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मंगलवार, जनवरी 29, 2013

मंगलवारीय चर्चामंच --(1139)-कर्म किये जा

आज की मंगलवारीय  चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , ,आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर 


अंतर्कथा---जानने के इच्छुक हैं तो जरूर पढ़िए 

रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष -

जगा रहे जो मन अपना----तो कभी समस्या ही ना हो 


कर्म किये जा (छंद त्रिभंगी)---फल की चिंता मत कर ऊपर वाले पर छोड़ दे 

Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR 

नन्ही नव्या के लिए---खिलौने या प्यार दुलार 


Jain mantra - Mantra gianista - जैन मंत्र--अद्दभुत चित्रों का खजाना आप भी देखिये 


पद्म विभूषण पाय, मिटाते पद्म मीनिया-सही वक़्त पर सही इंसान को मिले तो कोई गिला नहीं 


नारी---सम्मान के लिए लड़ती रही है लडती रहेगी 

नीरज पाल at भारतीय नारी -

आलोचना पुरूष---केवल प्रशंसा ही नहीं आलोचना सहने का भी धैर्य होना चाहिए 

प्रेम सरोवर at प्रेम सरोवर -

दिल्ली की सर्दियों में शादी और शादी में खाने की बर्बादी ---हर जगह

देखने को मिल जाती है एक ओर अन्न का अपमान दूसरे  छोर पर ही भूख से बिलखते मासूम  यही दो चेहरे हैं हमारे देश के 

डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन


आँखों को वीज़ा नहीं लगता---सही कहा तभी तो कल्पना लोक में हम दुनिया घूम लेते  हैं 

Ajit Singh Taimur at Akela Chana 

Benaulim beach-Colva beach बेनाउलिम बीच और कोलवा बीच पर जमकर धमाल केन्सोलिम की ओर ट्रेकिंग---जी हाँ आप भी संदीप भाई के साथ मुफ्त में गोवा घूमने का मजा लीजिये 


खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू---


अभी रसोई में

बाक़ी है
चूल्हा और सिलबट्टा

कल के लिये सुरक्षित 

सींके पर 
रक्खे दो आलू -----मजेदार कविता पढिये 

मनोज कुमार at मनोज -

बदतमीज़ सपने---सच में मुझे भी आते हैं ,दिल में आता है  थप्पड़ जड़   हूँ !!

Yashwant Mathur at जो मेरा मन कहे 

कैसे तुमसे नैन मिलाऊँ...शर्म आ रही है तो कला चश्मा पहन सकते हैं 


तरक्की ने नयी पीढी को बड़ी सीख दी है--इतनी बड़ी की अब हमें ही सिखाने लगे हैं 




एक कंवारे की गुहार- कोई मेरी मम्मी को समझाये- कि  मेरी शादी के लिए खुद ही लड़की ढूढ़ ले नहीं तो !!! 

विक्रम वेताल 8--------- आज की ज्वलंत समस्या पर वार्तालाप 
Ramakant Singh at ज़रूरत 

 - 
हाँ मैं नारी हूँ-- -अब अबला नहीं हूँ सबला हूँ 


पृथ्वी के बहुत करीब आया है चाँद - कभी तो मेरे अंगना उतरे एक बार छूना चाहती हूँ तुझे ऐ चाँद  
"गद्दारों से गद्दारी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मक्कारों से मक्कारी होगद्दारों से गद्दारी।
तभी सलामत रह पायेगीखुद्दारों की खुद्दारी।।

प्रसिद्धि का शार्टकट -हर कोई ढूंढता है आज कल,सब को जल्दी है । 
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 आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी  कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||

21 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्कार राजेश जी.... बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है... लिंक में जा रही हूँ... बाई .. :)

    जवाब देंहटाएं
  2. राजेश जी बॉक्स में चर्चा बहुत अच्छी लग रही है!
    सभी लिंक पठनीय हैं!
    आपका श्रम सराहनीय है!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. पठनीय,सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा.,,,,,आभार राजेश जी,,,

    recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक एव बेहतरीन सूत्रों से सजी सुन्दर चर्चा,आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्तर
    1. वाकिय में सराहनीय प्रयास है ! और इससे चर्चा करने का एक नया अधर मिला है ! जो के इस युग के लिए जरूरी था !
      यहाँ भी आप अपने मुद्दों को पोस्ट करो ? ये भी मुफ्त है
      Easy To Post At Goury

      हटाएं
  6. सुन्दर प्रस्तुति |
    आभार आदरेया ||

    जवाब देंहटाएं
  7. इस सुन्दर चर्चा में मेरी कविता को भी शामिल करने के लिए अत्यंत आभार। सरे लिकंक पठनीय और सुन्दर है, बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है.

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर रंगों से सजी सुन्दर चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  10. वैसे तो आपकी हर चर्चा ही अच्छी होती है लेकिन आज कि चर्चा तो लाजवाब है !!

    जवाब देंहटाएं
  11. बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. राजेश जी, कल किसी व्यस्ततता के कारण नेट पर नहीं आ सकी, आज चर्चा मंच पर आकर खुशी हुई, बहुत बहुत आभार मुझे इस महफिल में शामिल करने के लिए..

    जवाब देंहटाएं

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