लगातार 5 दिन घर से बाहर देहरादून नगर में रहा। जहाँ मेरी मुलाकात श्रीमती राजेश कुमारी जी से हुई। चर्चा मंच की चर्चा चली और श्रीमती राजेश कुमारी जी को चर्चाकारा के रूप में जोड़ लिया। इन्होंने मंगलवार की चर्चा करने के लिए अपनी सहर्ष सहमति दे दी है। श्रीमती राजेश कुमारी जी का मैं स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ!
आइए आज शनिवार की चर्चा श्रीमती राजेश कुमारी जी से ही प्रारम्भ करता हूँ!
ये अपने बारे में लिखती हैं-
स्थान | dehradoon, uk, भारत |
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परिचय |
i m very ambitious person.very friendly with the people.loving,careing,about my family.I believe live happy n let live others happily.My past influences me,my present shapes me,and my future leades me.where I go now it is up to me. मैं अन्यमनस्क मन मंथन कर भव्य भाव सजाती हू अन्तरंग अंचल की परिक्रमा कर हिय को किल्लोल सिखाती हूँ ! मैं अंतर्मुखी मन का दीप जलाती हूँ !!
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रुचि | |
पसंदीदा मूवी्स | |
पसंदीदा संगीत | |
पसंदीदा पुस्तकें |
श्रीमती राजेश कुमारी का ब्लॉग है- हिन्दी कविताएँ, आपके विचार!
इनके ब्लॉग की पहली पोस्ट है-
शनिवार, 22 मई 2010
मुझको दुनिया में आने दो
मैं तेरी धरा का बीज हूँ माँ
मुझको पौधा बन जाने दो
नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा
मुझको दुनिया में आने दो
मैं तेरे मातृत्व का सन्मान
नहीं कोई शगल का परिणाम
मेरा अस्तित्व तेरा दर्प है
मुझमे निहित सारा संसार .
गहन तरु की छाया में
लघु अंकुर को पनपने दो
नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा
मुझको दुनिया में आने दो .
जंगल उपवन खलियानों में
हर नस्ल के पुहुप महकते हैं
स्वछंद परिंदों के नीड़ो में
दोनों ही लिंग चहकते हैं .
प्रकर्ति के इस समन्वय का
उच्छेदन मत हो जाने दो
नहीं खोट कोई मुझमे एसा
मुझको दुनिया में आने दो .
समाज की घ्रणित चालों से माँ
तुझको ही लड़ना होगा
नारी अस्तित्व के कंटक का
मूलोच्छेदन करना होगा .
तेरे ढूध पर मेरा भी हक है
दुनिया को ये समझाने दो
नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा
मुझको दुनिया में आने दो ..
और ये है इनके ब्लॉग की अद्यतन पोस्ट-
मंगलवार, 8 मई 2012
कुछ खरी-खरी त्रिवेणियाँ
(१)
घर के बीच खिंच रही दीवार
बुजुर्गों के दिलों में पड़ी दरार
कैसा दर्दनाक मंजर है किसे देखूं |
(२)
तेरे इस गूंगे घर से तो
खंडहर ही बेहतर हैं
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |
(३)
तुम लाये हो इक बवंडर छिपा के अपने सीने में
एक बार तो ये सोचा होता
ताश के पत्तों से बना है मेरा घर|
(४)
बड़ी हसरतों से जमा किये थे शबनम के मोती
स्वर्ण रथ पर आया लुटेरा
सब चुरा के ले गया |
(५)
मेरे अपने ही फूलों ने
झुका दिया इस डाली को
वर्ना मेरी गर्दन ने कभी झुकना नहीं सीखा |
(६)
खुद को जलाकर जग को देते हो उजाला
फिर भी एक नजर तुझे कोई देखना नहीं चाहता
कोई तुझसा बेचारा नहीं देखा |
(७)
ऐ तितली जरा संभल के उड़ना
घात में बैठे है कांटे फूलों की आड़ में
चीर देंगे तेरे कोमल पर
*******
अब बढ़ते हैं आगे की चर्चा की ओर!
सबसे पहले देखिए एक उपयोगी जानकारी-
हमारे कम्प्यूटर के धीमे चलने का कारण
हार्डडिस्क की गति धीमी होना भी होता है
आज एक आसान से तरीक से
आप अपने कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क की गति को तेज...
अब देखिए कुछ ब्लॉगों की कथा-
ये भारत है मेरे दोस्त! दो धंधे बड़े ही चंगे.....! *कितना* वक़्त हो गया किसी चिड़िया की चीं-चीं सुने हुए ? *और* भौंरें की गुनगुनाहट कब सुनी थी ? *बगीचे* के किसी दरख्त पर .... एक दिन अचानक...!! चार लोगों से कहलवाकर अपने लिये अलग कुर्सी एक चाँदी की लगवाकर सब्जी लेने हुँडाई में जाकर कपड़ो में सितारे टंकवाकर कोशिश होती है अपना एक आभा मण्डल बनाने की....! परदे में रखकर गम को, छिपाना
मुश्किल हो गया...l इन हार की वजह का, बताना मुश्किल हो गया....! बाहरी फिल्मो में उभरती भारत की गन्दी तस्वीर...! (1)* *नींद * * * *पलकों पर गिरी;* *फिर * * बह चली ......* * दरिया की मनिंद ....(हिंदी हाइकू ...)
खाना नहीं, बिजली और पानी नहीं है इस नगर में और कोई परेशानी नहीं है . चूहों ने कुतर डाले हैं कान आदमी के शायद इस शहर में चूहेदानी नहीं है...! आज मुझे गाने दो,.. हृदय की पीड़ा को, प्रेम रस वीणा को, प्रकट हो जाने दो, आज मुझे गाने दो! नयनों के बादर से, भावों के सागर से, बरस अब जाने दो, आज मुझे गाने दो! एक सुहाना सफ़र मनाली का....2...! जाने किस-किस की आस होता है. जिसका चेहरा उदास होता है. उसकी उरियानगी पे मत जाओ अपना-अपना लिबास होता है. जाने किस-किस की आस होता है...! पहली पहली बारिश पर , माटी की सोंधी सोंधी महक फुदकते पंछियों का कलरव,चहक भंवरों का गुंजन तितलियों का नर्तन आम्र तरु पर विकसे बौरों की खुशबू कोकिला की कुहू...माटी की महक-ऊँचाइयों की कसक...! राम-राम भाई में देखिए जीवन का बड़ा मकसद ..जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है...! माँ ताउम्र हरपल, हरदिन अपने घर परिवार के लिए दिन-रात एक कर अपना सर्वस्व निछावर कर पूर्ण समर्पित भाव से अपने घर परिवार, बच्चों को समाज में एक पहचान देकर....छुपा रहता है माँ का संघर्ष ! सन्तानों को पिता प्यार से, पाल रहा कितने दुलार से। आयेगा जब कठिन बुढ़ापा, झुक जायेगी रीढ़ भार से। शिथिल अंग को रामबाण सा, मिल जायेगा रस संजीवन। "नाम इसी का तो है जीवन" "चलने का प्रयोजन.. न पता था.. जिस क्षण दिया.. हाथ में हाथ.. किंचित ही भ्रम था.. अर्पित कर स्वयं.. मुक्ति-द्वार की अभिलाषा.. ! विभिन्न भाषाओं में माता-पिता के लिए हमारे संबोधन....13 मई, मातृ-दिवस को समर्पित....! माटी की महक-ऊँचाइयों की कसक, पहली पहली बारिश पर , माटी की सोंधी सोंधी महक, फुदकते पंछियों का कलरव,चहक भंवरों का गुंजन तितलियों का नर्तन....! यही चिन्ता सताये जा रही है कर्णधारों को भटकने से भला कैसे बचायेँ होनहारों को दयारों में न ढूँढेंगे अगर हम आबशारों को तो फिर गुलशन तलक किस तरह लायेंगे....मुहब्बत और तसल्ली के लिये ही रब्त है क़ायम...! जीवन तलाशता है खुद को, दिखता है जैसा देखो उस को नहीं पहचान पाया कोई थाह उसकी नहीं जान पाया आज तक उसको जीवन तो जीवन है जिसने जैसा भी भुगता वैसा ही समझा उस को...!
खाना नहीं, बिजली और पानी नहीं है इस नगर में और कोई परेशानी नहीं है . चूहों ने कुतर डाले हैं कान आदमी के शायद इस शहर में चूहेदानी नहीं है...! आज मुझे गाने दो,.. हृदय की पीड़ा को, प्रेम रस वीणा को, प्रकट हो जाने दो, आज मुझे गाने दो! नयनों के बादर से, भावों के सागर से, बरस अब जाने दो, आज मुझे गाने दो! एक सुहाना सफ़र मनाली का....2...! जाने किस-किस की आस होता है. जिसका चेहरा उदास होता है. उसकी उरियानगी पे मत जाओ अपना-अपना लिबास होता है. जाने किस-किस की आस होता है...! पहली पहली बारिश पर , माटी की सोंधी सोंधी महक फुदकते पंछियों का कलरव,चहक भंवरों का गुंजन तितलियों का नर्तन आम्र तरु पर विकसे बौरों की खुशबू कोकिला की कुहू...माटी की महक-ऊँचाइयों की कसक...! राम-राम भाई में देखिए जीवन का बड़ा मकसद ..जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है...! माँ ताउम्र हरपल, हरदिन अपने घर परिवार के लिए दिन-रात एक कर अपना सर्वस्व निछावर कर पूर्ण समर्पित भाव से अपने घर परिवार, बच्चों को समाज में एक पहचान देकर....छुपा रहता है माँ का संघर्ष ! सन्तानों को पिता प्यार से, पाल रहा कितने दुलार से। आयेगा जब कठिन बुढ़ापा, झुक जायेगी रीढ़ भार से। शिथिल अंग को रामबाण सा, मिल जायेगा रस संजीवन। "नाम इसी का तो है जीवन" "चलने का प्रयोजन.. न पता था.. जिस क्षण दिया.. हाथ में हाथ.. किंचित ही भ्रम था.. अर्पित कर स्वयं.. मुक्ति-द्वार की अभिलाषा.. ! विभिन्न भाषाओं में माता-पिता के लिए हमारे संबोधन....13 मई, मातृ-दिवस को समर्पित....! माटी की महक-ऊँचाइयों की कसक, पहली पहली बारिश पर , माटी की सोंधी सोंधी महक, फुदकते पंछियों का कलरव,चहक भंवरों का गुंजन तितलियों का नर्तन....! यही चिन्ता सताये जा रही है कर्णधारों को भटकने से भला कैसे बचायेँ होनहारों को दयारों में न ढूँढेंगे अगर हम आबशारों को तो फिर गुलशन तलक किस तरह लायेंगे....मुहब्बत और तसल्ली के लिये ही रब्त है क़ायम...! जीवन तलाशता है खुद को, दिखता है जैसा देखो उस को नहीं पहचान पाया कोई थाह उसकी नहीं जान पाया आज तक उसको जीवन तो जीवन है जिसने जैसा भी भुगता वैसा ही समझा उस को...!
आँच- 108 - रविकर की रसीली जलेबियाँ....बहुत बहुत आभार है, रविकर हर्ष अपार! आज ही मैंने आप सब के सामने जौनपुर के एक जज डॉ दिलीप कुमार सिंह के बारे में बताया | ईमानदारी कि ऐसी मिसाल आज भ्रष्टाचार के युग में देखने को नहीं मिलती | ...कहाँ थमेगा सचिन के विजय रथ का कारवां ? एक पके हुए केले को गैस पर धीमी आँच पर थोड़ी देर तक सेकें। इस पर बारीक कुटी हुई काली मिर्च बुरक कर बच्चे को गरम-गरम खाने के लिए दें। अस्थमा पीड़ित बच्चों के लिए घरेलू उपचार....! तुष्टीकरण पर सुप्रीम कोर्ट की चोट....! क्या इस देश की महिलाएं बहुत स्मार्ट, आकर्षक हैं....! रविकर अंकुर नवल, कबाड़े पौध कबड़िया....! आखिर जलना अटल, बचा क्यूँ रखे लकड़ियाँ....! जी हां सोच तो यही रहा हूं नुक्कड़ से हो रही है परेशानी बढ़ नहीं रही है उनकी कहानी दीवानी नहीं हो रही है जवानी विचार यही बन रहा है...सारे हिंदी ब्लॉग कर रहा हूं बंद, फेसबुक पर टिप्पणियां मिलती हैं दे दनादन...! कुछ दिन पहले ही मेरे मामा का फोन आया, बेटे की शादी के बारे में बात कर रहे थे। हमने कहा अच्छा तो है, बेटा साफ्टवेयर इंजीनियर है, अच्छी कंपनी में है...बेटे की शादी एमपी में करेंगे मामा ...! कहाँ से चले .....कहाँ आ गए...! हमारे समाज को रोने की और रोते रहने की आदत पढ़ गई है . हम उसकी बुराइयों को लेकर सिर्फ बातें करना जानते हैं, उनके लिए हर दूसरे इंसान पर उंगली उठा सकते हैं ..."सत्यमेव जयते" कितने अहम हैं मुद्दे.. ! यह अन्न-देवता का अपमान है Rotten wheat - सड़ता गेंहू Rotten wheat बुद्धि जीवियों यदि गोदामों में जगह नही है तो जिन्होंने आपकी सरकार बनाने के लिये वोट दिया है उस देश के मतदाताओं के घर में बहुत जगह..! ममता की छाँव - आने वाला रविवार मातृ दिवस के रूप में मनाया जाने वाला है ! माँ की याद, उनके प्रति अपनी श्रद्धा या समर्पण की भावना ....!
मुक़द्दर तलाशते हैं वो
बारहा दर-ब-दर पत्थर तलाशते हैं वो।
मुक़द्दर तलाशते हैं वो
बारहा दर-ब-दर पत्थर तलाशते हैं वो।
वह जो मिल जाय तो इक सर तलाशते हैं वो।।
हद हुई ताज की भी मरमरी दीवारों पर,
बदनुमा दाग़ ही अक्सर तलाशते हैं वो।....
हद हुई ताज की भी मरमरी दीवारों पर,
बदनुमा दाग़ ही अक्सर तलाशते हैं वो।....
जब से पत्थर इतने रंगीले हो गए … - आईनों के चेहरे पीले हो गए....! आधारभूत गर्त - जुआ खेलने वाले जानते हैं कि दाँव इतना लगाना चाहिये कि एक बार हारने पर अधिक कष्ट न हो, और दाँव इतनी बार ही लगाना चाहिये कि अन्त में जीने के लिये कुछ बचा रहे..! ये मेरा तुम्हारा......... - ये मेरा तुम्हारा मधुर मिलन हँसते हँसते भरे है नयन मुस्कान - ए - हया लाये है .....! मेरा अस्तित्व... आँधियों के वेग से अब डर नहीं लगता, आवेश का हर क्षण इसका प्रतिरूप होता ।कुछ ने बर्बाद किया ,कुछ से जोड़ा नाता, अमिट निशानियाँ सौगात बन मिल जाता...।
एक मुलाकात (हिन्दी कविताएँ, आपके विचार से साभार)
लेकिन यह कार्टून तो देख लीजिए!
नई चर्चाकारा का हृदय से स्वागत है -
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल लिंक-
मजेदार और ज्ञानवर्धक हैं |
मस्त चर्चा के लिए आभार गुरूजी ||
बहुत ही स्तरीय सूत्र, सप्ताहान्त के लिये पर्याप्त हैं।
जवाब देंहटाएंचर्चाकार ही चर्चाकार थे
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर सवार थे
चर्चाकारा अब आ गयी
चर्चामंच पर छा गयी
दिनपर दिन निखरता जा रहा है
नई नई अदायें दिखा रहा है
नयी चर्चाकारा का स्वागत
जोर शोर से हम सब द्वारा
आज किया जा रहा है।
धन्यवाद !
आज पहली बार चर्चा मंच पर आकर बहुत अच्छा लगा है वास्तव मे इस मंच ने तो सभी ब्लागरो को सक प्लेटफार्म प्रदान करत हुये एक पारिवारीक कडी के रूप मे जोडने का काम किया है
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी का स्वागत है.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शास्त्री जी मेरे ब्लॉग के विषय में इतनी विस्तृत जानकारी देने के लिए पूर्णतः कोशिश करूंगी की अपना चर्चा मंच का काम पूरी जिम्मेदारी के साथ करूँ आप सब लोगों का प्यार और विशवास ही मेरा मार्ग प्रशस्त करता रहेगा अनवर जमाल जी और आप सभी मित्रों का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंआपका आभार और श्रीमती राजकुमारी जी को हार्दिक शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आकर बहुत अच्छा लगा, आभार आपका....!
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी के चर्चामंच से जुड़ जाने की हार्दिक प्रसन्नता है उन्हें बहुत सारी शुभकामनायें व बधाई ! मेरी रचना को आपने आज उत्तम लिंक्स से सजे इस चर्चामंच के लिये चुना आभारी हूँ ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंनई चर्चाकारा राजेश कुमारी जी का हार्दिक स्वागत!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति में मुझे भी शामिल करने के लिए आभार!
poore manoyog se rachee gayee charchaa ke liye badhaayee
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया सजा है मंच
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी का स्वागत है, उम्मीद है कुछ नया करेंगी।
मंच कि खूबसूरती गज़ब की है
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद
चर्चा का दिलकश अच्छा लगा. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार...राजेश कुमारी साहिबा का स्वागत है...
जवाब देंहटाएंदिलकश अंदाज़
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आकर बहुत अच्छा लगा, आभार आपका....!
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा के कारण कई नए पाठक प्राप्त होते हैं।
जवाब देंहटाएंbahut achchhi prastuti
जवाब देंहटाएंbahut achchhi prastuti
जवाब देंहटाएंचर्चा की प्रस्तुति एक लय ताल गत्यात्मकता लिए है नै चर्चा कारा भी ।li.बधाई स्वीकार करें .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंशनिवार, 12 मई 2012
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/