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Monday, January 28, 2013

सादी चर्चा : चर्चामंच-1138

दोस्तों 'ग़ाफ़िल' का आदाब क़ुबूल फ़रमाएं!
पेश हैं आज की चर्चा के कुछ लिंक्स
आप सभी को शायद पसन्द आएं-

आज के लिए इतना ही फिर मिलने तक नमस्कार!

कमेंट बाई फ़ेसबुक आई.डी.

21 comments:

  1. बहुत ही शानदार सुन्दर लिंक संयोजन,,,,,,बधाई, गाफिल जी,,,,,
    मंच पर मेरी पोस्ट को स्थान दें के लिए आभार ,,,,

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  2. आज भी रोज की तरह बढ़िया लिंक्स हैं गाफ़िल जी |
    आशा

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  3. मतलब तो लिंकों को पढ़ने से है ग़ाफ़िल जी!
    सादी चर्चा का अपना अलग ही आनन्द है!

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    Replies
    1. सादी चर्चा देख-कर, आई शादी याद |
      रंग-बिरंगी रोशनी, राजा सा दामाद |
      राजा सा दामाद , दाद देता हूँ भाई |
      उस शादी के बाद, करूँ अब तक भरपाई |
      यह सादी ही ठीक, इसी का रविकर आदी |
      तरह तरह के रंग, दिखाती चर्चा सादी ||

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  4. चुने हुए लिंक्स ,पढ़ना अच्छा लगा.
    लालित्यम् से लेने हेतु आभार !

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  5. आज की चर्चा सादी नही है गाफिल जी,इस चर्चा में बहुत ही सुंदर आलेखों और सार्थक कविताओ का रंगीनियाँ भरी पड़ी है,धन्यबाद।

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  6. सभी पठनीय सूत्रों का बढ़िया संयोजन हार्दिक बधाई

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  7. सादी चर्चा में भरपूर लिंक्स

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  8. saraahneey charcha....interesting links....

    amantran ke liye abhaar

    naaz

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  9. आदरणीय ग़ाफ़िल सर प्रणाम, बेहद सुन्दर चर्चा है मेरी रचना को स्थान देने हेतु अनेक-अनेक धन्यवाद. सादर

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  10. बहुत खूब भाई साहब .सुन्दर सेतु चयन .समन्वयन सुन्दर .

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  11. बहुत खूब भाई साहब .बेहतरीन प्रासंगिक प्रतिक्रियाएं आपकी .बेहतरीन रचना आपकी .

    धीरज मन का टूट न जाये -अरुण कुमार निगम

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  12. कैसा ये गण तंत्र हमारा ,

    गण फिरता है तंत्र का मारा ,

    पाजी कहलाते हैं सेकुलर ,

    मंत्री तीर्थ बना है तिहाड़ा .(तिहाड़ जेल )

    एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :कैसा यह गणतंत्र हमारा -धीरेन्द्र सिंह भदौरिया

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  13. बहुत खूब भाई साहब .
    महाप्रयाण को चले गए ताऊ जी .यूं एक दिन सभी को जाना है पर वैसी खुद्दारी भी तो चाहिए और आपसा भतीजा .मार्मिक हार्दिक प्रसंग यादों के झुरमुट से कँवल सा खिलता .

    ताऊ श्री -पुरुषोत्तम पाण्डेय

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  14. आभार एक फूल की अभिलाषा पढ़वाने के लिए

    मुझे तोड़ लेना वनमाली -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL

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  15. प्रेम की पीर असली पीर होती है मीरा भाव लिए है रचना। एरी मैं तो प्रेम दीवानी ...अमूर्त प्रेम का सान्द्र रूप लिए है रचना .आभार .

    प्रेम का ही आधार है -अमृता तन्मय

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  16. चर्चा मंच में हमें बिठाने के लिए आभार भाई साहब .बेहतरीन प्रासंगिक सेतु .

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  17. बढिया चर्चा
    देर से देख पाया,बाहर हूं
    मुझे स्थान देने के लिए आभार

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