पेश है मेरी शनीचरी चर्चा! लेकिन इसमें मेरा कुछ नहीं है, सब कुछ तो आपकी प्रविष्टियों से ही लिया है मैंने! |
3 मई 2012 * * हमारी शादी की पेंतीस्वी वर्षगाँठ * * बाहों में बाहें थाम प्रिये हम कितनी दूर निकल आये.. चर्चा मंच परिवार की ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! |
*एक* बार फिर 'विशेषाधिकारों' का हनन हो गया है ! *'रामदेवजी'* ने वही बात कही जो कमोबेश देश का जन-जन जानता है,और बहुत हद तक ... !! हंगामा है क्यूँ बरपा...!! |
कांटे से ही कांटे को निकाला मैंने …. जिस्म को बेइंतिहाँ उछाला मैंने बिखरकर खुद को संभाला मैंने . बेदर्द का दिया दर्द सह नहीं पाया पत्थर का एक ‘वजूद’ ढाला मैंने . |
*भारत ....... धर्मं और राजनीति के धंधे की उर्वरा भूमि............. आज भारत में दो धंधे सोने की खान साबित हो रहे हैं.... |
पीये और पिलाए नहीं तो क्या किया? पीकर भी जो लड़खडाए नहीं, तो क्या किया? तुम्हारी आशिकी शक के दायरे में है … |
भोजन द्वारा स्वास्थ्य केला: ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है, हड्डियों को मजबूत बनाता है... |
महाबीर बिनवउँ हनुमाना, राम जासु जस आप बखाना * हनुमान जी का चरित्र अति सुन्दर,निर्विवाद और शिक्षाप्रद है, उन्ही के चरित्र की ...हनुमान लीला भाग-4 |
*है!..... कुछ नए-पन की तलाश!* *नहीं है कोई नया विचार... * *सामने रखने के लिए मेरे पास!* *सब कुछ पुराना है.. जाना पहचाना है...* *जो भी संजोया हुआ है...... |
एक हतोत्साहित व्यक्ति बहुत ही सुस्त हो जाता है, उसे प्रसन्नता का आभास नहीं होता, वो समझता है कि अपने कार्यों के लिए उसके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा नहीं है,.. |
बस....एक अंतिम गांठ.. और उसके बाद अपने दुपट़टे को बांध दूंगी उस पक्की सड़क के किनारे वाले बरगद की सबसे उंची शाख पर परचम की तरह... जहां से उम्र गुजर जाने तक... |
नीम-निम्बौरी हर बार, पहले से हमें कमजोर पाओगे यहाँ परदेसी बेटे से - कंटकाकीर्ण उस कठिन पथ पर । चलता रहा गोदी उठाकर । अक्षरों की भीड़-भारी- निर्भय किया- परिचय कराकर |
उपासना की बजाय वासना का केंद्र बना चर्च? केरल के एक अंग्रेजी अख़बार में एक पूर्व नन सिस्टर मैरी चांडी की आने वाली पुस्तक के कुछ अंश क्या छपे, बवाल मच गया। |
आज तो लग रहा है सबके कहो या अपने ऊपर ये ही फ़िट बैठेगा ना किसी की आँख का नूर हूँ ना किसी के दिल का सुरूर हूँ …… ऊँ ऊँ ऊँ एक बेचारा आयोजन का मारा ब्लॉगर... |
मैं अपनी पलकों पर तुम्हारे इशारों के जाल बुनता हूँ...... तुम्हारे ख्वाबों की उड़ान में साथ-साथ उड़ता हूँ....... सहेजता हूँ तुम्हारी मिठास, मन के ...कि.....मैं तुम्हें.... |
आनलाइन बायफ्रेंड *शानू के लेपटाप की स्क्रीन पर चेट बाक्स में लिख कर आता हे, जानू वेट १५ मिनेट में आता हूँ. जरा लंच कर लूँ.* *शानू भी तेजी से टाइप करती हे - ओ.के.* *आज ... |
वो दुश्मन घर उत्तीर्ण हुई (1) वात पित्त कफ बन गए, द्वेष प्रपंच घमंड । धन-दौलत कर ली जमा, कर समाज शत-खंड | सब कुछ लिया बटोर | चल दिल्ली की ओर । खादी तन-पर डाल के, हाँक रहा बरबंड || ... |
बेसुरम् तीन-पांच पैंतीस, रात छत्तिस हो जाती पाठ पढ़ाती पत्नियाँ, घरी घरी हर जाम | बीबी हो गर शिक्षिका, घर कक्षा इक्जाम | घर कक्षा इक्जाम, दृष्टि पैनी वो राखे | गर्दन करदे जाम, जाम रविकर कस चाखे ... |
तिलहन,दलहन और दुल्हन लोग क्लोरोस्ट्राल से घबराते है इसलिए तेल कम खाते है फिर भी तेल के दाम बढे जाते है उपज कम है,इसलिए ,मंहगी है तिलहन भी सब तरफ दाल में काला ही काला ... |
ये मन न पछताए .. *देख एक सुन्दर बाला को *मेरा मन हुआ कुछ ऐसा * * काश ! इतनी लम्बी खूबसूरत हम भी होते , लम्बी नाक रूप बेशुमार से कुछ हमको भी... |
बा -अदब *जब रोशनी दिखी, तो आफ़ताब कह लिया ,* *न हो सका जो अपना,उसको ख्वाब कह लिया-* *सुरमा लगाऊं आँख में कोशिश मेरी हुयी ,* *लग गया कपोल में... |
क्या यही प्रेम परिभाषा है ? *तुझसे लिपट के........... तुझी में सिमट जाऊं * *भुला के खुद को.......... तुझपे हीं मिट जाऊं * *ये कैसी तेरी चाहत ? ये कैसा है प्यार सखे ? |
*गांधी और गांधीवाद-**113* *“ “भाई” के नाम से संबोधन उन दिनों दक्षिण अफ़्रीका में डेढ़ लाख भारतीय बसते थे। *54-96* ज़्यादातर लोग खदानों में काम करते थे। |
एक घिनौना सच... सेक्युलर पाखंडियों के लिए.... फिरदौस खान का थप्पड़ , अश्लीलता के पुजारियों के मुंह पर.... |
अपने को राजपूत कहते हो ? एक गांव में प्रतापनेर गद्दी के राजा भेष बदल कर गये और एक दरवाजे पर पडे तख्त पर बैठ गये। गांव राजपूतों का कहा जाता था। सभी अपने अपने नाम के आगे सिंह लगाया करते... |
जिंदगी का काम ही है अनवरत चलते जाना, ये जो रुक ही जाये तो जिंदगी जिंदगी कहाँ; लगा रहता है जिंदगी में लोगो का आना-जाना, ना आये जाये कोई तो जिंदगी जिंदगी कहाँ ... |
समर्पण ... "आज उनसे पहली मुलाकात होगी " *आज मुझे उससे मिलना हैं * कार दौड़ रही हैं ... और उससे भी तीव्र गति से मेरा मन दौड़ रहा हैं .. |
लोकतंत्र के गुनाहगार बाबा रामदेव माफ कीजिएगा मैने बाबा रामदेव लिख दिया, चलिए सुधार लेता हूं यानि लोकतंत्र के गुनाहगार रामदेव। मेरे साथ ही आज देश में करोडों लोग ऐसे हैं जिन्हें रामदेव के आगे बाबा लिखने पर आपत्ति है। मुझे तो उनके भगवा वस्त्र पहनने पर भी कड़ी आपत्ति है, लेकिन मैं अपने विचार किसी पर भला कैसे थोप सकता हूं। दरअसल एक समय था जब लोग भगवावस्त्र का बहुत सम्मान करते थे, लेकिन अब तो ये वस्त्र सुविधा का वस्त्र बनकर रह गया है, संकट आए तो ये वस्त्र त्याग कर महिला का सलवार शूट पहना जा सकता है....। |
अहिंसा से भी लोग हिंसा कर देते हैं तो फिर ऐसी अहिंसा किस काम की. हित दिखाकर भी लोग अहित कर देते हैं तो ऐसा हित किस काम का.... |
देवरहा बाबा जी का प्रासाद बनारस में हम सब परिवार के सदस्य नाव से रामनगर का किला देख कर आरहे थे , साथ वाली नाव से हमें देवरहा बाबाजी का बर्फी का प्रासाद मिला... |
राष्ट्र बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। वैसे कोई दौर ऐसा नहीं होता, जब हमारा राष्ट्र नाजुक दौर में नहीं होता। हमारे राष्ट्र के लिए हर दौर नाजुक रहा है। खैर... आओ चुनें राष्ट्र का पति! |
झंझट के झटके आँसू आँखों में आ न सके | होठ भी कुछ बता न सके | बस खता है निगाहों की यह , बात दिल की छुपा न सके | |
acebook पे हम ! विभिन्न लुभावनी बदलती display picture के साथ यहाँ नजर आते हैं हम । उस पर दिखते likes की संख्या से अपने को खुश करते हैं हम । |
ब्लॉग-लेखन में चार वर्ष की यात्रा बुजुर्गों को अकसर कहते सुना है कि समय की गति बहुत तेज है, कई बार इसे अनेक रूपों में देखा और महसूस किया है। हमारे देखते-देखते समय इतनी तेजी से ... |
अधूरी कुछ अधपढ़ी किताबें , कुछ अधूरे लिखे ख़त , कुछ बाकी बचे कामों की लिस्ट के साथ आँख बंद करके लेटी मैं .... सोच रही हूँ आज किसी अधूरे सपने को पूरा कर लूं .. |
भ्रष्टाचार महिमा बार बार करें यातरा, रह रह रणभेरी बजाय पर भ्रष्टाचारी दानव को, कोई हिला ना पाय कहीं गड़ी है आँख, कहीं और तीर चलाय पर भ्रष्टाचारी दानव की, |
मर्ज ... सच ! जी तो चाहता है, किसी दिन, 'हू-ब-हू' तुझे ही पोस्ट कर दूं पर, बेहिसाब लाईक-औ-कमेन्ट के डर से, दिल हामी नहीं भरता ! ... |
पानी! पानी! लहरो। अंतरघट के बन्द कोष्ठ सब थिर है रिक्त अतल सूखे हैं होठ। पानी! लहरो। बाढ़ अगम हिय खार समुद्र सम तनु कर तन सान्द्र साध संतुलन सम। पानी! लहरो। |
आज के लिए बस इतना ही! कल फिर मिलूँगा कुछ नई चर्चाओं के साथ! |
bahut sundar ...
जवाब देंहटाएंek prasanshaneey charchaa ... prasanshaneey links ... jay ho ...
जवाब देंहटाएंबिखरे हुवे मोती आज की चर्चामंच में बहुत शानदारी से पिरोये गये हैं। आभारी हूँ मेरी पृविष्टी को जगह देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंअच्छा सन्देश |
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा |
शुभकामनायें ||
टिप्पणियां दे कर चले, खले दले संताप |
मित्र अगर सहमत नहीं, निकल चलें चुपचाप |
निकल चलें चुपचाप, क्लेश क्यों विकट बढ़ाना |
दूजा रस्ता नाप, ढूँढ़ ले और ठिकाना |
जीवन के दिन चार, यार कुछ कर ले बढ़िया |
शब्दों का व्यापार, मत कर तल्ख़ टिप्पणियाँ ||
रंगबिरंगी चर्चा में 'कलमदान ' में भी रंग भरने के लिए धन्यवाद ..
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स पर गौर फरमाएंगे..
कहतें है मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का पूजन जरूर करना चाहिये.आपने अपनी शनिश्चरी चर्चा में मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' की पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-४' को शामिल किया,यह अति सुन्दर बात है.
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा का रूप अनुपम है.
बहुत बहुत हार्दिक आभार शास्त्री जी.
आपकी चर्चा का रूप अनुपम है. हार्दिक आभार जी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...बधाई
जवाब देंहटाएंachche achche links se charcha sajai gayi hai achcha laga yahaan aakar :)
जवाब देंहटाएंरुचिकर लिंक्स से सजा चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंआशा
ओह ढेर सारे लिक्स
जवाब देंहटाएंसभी एक से बढकर एक
बहुत सुंदर चर्चा
सभी लिंक्स बहुत सुन्दर है!...सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...डॉ.शास्त्री का हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...बहुत रोचक चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंभाई जी , आपका आभारी हूँ मेरी रचना को अपने ब्लॉग पर व अपने दिल में जगह दी .आपका दिल से शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंThanks for providing useful links.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
bahut achche links laye hain.....uspar ek shukriya bhi.
जवाब देंहटाएंbahut sunder charcha ,acche links
जवाब देंहटाएंढेर सारे बेहतरीन लिंक्स मिले।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा.....और आपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक्स,सुंदर प्रस्तुति,के लिए बधाई,.....शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST .....फुहार....: प्रिया तुम चली आना.....
सुंदर चर्चा से हुआ सराबोर शनिवार
जवाब देंहटाएंरूप चंद्र जी शास्त्री, नमन करें स्वीकार.
dhanywaad ..meri kavita ko sathan dene ke liae ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका>>आपके इस मंच से व्यापक पहुँच बन जाती है कई ब्लोग्स तक....साधुवाद आपको
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