"आठ दिवस के वास्ते, रविकर चले प्रवास। आशा है वो आयेंगे, मिलने मेरे पास।।" मित्रों शनिवार आ गया और मैं भी आ गया! आपके अवलोकनार्थ अपनी पसंद के कुछ लिंक लेकर। नवाबिन और कठपुतली ! *पहनकर नकाब हसीनों ने, कुछ पर्दानशीनों ने, गिन-गिनकर सितम ढाये,बेरहम महजबीनों ने ! हर पल इस तरह गुजरा, वादों की बौछारों से, हफ़्तों को दिनों ने झेला, सालों को महीनों ने ! -- नयी विन्डो 8 खास खूबियों के साथ माइक्रोसॉफ्ट ने काफी दिनों पहले लांच कर दी है इसे डाउनलोड करने के लिए... आप यहाँ आइए! -- हर वक़्त नया सदमा देती है ज़िन्दगी हम ज़िन्दगी से क्या शिकवा करे आप जैसे दोस्त भी तो देती है ज़िन्दगी.... -- हमारे ब्लॉग खुश्बू से लिया गया ..आप सब के आशीष हेतु ... -- लीजिए आज का बेहद खूबसूरत एवं मधुर गीत सुनिए और दिन भर मीठी यादों में खोये रहिये ! -- मेरी जान निकल जाएगी बड़ा मस्त अंदाज है, सीधी साधी बात | अट्ठाहास यह मुक्त है, मुफ्त मिली सौगात.... | -- फेसबूक के सी ई ओ मार्क जुकरवर्ग ने हाल ही मे फेसबूक पर यह भले ही घोषणा की है कि वे विवाहित हैं, ब्रिटेन के एक सर्वे के अनुसार दुनिया भर के तलाक़ों के पीछे... -- तुम्हें मैने बांध लिया है बंधन में शब्दों से उन भावनाओं पर जड़ दिया है स्नेह का ताला उसकी चाबी को उछाल दिया है... -- सुना है जब देश आज़ाद हुआ रुपया डॉलर पौंड का भाव समान था फिर कौन सी गाज गिरी क्यों रुपये की ये हालत हुयी किस किस की जेब भरी किसने क्या घोटाला किया ... -- दिलबाग विर्क जी ने अपनी प्रकाशित पुस्तक'माला के मोती' मुझे भेंटस्वरूप भेजी है| मैंने इस पुस्तक की समीक्षा लिखी है|* *प्रस्तुत है उसी पुस्तक के कुछ हाइकु... -- रास्तों के सफ़र में ये बाज़ार की भीड़ है मंजिल खेगी कहाँ ।। -- O B O द्वारा आयोजित "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक -१४ -- वर्तमान है नया-नवेला, कल को होगा यही पुराना। जीवन के इस कालचक्र में, लगा रहेगा आना-जाना।।... -- -- यूँ तो समूची सिक्खी ही शहादत व आत्म निरीक्षण का दतावेज है ,उसके अंगों पर जब हम दृष्टिपात करते हैं , रहस्य, रोमांच और अविस्वसनिय क्षितिज के दर्शन होते हैं / सिक्खी के विषद स्वरुप की व्याख्या की सामर्थ्य तो मुझमें नहीं है ,परश्रद्धांजलि स्वरुप पांचवें गुरु अर्जन देव जी की शहीदी दिवस की पूर्व संध्या पर हृदय से अपने श्रध्दा सुमन अर्पित कर रहा हूँ ,इस विनम्र अरदास के साथ की , सच्चे पातशाह ! मुझे इतनी सामर्थ्य देना की अपने हर जन्म में, आप जी दे बनाये रस्ते पर ,चल तेरी शान में ,अपने को कुर्बान कर सकूँ / पांचवीं पातशाही को आप जी ने सुशोभित किया ... -- पैट्रोल दाम में बढ़ोत्तरी,जनता की भलाई!-- पैट्रोल के दाम जब से हैं बढे़ मुझे अभी तक नहीं दिखाई दिये किसी के कान खड़े कल शाम मैंने सोचा आज जब मैं सड़क के रास्ते से जाउंगा गाडि़या स्कूटर मोटरसाईकिल सब गायब पाऊँगा।... -- आइये पहले समझें क्या है गोपनीय जीव -विज्ञान.... -- विसंगति - एक बच्ची के कन्धों पर, स्कूल के कंधे का बोझ है एक बच्ची घर के लिए, पानी भर कर लाती रोज है एक को ब्रेड,बटर,... -- वर्षों हमने की है मुहब्बत, नूर अभी तक आँखों में फिर कैसी है आज अदावत, नूर अभी तक आँखों में... -- पँखा - एहसान तो कुत्ते पर भी बहुत होते हैं, उसको लाड़ भी बहुत मिलता है, लेकिन वह दुम हिला देता है... -- मेरे देश के नालायक नेताओ ! तुम किसी काम के नहीं हो........... महंगाई डायन तुम्हें खाती नहीं है गरमी से भी जान जाती नहीं है रेल हादसे तुम्हारा कुछ बिगाड़... -- जी चाहता है विद्रोह कर दूँ अबकी जो रूठूँ कभी न मानूँ मनाता तो यूँ भी नहीं कोई फिर भी बार बार रूठती हूँ हर बार स्वयं ही मान जाती हूँ... -- जिसका जूता है और जिसका पाँव है, पता तो उसी को होगा न कि कहाँ काट रहा है और कितना। शेष जन या तो सहानुभूति जता सकते हैं या फिर शिष्टाचार.... -- "प्यासा दरिया.. पत्तों की सरसराहट.. खामोश दरख्त.. घना जंगल.. स्याह जज़्बात.. मुलायम एहसास.. नर्म साँसें.. सुर्ख होंठ.. वस्ल-ए-जिस्म..... -- सुनहरा कल, सड़क तट पर लिखे हुए अनगिनत नारे हम एक अरसे से पढ़ रहे है, उनमे से एक 'हम सुनहरे कल की ओर बढ़ रहे है'... -- मैं नारी - कभी अबला कभी सबला, कभी शक्ति स्वरुपा, कभी बेचारी मैं नारी, कभी माँ , कभी बेटी बहन , कभी सहचरी बन , रिश्ते निभाती मैं नारी.... -- मक्का एक प्रतिष्ठित शहर है. जहाँ काबा स्थित है। प्राचीन समय से काबा इबादत गाह है, लोग दूर और नजदीक से इबादत और काबा की ज़ियारत के लिए आते थे... -- यह नज़दीकियाँ (1982) शबाना आज़मी, मार्क ज़ुबैर गीत: गणेश बिहारी श्रीवास्तव संगीत: रघुनाथ सेठ -- बसेरा चार दिन का है : जब दुःख गहरे गह्वर गहराता वह आता मद छाता मन गाता मन भाता सुख पाता उद्गाता वह जाता उजियारा खिल जाता अन्धियारा घिर आता पछताता सूना मन क्या पाता ... -- इस कथन पर अमूमन महिलाये क्रोध से भर जाती हैं, और कुछ पुरूषों के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है। खैर अब पुरूषो को भी सावधान हो जाना चाहिये। ये "गे" वाला लफ़ड़ा जोरो पर है। और अब तो सुप्रीम कोर्ट भी शायद.... -- (प्रेम और वासना की रहस्यमय पर्तों का एक मनोवैज्ञानिक विवेचन) तारा देवी गहनों में लदी हुई दुल्हन की तरह अपने बेड पर बैठी थीं और यह सवाल उनके दिल में ज़ोर ज़ोर से सिर उठा रहा था कि ‘इतने धनी-मानी और देवता... -- यह तलाश क्या है क्यूँ है और इसकी अवधि क्या है ! क्या इसका आरम्भ सृष्टि के आरम्भ से है या सिर्फ यह वर्तमान है या आगत के भी स्रोत इससे जुड़े हैं ? क्या तलाश मुक्ति है या वह प्रलाप जो नदी के गर्भ में है ... -- लोमड़ी के दिवस पूरे ! लोमड़ी के दिवस पूरे- पड़े-घूरे, उसे घूरें || रात बाकी-दिवस पूरे | सदा थू-रे, बदा थूरे || घूर के भी दिन बहूरे- लट्ठ हूरे, नग्न-हूरें || आँख सेकें, भद्र छोरे.... -- समय !और युग के साथ श्रवण कुमार की क्या परिभाषा बदल गयी है? हर माँ बाप बेटे के जन्म के साथ उसके श्रवण कुमार सा होने का ही सपना देखता होगा ( मेरे बेटा नहीं सो कभी सोचा ही नहीं बेटियां कभी इतिहास में मिसाल बन कर सामने लायी ही नहीं गयी। लेकिन आज मिसाल कायम कर रही हैं। ) -- बवासीर आजकल एक आम बीमारी के रूप में प्रचलित है। इस रोग मे गुदे की खून की नसें (शिराएं) फ़ूलकर शोथयुक्त हो जाती हैं, जिससे दर्द,जलन,और कभी कभी रक्तस्राव भी होता है। बवासीर का प्रधान कारण कब्ज का होना है.... और अन्त में देखिए ये कार्टून! Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून सरकार न हुई ग़रीब की जोरू हो गई कार्टून :- दहेज दिया तो मुंडी काट दी जाएगी |
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शनिवार, मई 26, 2012
"तुम्हारे चेहरे पे लावण्य और दाँतों में चमक है" (चर्चा मंच-891)
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वाह आज तो मेरे दो दो कार्टूनों को जगह मिली है. आपका ढेरों आभार.
जवाब देंहटाएंसभी रसों से भरपूर सुन्दर लिंक. अभी सभी को नहीं पढ़ पाया हूँ, पर आपका अध्यवसाय हमेशा प्रसंसनीय होता है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरविकर उत्तराखंड की
जवाब देंहटाएंओर आ रहे होंगे
ट्रेन में ही चर्चा का
हिसाब वो लगा रहे होंगे
शास्त्री जी से मिलने के लिये
जरूर फड़फड़ा रहे होंगे
चर्चाकार मिलेंगे कुछ
नया नया कर दिखायेंगे
कैसा राहा मिलन बाद में फोटो
हमें भी दिखायेंगे
चर्चा मंच वैसे भी दिन पर दिन
निखरता ही जा रहा है
धन्यवाद आज कहीं उल्लूक
का जिक्र भी आ रहा है ।
आज के चर्चामंच को खूबसूरत रचनाओ से सजाने के लिये तथा युनिक ब्लाग की रचना को चर्चामंच पर स्थान देने के लिये श्रीमान डा0 रूपचन्द शास्त्री जी का आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सशक्त लिंकों से चर्चामंच सजाया है बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंवाह ! मैं समझता हूँ कि मेरी रचना को इस चर्चा में एक तहरीज मिली जिसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार , शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंumda aur dilchasp links ke liye shukriya.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा...आभार !!
जवाब देंहटाएंमेरे नए ब्लॉग 'तराने सुहाने' को चर्चामंच में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया शास्त्री जी ! इस ब्लॉग के माध्यम से मैं पाठक श्रोताओं तक कुछ अत्यंत मधुर गीतों को पहुँचाने का जो प्रयास कर रही हूँ उसमें आपके सहयोग और प्रोत्साहन के लिए आपकी आभारी हूँ !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा. चर्चामंच पर स्थान देने के लिये ..आभार !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी ...सतरंगी बहुरंगी चर्चा के लिए बहुत बहुत आभार ....मेहनत भरा काम ...इतने श्रम और सुन्दर चुनाव देख ख़ुशी हुयी सभी कवि लेखक वृन्द कार्टूनिष्ट को बधाई ...मेरे ब्लॉग खुश्बू से बेटियों को प्रोत्साहित किया बड़ी ख़ुशी हुयी आभार
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
sabhi liks padh dale.....umda
जवाब देंहटाएंGreat links..awesome presentation...thanks sir.
जवाब देंहटाएंचर्चा से आगे है यह चर्चा मनभावन लिंक्स का डोरा डाले है ..बधाई .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
शनिवार, 26 मई 2012
दिल के खतरे को बढ़ा सकतीं हैं केल्शियम की गोलियां
आपकी चर्चा में बड़े काम के लिंक मिलते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स,,,,,
जवाब देंहटाएंरचना सामिल करने के लिये आभार,,,,,,,,
apane charcha men shamil kar mujhe anugrahit kiya aur meri isa rachna ko isa kaabil samajha isake lie bahut bahut abhar !
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