मित्रों!
रविवार यानि छुट्टी का दिन! तो देर किस बात की खोलिए चर्चा मंच और पढ़िए कुछ ब्लॉगों की पोस्टों को!
भारत में राजनैतिक पार्टियां लीडरों के व्यक्तिगत charisma के कारण ही चलती आई हैं. जनता पार्टी, कॉंग्रेस के विरूद्ध जन्मी पार्टी थी जो कालांतर में भारतीय जनता पार्टी में रूपांतरित होकर अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में स्थायित्व ले पाई. लेकिन बाजपेयी की पारी के बाद अडवाणी वहीं से शुरू नहीं कर पाए.... क्योकि बी.जे.पी. की श्वासनली अवरूद्ध है! *मुझ पे इतना रहम न करना ,**के उनपे रहम न आए , **मुझ पे इतना रहम ज़रूर करना की ,**हम उनके बिना जी न पाए... टूटा हुआ दिल...! *दुनिया भर में तजवीज़ किये गए मरीजों को लिखे गए दवाओं के नुश्खे खंगालिए तो जानिएगा लाखों लाख लोगों को अस्थियों को मज़बूत बनाए रखने के लिए...दिल के खतरे को बढ़ा सकतीं हैं केल्शियम की गोलियाँ...! आपको क्या लगता है ...."क्या है इंसान की पहचान शारीरिक सुंदरता या मन की सुंदरता उसके स्वभाव और गुण ".....क्या इससे पहले कभी इतनी गर्मी नहीं पड़ी? क्या थर्मामिटर का पारा सूरज के कहर से पहले कभी नही थर्राया? क्या सच में गर्मी से जीना मुहाल हो गया है...क्या सच में गर्मी बहुत ज्यादा है या सुविधाओं ने हमें कुछ ज्यादा ही नाज़ुक बना दिया है? आशीष देवराड़ी ग्लोबलाइजेशन और आधुनिकीकरण के इस दौर में अभी हमारे अंधविश्वासों के लिए काफी स्पेस मौजूद है | क्या पढ़े लिखे और क्या गंवार, दोनों ही अंधविश्वास के जाल में जकड़े हुए है....निर्मल बाबा ही नहीं ...हम और हमारा समाज भी पाखंडी ही है....! आजकल ब्लॉगिंग में दूसरों को उपदेश देने वालों की बाढ़ सी आ गई है...कोई मर्यादा का पाठ पढ़ा रहा है...कोई टिप्पणी विनिमय का शिष्टाचार सिखा रहा है...कोई भाषा पर सवाल कर रहा है...हाय राम, कैसे होगा ब्लॉगिंग का उत्थान...खुशदीप!
अस्थियों के विकास और पनपने में सहायक सिद्ध होता है अनानास (पाइन -एपिल ) .क्योंकि इसमें प्राचुर्य रहता है खनिज लवण मैंगनीज़ का....नुश्खे सेहत के और शोध की खिड़की से और बहुत कुछ...! बूँद-बूँद में घुलकर हम भी बहता पानी हो जाएँ..**जिन्दगी को लिखते लिखते एक कहानी हो जाएँ....कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली...... ! रवीन्द्र प्रभात ने कहा…सुज्ञ जी,आये हुए मतों का पूरी बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है, रुझान देने के बाद कई ब्लोगरों के पक्ष में मतों की बाढ़ सी आ गयी , इसलिए ऐसा बोगस वोट रोकने के लिए किया गया है, क्योंकि अपनी-अपनी स्थिति जानकर लोग फर्जी तरीके से ज्यादा वोट करने लगे हैं, जो उचित नहीं है . ऐसे ब्लोगरों के पक्ष में भी ज्यादा से ज्यादा वोट प्राप्त हो रहे हैं जिनके आठ-दस ब्लॉग पोस्ट ही आये हैं अभी तक . पात्रता रखने वाले ब्लोगरों का चयन हो तो सभी को ख़ुशी होगी . वातावरण की पवित्रता बनी रहनी चाहिए आप भी देखिए न...ब्लॉग न्यूज यानि ब्लॉग की खबरें......! बेसबब -बेवज़ह न कथन कीजिये. कहिये थोड़ा, बहुत पर जतन कीजिये ! हर जगह सर झुकाना बुरी बात है… सच जहां हो वहां ही नमन कीजिये ! खु़द को समिधा बनाके हवन कीजिये !! मेरी हयात उसके के ही राजों के वास्ते। मुर्शिद के बांकपन के तकाजों को देखिए, नूरानियत है जिस्म गुदाज़ों के वास्ते। उनकी हयात उसकी नमाजों के वास्ते.....! जब भावनाओं के सागर में डूबूं उतरूँ शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ दिल बोले अब कहाँ जाउँ मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ? क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ? नगरी-नगरी ...द्वारे -द्वारे ...! जल्दबाज़ी यों तो किसी भी काम में अच्छी नहीं होती, लेकिन लेखन के मामले में यह बहुत ज़्यादा खतरनाक हो जाती है. लोग अर्थ का अनर्थ निकालते समय नहीं लगाते. ऐसा ज्ञान मुझे आज सुबह सुबह तब प्राप्त हुआ...लोमड़ी पर ये तीन लिंक देखिए-एक लोमड़ी ने सारे गीदड़ों को हलकान कर रखा है...!... कोई किसी मुगालते में न रहे....मेरी लोमड़ी से किसी और का कोई सरोकार नहीं है....! ...जिस लोमड़ी के पास अपना एक लोमड़ न हो, वह घाघों और बाघों पर डोरे डाले तो बुरा क्या है ?एक मास्साब थे...वही मतलब मास्टर साहब...नौकरी नहीं मिली इसलिए घर घर जाकर ट्युशन पढ़ाते थे. सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे.विचार सचमुच उच्च थे क्योंकि मास्साब मास्साब थे....! *क्या कहिए अब इस हालत में , अब कौन समझने वाला है कश्ती है बीच समन्दर में तूफाँ से पड़ा यूँ पाला है हम ऐसे नहीं थे हरगिज़ भी हालात ने हमको ढ़ाला है कह देतीं आँखें सब कुछ ही जुबाँ पर बेशक इक ताला है ...लौट आते परिन्दे...! कम्प्यूटर की बाते - आप भी जानिए न...अपने कंप्यूटर माउस के द्वारा साउंड को कंट्रोल करें | सच्चाई में बल होता है, झूठ पकड़ में है आ जाता। नाज़ुक शाखों पर जो चढ़ता, वो जीवनभर है पछताता। समझदार को मीत बनाओ, नादानों को मुँह न लगाओ...."हर बिल्ला नाखून छिपाता"...! हमारी दर्द की चीखें भला अब कौन सुनता है, ये बस्ती पत्थरों की हो गयी है आजकल लोगों।।- अतुल यहां हर ओर लाखों लोग बेहद खूबसूरत हैं, न जाने कौन है वो शख्श जिसकी हम जरूरत हैं...अभी तो लग्जिशों की शाम में साजिश रचाई है...! रोशी अग्रवाल पीलीभीत से अपने ब्लॉग पर लिख रहीं हैं... कभी कभी अतीत चिपक जाता है कुछ यु जैसे हो परछाइसारी...कुछ यु जैसे हो परछाइ शारीर से घुलमिल जाता है यु जैसे हो पेटजाई चाहकर भी ना पीछा छुडा सकते हैं...!
सुबह सवेरे मंदिर में वो मन्त्रों का जाप * *सांझ ढले दूर से आती वो ढोलक की थाप* *भोर में कानों में पड़ता वो ग्वालों का गान * *सांझ ढले चौपालों पर वो आल्हा की तान * *बीच गाँव में पीपल की वो ठंडी- ठंडी छाँव..कविता तो मेरी है लेकिन रूपान्तर किया है राजेश कुमारी जी ने... अपना गाँव...! इसी परिपेक्ष्य में देखिए- "ग्राम्य जीवन से जुड़े-मेरे तीन पुराने गीत" चूल्हा-चौका कपट-कुपोषण, मासिक धर्म निभाना होता । बीजारोपण दोषारोपण, अपना रक्त बहाना होता ।। नियमित मासिक चक्र बना है, दर्द नारियों का आभूषण - संतानों का पालन-पोषण, अपना दुग्ध पिलाना होता...बाँह पकड़ कर सीधा करती, याद जो आता नाना होता...! दो मुख्य मेल प्रेषक हैं । उनसे भी मेरे पुराने और अच्छे भावनात्मक सम्बन्ध हैं । उनकी चिर परिचित ID से ही मेल आये हैं । इससे पहले भी उनसे बातचीत होती रहती है । अतः इस तरह की कोई शंका नहीं बन सकती कि - वे ...असली नकली 2 कुलदीप....! ..देश* में भूख,गरीबी,भ्रष्टाचार और नेताओं की 'मारक' नीतियों से आम इंसानों का खून बहते देख मुझे लगा था कि अब इंसानों का...इ खून बहुत महँगा है रे बाबा...!
उजबक वाणी - जन सेवा के नाम पर ,वोट मांगने आय चुनते हि सरकार में ,लुट लुट सब खाय मुस्काते मनमोहने, सुरसा डालर आज मतदाता घायल हुवा,फिर भी करते नाज....! वतन के हर सच्चे सिपाही को हैं हवालातें - रंग-ओ-तस्वीरें अभी वही हैं,हैं वही बातें अमन-ओ-चैन से कटती नहीं अभी रातें....! बहें, नदी सा - बहने को तो हवा भी बहती है पर दिखती नहीं, जल का बहना दिखता है। न जाने कितने विचार मन में बहते हैं पर दिखते नहीं, शब्दों का बहना दिखता है.....! कन्या भ्रूण हत्या पर खूब चिंतन हो रहा है। भयावह आंकड़े प्रस्तुत किये जा रहे हैं। सभी यह मान रहे हैं कि यह जघन्य अपराध है....! आओ न... - आओ न... पास बैठो तुम तुम्हारे मौन में मैं वो शब्द सुनूंगी जो जुबां कहती नहीं दिल कहता है तुम्हारा...... ! उसकी खोज - मोह से मोक्ष की यात्रा कभी प्राप्य कभी अप्राप्य ...! गीत अंतरात्मा के... क्यूँ रहती है माथे पे शिकन हर वक्त आप के ? थोडा हँसा कीजिये जनाब थोडा मुस्कराया कीजिये...! गर्मियों की छुट्टियां .. - * * *साल भर से आ रही थी * *माँ के यादों की हिचकियाँ * *उन्ही के घर पे बीत रहीं * *ये गर्मियों की छुट्टियां * * * *काम धाम का नाम नहीं * *हम कहीं और बच्चे कहीं..!अब बात करते हैं कर्मनाशा की पोस्ट की...हिंदी समाज के हाशिए में चले जाने की गाथा : बटरोही का उपन्यास - ‘गर्भगृह में नैनीताल’ - *हिंदी साहित्यिक त्रैमासिक ‘बया’ के नए अंक (जनवरी-मार्च, 2012) में बटरोही का एक आत्मकथात्मक उपन्यास प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक है ‘गर्भगृह में नैनीताल’...! गढ़वाली कविता....चखुली जनी माया "धार-चौबाटा सैरा-सौपाटा ढ़ैऽपुरी-धुरपाऽड़ा गोँऽड़ो-गोरबाटा बऽणौँ-बुज्याऽणा छानियुँ कोल्यणा, म्येरी चखुली जनी माया वेँ तेँ खुज्याणी रे, सेरा गौँउ का म्यारा नौ कु पिछ्याऽड़ी बौड़्या लगाणी रे....प्रभू भी लाचार हैं।...पर अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि भगवान के रोने की खबर सर्वोच्च न्यायालय तक कैसे और किसने पहुंचाई। खबरचियों की टीमें इस बात का पता लगाने पूरी तौर से जुटि हुई है। यमन की सी मिठास गंगा की शान्ति उसे रंगों से बहुत प्यार था. कुदरत के हर रंग को वो अपने ऊपर पहनती थी. उसका बासंती आंचल लहराता तो बसंत आ जाता. चारों ओर पीले फूलों की बहार छा जाती. वो हरे रंग की ओढनी ओढती तो सब कहते सावन आ गया है. भगवत ने लोक की आत्मा से हिंदी को समृद्ध किया -विष्णु खरे - वरिष्ठ कवि भगवत रावत पर यह श्रद्धांजलि आलेख विष्णु खरे जी ने भेजा है...इस अनुमति के साथ कि ' किसी भी ब्लॉग या पत्र-पत्रिका में प्रकाशित किया जा सकता है...!
कार्टून :- तेल की कीमत PSU के लौंडे अपने आप बढ़ा लेते हैं
आज के लिए इतना ही काफी है!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । बेहतरीन लिंक्स । आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...ढेर सारे अच्छे लिंक्स मिले...आभार !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति । बेहतरीन लिंक्स । आभार जी...
जवाब देंहटाएंगर्मियों में फुहार जैसी चर्चा ..
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए धन्यवाद
कृपया ज़रूर पधारें एक नए ब्लॉग पर -
'गीत बोल उठे '
सिर्फ एक शब्द सारी बात कह देगा, वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
सप्ताहान्त में पढ़ने के लिये पर्याप्त सामग्री..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी समाहित करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया प्रस्तुति बहुत से सार्थक ब्लॉग
जवाब देंहटाएंका समुच्चय बेहतरीन जानकारी
धन्यवाद
बढ़िया प्रस्तुति.. अच्छे लिंक्स के लिये...आभार !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया विस्त्रित लिंक्स ...!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें शास्त्री जी ..!!
Very nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । बेहतरीन लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स, अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स सुन्दर है..
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्च मंच...
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका..
आभार....:-)
बहुत सुंदर लिंक।
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्री जी।
आज का चर्चा मंच एक सांगीतिक स्वतंत्र प्रस्तुति सा है .विषकन्या का काज देख ,कोढ़ में होती खाज देख ,मनमोहन का राज देख ,बेटा देख तेल की धार देख ....पूरी करो कविता शाष्त्री जी भैया ,पाँव पड़ें पैयां . बढ़िया प्रस्तुति है .... .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंरविवार, 27 मई 2012
ईस्वी सन ३३ ,३ अप्रेल को लटकाया गया था ईसा मसीह
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ram ram bhai
को सूली पर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भी -
चालीस साल बाद उसे इल्म हुआ वह औरत है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
sundar links ke sath badhiya charcha,abhar.
जवाब देंहटाएंएक और बेहतरीन अंक !!!
जवाब देंहटाएंइन्टरनेट डाउन होने के कारण देरी से आना हुआ बहुत सुन्दर वर्णन के साथ चर्चामंच सजाया है बहुत अच्छा लगा मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...अच्छे लिंक्स और मुझे शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट "कबीर" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सारे लिंक्स को समेटे हुये शानदार चर्चा.आभार आपका.
जवाब देंहटाएंरविवार को चर्चा मंच के संग अच्छा कटा।
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