आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते आप सब का दिन मंगल मय हो
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।अंजनी- पुत्र पवन सुत नामा ।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।अंजनी- पुत्र पवन सुत नामा ।।
अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लोग्स पर
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by mridula pradhan at mridula's blog –
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by Soniya Bahukhandi Gaur at बुरांस के फूल -
ब्लॉग मे किसी की निंदा करना क्या उचित है।
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by Anita at डायरी के पन्नों से -
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by रंजना [रंजू भाटिया] at कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam
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इसके साथ ही आज की चर्चा समाप्त करती हूँ फिर मिलूंगी तब तक के लिए शुभविदा, शब्बा खैर ,बाय बाय
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आभार।
ReplyDeleteलखनऊ सम्मेलन में आपसे मिलने का सुयोग न बन सका।
कसम हमें इन प्यारों की - सतीश सक्सेना
ReplyDeleteby सतीश सक्सेना at मेरे गीत !
बहुत खूब!
अलग अलग पहर हैं
अलग अलग कमाई है
बुढा़पे में क्या बुराई है
बुढा़पा भी जिंदादिल
हुआ करता है
पता नहीं फिर भी
जवानी पर वो
क्यों मरता है !
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार
ReplyDeleteशहर से पलायन कर आया सुकून
ReplyDeleteby कुश्वंश at अनुभूतियों का आकाश
बहुत खूबसूरत !
चट्टानों में रहने की
आदत अगर हो जाये
पेड़ पौंधे हरी घास
के चित्रों से काम चल जाये
सुकून रोके और कहे
आ बैठ दो पल
उसे शोर की बहुत
ही याद आ जाये !
Anil Singh : sarpanch
ReplyDeleteby Anil Singh at Zindagi se muthbhed –
बहुत सुंदर !
सरपंच तो हर जगह नजर आते हैं
कहीं गाय तो कहीं चूहों से काम चलाते हैं !
बहुत बढ़िया स्तरीय चर्चा!
ReplyDelete--
लिंकों के बाद में डिवाइडर रेखा को छोटा रखा कीजिए। इससे चर्चा और भी आकर्षक लगेगी।
आभार!
“लखनऊ सम्मान समारोह के कुछ अनछुए पहलू” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
ReplyDeleteat शब्दों का दंगल
आसमान को अगर बाँध कर
बहुत छोटा कर दिया जाये
तारे देखते रहें सिकुड़ते हुऎ
आसमान को और चुप हो जायें
चाँद के ये बात अगर समझ
में ही नहीं आये
कौन किससे पूछने फिर जाये
आसमान भी अगर सो जाये !
विग्रही
ReplyDeleteby noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय) at जाले –
बहुत खूब !
क्राँति चाह रहे हैं
बहुत से लोग यहाँ
हर किसी को चाहिये
क्राँति उसके अपने
घर के दरवाजे तक!
सुंदर चर्चा, सुंदर लिंक्स. मेरी रचना शामिल करने के लिये आभार.आज शाम गुड़गाँव जाने के लिये दिल्ली निकलना है अत: विस्तृत चर्चा/ टीप नहीं कर पाऊंगा.शायद ब्लॉग जगत से भी दूर रह्ना पड़ जायेगा, 10 सितम्बर को पुन: भेंट होगी.शुभ विदा.....
ReplyDeleteaaj to itna kuch mil gaya.....bahot achcha laga,ek dhanybad bhi sweekar kar lijiyega....
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा सजा के, सुविधा करें प्रदान |
ReplyDeleteपीते पानी छान के, पाठक चतुर सुजान |
पाठक चतुर सुजान, ज्ञान-विज्ञान समाहित |
परम्परा की गंग, करे हम सदा प्रवाहित |
उत्तम चर्चा-मंच, बोलता जय जय रविकर |
दिन प्रतिदिन का कर्म, होय सुन्दरतर सुन्दर |
आदरणीया राजेश कुमारी जी सभी अच्छे लिंक्स |मेरे गीत को शामिल करने हेतु आभार |
ReplyDeleteअच्छी कड़ियाँ हैं, मेरे चिट्ठे को स्थान देने लिए आभार
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद !
ReplyDeleteसुंदर चर्चा...बहुत बहुत आभार!
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा,,,,आभार
ReplyDeleteवाह .. .बहुत ही अच्छे लिंक्स बेहतरीन चर्चा ...आभार
ReplyDeleteसोन चिड़िया
ReplyDeleteदिलबाग विर्क
इधर-उधर
बहुत सुंदर!
हर कोई लगा है यहाँ
देश को खाने में
गालियाँ जा रही हैं
उल्लू के तहखाने में
उल्लू ने जबकि छोड़
ही दिया अन्जाने में
जा कर बैठा है
बोतल ले गम मिटाने
बेचार उल्लू खुद
अब मयखाने में !!
एक दिन के वास्ते ही गांव आना
ReplyDeleteमनोज कुमार
मनोज
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ
अत्यन्त पठनीय सूत्र..
ReplyDeleteमोहब्बत/मैं /तुम/एक नज़्म.....
ReplyDeleteby expression at my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन..
वाह !
इधर इसका डर जाना
मौका देख उसका
उधर सर चढ़ जाना
मुश्किल है समझाना !
अर्थ का अनर्थ (लघुकथा )
ReplyDeleteby रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें
समझ इतना ही आ पाया
भगवान कभी समझदार
आदमी से मिलने
नहीं जा पाया
इसी लिये आदमी में
अपना सिक्का अभी
तक नहीं जमा पाया !
एक गीत -प्यार के हम गीत रचते हैं
ReplyDeleteby जयकृष्ण राय तुषार at छान्दसिक अनुगायन -
एक खूबसूरत एहसास भरा गीत !
लिख लिख कालिख कोल, जवाबों में कंजूसी-
ReplyDeleteरविकर फैजाबादी at रविकर-पुंज –
जोर ना लगाइये !
साले बिल में घुस जायेंगे
अगर आप ऎसे हड़कायेंगे !
लिंक तो सुहाने हैं , मगर चर्चा तितर बितर लग रही है :)
ReplyDeletebahut sunder links....meri post ko charchamanch tak laney key liye dhanyawad
ReplyDeleteसुंदर चर्चा
ReplyDeleteआभार...............
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार
ReplyDeleteअच्छे अच्छे लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा | मेरी रचना को जगह देने के लिए बहुत बहुत आभार |
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