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सोमवार, जनवरी 21, 2013

मुद्दई तब भी थीं ग़ाफ़िल! ग़ालिबन् नज़रें यही : सोमवारीय चर्चामंच-1131


 

दोस्तों चन्द्र भूषण मिश्र 'ग़ाफ़िल' का नमस्कार स्वीकार करें!
पेश हैं आज की चर्चा के लिंक्स-


  1. शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
  2. आह जनाब ! वाह जनाब ! क्या खूब कह डाला जनाब! -शेफ़ाली पाण्डेय
  3. क्या खुदा भगवान आदम? -'अनंत' अरुन शर्मा
  4. उन्हें शक था -'निरन्तर'
  5. दो बूँद ज़िन्दगी के -श्रीमती सपना निगम
  6. आरोग्य प्रहरी -वीरेन्द्र कुमार शर्मा ‘वीरू भाई’
  7. चिन्तन शिविर हमारी ख़ातिर -'रविकर'
  8. ये तो था पर्दे के सामने का सच -वन्दना गुप्ता
  9. म्याऊँ बारम्बार, जीत करके हुंकारे -लिंक लिक्खाड़
  10. तू मुझको पनाह दे -नूतन
  11. मुक्तसर न हुई उल्फ़त -उदयवीर सिंह
  12. अपराजिता -गिरिजा कुलश्रेष्ठ
  13. एक लम्बा सा मौन -अंजू चौधरी
  14. स्त्री पुरुष दोनों में से किसकी मृत्यु पहले? -राजीव कुलश्रेष्ठ
  15. कसूर -रीना मौर्या
  16. दों बहने जापानी गेइशा और भारतीय मुजरेवाली -सुनील दीपक
  17. तुझे जाते हुए यूँ देखना -डॉ. शरद सिंह
  18. शीर्ष पे काबिज है औरत, फिर भी औरत का ये हाल -डॉ. आशुतोष मिश्र
  19. संवेदनाएँ जगा के देख! -शारदा अरोरा
  20. साला मैं तो साहब बन गया -महेन्द्र श्रीवास्तव
  21. चिल्लर (तीसरी किश्त) -एस.विक्रम
  22. लो बीत गया एक और साल -पल्लवी सक्सेना
  23. ग़ज़ल का फ़कीराना स्वर-अदम गोंडवी और उनकी ग़ज़लें -जयकृष्ण राय तुषार
  24. कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीरे नीमकश को -'ग़ालिब'
  25. मुद्दई तब भी थीं ग़ाफ़िल! ग़ालिबन् नज़रें यही 
और आज के लिए काजल कुमार का एक कार्टून 'पहले बूझो तो जाने' के बाद बस! ख़ुदा हाफ़िज़!

कमेंट बाई फ़ेसबुक आई.डी.

35 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया चर्चा | कोशिश रहेगी सभी पोस्ट पर जाने की | आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन चर्चा बेहतरीन लिंक
    आभार गाफ़िल जी

    जवाब देंहटाएं
  3. बृहद ,बहुआयामी विशिष्ट संयोजन एक कुशल रचनाकार के हाथों .....एक मंच पर एक साथ सुन्दर बन पड़ा है मिश्र जी! बहुत बहुत आभार जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. शारदे माँ तुम्हें कर रहा हूँ नमन..........
    घोर तम है भरा आज परिवेश में,
    सभ्यता सो गई आज तो देश में,
    हो रहा है सुरा का यहाँ आचमन।
    आप आकर करो अब सुवासित चमन।।

    नैतिक पतन को रोकने के लिये यह प्रार्थना अति आवश्यक है...

    जवाब देंहटाएं
  5. अनंत अरुण शर्मा.....

    वाह, छोटी सी गज़ल में इतनी बड़ी बात !!!

    सभ्यता विकसित हुई यूँ
    खो रहा मुस्कान आदम

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार गुरुदेव श्री यह स्नेह यूँ ही बनाये रखें. सादर

      हटाएं
  6. दो बूँद जिनगी के......

    जागो और जगाते जाओ
    हर बच्चे को स्वस्थ बनाओ ||

    जवाब देंहटाएं
  7. आरोग्य प्रहरी :

    लौंग और मशरूम के ,गुण हैं दिये बताय
    हैं कुदरत के पास ही,सुख के सभी उपाय ||

    जवाब देंहटाएं
  8. चिंतन शिविर हमारी खातिर.....

    मातम मनते हैं इधर, मने उधर हैं जश्न
    नई विधा मन भा गई,दोहों के सँग प्रश्न ||

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर सूत्र सजाये हैं आपने।

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय ग़ाफिल सर प्रणाम, 1 से लेकर २५ लिंक्स और सबके सब सुन्दर रूप में संयोजित, अच्छे पाठनीय सूत्र मेरी रचना को स्थान देने हेतु अनेक-अनेक धन्यवाद. सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. काँपीराइट काँन्टेँट पर एक प्रश्न के उत्तर को वोट करे आपका वोट चाहिए आप किससे सहमत हैँ ।

    दोस्तो पता नही क्यो कई लोग कहते
    हैँ कि वो ये कार्य ज्ञान फैलाने के
    लिए कर रहे हैँ बडी मेहनत कर रहे हैँ
    अनपढ अनजान लोग की सेवा कर रहे
    हैँ उन्हे रास्ता दिखा रहेँ हैँ लेकिन
    जब उसके ज्ञान को अपना कहकर दुसरे
    भी बाँटने लगते हैँ तो क्यो पहले वालेँ
    को बुरा लगता हैँ ये तो मुझे
    पता नही क्योँकि दुसरा भी तो वही
    कर रहा हैँ जो पहले वाले कर रहेँ थे
    यदी उसने अपने नाम से
    ही सही ज्ञान बाँटा तो पहले वाले
    क्योँ दुःख क्योँ होता हैँ
    क्योकि दुसरा तो एक तरह से
    देखा जायेँ तो पहले वाले
    का ही लक्ष्य पुरा कर रहा हैँ
    यदी पहले वाले को दुःख या गम
    हो रहा हैँ तो इसका एक ही मतलब हैँ
    कि इसके पिछे उसका अपना स्वार्थ
    जुडा हुआ हैँ जो कि प्रत्यक्ष
    या अप्रत्यक्ष रुप से दिख रहा हैँ
    अथवा नहीँ दिख रहा होगा इसपर
    निचे मैने एक छोटा गणित के माध्यम
    से परिभाषित कर रहा हुँ आप यह
    बताऐ कि आप अन्त मेँ निकले किस
    परिणाम से सहमत हैँ आपके
    सकारात्मक नकारात्मक
    सभी विचारोँ का स्वागत हैँ ।
    आप किससे सहमत हैँ
    काँन्टेँट निर्माण + पोस्टिँग =
    ज्ञान का फैलाव
    काँन्टेँट काँपी + पोस्टिँग =ज्ञान
    का फैलाव
    इसलिए यदी आप
    काँन्टेँट काँपी +
    पोस्टिँग=चोरी या दोहन
    अथवा दुःख
    मानते हैँ तो अर्थ
    सीमित स्थान व्यक्ति+काँन्टेँट
    निर्माण=निजी ज्ञान
    सीमित स्थान व्यक्ति+काँन्टेँट
    निर्माण+काँन्टेँट पोस्टिँग =अन्य
    उद्देश्य जैसे पोपुलर होना अपने आप
    को बडा साबित करना
    अतः परिणाम
    काँन्टेँट काँपी + काँन्टेट पोस्टिँग =
    ज्ञान का फैलाव =निस्वार्थ कार्य
    इसलिए
    काँन्टेँट र्निमान+काँन्टेँट पोस्टिँग
    +सीमित =स्वार्थ भरे उद्देश्य =
    ज्ञान का सिमीत फैलाव = पिँजडे मे
    कैद पंछी
    अतः
    ज्ञान का फैलाव vs ज्ञान
    का सीमित फैलाव =ज्ञान का फैलाव
    यानि अच्छा हैँ
    पिँजडे मेँ बंद पंक्षी vs खुला ज्ञान
    फैलाने वाला पंक्षी =उडता पंक्षी
    अर्थात
    काँन्टेँट निर्माण+काँन्टेँट पोस्टिँग
    vs काँन्टेँट काँपी +काँन्टेँट
    पोस्टिँग=काँन्टेँट काँपी +काँन्टेँट
    पोस्टिँग कही ज्यादा अच्छा और
    निस्वार्थ ज्ञान फैलाने हैँ
    जो कि ,काँन्टेँट र्निमाण +सिमीत
    +पोस्टिँग , से नही समझे
    तो दुबारा अवलोकन कर लेँ ।
    निचोड ! काँन्टेँट निर्माण
    +पोस्टिँग +सिमीत =ज्ञान को एक
    पंछी की तरह कैद कर
    लोगो को दिखाना ।
    काँन्टेँट काँपी + पोस्टिँग =ज्ञान
    का निस्वार्थ फैलाव ।
    अतः आपका क्या पसंद हैँ
    1 ... काँन्टेँट निर्माण + पोस्टिँग+
    सिमीत
    व्यक्ति या अधिकार=स्वार्थ भरे
    उद्देश्य
    ज्ञान को पिँजडे मेँ कैद कर
    लोगो को दिखाना
    या
    2 .. काँन्टेँट निर्माण+पोस्टिँग=
    ज्ञान का फैलाव , कोइ स्वार्थ नही
    वोट करे ..आपका वरुण ।

    जवाब देंहटाएं
  12. बढ़िया लिंक्स संयोजन हेतु बधाई गाफिल जी

    जवाब देंहटाएं
  13. बढ़िया चर्चा है मित्रवर-
    शुभकामनायें-

    जवाब देंहटाएं
  14. ग़ज़ल का फ़कीराना स्वर -अदम गोंडवी और उनकी ग़ज़लें

    बहुत खूब अशआर ,बहुत खूब विश्लेषण प्रधान समीक्षा अदम साहब की

    .पढ़िए ब्लॉग पोस्ट :

    मंगलवार, 18 दिसम्बर 2012

    ग़ज़ल का फ़कीराना स्वर -अदम गोंडवी और उनकी ग़ज़लें

    http://sunaharikalamse.blogspot.in/2012/12/blog-post.html?showComment=1358751378222#c9024366953742600010

    जितने हरामखोर थे कुर्बो -जवार में
    परधान बनके आ गए अगली कतार में

    दीवार फांदने में यूँ जिनका रिकार्ड था
    वो चौधरी बने हैं उमर के उतार में

    फौरन खजूर छाप के परवान चढ़ गई
    जो भी जमीन खाली पड़ी थी कछार में

    बंजर ज़मीन पट्टे में जो दे रहे हैं आप
    ये रोटी का टुकड़ा है मियादी बुखार में

    जब दस मिनट की पूजा में घंटों गुजार दें
    समझो कोई ग़रीब फँसा है शिकार में

    जवाब देंहटाएं
  15. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

  16. हुल्लड़ होता है हटकु, *हालाहली हलोर ।

    हुई सुमाता खुश बहुत, कब से रही अगोर ।

    कब से रही अगोर, हुआ बबलू अब लायक ।

    हर्षित दिग्गी-द्रोण, सौंप के सारे ^शायक ।


    नीति नियम कुल सीख, करेगा अब ना फाउल ।

    सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल ।।
    *दारू ^तीर

    म्याऊँ बारम्बार, जीत करके हुंकारे -लिंक लिक्खाड़

    जवाब देंहटाएं
  17. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

  18. Virendra Sharma · शीर्ष टिप्पणीकार · Sagar University (M.Sc.PHYSICS.)
    हुल्लड़ होता है हटकु, *हालाहली हलोर ।

    हुई सुमाता खुश बहुत, कब से रही अगोर ।

    कब से रही अगोर, हुआ बबलू अब लायक ।

    हर्षित दिग्गी-द्रोण, सौंप के सारे ^शायक ।

    नीति नियम कुल सीख, करेगा अब ना फाउल ।

    सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल ।।
    *दारू ^तीर

    म्याऊँ बारम्बार, जीत करके हुंकारे -लिंक लिक्खाड़
    उत्तर दें · पसंद करें · पोस्ट का पालन करें · लगभग एक मिनट पहले

    जवाब देंहटाएं
  19. ग़ज़ल का फ़कीराना स्वर -अदम गोंडवी और उनकी ग़ज़लें

    बहुत खूब अशआर ,बहुत खूब विश्लेषण प्रधान समीक्षा अदम साहब की

    .पढ़िए ब्लॉग पोस्ट :

    मंगलवार, 18 दिसम्बर 2012

    ग़ज़ल का फ़कीराना स्वर -अदम गोंडवी और उनकी ग़ज़लें

    http://sunaharikalamse.blogspot.in/2012/12/blog-post.html?showComment=1358751378222#c9024366953742600010

    जितने हरामखोर थे कुर्बो -जवार में
    परधान बनके आ गए अगली कतार में

    जवाब देंहटाएं
  20. बढ़िया सेतु चयन मौजू रचनाएं ,खूब सूरत टिप्पणियाँ ,आभार हमें खपाने के लिए


    राम मिलाई जोड़ी


    मनमोहन सिंह जी :हिन्दुस्तान के संशाधनों पर पहला हक़ भारत का है .पाकिस्तान फौज छलबल से कोहरे का लाभ उठाके हमारे दो जवानों के सर काट के ले जाते हैं .यह चुप्पा मुंह एक हफ्ते बाद

    खुलता है .लेकिन ज़नाब की तब नींद उड़ गई थी जब एक मुसलमान को संदिग्ध अवस्था में आतंकी होने के सुबहे (शक )में ऑस्ट्रेलिया में धर लिया गया था .


    सुशील कुमार शिंदे :ये लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुस पैंठ की बात करते हैं जबकि हमारे पास पुष्ट रिपोर्टें हैं BJP और RSS IS इस देश में आतंकी कैम्प चला रहें हैं .

    राहुल गांधी :आप पूर्व में RSS की तुलना SIMI से कर चुकें हैं .

    इन तीनों लोगों में एक साम्य है .तीनों सेकुलर हैं .


    इन दिनों एक चुटकुला ज़ोरों पर है :कल तक वह भी इंसान था ,आज सेकुलर हो गया .

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार।।।

    जवाब देंहटाएं
  22. उ चिंतन सिबिर मा चिंता न हो के 'पंजा' की 'पंडवानी' हो रही थी
    पंडवानी मा एक ठो बिसेषता है उ जे की इसमें पाँच ठो बिधा के
    प्रदर्सन एके साथ होत है: -- गायन, बादन, नृत्य, अभिनय, अउर
    संबाद संचार,
    राजू के पड़ोस के 42 बरस के ताऊ कहत रहीं, गुरूजी
    हमका तो इ बिबाह समारोह लागत है किन्तु इहा दुलहनिया के
    कोहू अता पता नई ए.....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. गजब आदरेया-

      कुंडली देखिये -

      पंजा की पडवानियाँ, गायन वादन नृत्य ।

      संचारित संवाद हों, अभिनय करते भृत्य ।


      अभिनय करते भृत्य, कटे जब मुर्ग-मुसल्लम ।

      निकली है बारात, कटारी चाक़ू बल्लम ।

      सत्ता दुल्हन दूर, चाहती दूल्हा गंजा ।

      चिंतन दीपक पूर, भिड़ाओ छक्का-पंजा ।।

      हटाएं
  23. बहुत उम्दा लिंक्स संयोजन हेतु बधाई गाफिल जी,,,,

    recent post : बस्तर-बाला,,,

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत ही बढ़िया लिंक्स ...
    आभार।।।।
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  25. प्रस्तुतियाँ पठनीय हैं । कहानी को यहाँ लेने का आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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