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रविवार, जनवरी 06, 2013

"धूप ज़रा मुझ तक आने दो" (चर्चा मंच-१११६)

मित्रों!
      नववर्ष के प्रथम रविवार की चर्चा आपकी सेवा में प्रेषित है।
"मंगलमय नववर्ष"
इतिहास बन गया, गया साल।
आया जीवन में, नया साल।।

आज सबसे पहले प्रस्तुत है-
चर्चा मंच के प्रवेशांक की चर्चा।

"दिल है कि मानता नही" (चर्चा मंच)
चर्चा मंचः प्रवेशांक
मित्रों!
      काफी दिनों से "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की में" आपके चिट्ठों को चर्चा के लिए प्रस्तुत कर रहा था। आप सबके स्नेह से मुझे बल मिला और स्वतन्त्ररूप से चर्चा करने के लिए यह "चर्चा मंच" तैयार कर लिया।
यह आपका सबका ही मंच है। आशा ही नही अपितु विश्वास भी है कि आपका प्यार पूर्ववत् मुझे मिलता रहेगा।


ब्लॉग वाणी और चिट्ठा-जगत को हार्दिक धन्यवाद के साथ- आपके आशीर्वाद का आकांक्षी

अब आज का "चर्चा मंच" सजाता हूँ-
जाना चाहती हैं यहाँ वहां,
देखना चाहती है सारा जहाँ कल्पन...
ताऊ डॉट इन में पढ़िए ब्लॉग जगत के ताऊ की शादी का क्या राज था?
पिछले अंक मे आपने पढा था कि खुशदीप ने ताऊ को
पिछले जन्म में ले जाकर सवाल पूछना शुरु किया.
ताऊ अब अपने पिछले जन्म मे जब वो
झंडू सियार था वहां पहुंच गया. अब...

वीर बहुटी में आज छपी है
निर्मला कपिला जी की खूबसूरत गज़ल-
- *कई दिन से बच्चे आये हुये हैं
कुछ अधिक नया लिख नहीं पा रही।
ये छोटी सी गज़ल जिसे प्राण भाई साहिब ने संवारा है
उनके आशीर्वाद से
आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ...

ज़िंदगी के मेले में श्री बी.एस. पाबला जी ने दी है
एक आवश्यक तकनीकी सूचना-
पिछली बार जब फेसबुक व ब्लॉगस्पॉट पर
हैकिंग हमला हुआ था तो
उसके बाद गूगल जैसी दिग्गज वेब साईट्स
अक्सर ऐसा कुछ होने पर
कहती रही हैं कि ताज़ा स्थिति के लिए ट्...

दिनेश दधीचि जी ने तो शीत के माध्यम से
बहुत सुन्दर सन्देश दिया है-
सुनो, शीत से काँप रहा हूँ तन बाँहों से ढाँप रहा हूँ
कैसे राहत मिल सकती है
सूरज से मैं भाँप रहा हूँ ।
नहीं मूँगफली भुनी हुई, बस थोड़ी...

मनोरमा में श्यामल सुमन जी की
सलाह तो मान ही लीजिए-
वो कहे रात अगर दिन को नहीं
रात कहो लबों पे आ के जो रूक जाये वही बात कहो
हैं राज दिल में कई कहना जिसे मुश्किल है
छलक पड़े जो ये आँखों से तो सौगात कहो ...

मसि-कागद जी अपनी पोस्ट में
सभ्यता के गुण-दोष को उजागर कर रहे हैं-
आधुनिकता के इस दौर में
पाश्चात्य सभ्यता के अनुगमन कि
होड़ में.. हम दौड़ रहे हैं... अंधी दौड़ में...
बहुत आगे,
मगर पदचिन्हों पर किसी के..
हर बदलते पल के साथ, ...

bhartimayank वाली श्रीमती अमर भारती
एक पुराने लज़ीज़ व्यञ्जन को
बनाने की विधि समझा रहीं हैं-
* * *आज प्रस्तुत है- अँदरसाः
* * * *पूर्वी उत्तर प्रदेश में "पिटव्वा",
* *पश्चिमी उत्तर प्रदेश में "अँदरसा * *
और सामान्यतः इसे
"पूरनपोली" के नाम से जाना जाता है...

श्री गगन शर्मा जी Alag sa को -
उस्ताद बिसमिल्ला खां,
संगीत की दुनिया का एक बेमिसाल फनकार,
सुरों का बादशाह।
जिन्होंने सिर्फ शादी-ब्याह के मौकों पर बजने वाली
शहनाई को एक बुलंद ऊंचाई तक...

सुना रहे हैं नये रूप में पुरानी बात-
गरजना बादल की उकताई और चिल्लाहट है
बरसना बादल का मदमाना और मुसकाहट है
बादल जब तक बादलों से टकराता है,
बेचारा बोर होता है लेकिन बादल जब बादली से...

saMVAdGhar संवादघर में छपी है शानदार गज़लें
लेकिन इन्हें बता रहे हैं-
जोकि ये समझ रहे हैं मुझे कुछ पता नहीं है
उन्हें जाके ये बता दो उन्हें ख़ुद पता नहीं है
यूंही ख्वाहमख्वाह ही डरके कोई बात मान लेना
इसे तुम हया न सम...

ज़िन्दगी को श्रीमती वन्दना गुप्ता ने
एक नवगीत से सजाया है-
तेरे रूप के सागर में
उछलती -मचलती
लहरों सी चंचल चितवन
जब तिरछी होकर
नयन बाण चलाती है
ह्रदय बिंध- बिंध जाता है
धडकनें सुरों के सागर पर
प्रेम राग बरसाती हैं के...
चर्चा मंच के प्रवेशांक में
केवल 11 चिट्ठों की चर्चा ही की गयी थी!
अब देखिए - 
हमारे वर्तमान चर्चाकारों की पोस्टों की बानगी!


नववर्ष (2013) की मंगल कामना


प्रीति की रीति
प्रीति की रीति इतनी निभा दीजिये!
मेरे आंसू हैं मोती बना दीजिये!
सिर्फ इक बार अधरों से छूकर मुझे,
मैं हूँ पत्थर नगीना बना दीजिये!!

-0-0-0-
सर्व नाश
थर्रा गये मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर
जब कर्ण में पड़ी मासूम की चीत्कार
सहम गए दरख़्त के सब फूल पत्ते
बिलख पड़ी हर वर्ण हर वर्ग की दीवार…
-0-0-0-
ख्वाब क्या अपनाओगे ?
प्रत्यक्ष को अपना न सके, ख्वाब क्या अपनाओगे;
बने कपड़े भी पहन न पाये, नए कहाँ सिलवाओगे |
-0-0-0-
बृहस्पतिवार- श्री दिलबाग विर्क
औरत
निवेदन - कृपया इसे कुंडलिया छंद के मापदंड पर न परखें, इसे सिर्फ षटपदीय समझें
औरत क्यों सुरक्षित नहीं, आज भी घर बाहर 
बाहर दरिन्दे लूटते, घर में अपनों का डर ।
घर में अपनों का डर, कहीं जला न दे कोई 
दहेज़ दानव हुआ, ये कैसी किस्मत हुई ।
भ्रूण-हत्या, बलात्कार, विर्क हो रहे यहाँ नित्त 
उपर से दुःख यही , औरत को सताए औरत ।
-0-0-0-

बेअकल लड़कियाँ

शीर्ष देखकर चौंक गए क्या ? बात तो चौंकने की ही है मगर है सच । अजी अभी से तेवर गर्म हो गए, पहले मेरी बात तो सुनिए । माना आज की लड़कियाँ सफलता के हर  शिखर को छू रहीं हैं मगर इससे उन्हें विदुषी होने का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता । आप फिर लाल पीले हो गए ...।
शुक्रवार-श्री दिनेश गुप्ता "रविकर"
नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले -
शादी कच्ची उम्र में, लाद रहे ड्रेस कोड ।
नए नए प्रतिबंध नित, नारी तन-मन गोद ।
-0-0-0-
बराबरी अधिकार, सोच वो ही क्यूँ बदले-
फर्क है भारत और इंडिया में.,
रील लाइफ़ और रीअल लाइफ़ में
बदले क्यूँ कन्या कुशल, खुद के क्रिया कलाप ?
मचे इण्डिया में ग़दर, मदर इण्डिया काँप ।
-0-0-0-
 
मेरे पास कुरान की आयतें नहीं जो बांच सकूँ गीता का ज्ञान नहीं जो बाँट सकूँ शबरी के बेर नहीं जो खिला सकूँ मीरा का प्रेम नहीं जो रिझा सकूँ...
नयी सुबह की आस
कोई मस्त है, कोई पस्त है
चेहरे की शिकन देखकर
लगता है कि त्रस्त है
मजे की बात है कि
फिर भी हरदम व्यस्त है
ठीक उसी तरह जैसे
नयी सुबह की आस जगाकर
प्रतिदिन होता सूरज अस्त है।
कुछ प्रश्न
हमेशा
सिर्फ प्रश्न ही रहते हैं 
क्योंकि
उनके उत्तरों में लगा
प्रश्न चिह्न
कभी मिटने नहीं देता
अपना अबूझ
अस्तित्व!

अपने कंप्यूटर पर देखें 3D विडियो
डियर रीडर्स , आज कल 3D विडियो का ज़माना है। नयी नयी फिल्मे भी 3 डी विडियो फोर्मेट में आ रही हैं। पहले 3 डी विडियो का छोटा सा परिचय करवाता हूँ...

जनवरी की ठण्ड - उफ़ कितनी ठण्ड है , ऐसा लग रहा है जैसे सारी धरती ही बर्फ से जम जाएगी .


कार्टून:- बड़े साहि‍त्‍यकार की कहानी -
टिप्स हिंदी में

stylish push type button -Sylish Push Type बटन अपने ब्लॉग पर कैसे स्थापित करें ? आज की पोस्ट में पेश है stylish Push Type CSS आधारित बटन
तकनीक दृष्टा

Blogger Blogs को Pinterest पर Verify कैसे करायें
*Pinterest* हिंदी ब्लॉगरों के बीच कितना लोकप्रिय हुआ है ...
ई-पण्डित / ePandit - Hindi Tech Blog
उबुंटू ऑपरेटिंग सिस्टम आयेगा स्मार्टफोनों में -लोकप्रिय लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम वितरण उबुंटू स्मार्टफोनों में आने वाला है। उबुंटू की निर्माता कम्पनी कॅनोनिकल ने इस आशय की घोषणा की है…
ग़ज़लगंगा.dg
वक़्त भागा जा रहा था और हम ठहरे हुए थे -गर्दिशे-हालात की जंजीर से जकड़े हुए थे. वक़्त भागा जा रहा था और हम ठहरे हुए थे. नींद आती थी मगर उसमें कोई लज्ज़त नहीं थी ख्वाब जाने कौन से ताबूत में सोये ...
ये भारत है मेरे दोस्त ................

एक संवाद ... - ** * कहो सीता से * ** ** *** फिर कोई राम क्यों आये धरा पर, *** ** *फिर कोई रावण क्यों हरे सीता,* **** ** *स्वयं ही राम क्यों न बना जाये…
कबीरा खडा़ बाज़ार में

फर्क है भारत और इंडिया में .,रील लाइफ़ और रीअल लाइफ़ में .बलात्कार और यौन संबंधों को ग्लेमराइज करने वाले इंडिया में मिलेंगे .ये हिन्दुस्तान है उन लोगों का जो भारत को विभाजित करवाते हैं ,बांटते हैं .जब ज़रुरत पड़ती है…
म्हारा हरियाणा

नव वर्ष - * जश्न,* * पार्टीबाजी ,* * हो-हल्ला ,* * है नव वर्ष |* * * * ...
अपनी भारत माँ का प्यार लिए फिरता हूँ वाणी में !!
केसर घाटी में आतंकी शोर सुनाई देता है हिजबुल लश्कर के नारों का जोर सुनाई देता है मलयसमीरा मौसम आदमखोर दिखायी…
वह सुनयना थी,,,( विक्रम सिंह )
काव्यान्जलि

वह सुनयना थी, कभी चोरी-चोरी मेरे कमरे मे आती नटखट बदमाश मेरी पेन्सिले़ उठा ले जाती और दीवाल के पास बैठकर अपनी नन्ही उगलियों से भीती में चित्र बनाती अनगिनत-अनसमझ, कभी रोती कभी गाती वह फिर आयी थी मेरे कमरे में मुझे देख सकुचाई थी नव-पल्लव सी अपार शोभा लिये पलक संपुटो में लाज को संजोये सुहाग के वस्त्रों में सजी उषा की पहली किरण की तरह कॉप रही थी जाने से पहले मांगनें आयी थी ,वात्सल्य भरा प्यार जो अभी तक मुझसे पा रही थी वह फिर आयी थी मेरे कमरे में दबे पाँव
दामिनी को सच्‍ची श्रद्धांजलि कैसे मिले ??
गत्‍यात्‍मक चिंतन
पुराने वर्ष को विदा करने और नए वर्ष का स्‍वागत करने के , व्‍यतीत किए गए वर्ष का मूल्‍यांकण करने और नए वर्ष के लिए अपने कार्यक्रम बनाने यानि हर व्‍यक्ति के लिए महत्‍वपूर्ण दिसंबर के उत्‍तरार्द्ध और जनवरी के पूवार्द्ध में पड रही कडाके की ठंड के मध्‍य देश एक अलग ही आग में जल रहा है । एक दुष्‍कर्म के एवज में अपराधियों को फांसी मिलने की मांग पर जनता अटल है , और सरकार अपनी जिद पर । पर सारी घटनाओं को देखने सुनने और चिंतन करने के बाद चाहकर भी इतने दिनों तक अपने विचारों को सुनियोजित ढंग से लिख पाने में सफल न हो सकी। क्‍यो‍कि मेरा सारा ध्‍यान संकेन्‍द्रण अपने…
 Madhu Singh : खिचड़ी-Khichadi
Benakab

खिचड़ी अड़ गया है जिद पे अपनी, ज़ज गवाही के लिए ज़ख्म, ख़ुद कहानी कह रहें हैं न्याय के दरबार में ख़ुद को कहने लग गया है, वो देवता है न्याय का पर ,सब सरीके ज़ुर्म हैं अब न्याय के दरबार में कह रहा हर शक्स जिसको , न्याय की एक पालिका सौदा न्याय का है हो रहा , अब न्याय के दरबार मे काले कपड़े में वो है अकड़ा
 तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक-
रविकर की कुण्डलियाँ
कामोत्तेजक सीनरी, द्रव्य, धूम्र सहकार। भ्रष्ट-आचरण, स्वार्थ, दम, तार-तार संसार । तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक । पाद रहा अंगार, हुआ जाता है हिंसक । नैतिक बंटाधार, थाम सकते तो थामो । डूबे देश-समाज, मरोगे सब नाकामो
 नैतिक मूल्यों का करें संरक्षण
मेरी साधना

आज कहने को तो हम आधुनिक हैं परन्तु दिखावट भरी जिन्दगी में हम अपने साँस्कृतिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं.सही अर्थों में किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके नैतिक गुणों जैसे-प्रेम,दया,सहानुभूति,ईमानदारी,सदभावना के आधार पर की जाती है.किन्तु आज हमारी सोच ,समाज,रहन-सहन,सँस्कृति यहाँ तक कि मूल्य भी बदल गए हैं.इसका कारण आधुनिक परिवेश,हमारी बदलती सोच,टूटते संयुक्त परिवार व सामाजिक वातावरण आदि हैं.चाहें हम आधुनिकता की चकाचौंध में अन्धाधुन्ध भागी जा रहे हैं.फिर भी हमें इन नैतिक मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए

लीजिए, पेश है चाणक्य फ़ॉन्ट के लिए निःशुल्क हिंदी वर्तनी जांचक

यूनिकोड हिंदी में लिखी सामग्री की वर्तनी जाँच के लिए तो अब हमारे पास कई अच्छे और निःशुल्क विकल्प हैं, परंतु प्रिंट मीडिया में धुंआधार उपयोग में लिया जाने वाला *चाणक्य फ़ॉन्ट* के लिए निःशुल्क वर्तनी जाँचक अब तक - कम से कम मेरी जानकारी में - नहीं था. परंतु अब आपके लिए चाणक्य फ़ॉन्ट में लिखी हिंदी सामग्री का निःशुल्क वर्तनी जांचक उपलब्ध है

अन्त में…!

"रोज-रोज ही गीत नया है गाना" 

27 टिप्‍पणियां:

  1. "देवा श्री गणेसा"

    अच्छे लिंक्स का समायोजन हुआ है ..कुछ सार्थक और कुछ आज के वक्त पर सवालिया निशान लगाती हुई रचनाये है।

    एक गुजारिश है की आप 15-16 से ज्यादा लिंक्स न डालें ... तांकि पठने में आसानी रहे ...ज्यादा लिंक्स पठना आपे से बहार हो जाते है।और फिर ये चर्चा मंच तो हर रोज update होता है।

    आभार!!

    recent poem : मायने बदल गऐ

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  2. घने कुहासे को चीरता चर्चा मंच |बेहद उम्दा लिंक्स |

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  3. आज तो बड़े सारे लिंक्स जमा किये हैं। जनवरी की ठण्ड में आज की चर्चा बड़ी सुहावनी रही।

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  4. पुराने और नये का खूबसूरत संगम चर्चा को उत्कृष्ट बनाता है।

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  5. धन्यवाद शास्त्री जी! बहुत बढ़िया लिंक्स. मेरे ब्लॉग को आशीष देने के लिए आभार!

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  6. आदरणीय शास्त्री सर नए साल के पहले रविकर की चर्चा लगाने हेतु आपको हार्दिक बधाई, आप यूँ ही सालों-साल चर्चा के साथ मिलते रहें, कुछ पुराने कुछ नए लिंक्स का सुन्दर तांता लगाया है आपने हार्दिक बधाई.

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  7. सुन्दर चर्चा का किया, गुरुवर श्री गणेश |
    अति उपयोगी लिंक से, जागृति होता देश |
    जागृति होता देश, केश अब फास्ट ट्रैक पर |
    दे सटीक सन्देश, देह का करिए आदर |
    शाश्वत नैतिक मूल्य, सीख उच्छ्रिन्खल भोगी |
    फांसी का कानून, अन्यथा अति उपयोगी ||

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  8. बहुत विस्तृत कवरेज की है ब्लागपोस्टों की आज. मार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आभार.

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  9. बहुत बढ़िया सेतु समायोजन एवं प्रस्तुति .हाँ पूरे वजन के साथ कहता हूँ यह बात :संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य ही गलत है मिथ है यथार्थ नहीं .

    मिथ :इंडिया डेट इज भारत

    यथार्थ :इंडिया इज इंडिया ,भारत इज भारत

    इंडिया एक विकसित स्टेट है भारत विकास शील बनाना स्टेट है .

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  10. डॉ साहब बहुत बढ़िया कही है यह शहर के साथ संवाद है शहर का परिचय पत्र हाई आधार कार्ड है .सुमधुर तराना है यह गीत ,बदलाव का फसाना है .


    गंगा-गइया-मइया,
    सबको हमने है बिसराया.
    दूध-दही के बदले में,
    मदिरा का प्याला भाया,
    दाल-सब्जियाँ भूल, मांस को
    शुरू कर दिया खाना।
    नूतन के स्वागत-वन्दन में,
    डूबा नया जमाना।।

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  11. बहुत बढ़िया सेतु समायोजन एवं प्रस्तुति .हाँ पूरे वजन के साथ कहता हूँ यह बात :संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य ही गलत है मिथ है यथार्थ नहीं .

    मिथ :इंडिया डेट इज भारत

    यथार्थ :इंडिया इज इंडिया ,भारत इज भारत

    इंडिया एक विकसित स्टेट है भारत विकास शील बनाना स्टेट है .

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बढ़िया सेतु समायोजन एवं प्रस्तुति .हाँ पूरे वजन के साथ कहता हूँ यह बात :संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य ही गलत है मिथ है यथार्थ नहीं .

    मिथ :इंडिया डेट इज भारत

    यथार्थ :इंडिया इज इंडिया ,भारत इज भारत

    इंडिया एक विकसित स्टेट है भारत विकास शील बनाना स्टेट है .

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  13. सुन्दर लिंक्स से सजी बहुत रोचक चर्चा..आभार

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  14. बढ़िया चर्चा सजाई आप ने शास्त्री जी |
    हैकरों ने ट्विटर को बनाया निशाना, अपने कब्जे में ले किया DNS में बदलाव, इन पर लगाये गये दोनों लिंक काम नहीं कर रहे |

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  15. बढ़िया लिंक्स. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार!शास्त्री जी,,,,

    जवाब देंहटाएं
  16. उम्दा लिंक्स दी हैं शास्त्री जी |थोड़ी सी धूप हमें देदो सच कहा आपने |
    आशा

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  17. चर्चा मंच पर आने के बाद कितना गुजर गया इसका ख्याल ही नही होता।इतने सारे बेहतरीन लिंकों में खो जाते है,उम्दा लिंक समायोजन के लिए धन्यबाद।

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  18. नववर्ष की मंगल कामनाएं आपको भी भाई साहब सानंद रहें .

    अन्त में…!

    "रोज-रोज ही गीत नया है गाना"

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  19. नववर्ष की मंगल कामनाएं आपको भी सानंद रहें .


    अड़ गया है जिद पे अपनी, ज़ज गवाही के लिए।।।।।।।।ज़िद
    ज़ख्म, ख़ुद कहानी कह रहें हैं न्याय के दरबार में

    ख़ुद को कहने लग गया है, वो देवता है न्याय का
    पर ,सब सरीके ज़ुर्म हैं अब न्याय के दरबार में।।।।।।।।शरीके जुर्म ......

    कह रहा हर शक्स जिसको , न्याय की एक पालिका।।।।।।।।शख्श ........
    सौदा न्याय का है हो रहा , अब न्याय के दरबार मे

    काले कपड़े में वो है अकड़ा, दिख रहा जो मंच पर
    कल उसी ने मुह काला किया,बैठ,न्याय के दरबार में।।।।।।मुंह काला किया

    सर से लेकर पावं तक मुकम्मल सब सरीके ज़ुर्म हैं ....शरीके जुर्म है ....
    है लिख रहा जो फैसला बैठ, अब न्याय के दरबार में

    कहावत "दाल मे काले"की अब हो गई सदिओं पुरानी ...सदियों ......
    है खिचड़ी पक रही, काले दाल की,न्याय के दरबार में

    वो हमारी क्या हिफाज़त कर सकेंगें जो सरीके ज़ुर्म हैं।।।।शरीके जुर्म हैं
    खुला खेल, सारा चल रहा है, अब न्याय के दरबार में

    मधु "मुस्कान"

    सुन्दर बिम्बों और अर्थों को समेटे बढ़िया विचार कविता हमारे वक्त की दास्ताँ कहती है .
    Madhu Singh : खिचड़ी-Khichadi
    Benakab

    खिचड़ी अड़ गया है जिद पे अपनी, ज़ज गवाही के लिए ज़ख्म, ख़ुद कहानी कह रहें हैं न्याय के दरबार में ख़ुद को कहने लग गया है, वो देवता है न्याय का पर ,सब सरीके ज़ुर्म हैं अब न्याय के दरबार में कह रहा हर शक्स जिसको , न्याय की एक पालिका सौदा न्याय का है हो रहा , अब न्याय के दरबार मे काले कपड़े में वो है अकड़ा

    जवाब देंहटाएं
  20. विज्ञापन में नारी वैसे ही लगती है जैसे डाइनिंग टेबिल पर सलाद से सजी हुई प्लेट .आदरणीय विर्क जी इस विषय का निर्वहन थोड़ी संजीदगी और तंज माँगता है .आपकी प्रस्तुति में आप कहाँ बोल

    रहें हैं विज्ञापन कहाँ सब कुछ गडमड है .

    आप इसे इस तरह कह सकतें हैं एक विज्ञापन कहता है /एक विज्ञापन की बानगी देखिये ......फिर विज्ञापन कवित्त को उद्धृत कर दीजिये .बस .

    जवाब देंहटाएं
  21. बढ़िया प्रस्तुति है स्वगत कथन संवाद शैली में .

    जवाब देंहटाएं
  22. चर्चा मंच के प्रवेशांक को पुनः यहाँ देखकर अच्छा लगा । साथ में आज की चर्चा भी बहुत उम्दा । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  23. चर्चा के सभी लिंक अपने वक्त से बा -वास्ता हैं जीवंत हैं मौजू हैं .बधाई .

    बहुत बढ़िया है गागर में सागर जैसे .


    फिर स्वप्न सलोने टूटेंगे,
    कुछ मीत पुराने कुछ रूठेंगे,
    लेकिन जीवन के उपवन में,
    आशा के अंकुर फूटेंगे,
    खुशियों का होगा फिर धमाल।
    आया जीवन में, नया साल।।
    एक अलग अंदाज़ लिए एक अनोखा प्यार लिए ,जोश और उल्लास लिए है यह नव वर्ष अभिनंदनी पोस्ट

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