मित्रों!
रविवार के चर्चा मंच में आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है कुछ अद्यतन लिंक!
आज के दौर मे विवेकानन्द की प्रासंगिकतापश्चिम का जंजाल कह, नहीं गलाओ दाल
नोट:अधिकतर कुंडलियाँ / टिप्पणियां मूल लेख के अनुसार हैं-
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ज्ञान दर्पण : विविध विषयों का ब्लॉग उद्वेलित आंदोलनकारी और आंदोलन पिछला वर्ष आन्दोलनों व बड़े बड़े घोटालों के उजागर होने वाला वर्ष रहा| एक के बाद उजागर हुए घोटाले और अन्ना, बाबा रामदेव व केजरीवाल आदि लोगों द्वारा….. | बाल-दुनिया हमारी माँ अगर होती - हमारी माँ अगर होती, हमारे साथ में पापा| फटकने दुख नहीं देती ,हमारे पास में पापा| सुबह उठकर हमें वह दूध ,हँस हँस कर पिलाती थी.. |
Fulbagiya चुहिया अलबेली - *चुनमुन चुहिया थी अलबेली* *रहती थी वो बिल में अकेली… | yatra (यात्रा ) मुसाफिर हूं .............. पहाड के बच्चो की नैसर्गिक सुंदरता |
ताऊ डाट इन प्रेमी प्रेमिका, दूध और शक्कर, डायबिटीज - *1.* *प्रेमी प्रेमिका* *दूध और शक्कर* *डायबिटीज* * * * * *2.* *पति व पत्नि* *होते ही बच्चे चार* *लठ्ठमलठ्ठा* * * * * *3.* *धणी लुगाई* *गाडी के दो पहिये*... | चैतन्य का कोना आह ठंडी ......वाह ठंडी - सर्दी की बात तो आजकल सभी कर रहे हैं । इसीलिए आप सब अपने इस नन्हे दोस्त के हालचाल भी जान लीजिये । छुट्टियाँ ख़त्म हो गयीं हैं और स्कूल अब शुरू हुए हैं । ... |
poetry by sriram जंजीरों में बंधे तुम----- - आगे बढ़ो और तोड़ दो उस दीवार को जिसके पीछे कैद है तुम्हारा भविष्य ...। अपने गिरवी भविष्य को अपने कब्जे में करो अपने जहाँ के लिए अपने लिए ... | शस्वरं हैं प्राण जीवन सांस धड़कन आत्माएं बेटियां - *World Daughter's Day* *12th January 2013* *आज का दिवस है बेटियों के नाम !* *प्रस्तुत है एक रचना बेटियों के लिए*** *शीतल हवाएं बेटियां*** |
शिप्रा की लहरें मुझे मालूम है ... *शार्दुला जी की एक कविता -जैसे 'तुमुल कोलाहल-कलह में हृदय की बात' कह दी हो किसी ने.* *आप सब से बाँटने का लोभ समेट नहीं सकी -* *** *मुझे मालूम है… | *साहित्य प्रेमी संघ* ओ दामिनी ओ दामिनी - न हम सब जानते थे तुमको न कोई पहचान थी हमारी थी कौन,क्या नाम था तुम्हारा थी किस माँ-बाप की दुलारी पर हर दिल अजीज बन गयी आज तुम आवाज हो हमारी... |
ये धरती ,ये माता , कुछ मांग रही हैंMera avyaktaउठ जागो अब ऐ वीरों ! ये धरती ,ये माता , कुछ मांग रही हैं, पिला दूध ,जल और खिला अन्न अपने वक्षस्थल का -- सींचा है तुम्हे अपने लहू से दिया हैं चौड़ा सीना भरी शिराओं में उर्जा अब उसका और अपमान न कर चूका ऋण ,ले आ मस्तक अरि का , कर अनुपान शीघ्रता का उठ जागो अब ऐ वीरों ! ये बिलखते बालक ,ये रोती नगरी , कुछ मांग रही हैं।.. |
निजात मिल सकती है इन्सुलिन की सुइयों से कबीरा खडा़ बाज़ार में पढ़ ली है इन्सुलिन अणुओं की कूट भाषा साइंसदानों ने .बूझ लिया है इन्सुलिन अणुओं का आणविक स्तर पर व्यवहार ,समझ लिया है कैसे ये गठबंधन बनाते हैं कोशाओं की सतह पे मौजूद अभिग्राहियों से रिसेप्टर्स से .उम्मीद की जा सकती है अब मधुमेह के अभिनव एवं बेहतर इलाज़ की प्रबंधन की .निजात मिल सकती है इन्सुलिन की सुइयों से करोड़ों उन लोगों को जो मधुमेह से ग्रस्त हैं . कैसे इन्सुलिन अणु रक्त में तैरती शक्कर सींच लेते हैं |
शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े गीत मेरे ........ * * * * *शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े * *करके मेरी पुकार अनसुनी * *बैठ जाते है अलाव तापने * *कभी दुबके रजाई में * *मोज़े मफलर शॉल लपेटे * *खदबदाती राबड़ी में जा छिपते हैं * *करते आँख मिचौली… |
परिकल्पना ...... दामिनी तो माध्यम है स्व का (चौथा भाग) छीनता हो स्वत्व कोई और तू *त्याग तप से काम* ले - *यह पाप है* पुण्य है विछिन्न कर देना उसे बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है .......*रामधारी सिंह दिनकर* |
" जीवन की आपाधापी " 300 वीं पोस्ट - आज मैं अपनी 300 बीं पोस्ट लिखते हुए बहुत ही ख़ुशी महसूस कर रहा हूँ ! मैं आप सभी का इस 300बीं पोस्ट पर तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ…. |
श्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा.. कैसा आदर्श..कैसी आदर्श पत्रकारिता....डा श्याम गुप्त - * ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ.. | अजित गुप्ता का कोना स्वामी विवेकानन्द के सांस्कृतिक नवजागरण में महिलाओं का योगदान - स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जन्मशताब्दी वर्ष पर विशेष स्वामी विवेकानन्द बाल्यकाल से ही सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक नवजागरण के प्रखर चिंतक... |
न दैन्यं न पलायनम् रोष-नद हृदय भरता रोष हम किसको सुनायें, ढूढ़ती हैं छाँह, मन की भावनायें ।। स्वप्न भर टिकते, पुनः से उड़ चले जाते हैं सारे, आस के बादल हृदय में, वृष्टि वाञ्छित,... | takniki gyan YolaModel Box का ब्लॉगर की पोस्ट में उपयोग करना... -दोस्तों आज मैं ब्लॉगर भाइयो के लिए एक अच्छी ट्रिक लेकर आया हूँ। इस ट्रिक से आप यूट्यूब के विडियो आदि आप पॉपअप बॉक्स में स्टाइलिश रूप में दिखा सकते है। ... |
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की) हद है मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है, लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है, हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों, सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है, ... | हाय! कैसी है ये प्रेम के बाजूबंद की अठखेलियाँ-धडकनों के मौन आकाश पर गुंजित तुम्हारा प्रेमराग स्पन्दित कर नव चेतना भर गया और शब्द झंकृत हो गये भाव निर्झर बह गये ... |
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR सर्द सर्द श्वेत दूधिया कश्मीर -*धरती पर यह स्वर्ग शीत ऋतु में कैसा लगता है बरसों से यह देखने की इच्छा थी , भारत के अलग अलग हिस्सों में बिखरा हुआ परिवार कभी कभी ही एक साथ मिलता है… | KAVITA RAWAT गुलाबों के दरबार में कुछ स्मृतियां - यूँ ही तो नहीं गुलाब को फूलों के राजा के रूप में नवाजा गया है। मौसम कोई भी हो कड़ाके के गर्मी हो या ठण्ड हर मौसम में राजसी शान-ओ-शौकत और ठाट-बाट के साथ… |
बदलाव ...आश्रम में तोड़ फोड़शिविर में लगाई आग विरोध के दौरान थोडा धैर्य रखिए हो रहा बदलाव ...! | रूद्र गुड सैँटा ठण्ड की वजह से 25 दिसँबर से रुद्र के स्कूल 15 जनवरी तक बंद है औरबेचारा रुद्र कुछ एक दिन छोड़ कर घर मेँ कैद सा हो गया है।… |
करो विवेकानंद की, चर्चा मेरे मित्र-सुदर्शन आदर्श संन्यासी युवायुवा सोच युवा खयालातचर्चा करो मगर कैसे और किसकी ?चर्चामंचसरकारी नाई ने बाल काटते समय कपिल सिब्बल से पूछा .....मिथ या यथार्थ ? मोटे अनाज हमेशा अच्छे ?ram ram bhaiसरकार किसी को नहीं छोड़ेगी।Bamulahija dot Comकहीं नर और वानर ही न बच जाएं दिल्ली में ! (आलोक पुराणिक ) "पत्थर दिल कब पिघलेंगे?" |
एक जश्न ऐसा भी ..
*आज मैंने देखा सड़क पर * *एक नन्हा सांवला बच्चा * *प्यारा सा,, खाने की थाली में कुछ ढूंढ़ता हुआ* *उस थाली में था भी तो ढ़ेर सारा पकवान .....* *वहीँ पास उसकी बहन थी* *जो एक सुन्दर से दिए के* *साथ खेल रही थी .....* *दिए की रोशनी से उसकी आँखे चमचमा रहीं थी* *वो छोटी सी झोपड़ी भी दिए के* *रोशनी से रोशन हो गयी थी...* *वरना दूर सड़क पर की स्ट्रीट लाइट * *का सहारा तो था ही...* *बगल में बैठी उसकी माँ * *अपने बच्चों की ख़ुशी से* *फूली नहीं समां रही थी....
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Let's go Goa आओ गोवा चले।
GOA-गोवा-गोवा-गोवा। गोवा जाने का भूत कई महीनों से सिर चढ़कर बोल रहा था इस साल गोवा जरुर जाना है इस कारण कई महीने पहले से ही यहाँ जाने के लिये पक्का विचार बनाया हुआ था। अब गोवा जाना हो और दिल्ली की ठन्ड से बचने का अवसर भी साथ हो तो इससे बेहतरीन बात और क्या हो सकती थी? गोवा जाने और वहाँ जाकर ठहरने के लिये कौन सा साधन सस्ता व उचित रहेगा, पहले इस बात पर विचार किया गया तो सब मिलाकर यह पाया गया कि YHAI यूथ हास्टल ऐसोसिएसन इन्डिया के पैकेज के अन्तर्गत गोवा घूमने का अवसर सबसे उचित लग रहा था...
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मौत की नमाज़ पढ रहा है कोई
मौत की नमाज़ पढ रहा है कोई कीकर के बीज बो रहा है कोई ये तो वक्त की गर्दिशें हैं बाकी वरना सु्कूँ की नीद कब सो रहा है कोई आईनों को फ़ाँसी दे रहा है कोई सब्ज़बागों को रौशन कर रहा है कोई ये तो बेबुनियादी दौलतों की हैं कोशिशें वरना हकीकतों में कब लिबास बदल रहा है कोई ....
चिल्लाया है कौआ
काफी समय पहले
एक बाल कविता लिखी थी!
मेरे आग्रह पर इसे मेरी मुँहबोली भतीजी
अर्चना चावजी ने बहुत मन से गाया था!
आप भी इस बाल कविता का रस लीजिए!
काले रंग का चतुर-चपल,
पंछी है सबसे न्यारा।
डाली पर बैठा कौओं का,
जोड़ा कितना प्यारा।
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अन्त में देखिए ये कार्टून!कार्टून कुछ बोलता है- बहुआयामी प्रतिभा के धनी !अंधड़ !कार्टून :- दूसरा गाल आगे करने वाली प्रजातिकाजल कुमार के कार्टून |
उत्कृष्ट सधी हुयी चर्चा , सभी तरह के लिंक मिले ...... चैतन्य को शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा बेहतरीन लिंक्स कुछ पढ़े है बाकी के जरुर पढूंगी
जवाब देंहटाएंआभार मुझे शामिल करने के लिए !
लेखन के विभिन्न रंग है यहाँ ...
जवाब देंहटाएंबहुत आभार !
सुन्दर, प्रभावी और पठनीय सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंचुने हुये सूत्रों से सजी चर्चा ,अभी पूरी पढ़नी बाकी है - 'मझे मालूम है' को सम्मिलित करने हेतु आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स एक से बढकर एक
चुने हुए लिंकों के साथ बहुत सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंलेखन के विभिन्न रंग है यहाँ ...
जवाब देंहटाएंबहुत आभार !
सुन्दर सार्थक चर्चा में सभी पठनीय सूत्रों का संकलन बहुत अच्छा लगा लोहड़ी और मकर सक्रांति की बधाइयां
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री सर प्रणाम, सुन्दर सार्थक चर्चा हेतु हार्दिक बधाई , मेरी रचना को स्थान दिया आपका आभार.
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा और सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा |
जवाब देंहटाएंआभार गुरु जी ||
कमाल के लिंक्स चर्चा में लिए हैं ,एक से बढ़कर एक हैं। ख़ास कर कार्टून तो मुस्कराहट बिखेर गये। धन्यवाद शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया सुंदर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंबढ़ियाँ लिंक्स..आभार सर जी...:-)
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ...:-)
लाजबाब लिंकों से सजा,बेहतरीन प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा | एक जश्न ऐसा भी .. बेहद पसंद आई |
जवाब देंहटाएंHindi Tips : how to create stroked text
सुन्दर, स्तरीय, सारगर्भित और सहज.. . मंच के लिंक्स के लिए हृदय से बधाई.
जवाब देंहटाएंBahut shandar links ke sath yah charcha kafi akarshak ban rahi hai...hardik abhar "Fulbagiya "ko yahan sthan dene ke liye...
जवाब देंहटाएंHemant
बढ़िया चर्चा, आपको मकर संक्राति की मंगलमय कामनाये !
जवाब देंहटाएंNice links.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा पस्तुति ..
जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार ..