दोस्तों 'ग़ाफ़िल' का आदाब क़ुबूल फ़रमाएं!
पेश हैं आज की चर्चा के कुछ लिंक्स
आप सभी को शायद पसन्द आएं-
आज के लिए इतना ही फिर मिलने तक नमस्कार!
कमेंट बाई फ़ेसबुक आई.डी.
पेश हैं आज की चर्चा के कुछ लिंक्स
आप सभी को शायद पसन्द आएं-
- मुखौटा -डॉ. विजय कुमार शुक्ल 'विजय'
- तेरे आईने में -उदयवीर सिंह
- दर्द-ए-ग़म -प्रो. ईश मिश्र
- मेरे पास, मेरे सिवा उसका है भी क्या? -मृदुला हर्षवर्द्धन
- ताऊ श्री -पुरुषोत्तम पाण्डेय
- कहानी एक राजपूतानी की -रतन सिंह शेखावत
- लड़की का बड़ा होना -अलका सिंह
- चश्मा -देवेन्द्र पाण्डेय 'वेचैन आत्मा'
- खुले तीसरा नेत्र, सहम जाता है नन्दी -‘रविकर’
- मुझे तोड़ लेना वनमाली -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
- गया है -दीप फर्रूखाबादी
- सेहतनामा -वीरेन्द्र कुमार शर्मा ‘वीरू भाई’
- विस्थापन, अर्थात अपने ही देश में शरणार्थी -एस.एन. शुक्ल
- हमारा चमन -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
- कैसा यह गणतंत्र हमारा -धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
- कौन है जो नहीं जानता -'निरन्तर'
- कभी खाने के लाले हैं -अरुन शर्मा ‘अनन्त’
- इतना तो विहित है -प्रतिभा सक्सेना
- तुम ही हो दामिनी -कालीपद ‘प्रसाद’
- पदम् सम्मान : जूते घिसने से नहीं बेचने से मिलता है! -महेन्द्र श्रीवास्तव
- वह बेहद बदसूरत है फिर भी जिन्दा है -गिरीश पाण्डेय
- प्रेम का ही आधार है -अमृता तन्मय
- धीरज मन का टूट न जाये -अरुण कुमार निगम
- ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी -ब्लॉगर ललित शर्मा
- रिश्ते -जॉनी समझदार
आज के लिए इतना ही फिर मिलने तक नमस्कार!
कमेंट बाई फ़ेसबुक आई.डी.
बहुत ही शानदार सुन्दर लिंक संयोजन,,,,,,बधाई, गाफिल जी,,,,,
ReplyDeleteमंच पर मेरी पोस्ट को स्थान दें के लिए आभार ,,,,
आज भी रोज की तरह बढ़िया लिंक्स हैं गाफ़िल जी |
ReplyDeleteआशा
मतलब तो लिंकों को पढ़ने से है ग़ाफ़िल जी!
ReplyDeleteसादी चर्चा का अपना अलग ही आनन्द है!
सादी चर्चा देख-कर, आई शादी याद |
Deleteरंग-बिरंगी रोशनी, राजा सा दामाद |
राजा सा दामाद , दाद देता हूँ भाई |
उस शादी के बाद, करूँ अब तक भरपाई |
यह सादी ही ठीक, इसी का रविकर आदी |
तरह तरह के रंग, दिखाती चर्चा सादी ||
चुने हुए लिंक्स ,पढ़ना अच्छा लगा.
ReplyDeleteलालित्यम् से लेने हेतु आभार !
बड़े ही रोचक सूत्र..
ReplyDeleteआज की चर्चा सादी नही है गाफिल जी,इस चर्चा में बहुत ही सुंदर आलेखों और सार्थक कविताओ का रंगीनियाँ भरी पड़ी है,धन्यबाद।
ReplyDeleteसभी पठनीय सूत्रों का बढ़िया संयोजन हार्दिक बधाई
ReplyDeleteखूबसूरत चर्चा लिंक !!
ReplyDeleteसादी चर्चा में भरपूर लिंक्स
ReplyDeletesaraahneey charcha....interesting links....
ReplyDeleteamantran ke liye abhaar
naaz
आदरणीय ग़ाफ़िल सर प्रणाम, बेहद सुन्दर चर्चा है मेरी रचना को स्थान देने हेतु अनेक-अनेक धन्यवाद. सादर
ReplyDeletenice presentation.nice links .thanks
ReplyDeleteबहुत खूब भाई साहब .सुन्दर सेतु चयन .समन्वयन सुन्दर .
ReplyDeleteबहुत खूब भाई साहब .बेहतरीन प्रासंगिक प्रतिक्रियाएं आपकी .बेहतरीन रचना आपकी .
ReplyDeleteधीरज मन का टूट न जाये -अरुण कुमार निगम
कैसा ये गण तंत्र हमारा ,
ReplyDeleteगण फिरता है तंत्र का मारा ,
पाजी कहलाते हैं सेकुलर ,
मंत्री तीर्थ बना है तिहाड़ा .(तिहाड़ जेल )
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :कैसा यह गणतंत्र हमारा -धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
बहुत खूब भाई साहब .
ReplyDeleteमहाप्रयाण को चले गए ताऊ जी .यूं एक दिन सभी को जाना है पर वैसी खुद्दारी भी तो चाहिए और आपसा भतीजा .मार्मिक हार्दिक प्रसंग यादों के झुरमुट से कँवल सा खिलता .
ताऊ श्री -पुरुषोत्तम पाण्डेय
आभार एक फूल की अभिलाषा पढ़वाने के लिए
ReplyDeleteमुझे तोड़ लेना वनमाली -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
ReplyDeleteप्रेम की पीर असली पीर होती है मीरा भाव लिए है रचना। एरी मैं तो प्रेम दीवानी ...अमूर्त प्रेम का सान्द्र रूप लिए है रचना .आभार .
प्रेम का ही आधार है -अमृता तन्मय
चर्चा मंच में हमें बिठाने के लिए आभार भाई साहब .बेहतरीन प्रासंगिक सेतु .
ReplyDeleteबढिया चर्चा
ReplyDeleteदेर से देख पाया,बाहर हूं
मुझे स्थान देने के लिए आभार