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सोमवार, जनवरी 14, 2013

महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप- चर्चा मंच 1124--- (रविकर की 100 वीं प्रस्तुति)

सज्जन हित शुभकामना, दुर्जन रस्ता नाप ।

दुर्जन रस्ता नाप, देश में अमन चमन हो ।
गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो

मंगल मंगल तेज, उबारे देश भ्रान्ति से ।
गौरव रखे सहेज, महामकर संक्रांति से ।।







दुआ

expression 


कब तक करूं मै इंतजार, तेरे ज़वाब का.....!!!!

कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा 


  हिंद स्‍वराज-1


मनोज कुमार 
*गांधी और गांधीवाद-**14**6* *संदर्भ और पुराने पोस्टों के लिंक यहां पर* ** *1909*** *हिंद स्‍वराज-**1*** ** *1909* में जब गांधी जी के लंदन से दक्षिण अफ़्रीका लौटने का समय पास था तो एक महत्वपूर्ण घटना हुई। कनाडा में रह रहे एक भारतीय क्रांतिकारी तारक नाथ दास ने लिओ टॉल्सटॉय को एक पत्र लिखा था। वह वैंकोवेर (*Vancouver*) से प्रकाशित होने वाले पत्र ‘फ़्री हिन्दुस्तान’ के सम्पादक थे। उन्होंने टॉल्सटॉय से सलाह मांगी थी कि भारत के लोग किस तरह ख़ुद को आज़ाद कर सकते हैं? रूस वासी इस संत ने बड़ा साधारण सा जवाब दिया था – *भारतीय ख़ुद के ग़ुलाम हैं, ब्रिटिशों के नहीं।

अगर जीवन सपना होता......

यशवन्त माथुर 





भीगी सी एक बूंद ओस !

शिवनाथ कुमार  




 मानवाधिकारियों का दोहरा चरित्र


Saleem akhter Siddiqui 

नक्सल मारे जान से, फाड़ फ़ोर्स का पेट।
करवाता बम प्लांट फिर, डाक्टर सिले समेट ।
डाक्टर सिले समेट, कहाँ मानव-अधिकारी ।
हिमायती हैं कहाँ, कहाँ करते मक्कारी ।
चुप क्यूँ हो पापियों, कहाँ चरती है अक्कल ?
 शत्रु देश नापाक, कहाँ का है तू नक्सल ??


  जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज ।
बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज ।
बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे ।
शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे ।
सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली ।
स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।।
 *शक्ति

 मर्यादित वो राम जी, व्यवहारिक घनश्याम ।
देख आधुनिक स्वयंभू , ताम-झाम से काम ।
ताम-झाम से काम-तमाम कराते राधे ।
राधे राधे बोल, सकल हित अपना साधे ।
बेवकूफ हैं भक्त, अजब रहती दिनचर्या ।
कर खुद गीता  पाठ, रोज ही जाकर मर-या ।


दर्द और बाज़ार !


संतोष त्रिवेदी 


जारज-जार बजार सह, सहवासी बेजार |
दर्द दूसरे के उदर, तड़पे खुद बेकार |
तड़पे खुद बेकार, लगा के भद्र मुखौटा |
मक्खन लिया निकाल, दूध पी गया बिलौटा |
वालमार्ट व्यवसाय, हुआ सम्पूरण कारज |
जारकर्म संपन्न, तड़पती दर दर जारज ||


सच कहता हूँ...

प्रतुल वशिष्ठ 
 ॥ दर्शन-प्राशन ॥
रोवै प्रस्तर पर पटक, जब भी अपना माथ |
व्यर्थ लहू से लाल हो, कुछ नहिं आवे हाथ |
कुछ नहिं आवे हाथ, नाथ-नथुनी तड़पावे |
दास ढूँढ़ता पाथ, किन्तु वो मुड़ी हिलावे |
होय दुसह परिणाम, अंत दोउ दीदा खोवै |

रविकर बारम्बार, कहे क्यों कोई रोवै ||


आलमी स्तर पर हो चुका है मौसम का बिगडैल मिजाज़

Virendra Kumar Sharma 
 सूखा इत, उत बाढ़ है, कुदरत होती चाड़ |
कहीं बर्फ़बारी विकट, काँप जाय मनु-हाड़ |
काँप जाय मनु-हाड़, हमेशा छेड़-छाड़ हो |
चले काम-लू-लहर, स्खलित भू पहाड़ हो |
बादल फटते ढीठ, मरुस्थल भीगे रूखा |
रखिये तन तैयार, खाइये रूखा सूखा ||



पेशी ओ-वेशी भड़क, बोले न्यायाधीश -

पेशी ओ-वेशी भड़क, बोले न्यायाधीश ।
बके गालियाँ राम को, लेकिन देख खबीस ।

लेकिन देख खबीस, *राम दो दो हैं आये ।
दे दलील वे किन्तु, जमानत हम ठुकराए ।

नियमबद्ध अन्यथा, एक क्षण भी है वेशी ।
करदूं काम-तमाम,  आखिरी होती पेशी ।।

* दोनों वकीलों के नाम में राम

" A - B - C - D - छोड़ो.., दुश्मन का मुँह तोड़ो ".!!?

PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)  

थोथी गीदड़ भभकियां, इस सत्ता का काम |
सीमा पर सिर कट रहे, नक्सल फाड़ें चाम |
नक्सल फाड़ें चाम, पेट बम प्रत्यारोपित |
हिमायती हुक्काम, करें जनता को कोपित |
नारी अत्याचार, सड़ी कानूनी पोथी |
त्राहिमाम हरबार, कार्यवाही पर थोथी ||

34 टिप्‍पणियां:

  1. मकर संक्रान्ति के अवसर पर आपने सुन्दर चर्चा की है!
    उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  2. मकर संक्रांति के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ख़ूब! शुक़्रिया रविकर भाई! मकर संक्रान्ति की बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. ....आभार एवं मकर संक्रान्ति की बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया पठनीय सूत्रों के साथ विस्तृत चर्चा लोहड़ी और मकर सक्रांति की बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. मकर संक्रांति की शुभ-कामनाएँ............

    जाने को है शिशिर ऋतु , आने को ऋतुराज
    आग जला कर झूम लें,हम तुम मिलकर आज ||

    सूर्य उत्तरायण हुए , मकर – संक्रांति पर्व
    जन्में भारत - देश में , हमें बड़ा है गर्व ||

    मिलजुल कर रहना सदा, हर खाई को पाट
    मीठा-मीठा बोल कर , सबको तिल गुड़ बाँट ||

    सरसों झूमें झाँझ ले , गेहूँ गाये गीत
    चना नाचता मस्त हो , तिल तो बाँटे प्रीत ||

    मटर मटकता बावरा , मूंगफली मुस्काय
    मुँह मसूर का खिल उठा, मौसम खूब सुहाय ||

    नेह रेशमी डोर फिर , माँझे का क्या काम
    प्रेम – पतँगिया झूमती ,ज्यों राधा सँग श्याम ||

    ऋतु आवत – जावत रहे , पतझर पाछ बसन्त
    प्रेम – पत्र कब सूखता ? इसकी आयु अनन्त ||

    जवाब देंहटाएं
  7. खूबसूरत चर्चा लिंक और इसमें मेरे लेख को भी जुड़ने का सौभाग्य मिला इसके लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  8. सौवें पोस्ट की बधाई...जानकारी भरे लिंक्स...आभार !! मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ !!
    सूर्य उत्तरायण हुए , मकर – संक्रांति पर्व
    जन्में भारत - देश में , हमें बड़ा है गर्व ||...अरुण सर का यह दोहा बहुत अच्छा लगा|

    जवाब देंहटाएं
  9. बढ़िया प्रस्तुति ! मकर संक्राति की मंगलमय कामनाये !

    जवाब देंहटाएं
  10. @ रविकर : गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो ।

    मारो मन के पाप को,काटो कलुष विचार
    हे माता ममतामयी , कर दो अब उद्धार
    कर दो अब उद्धार, तमस है बहुत घनेरा
    उगा ज्ञान का सूर्य , हमें दो नया सबेरा
    मन में बैठे दैत्य , तुरत इनको संहारो
    काटो कलुष विचार,पाप को मन के मारो ||

    जवाब देंहटाएं
  11. (रविकर की 100 वीं प्रस्तुति)

    शतकवीर रविकर बनें,बहुत बधाई मित्र
    यूँ ही चर्चा मंच पर,सदा खींचिए चित्र ||

    जवाब देंहटाएं
  12. रविकर जी को मेरी तरफ से 100 बेहतरीन चर्चाओं के लिए हार्दिक बधाई। आपके द्वारा की गयी चर्चा का एक अपना अंदाज होता है। पिछली चर्चाओं की तरह आज की चर्चा भी काफी हटकर रही।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर,
    सभी लिंक्स एक से बढकर एक
    मुझे शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. 100 वीं चर्चा के लिये हार्दिक बधाई……………सुन्दर लिंक संयोजन

    जवाब देंहटाएं
  15. न तो मैं कुछ बना सका न मैं कुछ भी सजा सका..,
    जहा किसी ने खुदा लिखा मैं उसको भी मिटा चला.....

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुन्दर चर्चा...
    हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया रविकर जी...

    मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  17. 100वीं चर्चा करने के लिए आपको बधाई हो रविकर जी!
    --
    मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  18. @@ आलमी स्तर पर हो चुका है मौसम का बिगडैल मिजाज़

    मानव ने छेड़ा इसे , भुगत रहे हैं आज
    अब मौसम का देखिए,बिगड़ा हुआ मिजाज
    बिगड़ा हुआ मिजाज , संतुलन इसने खोया
    कहीं बरसती आग , बाढ़ ने कहीं डुबोया
    झूमा मद में चूर , हाय बन बैठा दानव
    दोहन से आ बाज,सँभल जा अब भी मानव

    जवाब देंहटाएं


  19. @@@ सच कहता हूँ...

    खुद को दण्डित कर दिया, यह प्रायश्चित खूब
    किंतु सत्य का सूर्य कब , गया तमस में डूब
    गया तमस में डूब , निराशा में आशा है
    नहीं अश्रु की सदा , एक - सी परिभाषा है
    भावुकता को नहीं , कीजिये महिमा मण्डित
    निर्णायक नहिं आप,न कीजे खुद को दण्डित ||

    जवाब देंहटाएं
  20. आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें,
    रविकर जी नारी मन को सम्मिलित करने का शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  21. सर जी मछली जब कांटे में आ जाती है तब वह पानी में ही होती है .कांटे से मुक्त होने के लिए वह मचलती ज़रूर है लेकिन जहां तक पीड़ा का सवाल है निरपेक्ष बनी रहती है मौन सिंह की तरह

    .मछली के

    पास प्राणमय कोष और अन्न मय कोष तो है ,मनो मय कोष नहीं है .पीड़ा केंद्र नहीं हैं .हलचल तो है चेतना नहीं है दर्द का एहसास नहीं है .शुक्रिया ज़नाब की टिपण्णी के लिए .


    मंगल मय हो संक्रांति पर्व .देश भी संक्रमण की स्थिति में है .सरकार की हर स्तर पर नालायकी ने देश को इकठ्ठा कर दिया है .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .

    दोहे पे दोहे ,सब तोकू टोहे

    "दोहा-चार चरण-दो पंक्तियाँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

    उच्चारण

    जवाब देंहटाएं
  22. शुभ भाव शुभ कामना से सिंचित रचना .आभार .ठंडी बयार चले देश में सुख शान्ति की , दुश्मनों का सर्वनाश करे भारतीय सेना ,मौन सिंह को सद्बुद्धि दे ,नींद से उठाए .

    महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप ।
    सज्जन हित शुभकामना, दुर्जन रस्ता नाप ।

    दुर्जन रस्ता नाप, देश में अमन चमन हो ।
    गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो ।

    मंगल मंगल तेज, उबारे देश भ्रान्ति से ।
    गौरव रखे सहेज, महामकर संक्रांति से ।।

    जवाब देंहटाएं
  23. सर जी मछली जब कांटे में आ जाती है तब वह पानी में ही होती है .कांटे से मुक्त होने के लिए वह मचलती ज़रूर है लेकिन जहां तक पीड़ा का सवाल है निरपेक्ष बनी रहती है मौन सिंह की तरह

    .मछली के

    पास प्राणमय कोष और अन्न मय कोष तो है ,मनो मय कोष नहीं है .पीड़ा केंद्र नहीं हैं .हलचल तो है चेतना नहीं है दर्द का एहसास नहीं है .शुक्रिया ज़नाब की टिपण्णी के लिए .


    मंगल मय हो संक्रांति पर्व .देश भी संक्रमण की स्थिति में है .सरकार की हर स्तर पर नालायकी ने देश को इकठ्ठा कर दिया है .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .

    दोहे पे दोहे ,सब तोकू टोहे


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    MONDAY, JANUARY 14, 2013

    महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप- चर्चा मंच 1124--- (रविकर की 100 वीं प्रस्तुति)
    महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप ।
    सज्जन हित शुभकामना, दुर्जन रस्ता नाप ।

    दुर्जन रस्ता नाप, देश में अमन चमन हो ।
    गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो ।

    मंगल मंगल तेज, उबारे देश भ्रान्ति से ।
    गौरव रखे सहेज, महामकर संक्रांति से ।।


    अब धियाँ दी लोड़ी .....|

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    RAJESH MISHRA
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    मन पाए विश्राम जहाँ

    "लोहिड़ी के दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
    उच्चारण

    "दोहा-चार चरण-दो पंक्तियाँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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  24. आज के माहौल की उदास परतों को उधेड़ती है यह रचना नया रूपकात्मक भेष भरे .बढिया बिम्ब ,सशक्त अभिव्यक्ति अर्थ और विचार की .संक्रांति की मुबारकबाद .लोहड़ी का रस बरसाती रचना के लिए आभार .आपकी सद्य टिप्पणियों के लिए

    जवाब देंहटाएं
  25. आज के माहौल की उदास परतों को उधेड़ती है यह रचना नया रूपकात्मक भेष भरे .बढिया बिम्ब ,सशक्त अभिव्यक्ति अर्थ और विचार की .संक्रांति की मुबारकबाद .लोहड़ी का रस बरसाती रचना के लिए आभार .आपकी सद्य टिप्पणियों के लिए

    महेन्द्र भाई देश आज उस हालात में पहुँच गया है की अब तक सिर्फ आदेश लेने वाली सेना खुद फैसला कर ले तो देश अन्दर से खुश ही होगा .इस राजनीतिक प्रबंध ने उस दो कौड़ी के प्रवक्ता को जिसने देश की सर्वोच्च सत्ता एवं शौर्य के प्रतीक सर्वोच्च कमांडर (तत्कालीन वी के सिंह जी )के लिए कहा -वह है क्या एक सरकारी नौकर भर है .सोनिया इंतजाम ने उस बित्ते से प्रवक्ता को आज सूचना प्रसारण मंत्रालय खुश होकर सौंप दिया .क़ानून में सैंध लगाके विकलांगों की बैसाखी खा जाने वाले क़ानून मंत्री को खुश होकर विदेश मंत्री बना दिया है वह आदमी आज इत्मीनान से कहता है .सरकार बात ही तो कर सकती है वह बात कर रही है .आज ज़नाब इस बात से बहुत खुश हैं दोनों तरफ के फ्लेग कमांडरों की मीटिंग तो हुई .स्तर देखिये इनके संतोष का .
    अलबत्ता हर स्तर पर सरकार की नालायकी ने इधर उधर बिखरे लोगों को एक जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां वह इस स्वाभिमान हीन सरकार से कैसे भी छुटकारा पाना चाहेगी .सेना पहल करे देश उसके साथ है देश का स्वाभिमान उसके साथ है .सरकार को गोली मारो .

    गूंगा राजा बहरी रानी ,दिल्ली की अब यही कहानी .


    बंधुआ मजदूर नहीं है देश की सेना !

    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच...

    जवाब देंहटाएं
  26. मन की गहन पीड़ा की बड़ी सशक्त अभिव्यक्ति हुई है इस रचना में विछोह का दर्द उभरा है यादों के समुन्दर की ओट लेके .

    दुआ
    प्रेम में
    रख दिये थे उसने
    दो तारे मेरी हथेली पर
    और कस ली थी मैंने
    अपनी मुट्ठियाँ....
    भींच रखे थे तारे
    तब भी ,जब न वो पास था न प्रेम....
    जुदाई के बरसों बरस
    उसकी निशानी मान कर.

    तब कहाँ जानती थी
    कि मुरादों के पूरा होने की दुआ
    हथेलियाँ खोल कर
    टूटते तारों से मांगनी होगी...
    मगर
    उस आखरी निशानी की कुर्बानी
    मुझे मंज़ूर नहीं थी,
    किसी कीमत पर नहीं.....
    मेरी लहुलुहान हथेलियों ने
    अब भी समेट रखे हैं
    वो दो नुकीले तारे...
    अनु

    दुआ
    expression
    my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन..... -

    जवाब देंहटाएं

  27. सुन्दर सेतु संयोजन और समन्वयन के लिए बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  28. जाकी रही भावना जैसी प्रभु ,मूरत देखि तिन तैसी ,

    जाकी रही भावना जैसी प्रभु ,मूरत देखि तिन तैसी ,

    जाकू प्रभु विपदा देहीं ,ताकी मत पहले हर लेहीं .

    निदा फाजली की शाएरी में बदलाव?

    IRFAN
    ITNI SI BAAT

    जवाब देंहटाएं

  29. एक मर्तबा लालूजी ने राहुल बाबा की तुलना महात्मा गांधी से ही कर दी थी .उन का आशय साफ़ था ,तू लाठी लेके भारत भ्रमण कर राज में करूंगा .उस वक्त ज़नाब लालू रेल संभाले थे .निदा साहब क्या चाहते हैं पूछना पड़ेगा .कुछ ज़हीन लोग कह सकते हैं :अरे क्या बात है आउट आफ बोकड थिंकिंग है .

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत सुंदर उम्दा लिंक्स ,,,100 वीं चर्चा के लिये हार्दिक बधाई…शुभकामनाए

    recent post: मातृभूमि,

    जवाब देंहटाएं
  31. हमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  32. 100वीं चर्चा करने के लिए आपको बधाई हो रविकर जी!
    मेरी रचना को सामिल किया .धन्यवाद ,आभार

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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