दोस्तों
वक्त कम है और काम ज्यादा इसलिये आज कोई बात नहीं सीधे चलिये लिंक्स की ओर
गीता ………जो भाव बन उतर गयी
- श्री मद भगवद गीता भाव पद्यानुवाद श्री कैलाश शर्मा जी द्वारा रचित काव्य संग्रह बेशक संग्रहणीय है। बेहद सरल भाषा में भावों को संजोना और कथ्य से भी कोई सम...
"सामयिक दोहे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
- *कोयल और कबूतरी, नहीं सुरक्षित आज।* *वर्तमान परिपेक्ष्य में, दूषित हुआ समाज।१।* * * *इंसानों के अंग में, बढ़ी हुई है खाज।* *प्रदूषण के दौर में, करना कठिन इल...
गूँज .... - *एक छोटा बच्चा अपनी माँ से नाराज होकर चिल्लाने लगा मे तुमसे नफरत करता हूँ उसके बाद वह फटकारे जाने के डर से घर से भाग गया वह पहाड़ियों के पास जाकर चीखने लगा "...
सफर की दास्तान.... - बड़े अजीब से इन रास्तों पर चल कर कभी गिर कर कभी संभल कर ज़रूरी नहीं कि कोई इनसां ही बने हमसफर ... किनारे गिरे पड़े टेढ़े मेढ़े पत्थर पैरों की खाते हुए ठोकर सुन...
धूर्त और मक्कार होते हैं...... - चरणस्पर्श के शौकीन लोग !!!! चरण स्पर्श को सदियों और युगों से श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक माना गया है। धर्म शास्त्रों और नैतिक आदर्शों भरी परंपराओं में स्प...
कार्टून:- बड़े साहित्यकार की कहानी
शिक्षाकर्मियों की हड़ताल से विद्याथी बेहाल ……… ललित शर्मा - दिसम्बर माह के प्रारंभ से शिक्षाकर्मियों ने हड़ताल कर अपना मोर्चा सरकार के खिलाफ़ खोल रखा है। प्रदेश के 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी छठे वेतनमान की मांग को ल..
अपूर्व यौवन दाता गंधक रसायन - यौवन एक एसा विषय है जिसे कौन नही पाना चाहता है और फिर बात अगर सदाबहार यौवन की की जाए तो मै समझता हूँ कि वृद्ध भी सोचने लगेंगे कि भाई अगर यह मिल जाए तो है व...
''अमर प्रेम '' का ''भाव'' ही आधार !! - *अमर प्रेम का आधार ''भाव''* * [image: Love eternal wallpaper 1.9 Screenshot]* * **तुम्हारे नयनों में * *समस्त सृष्टि के लिए स्नेह ,* *तुम्हारे अधरों पर * *मं...
कैसा है लोकपाल से जनलोकपाल तक का सफर? - 2011 से देश में सरकार के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की अगुआई में एक आंदोलन की सुगबुगाहट ने सरकार की नींद हराम कर दी। धीरे-धीरे 43 ...
1983 से 2013: लड़की की इज्ज़त - 1 तारीख को गाँव गया हुआ था। मुखिया जी से मुलाक़ात हुई। नहीं नहीं, अभी नहीं हैं वो मुखिया। अब के मुखिया भी कोई मुखिया हैं। ये मुखियाजी 1983 में मुखिया हुआ क...
By kanpurbloggers
सामान्यत : " इतिहास " शब्द से राजनीतिक व सांस्कृतिक इतिहास का ही बोध होता है ,किन्तु वास्तविकता यह है कि सृष्टि की कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है जिसका इतिहास से सम्बन्ध न हो । अत : साहित्...
By vijay kumar sappatti
रिश्तो में थोडा सा gap बनाकर रखो , हो सकता है , कभी भर जाए , कौन जाने ....
By shalini kaushik
मज़म्मत करनी है मिलकर बिगड़ते इस माहौल की ,मरम्मत करनी है कसकर दरिन्दे हर शैतान की.हमें न खौफ मर्दों से न डर इन दहशतगर्दों से ,मुआफी देनी नहीं है अब मुजरिमाना किसी काम की.मुकम्मल रखती श�..
वह सुनयना थी,,,( विक्रम सिंह ) - वह सुनयना थी, कभी चोरी-चोरी मेरे कमरे मे आती नटखट बदमाश मेरी पेन्सिले़ उठा ले जाती और दीवाल के पास बैठकर अपनी नन्ही उगलियों से भीती में चित्र बनाती अनगिनत-अ...
- * रामायण में निर्देशित बलात्कार के लिए दंड -एक विश्लेषण * from google * **दिल्ली में हुए गैंगरेप की शिकार युवती के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे भारतीय समाज ...
दामिनी की अंतिम इच्छा
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मैं जा रही हु सबको छोड़कर ,सबकी आँखों में आंसू भिगोकर , नहीं पता था ऐसा वक्त आएगा ,इन दरिंदों के हत्थे चढ़ जाउंगी, कह देना माँ से ,मत बहाएं आंसू , तेरी दामिनी जिन्दा है ,इस धरती पर नहीं तो ,आ...
पागल हो गई हैं किताबें
By कुलवंत हैप्पी
दर्शन, विज्ञान, धर्म और हां पूरी एक सदी का पागलपन साम्यवाद भी। चारों में सर्वश्रेष्ठ है दर्शन? दर्शनशास्त्री की सोच एक धार्मिक और वैज्ञानिक से कहीं ज्यादा आगे होती है। अरस्तू, सुकरा�..
रामायण में निर्देशित बलात्कार के लिए दंड -एक विश्लेषण *
स्पर्श ...
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एक दीप जलायें चल तिमिर के पार चलें वहाँ जन्में जहाँ कभी हम अस्तित्व में थे ही नही स्पर्श शब्दों का खिलाकर करे वो जमीन पैदा जहाँ खुशबू ही खुशबू हो !...
बलात्कारी नेता की धुलाई : rape,sex video: a punishment
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आज के लिये चलो इतना ही ……………
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इसे क्या कहेंगे ?
इस वक़्त एक टीवी .चैनेल पे एक प्रोग्राम दिखाया जा रहा है।कौनसे शहर के लड़के लड़कियों को किस तरह छेड़ते हैं! मुझे हंसी आ गयी! मनमे सोचा,क्या सिर्फ लड़के? और सिर्फ लड़कियों को छेड़ते हैं.एक बात जो मै अपने पति से नहीं बता सकी यहाँ बताने जा रही हूँ।मेरी उम्र साठ साल की है। मैंने सारी ज़िंदगी कुछ न कुछ तो काम किया लेकिन किसी एक जगह पे न रह पाने के कारन मुझे हर बार,पति के हर तबादले के साथ ,अपना काम छोड़ देना पड़ा। उनकी सेवा निवृत्ती का इंतज़ार करती रही,कि अपना कुछ काम शुरू कर सकूँ।इसलिए मुझे अपने कार्ड छपवाने ज़रूरी थे। मै किसी दफ्तर को तो अफ़ोर्ड नहीं कर सकती थी,सो मुझे अपनी इ-मेल ID तथा अपना कांटेक्ट नंबर देना ज़रूरी था।- * रामायण में निर्देशित बलात्कार के लिए दंड -एक विश्लेषण * from google * **दिल्ली में हुए गैंगरेप की शिकार युवती के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे भारतीय समाज ...
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By shikha kaushik
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स्पर्श ...
By sandhya arya
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आज के लिये चलो इतना ही ……………
उपयोगी लिंकों और संक्षिप्त टिप्पणियों के साथ बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
उपयोगी लिंक के साथ बढ़िया चर्चा आभार!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिनक्स की सधी हुयी चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और प्रभावी सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा , शुक्रिया वंदना जी। लिंक भी एक से बढ़कर एक हैं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिनक्स...
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा....
बेहद प्रभावी सूत्रों से सजी सुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति चर्चा मंच की सार्थक सेतु सनियोजन एवं चयन .आपकी सद्य टिपण्णी हमारी महत्वपूर्ण धरोहर है .
शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियाँ हमारी अन्यतम धरोहर हैं .
जवाब देंहटाएंअर्थात क्या राजा क्या प्रजा सब के लिए उस दौर में दंड बराबर था .अब से तीस चालीस साल पहले तक व्यक्ति अपराध तो कर लेता था लेकिन साथ ही अपराध भावना से ग्रस्त हो जाता था छिपाता
था
अपने अपराध को प्रायश्चित भी भीतर भीतर करता था अब ऐसा इरादतन मौज मस्ती षड्यंत्र के तहत किया जाता है इसीलिए सजा और भी कठोर और द्रुत होनी चाहिए .एक मानक का निर्धारण हो
जाए .उतनी सज़ा का हर कोई भागी बनाया जाए .
रामायण में निर्देशित बलात्कार के लिए दंड -एक विश्लेषण *
By shikha kaushik
रामायण में निर्देशित बलात्कार के लिए दंड -एक विश्लेषण from google दिल्ली में हुए गैंगरेप की शिकार युवती के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे भारतीय समाज को झंकझोर डाला है .आरोपियों पर सख्त से सख्त ...
हमें न खौफ मर्दों से न डर इन दहशतगर्दों से ,
जवाब देंहटाएंमुआफी देनी नहीं है अब मुजरिमाना किसी काम की.
हमें न खौफ मर्दों से न डर इन दहशतगर्दों से ,
मुआफी देनी नहीं है अब मुजरिमाना किसी काम की.
सबसे पहले उस शातिर बदमाश कथित नाबालिग को पकड़ा जाए जो करतूत बालिगों से बत्तर करता है भले संविधान में संशोधन करना पड़े
हमें न खौफ मर्दों से न डर इन दहशतगर्दों से ,
मुआफी देनी नहीं है अब मुजरिमाना किसी काम की.
ये जोश ये खरोश ये आवाज़ बुलंदियों को छुए शालिनी जी .
आपका नया अवतार (छाया चित्र )आपकी शख्शियत को एक अलग पहचान दे रहा है .मुबारक यह चित्र यह हौसला चीरता आसमान को ,फाड़ के रखदो शातिरों की छाती पी डालो इनका लहू ....
मरम्मत करनी है कसकर दरिन्दे हर शैतान की
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मज़म्मत करनी है मिलकर बिगड़ते इस माहौल की ,मरम्मत करनी है कसकर दरिन्दे हर शैतान की.हमें न खौफ मर्दों से न डर इन दहशतगर्दों से ,मुआफी देनी नहीं है अब मुजरिमाना किसी काम की.मुकम्मल रखती श�..
सुन्दर-प्रस्तुती ||
जवाब देंहटाएंआभार |
चर्चा मंच पर एक ही जगह बहुत सारे अच्छे ब्लोगों की रचनाओ के अवलोकन करने का सौभाग्य मिल जाता है।बेहतरीन ब्यवस्थित चर्चा ,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंसार्थक लिंक्स
जवाब देंहटाएंहमें भी शामिल करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
मेरी रचना शामिल करने आभार वंदना जी,,,,
जवाब देंहटाएं