवस पर उमड़ता प्यार ,सराहनीय है .......देर आये दुरुस्त आये ....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुआयामी, चहकती-महकती चर्चा करने के लिए रविकर जी आपका आभार!
जवाब देंहटाएंnice.
जवाब देंहटाएंचर्चामंच को आकर
जवाब देंहटाएंदेखने वाले कितने थे
देख कर आये हैं
टिप्पणी लिखने वालों
को भी गिन लाये हैं
चर्चाँमंच की सांख्यिकी
आज हमें पढा़ये हैं
रोज का काम पर
नहीं भूल पाये हैं
सुंदर सुंदर लिंको
की पिटारी साथ
जरूर दिखाये है
रविकर तेरे
आभारी हैं हम
हमारा लिंक भी
जब आप उठाये हैं ।
बहुत अच्छे लिंक हैं, चर्चा मंच का स्तर उतरोत्तर बढ़ता रहा है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार !
abhinav......badhaai
जवाब देंहटाएंइन दिनों व्यस्तता की वजह से कई ब्लॉगों पर जाना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में,ऐसी चर्चा ही काम आती है।
जवाब देंहटाएंsundar charcha nice sootra aabhar
जवाब देंहटाएंपढ़ने, पढ़वाने का क्रम नित बढ़ता रहे, सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंठीक है चर्चा
जवाब देंहटाएंवाह! आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है आपने ...आभार ।
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi aur vistrut charcha ji .. badhayi
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति,..रोचक लिंक्स,.....
जवाब देंहटाएंbadi acchi link hai aj.poora charchamanch ma ko samrpit ..bahut accha laga padhkar
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति
आभार!
रिकार्ड के साथ सुंदर चर्चा............
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसमग्र चर्चा
बहुत ही व्यापक कलेवर वाली चर्चा आई है ,
जवाब देंहटाएंहर तरफ माँ छा आई है ,
आज बचपन की याद आई है .
बहुत ही व्यापक कलेवर वाली चर्चा आई है ,
जवाब देंहटाएंहर तरफ माँ छा आई है ,
आज बचपन की याद आई है .
आसमानी आलम है मुहब्बत है आजमाइश की खुशबू भी..
जवाब देंहटाएंलगता है 'चर्चा' ने जियारत सा सुकून पाया है....!
आप सभी कलमकारों को आदाब, और 'गाफिल' साहब को मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए अतिरिक्त शुक्रिया भी!
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएं