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रविवार, जनवरी 20, 2013

“आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!” (चर्चा मंच-११३०)

मित्रों!
रविवार के लिए कुछ हिन्दी ब्लॉगों के अद्यतन लिंक आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत हैं!
सबसे पहले एक सूचना
अमर भारती साप्ताहिक पहेली का प्रकाशन पुनः प्रारम्भ कर दिया गया है
अमर भारती साप्ताहिक पहेली का प्रकाशन पुनः प्रारम्भ कर दिया गया है
आप इस चित्र पर क्लिक करके पहेली तक पहुँच सकते हैं! ! 
पहेली प्रत्येक रविवार को प्रातः 11 बजे प्रकाशित होगी!
"दुनियादारी"

चार दिनों का ही मेला है, सारी दुनियादारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।

अमर समझता है अपने को, दुनिया का हर प्राणी,
छल-फरेब के बोल, बोलती रहती सबकी वाणी,
बिना मुहूरत निकल जायेगी इक दिन प्राणसवारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।...
धागा प्रेम का
भूली-बिसरी यादें

रोक रही हूँ छलकते आंसूओ को जब मिलोगे करूँगी अर्पित तुझे ही आंसूओ का अर्घ्य शीतल हेम सा मुहं फेर रुखसत हो गये मुडकर अश्को भरी नयनो को देखा ही नही रहे हमेशा वफा में पावं लिपटे हुए बीते सौ कहानियों में से क्या कहूँ साथ नही है कोई आंसूओ के तिजारत में जब भी मिलोगे आँखों में आंसू लबो को हंसता पाओगे…

न शहादत भी ये शर्मिन्‍दा हो !!!
SADA
सारे हल इन दिनों तिलमिलाहट की भाषा में बात करते हैं आखिर हमारा वज़ूद क्‍या है हम कब तक कैंद रहेंगे इस सियासत़ की गंदी बस्‍ती में हमें भी आजा़दी चाहिये सच दम घुटता है जब मातृभूमि की सुरक्षा में किसी वीर का सीना छलनी होता है जी चाहता है मैं गोली बन जाऊँ और दुश्‍मन के भेजे में समा जाऊँ एक हल बुदबुदाया ... हमें संधि के दस्‍तावेज थमाकर विश्‍वास के हस्‍ताक्षरों से मुँह बंद कर देना तो महज़ एक खेल है इनका बचकाना देखो कैसे - कैसे परिणाम मिले हैं दूजा हल कुनमुनाया .....

क्रोध!! आक्रोश!!

क्रोध!! आक्रोश!! मेरे दिल और मेरी आत्मा में अंदर तक विद्यमान कभीआवेग कम तो कभी प्रचंड कभी रहती में शांत सी तो कभी निहायत उद्दंड सब कर्मो का आधार ये सब दर्दो का प्रकार ये उद्वेग जो कारण उग्र होने का आवेश...
नवभारत टाईम्स बनाम हनी सिह: चोर चोर मौसेरे भाई
पछुआ पवन (The Western Wind)
इंटरनेट पर गन्दगी फैलाने मे नवभारत टाईम्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उत्तेजना को उकसाने वालो के लिये भी कोई कानून बने. बलात्कार जैसे अपराध के व्यक्ति तो जिम्मेदार है ही साथ ही बलात्कारी मानसिकता का निर्माण करने वाले फैक्टर्स की भी खोज करके उन्हे समाप्त करने की जरूरत है. मुझे कहने मे कोई गुरेज नही कि नवभारत टाईम्स एक समाचार पत्र की नही बल्कि बलात्कारी मानसिकता निर्माण करने का मुखपत्र है. नवभारत टाईम्स और हनी सिह दोनो एक ही तरीके से चल रहे है.
Chintanpal. चिन्तनपल
Sahityayan. साहित्यायन : कुछ कविताएँ -Sahityayan. साहित्यायन : कुछ कविताएँ: मखमली आलोचना ऊँची कुर्सी पै धरे बौने की छोटी छोटी कवितायें महान लगती हैं सरकारी आलोचक को...
विरल त्रिवेदी

गाय की जिवंत समाधि और बन गया मंदिर : 125 सालो से अखंड ज्योत प्रज्वलित
Hindi Tips

वर्तमान समय में लाल किताब की उपयोगिता -
रूद्र

बालोँ मेँ पेँटिँग - खेलते समय माँ को तो रुद्र अपना स्टफ्ड टाय समझता है ।आज स्कूल से लौटतेही शुरु हो गया
Hindi4Tech ( Seo Tricks, Tips,Gadjets & Tutorial For Blogger )

Newspaper Premium Blogger Template
काव्यान्जलि ...

बस्तर-बाला,,, - बस्तर-बाला" केश तुम्हारे घुंघराले , ज्यों केशकाल की घाटी देह तुम्हारी ऐसे महके ,ज्यों बस्तर की माटी. इन्द्रावती की कल-कल जैसी….
Tips Hindi Mein / टिप्स हिंदी में

क्या आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं ?
म्हारा हरियाणा

प्रभाव परिवर्तन का --आशा जी- अकारण कोई नहीं अपनाता मन शंकाओं से भरता जाता यह परिवर्तन हुआ कैसे छोर नजर नहीं आता फिर भी परेशान नहीं हूँ खोजना चाहती हूँ उसे जो है असली कारक और कारण...
खानपान से जुड़ी है हमारी कई बीमारियों की नव्ज़ (तीसरी क़िस्त )
खानपान से जुड़ी है हमारी कई बीमारियों की नव्ज़ (चौथी क़िस्त )
खानपान से जुडी है हमारी सेहत और सोच की भी नव्ज़ (आखिरी क़िस्त )
कलम आज भी उन्हीं की जय बोलेगी ......
Army Chief may meet slain soldier's family
आर.एन.गौड़ ने कहा है - ''जिस देश में घर घर सैनिक हों,जिसके देशज बलिदानी हों. वह देश स्वर्ग है ,जिसे देख ,अरि के मस्तक झुक जाते हों .''सही कहा है उन्होंने ,भारत देश का इतिहास ऐसे बलिदानों से भरा पड़ा है .यहाँ के वीर और उनके परिवार देश के लिए की गयी शहादत पर गर्व महसूस करते हैं .माताएं ,पत्नियाँ और बहने स्वयं अपने बेटों ,पतियों व् भाइयों के मस्तक पर टीका लगाकर रणक्षेत्र में देश पर मार मिटने के लिए भेजती रही हैं और आगे भी...
नहीं रुकेंगे बलात्कार... डा श्याम गुप्त
एक ब्लॉग सबका

* * क्योंकि हमारे समाचार-पत्र, पत्रकार, ट्रेवेल एजेंसी तो हमें- हमारे नव-युवाओं-युवतियों, देश के भावी कर्णधारों को मौज-मस्ती के लिए ..शराव - शबाव में मस्त रहने को ही पर्यटन बता रहे हैं ..सिखा-पढ़ा रहे हैं | *देखें चित्रों में .*.. जबकि हमारे *देश भर के तमाम विद्वान्,* शंकराचार्य जैसे विश्व-मान्य संत-विद्वान् एवं हाल ही में तमाम, संतो-साधुओं-आचार्यों-विद्वानों –अनुभवी जन-नेताओं, साहित्यकारों आदि ने *अप-संस्कृति एवं आचरण के विभिन्न बिन्दुओं पर विचार व्यक्त किये हैं*, जिन पर आधुनिकता से संचारित तमाम युवाओं ने आपत्ति भी की...
घोंघा
बेचैन आत्मा

कुछ घालमेल हो रहा है। चित्रों का आनंद लेते-लेते कविता बन जा रही है। अपने ब्लॉग "चित्रों का आनंद" में गंगा जी की कुछ तस्वीरें लगाने लगा तो एक कविता अनायास बन गई। अब उसे यथा स्थान यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ। घोंघा कभी तुममे था जीवन ! रेत कुरेदने पर निकल आये हो बाहर। अब खाली हो असहाय खालीपन के एहसास से परे बन चुके हो खिलौना खेलते हैं तुम्हें रेत से बीन-बीन बच्चे ढूँढता हूँ तुममें जीवन काँपता हूँ भरापूरा अपने खालीपने के एहसास से! मैं घोंघा बसंत। ...............
रूप-अरूप

कहो और क्‍या है...... -
 तुम भले इसे प्रवाहमयी जीवन में आई छोटी सी रूकावट समझो कह भी लो मगर जब दि‍न-रात भरा-भरा सा लगता हो और अल्‍लसुबह नींद से जागने के बाद जबरन आंखें मींच कर

काव्य का संसार
क्यों होता है ऐसा ? - क्यों होता है ऐसा ? क्यों होता है ऐसा ये मालूम नहीं है लेकिन ऐसा होता है ये बात सही है एक बार जब आकर लस जाता है आलस उठने की...
भारतीय नागरिक-Indian Citizen
सरोकार की पत्रकारिता और वेब-साइट पर तस्वीरें -खबरिया चैनल मुद्दों को बड़े जोर-शोर से उठाते हैं. दिल्ली में हुये जघन्य दुष्कृत्य पर भी इन चैनलों ने देश को जागरुक करने का कार्य किया. कुछ चैनल तो बाकायदा...
बोलता सन्नाटा
जागे तो सही - एक पत्नि झकझोर रही थी गहरी नींद में खर्राटे लेते हुए पति को। पति जी थे कि आँखें ही नहीं खोल रहे थे। बड़े प्रयास के बाद जगे, तो पत्नि कुछ आश्वस्त हुई और….
मेरे मन की

शुभकामनाएँ - * १९ जनवरी २०१३* * ** शादी की प्रथम वर्षगाँठ पर..
परिकल्पना

...... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (4) - *तलाश ....* *खोना,गुम होना ............होते जाना * *चीखना,चुप होना - यही परिवर्तन है * * **रश्मि प्रभा *
न दैन्यं न पलायनम्

समाचार संश्लेषण - शीर्षक पढ़कर थोड़ा सा अटपटा अवश्य लगा होगा। स्वाभाविक ही है क्योंकि समाचार के साथ संश्लेषण शब्द प्रयुक्त ही नहीं होता है। संश्लेषण का अर्थ है…
झूठा सच - Jhootha Sach
बहुभाषिता और बहु सांस्कृतिकता के लाभ -*बहुभाषिता और बहुसांस्कृतिकता के लाभ* बचपन में ही यदि हम एक से ज़्यादा भाषाएँ बोलना सीख लेते हैं तो इसका फ़ायदा हमारे दिमाग को बुढ़ापे में मिलता है…
अजित गुप्ता का कोना
बाकी है एक और बर्बरता के समाचार 
अभी एक और ज्‍वलंत समस्‍या से हमें दो-हाथ होना है। अभी पुरुष बर्बरता के कारण महिलाएं संकट में पड़ी है, देश और दुनिया इनकी बर्बरता का हल ढूंढ रहे है। सारा ...
जाले
नैनोबोट्स
एक पुरानी हिंदी फिल्म का यह गाना अपने समय का बहुत लोकप्रिय हुआ करता था: "ये जिंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे, अफसोस हम ना होंगे...
अमृतरस

हवा और पानी, दोस्ती अनजानी, एक कहानी-दो दोस्त हवा और पानी .. बिछड़ गए , दूर हो गए .. सिर्फ एक तड़पते अहसास की तरह बस गए मन में...
चढ़ा गुलाबी रंग, देख जयपुर *सरमाया-
रविकर की कुण्डलियाँ

गज-गति लख *गज्जूह की, हाथी भरे सफ़ेद । बजट परे चिंतन करें, बना गजट में छेद । बना गजट में छेद, एक ही फोटो छाया । चढ़ा गुलाबी रंग, देख जयपुर *सरमाया । रविकर तो शरमाय, पहिर साड़ी यह नौ गज । कोने रहे लुकाय, सदी के सारे दिग्गज ।। हुल्लड़ होता है हटकु, *हालाहली हलोर । हुई सुमाता खुश बहुत, कब से रही अगोर । कब से रही अगोर, हुआ बबलू अब लायक । हर्षित दिग्गी-द्रोण, सौंप के सारे ^शायक । नीति नियम कुल सीख, करेगा अब ना फाउल । सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल ।।
-0-0-0-

हुई सुमाता खुश बहुत, कब से रही अगोर-

DABBU MISHRA

देश भक्ति मत झाडो, देश हम चला रहे हैं । -

HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

भर रही हुंकार सरहद लहू का टीका सजा के 
*ले गए मुंड काट कायर धुंध में सूरत छुपा के * *भर रही हुंकार सरहद लहू का टीका सजा के * *नर पिशाचो के कुकृत्य अब सहे ना जायेंगे * *दो के बदले दस कटेंगे अब….
"तुम्हारी मूक अभिव्यक्ति की मुखर पहचान हूँ मैं"
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
सुनो प्रश्न किया तुमने देह के बाहर मुझे खोजने का और खुद को सही सिद्ध करने का कि देह से इतर तुम्हें कभी देख नहीं पाया जान नहीं पाया एक ईमानदार स्वीकारोक्ति तुम्हारी सच ……अच्छा लगा जानकर मगर बताना चाहती हूँ तुम्हें मैं हूँ देह से इतर भी और देह के संग भी बस बीच की सूक्ष्म रेखा कहो या दोनो के बीच का अन्तराल उसमें कभी देखने की कोशिश करते तो जान पाते मै और मेरा प्रेम मैं और मेरी चाहतें मैं और मेरा होना देहजनित प्रेम से परे मेरे ह्रदयाकाश मे अवस्थित अखण्ड ब्रह्मांड सा व्यापक है जिसमें मेरा देह से इतर होना समाया...

और अन्त में!

ITNI SI BAAT

यह अनमोल रतन किस काम का है?
छपते-छपते
मोबाइल लेपटाँप कंप्युटर पर अब फ्री मे T.V टीवी देखेँ

हाय फ्रेड्स आज एक बार फिर आपके लिए बेहतरीन लिँक लाया हुँ मोबाइल मे टीवी का फ्री मेँ मजा लेने के लिए

monweb.wapka.mobi/site_196.xhtml
इस लिँक पर और चैनल नाम पर क्लिक करे आपको एक स्ट्रीमिँग लिक मिलेँगा आप OK कर दे फिर मोबाईल मेँ मिडाया प्लेयर खुलेँगा और कुछ सेँकेँड मे आप चैनल देखने लगेँगे इतना ही नही आप ये चैनल स्लो कनेकशन जैसे GPRS 2G आदी पर कंप्युटर या लेपटाँप पर भी देख सकते हैँ इसके लिए रियल प्लेयर आपके पास होना चाहिए आप जब RTSP स्ट्रिमिँग लिँक ओके करोगेँ तो रीयल प्लेयर खुलने के लिए अनुमति माँगेगा आप ok करो फिर चैनल देखो फ्री मेँ ह ह ह अब चैनल देखने मेँ इतना व्यस्त ना हो जाना कि कमेँट करना भूल जाऐँ ।...

साँप जी साँप !
नमस्कार !

साँप जी 
आप कुछ भी 
नहीं करते
फिर भी 
आप बदनाम 
क्यों हो जाते हो
पूछते क्यों नहीं 
अपने सांपो से कि 
साँप  साँप से 
मिलकर साँपों की 
दुनियाँ  आप क्यों 
कर नहीं बसाते हो...

43 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी चर्चा शास्त्री जी पता नही आपलोग मेरे ब्लाँग देखते की नही या आपने अपने रिडीँग लिस्ट मे जोडे हैँ या नही एक भी लिँक नही जोडते क्या मेरा ब्लाँग सबसे निम्नकोटि का हैँ ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा रविवार (20-01-2013) के चर्चा मंच-1130 (आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!) पर भी होगी!
    चर्चा मंच में स्थान सीमित ही होता है। वेसे भी अद्यतन प्रविष्टि ही मंच पर लगाई जाती है।
    वरुण जी! आपके अनुरोध पर आपका लिंक आज के चर्चा मंच पर दे रहा हूँ!
    आपकी प्रविष्टियाँ वाकई में उच्चकोटि की होती हैं!
    सूचनार्थ... सादर!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लेकिन शास्त्री जी आप ही सोचे मेरी जानकारी सटीक सरल और लोगोँ के काम आने वाली रहती हैँ तो आपको शेयर करनी चाहिए मैँ अपने ब्लाँग प्रमोशन या ट्रिफिक बढाने के लिए नही बल्कि लोग ज्यादा से ज्यादा इसका फायदा उठायेँ इसलिए लिखता हुँ और चर्चा मंच ये काम असानी से कर सकता हैँ और आपके अलावा लगभग अन्य चर्चाकार भी मेरे ब्लाँग को देखे तो जरुर कुछ ना कुछ अच्छा मिल जायेँगा ।

      हटाएं
  3. बहुत अधिक साहित्यिक परिश्रम से संकलित सूत्र..

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया लिनक्स संजोये चर्चा....

    जवाब देंहटाएं
  5. एक साथ अर्थभरे लिंक्स को एकत्रित करना आसान काम नहीं,जो करते हैं-वे समझते हैं . पढना,मन में उतारना ....फिर लोगों को उनतक पहुँचने का एक माध्यम मंच देना - प्रशंसनीय है

    जवाब देंहटाएं
  6. सतरंगी सन्योजन
    मुझे स्थान देने का आभार्

    जवाब देंहटाएं

  7. धागा प्रेम का

    Rajendra Kumar
    भूली-बिसरी यादें -

    डाले क्यूँ जीवंत चित्र, विचलित हो मन मोर |
    कौन रुलाया है इसे, कहाँ गया चित-चोर |
    कहाँ गया चित-चोर, आज हो उसकी पेशी |
    होने को है भोर, देर कर देता वेशी |
    रविकर कारण ढूँढ़, तनिक चुप हो जा बाले |
    मत कर आँखें लाल, नजर इक प्यारी डाले ||

    जवाब देंहटाएं

  8. न शहादत भी ये शर्मिन्‍दा हो !!!
    सदा
    SADA
    हलधर मोहन से बड़े, लेकिन हैं चुपचाप |
    अर्जुन का चुप *चाप है, दु:शासन संताप |

    दु:शासन संताप, कर्ण पर जूँ नहिं रेंगे |
    रेगा होते कर्म, दिखाए सत्ता ठेंगे |

    सदा सदा गंभीर, विषय ले आये रविकर |
    हल *हलका हलकान, मस्त हाकिम है हल धर ||

    जवाब देंहटाएं
  9. घोंघा

    देवेन्द्र पाण्डेय

    बेचैन आत्मा
    सीमांकन क्यूँ ना किया, समय बिताता प्रौढ़ |
    यत्र-तत्र घुसपैठ कर, कवच-सुरक्षा ओढ़ |
    कवच-सुरक्षा ओढ़, चढ़ा है रंग बसंती |
    वय हो जाती गौण, रचूँ मैं एक तुरंती |
    यह है सुख का मूल, चला चल धीमा धीमा |
    घोंघा बने उसूल, चैन की फिर क्या सीमा ??

    जवाब देंहटाएं
  10. साँप जी साँप !
    सुशील
    उल्लूक टाईम्स

    कहाँ गये थे आप जी, हांफ हांफ कर साँप ।
    देख देख के सांप को, लेते रस्ता नाप ।
    लेते रस्ता नाप, सांप से बहुत डरे है ।
    कहते हैं कुछ मित्र, यहाँ भी बड़े भरे हैं ।
    लेकिन जहर विहीन, जान के इनके लाले ।
    रहे नेवले देख, बनाते इन्हें निवाले ।।

    जवाब देंहटाएं
  11. क्या आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं ?

    Vaneet Nagpal
    Tips Hindi Mein
    करता हूँ मैं टिप्पणी, पढ़ कर पूरा लेख |
    यहाँ लिंक लिक्खाड़ पर, जो चाहे सो देख |
    जो चाहे सो देख, जमा हैं यहाँ हजारों |
    कुछ करते नापसंद, करूं पर मैं क्या यारो |
    आदत से मजबूर, उन्हें जो रहा अखरता ||
    लेकिन काम-चलाउ, कभी रविकर भी करता ||

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत खूबसूरत लिंक संयोजन्……………बढिया चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  13. एक से बढ़कर एक सुंदर संकलित सूत्र..
    मंच में स्थान देने के लिए शुक्रिया शास्त्री जी,,,

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय शास्त्री सर प्रणाम, बढ़िया चर्चा है, ह्रदय आप पे खर्चा है. अच्छे-अच्छे लिंक्स मिले हैं पाठन हेतु हार्दिक बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  15. चर्चा मंच पर स्थान देने का आभार व्यक्त करते हुए यही कहूँगा की यह मंच इन्द्रधनुष के रंगो की तरह सुन्दर आभा लिए एक बेहतरीन मंच है, जहाँ पर कई बिषयो पर आधारित अच्छे ब्लोगों पर जाने का लिंक मिल जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  16. काव्यांजलि : बस्तर बाला

    लाकर अपने ब्लॉग में , बहुत बढ़ाया मान
    ब्लॉग जगत में हो गई , मेरी भी पहचान
    मेरी भी पहचान , बहुत मैं हूँ आभारी
    कविता के सँग खूब,जमी हैं छबियाँ प्यारी
    करते रहें पवित्र , मेरी कुटिया को आकर
    बहुत बढ़ाया मान , अपने ब्लॉग में लाकर ||

    जवाब देंहटाएं
  17. धीरेंद्र सिंह भदौरिया,चिर-परिचित है नाम
    कृषकों के उत्थान का ,करते हैं शुभ काम
    करते हैं शुभ काम ,किसानी भी हैं करते
    ये हैं माटी- पुत्र , सभी के हृदय उतरते
    काव्यांजलि में बाँट, रहे साहित का मेवा
    उधर भूमि की करें इधर शारद की सेवा ||

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रवीण पाण्डेय जी द्वारा रचित समाचार संश्लेषण पर विस्तृत ज्ञान दृष्टि बढ़ाने वाली पोस्ट बहत बढ़िया लगी |

    टिप्स हिंदी मेंहिंदी टिप्स ब्लॉग की पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया |

    नयी पोस्ट :अपनी नजर में content को कापी करने की परिभाषा क्या है ?

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत मौजू ,प्रासंगिक बिंदास बोल लिए है आज की चर्चा ,सुन्दर सेतु चयन ,समन्वयन एवं प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं
  20. RES. SIR/MADAM
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  21. शालिनी जी कौशिक ,आपने बिना सन्दर्भ को तौले हुए ही लिखा है जो भी लिखा है .हेमराज की माँ और पत्नी भारत सरकार और भारत

    की सर्वोच्चसत्ता के शौर्य के प्रतीक सेनापति पे दवाब

    नहीं डाल रहीं था सिर्फ

    अपने बेटे का सिर वापस मांग रही थीं . ताकि शव की कोई शिनाख्त तो बने .एक माँ और पत्नी के दिल से पूछो ,उन्हें कैसा लगा होगा

    बिना पहचान का शव . उसका दाह संस्कार करते वक्त कैसा लगा

    होगा .

    अगर कोई आप की नाक काटके ले जाए तो क्या आप अपनी नाक उससे वापस भी नहीं मांगेंगे .

    और हेमराज कोई आमने सामने के युद्ध में ललकारने के बाद नहीं मारा गया था .कोहरे का लाभ उठाते हुए छलबल से उसपर हमला किया

    गया था .बेशक इससे हेमराज की शहादत का वजन कम नहीं होता लेकिन यह हमला भारत के स्वाभिमान पे हमला था .जिसे

    पाक ने जतला दिया -हम तुम्हें कुछ नहीं समझते .

    इस प्रकार की बातें कांग्रेसी ही करते हैं जिसकी सदस्यता लेने से पहले हाईकमान के पास सबको दिमाग गिरवीं रखना पड़ता है .आप जैसी

    प्रबुद्ध महिला के अनुरूप नहीं है तर्क का यह स्तर .कहीं आप युवा कांग्रेस की राहुल सेना तो नहीं ?

    एक टिपण्णी ब्लॉग पोस्ट :

    जवाब देंहटाएं
  22. हेमराज की शहादत ने जहाँ शेरनगर [मथुरा ]उत्तर प्रदेश का सिर गर्व से ऊँचा किया वहीँ हेमराज की पत्नी व् माँ ने हेमराज का सिर वापस कए जाने की मांग कर सरकार व् सेना पर इतना अनुचित दबाव डाला कि आखिर उन्हें समझाने के लिए सेनाध्यक्ष को स्वयं वहीँ आना पड़ा .ये कोई अच्छी शुरुआत नहीं है .सेनाध्यक्ष की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है और इस तरह से यदि वे शहीदों के घर घर जाकर उनके परिवारों को ही सँभालते रहेंगे तो देश की सीमाओं को कौन संभालेगा?

    पूर्णतया असहमत आपकी इस प्रस्तावना से .आज यह उबाल हर भारतीय के दिल में है हेमराज की माँ और पत्नी इस देश की वीरांगनाएं हैं बलिदानी माँ और पत्नी हैं .ये भाषा दिगविजय सिंह जी

    को

    ही सोहती है .

    फौजी पुत्र समान होता है सेना नायक के लिए .आपके द्वारा शहीद की माँ और पत्नी के लिए -अनुचित दवाब शब्द का इस्तेमाल अशोभनीय और एक दम से बे -मानी है निंदनीय है .

    आकर देखो सेलर और आफिसर के रिश्ते जहाज पर ,युद्ध पोतों पर तब इल्म होगा .हम तो रहते ही इनके बीच हैं .

    जवाब देंहटाएं
  23. शालिनीजी आप विमत को स्पेस देतीं हैं .मैं आपका आदर करता हूँ .ब्लॉग का यही मकसद है अहम एक विषय के विभिन्न पहलुओं को खंगाले .कोई आग्रह दुराग्रह नहीं कोई आग्रह मूलक निष्कर्ष नहीं .मात्र विमर्श है यह .राष्ट्री मुद्दे की विवेचना है

    जवाब देंहटाएं
  24. ENVIRONMENT

    Sari dharti kare pukaar
    Paryavaran me karo sudhaar

    Pragati vikas ke sapne adhure
    Paryavaran ki raksha ke bina nahi honge poore

    Prayavaran ki raksha mai dijiye yogdan
    Pranijagat ki suraksha mai kariye mahadaan

    Prani jagat ki chaahte ho suraksha
    Parayavaran ki karni hogi raksha

    Prakati se mat karo ched chad
    Varna bachna ko nahi milegi aad.


    Jeevan ki hogi tabhi suraksha
    Parayavaran ki karo sab jan raksha


    Paryavaran suraksha me karo karam
    Yahi hai aaj ka sachcha dharma

    Paryavaran me sudhaar
    To khushiyan apaar

    buddhasenpatel@gmail.com
    Buddhasenpatel 387 A Seth Mishri Lal Nagar
    Dist Dewas (M..P) India 455001 Mob. 09893555703



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  25. विचार मनोभाव मनोविज्ञान की सशक्त अभ्व्यक्ति हाँ मैं सिर्फ मादा शरीर नहीं तुम सी भी हूँ एक शख्शियत प्रेम पगी

    "तुम्हारी मूक अभिव्यक्ति की मुखर पहचान हूँ मैं"


    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ रविवार, 20 जनवरी 2013 .फिर इस देश के नौजवानों का क्या होगा ? http://veerubhai1947.blogspot.in/
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  26. विचार मनोभाव मनोविज्ञान की सशक्त अभिव्यक्ति हाँ मैं सिर्फ मादा शरीर नहीं तुम सी भी हूँ एक शख्शियत प्रेम पगी


    विचार मनोभाव मनोविज्ञान की सशक्त अभिव्यक्ति हाँ मैं सिर्फ मादा शरीर नहीं तुम सी भी हूँ एक शख्शियत प्रेम पगी

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  27. खाल मिल जाए तो छोडो मत

    काजल कुमार के कार्टून

    कार्टून:-जयपुर चिंतन समारोह स्‍थल से रपट -

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  28. सुंदर चर्चा में साँप को जगह देने के लिये आभार !

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  29. शाश्वत सत्य जीवन का वैराग्य माया मोह सभी कुछ समेटे है यह रचना .शुक्रिया हमें चर्चा मंच पे बनाए रखने के लिए .

    "दुनियादारी"

    चार दिनों का ही मेला है, सारी दुनियादारी।
    लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।

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  30. नुमाइशी बदन दिखाऊ चित्रों की खुली प्रदर्शनी है आन लाइन संस्करण NBT का .अब यह नव भारत टाइम्स कहाँ रहा पोर्न टाइम्स बन रहा है .


    नवभारत टाईम्स बनाम हनी सिह: चोर चोर मौसेरे भाई

    पछुआ पवन (The Western Wind)
    इंटरनेट पर गन्दगी फैलाने मे नवभारत टाईम्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उत्तेजना को उकसाने वालो के लिये भी कोई कानून बने. बलात्कार जैसे अपराध के व्यक्ति तो जिम्मेदार है ही साथ ही बलात्कारी मानसिकता का निर्माण करने वाले फैक्टर्स की भी खोज करके उन्हे समाप्त करने की जरूरत है. मुझे कहने मे कोई गुरेज नही कि नवभारत टाईम्स एक समाचार पत्र की नही बल्कि बलात्कारी मानसिकता निर्माण करने का मुखपत्र है. नवभारत टाईम्स और हनी सिह दोनो एक ही तरीके से चल रहे है.

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  31. खनिज संपदा से निसृत सौन्दर्य की खान ही हैं बस्तर बालाएं .रूपकात्मक अभिव्यक्तिके शिखर छू लिए इस रचना ने इतनी गहरी पकड़ इन अंचल से जुड़े रूप लावण्य और कुदरती निसर्ग सौन्दर्य की

    .आभार भाई धीरेन्द्र जी जिन बस्तर दियो मिलाय .आभार अरुण कुमार जी नगम उर्फ़ खनिज कुमार .

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  32. जनजन की हुंकार लिए है ये रचना .दिग्विजय सिंह जी अब भी ऐसे दोस्त चाहतें हैं जो छल बल से कोहरे का लाभ उठाके करतें हैं वार .पूछते हैं ज़नाब आपको कैसा पड़ोस चाहिए ?पडोसी चाहिए दोस्त

    या दुश्मन .आतंकी ओसामा बिन लादेन को लादेन जी कहने वाले यही हैं श्रीमान .आपने कहा था इन्हें भी सम्मान पूर्वक दफनाया जाना चाहिए था .क्या करें इन जयाछंदों का,सेकुलर बन्दों का अपने

    देश में ?कितनी अजीब बात है कल तक था वह भी इंसान आज सेकुलर हो गया .
    HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

    भर रही हुंकार सरहद लहू का टीका सजा के
    *ले गए मुंड काट कायर धुंध में सूरत छुपा के * *भर रही हुंकार सरहद लहू का टीका सजा के * *नर पिशाचो के कुकृत्य अब सहे ना जायेंगे * *दो के बदले दस कटेंगे अब….

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  33. सभी पोस्ट अच्छी हैं,चर्चा में क्रोध!!
    आक्रोश!! को जगह देने के लिये आभार !

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  34. अच्‍छे लिंक्‍स..सारी नहीं पढ़ पाई हूं..पर अब तक जहां भी गई..सार्थक रचनाएं मि‍लीं और मैं प्रति‍किया भी देना पसंद करती हूं। मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए आभार आपका..शुभरात्रि

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  35. आज के चर्चामंच पर मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
    आशा

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