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फर्स्ट 5 ऑफ़ बेस्ट 10 चर्चा ऑफ़ चर्चा-मंच देखिये 30-05-2012 बुधवार को
सेकण्ड 5 ऑफ़ बेस्ट 10 चर्चा ऑफ़ चर्चा-मंच देखिये 01-06-2012 शुक्रवार को
सेकण्ड 5 ऑफ़ बेस्ट 10 चर्चा ऑफ़ चर्चा-मंच देखिये 01-06-2012 शुक्रवार को
हत्या से भली भ्रूण हत्या-
कुंडली
बकड़ा-बकड़ी पर सदा, चाबें अंकुर-*नान ||
*नन्हीं
चाबें अंकुर-नान, तर्क भी देते घटिया |
दोगे घर में फूंक, बेंच दोगे जा *हटिया |
*बाजार
बनमाली को त्रास, व्यर्थ क्यूँ देना प्यारे |
खाकर करता मुक्त, काम आ गए हमारे ||
आखिर जलना अटल, बचा क्यूँ रखे लकड़ियाँ - |
परिकल्पना-सम्मान को कुछ नियमों में बांधना ज़रूरी !
संतोष त्रिवेदी at नुक्कड़
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| अगला मोड़
Dr.NISHA MAHARANA My Expression
तुम टकसाल के प्रहरी हो ??????
मैं वीणा की रागिनीमानव-मन की विषमताओं को |
ये बोम्बे मेरी जान (भाग -5)
veerubhai at ram ram bha
Haffkine Institute के निदेशक डॉ .अभय चौधरी इस बात की हामी भरते हैं
,हमारे अस्पतालों में आज आम चर्चा का विषय बना हुआ है Methicillin
-Resistant Staphylococcus Aureus (M R S
A).चमड़ी के पीड़ा दायक संक्रमण की वजह बनता यह दवा प्रति -रोधी जीवाणु .अन
-उपचारित रह जाने पर यही रक्त और अंग संक्रमण का सबब बन जाता है,मृत्यु का भी
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मुझे लगता है मुझे याद कर माँ मुस्कुराई !
शिखा कौशिक at भारतीय नारी
हूँ घर से दूर मेरे होंठों पर हंसी आई ;
मुझे लगता है मुझे याद कर माँ मुस्कुराई .
मैं घर से निकला सिर पर बड़ी सख्त धूप थी ;
तभी दुआ माँ की घटा बन कर घिर आई .
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"छप्पय"
सरप्राइज देते रहो, अतिथि बिना तिथि आय के-
जब आते मेहमान, खाने को बढ़िया मिले ।
मस्त मस्त पकवान, मालपुआ-गुझिया तले।
अतिथि रखो बस ध्यान, धीरे धीरे पाइए ।
पेटू रविकर जान, अपना फर्ज निभाइए ।
बीबी रखती है सदा, नजरें खूब गड़ाय के ।
सरप्राइज देते रहो, अतिथि बिना तिथि आय के ।।
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धुंधला सा अंतर
Neeraj Dwivedi at Life is Just a Life
धुंधले मौसम के किस्से धुंधले,
सबके जागीरों में हिस्से धुंधले,
सच आखिर क्यों रहता
टूटा,
क्यों है रिश्तों
से नाता झूंठा?
क्यों दुनिया का रंग बेरंग
है?
सबके हिस्से ही क्यों गम है?
सबको आखिर मे मिट जाना,
क्यों उगने को उत्सुक
अंकुर है?
| दो कविताएँ
mahendra verma at शाश्वत शिल्प
मैं ही
सही हूँ शेष सब गलत हैं ऐसा तो सभी सोचते हैं लेकिन ऐसा सोचने वाले कुछ लोग अनुभव करते हैं अतिशय दुख का |
तितली रानी ......
Suman at Main aur Meri Kavitayen
तितली रानी, तितली रानी
कभी इस डाल पर, कभी उस डाल पर
कभी इस फूल पर, कभी उस फूल पर
उड़ती फिरती हो तुम फुलरानी !
हाथ लगाऊँ तो, पंख फट जाते है
| तू हो गयी है कितनी पराई
Deepti Sharma at kavitabazi
अथाह मन की गहराई
और मन में उठी वो बातें हर तरफ है सन्नाटा और ख़ामोश लफ़्ज़ों में कही मेरी कोई बात किसी ने भी समझ नहीं पायी कानों में गूँज रही उस इक अजीब सी आवाज़ से तू हो गयी है कितनी पराई । |
(अमीर खुसरो)
प्रस्तुतकर्ता : प्रेम सागर
सिंह (प्रेम सरोवर)
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मित्रता और गाँधीजी !
संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari
निराला जी की जीवनी पढ़े कुछ अरसा ही बीता है और अब महात्मा गाँधी की आत्मकथा
को बांचने बैठा हूँ.गाँधी को या उनके विचारों को जानने के लिए ज़रूरी था कि
उनके जीवन के बारे में जाना जाय.पिछले साल राजघाट गए थे,तब वहीँ से 'सत्य के
प्रयोग अथवा आत्मकथा ' पुस्तक ले आये थे.यह नवजीवन प्रकाशन ,अहमदाबाद से
प्रकाशित है और मूल्य मात्र तीस रूपये है.ब्लॉगिंग और फेसबुक से कुछ समय
निकालकर इसे पढ़ना शुरू किया है और शुरुआत में ही कई बातें प्रभावित कर रही
हैं.
अभी इसका थोड़ा ही हिस्सा पढ़ पाया है पर गाँधीजी के शुरूआती जीवन की सोच और
उस पर उनका स्वयं का निष्कर्ष बड़ा रुचिकर है.चाहे विद्यालय की घटनाएँ हों य..
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पीकर बेचारा किसी नाले में पड़ा होगा ….
शाम हो चुकी है भला कैसे खड़ा होगा
पीकर बेचारा किसी नाले में पड़ा होगा
.
उसकी मुस्कुराहट कर रही है चुगली
शादीशुदा नहीं शर्तियाँ वह 'छड़ा' होगा
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छी छी छी हालात, काट के बोटी-बोटी-भ्रूण जीवी स्वान
veerubhai at कबीरा खडा़ बाज़ार में
मुंडे डाक्टर मारता, गर्भ-स्थिति नव जात |
कुक्कुर को देवे खिला, छी छी छी हालात | छी छी छी हालात, काट के बोटी-बोटी | मारो सौ सौ लात, भूत की छीन लंगोटी | करिहै का कानून, अभी जब कातिल गुंडे | रहम याचिका थाम, पाक ले छूटे मुंडे || जुड़े लोकहित आय, एकजुट रहिये ब्लॉगर-ब्लॉगर भी बँटने लगे, भैया क्या इस बार | बाँट-बूट के पॉलटिक्स, जैसा बंटाधार | जैसा बंटाधार, बदलिए रविकर फितरत | बँटते रहे सदैव, होइए अभिमत सम्मत | होवे जड़ चैतन्य, पहल रचनात्मक सादर | जुड़े लोकहित आय, एकजुट रहिये ब्लॉगर || लेखकीय स्वाभिमान के निहितार्थ
दम्भी ज्ञानी हर सके, साधुवेश में नार |
नीति नियम ना सुन सके, झटक लात दे मार |
झटक लात दे मार, चाहता लल्लो-चप्पो |
झूठी शान दिखाय, रखे नित हाई टम्पो |
जाने ना पुरुषार्थ, करे पर बात सयानी |
नहीं शमन अभिमान, करे ये दम्भी-ज्ञानी ||माली बनकर छले, खले मालिक मदमाता-मतदाता , मालिक या माली ?
S.N SHUKLA at काल चिंतन
मतदाता दाता नहीं, केवल एक प्रपंच |एक दिवस के वास्ते, मस्का मारे मंच | मस्का मारे मंच, महा-मुश्किल में *मालू | इसका क्या विश्वास, बिना जड़ का अति-चालू |
माली बनकर छले, खले मालिक मदमाता |
मालू जाय सुखाय, मिटे मर मर मतदाता || *लता |
सीधी खरी बात..रंगों की राजनीतिसरकारी विज्ञापनों में इन दलों को अपनी पार्टी के रंगों के इस्तेमाल करने की छूट आख़िर किस नियम के तहत इन लोगों को मिली हुई है ? क्या पूरे देश में एक ऐसा कानून नहीं होना चाहिए जिसमें सरकारी विज्ञापनों में एक जैसे रंगों का प्रयोग किया जाये और यदि इस बात में भी विवाद हो तो केवल सफ़ेद और काले रंग का ही प्रयोग किया जाना चाहिए. सरकार चलाने में नाकाम रहने वाले नेता लगता है कि अपनी पार्टी के रंगों में रंग कर छपे विज्ञापनों को देखकर ही खुश होने और अपनी सरकार के होने के एहसास से संतुष्ट हो जाने की आदत के शिकार हो जाते हैं. |
ऊपर हेडलाइंस हैं .....नीचे बिछाई माइन्स हैंधार्मिक आरक्षण के बहाने देश तोडने में जुटी है सरकार , आईपीएल में ,मुंबई ने दिखाया राजस्थान को बाहर का रस्ता , |
तथाकथित प्रेमगीत.......मेरी अनुभूतियाँ -
आसक्त हो कर
किसी के प्रति
अकसर सोच लेते हैं लोग
कि वो उससे
गहन प्रेम करते हैं
जिन एहसास से
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"पहले काम तमाम करें" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नैनीताल ...भाग 1दर्शन कौर धनोय at मेरे अरमान.. मेरे सपने. |
लेकिन ढलती उम्र
में भी राहुल द्रविड़ की जीवटता देखने लायक रही और उनकी आकर्षक बल्लेबाजी हमें
ये गीत गुनगुनाने को मजबूर कर देती है कि “अभी न जाओ छोड़ के, कि दिल अभी भरा
नहीं”!
भारतीय टीम की ‘दीवार’ का रंग धुंधला पड़ गया पर मजबूती आज भी बरक़रार है...
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तीन अट्ठे की चर्चा बना के लाया है
जवाब देंहटाएंआज की तिकड़ी रविकर सजाया है
बेस्ट दस चर्चाये खोदने में लगा है
निकालने में देखते हैं उसको क्या मिला है
बुधवार और शुक्रवार को कहता है दिखायेगा
पता नहीं है अभी कौन से हीरे निकाल के लायेगा ।
मस्त चर्चा बहुत दिमाग है खर्चा !!!!
बहुत खूबसूरत और संतुलित चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से पोस्टों के कतरों को सहेज़ा आपने । सज्जा हमेशा की तरह मोहक है । पोस्त को मान व चर्चा में स्थान देने के लिए आभार स्वीकारें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मंच सजाया है विभिन्न सूत्रों से आभार
जवाब देंहटाएंरूप नया है, रंग नया है।
जवाब देंहटाएंचर्चा का भी ढंग नया है।।
इस अभिनव प्रयास के लिए आभार!
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सजी चर्चा मंच !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रविकर जी,मेरी रचना को शामिल किया !
बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार ।
जवाब देंहटाएंरविकर जी काव्यमय बहुत ही सुन्दर दर्शनीय चर्चा, मेरे आलेख को स्थान देने के लिए आभार!!
जवाब देंहटाएंकाव्यमय संतुलित सुंदर चर्चा,....
जवाब देंहटाएंप्रिय रविकर जी बहुत अच्छी रही चर्चा ...बिभिन्न रंग दृष्टिगोचर हुए ....आनंद दाई -जय श्री राधे -भ्रमर ५
जवाब देंहटाएंबहुत आभार रविकर जी :-)
जवाब देंहटाएंसुन्दर और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंaabhar, ravikar ji, is sundar charcha ke liye.
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक दिए कविवर ....
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
When someone writes an piece of writing he/she keeps the plan of a
जवाब देंहटाएंuser in his/her mind that how a user can know it.
Thus that's why this piece of writing is amazing. Thanks!
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