महेन्द्र श्रीवास्तव
चै-चै चैनल पर शुरू, कमर्शियल के संग | सुषमा ने भर ही दिया, जन-गन-मन में जंग | जन-गन-मन में जंग, रंग में आया भारत | लेकिन सत्ता दंग, अंग सब बैठ विचारत | उधर पाक में कूच, विपक्षी कूचें धै-धै |
हो जाए अब वार, मची चैनल पर चै चै ||
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"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पूरी की पूरी ख़तम, विरादरी यह धूर्त |
धोखा छल कर-वंचना, करें गलत आपूर्त | करें गलत आपूर्त, खर्च विज्ञापन पर कर | लेते अधिक वसूल, फंसे जब रविकर गुरुवर | रहिये सदा सचेत, बना कर रखो दूरी | खाओ रोटी-दाल, तलो मत पापड़-पूरी | |
नौनिहालों की निरर्थक तारीफ़ करना भी ठीक नहीं है
अतिश्योक्ति है जुबाँ पर, शहजादा अंदाज | शहजादा अंदाज, बड़ा शातिर यह नेता | जन्मसिद्ध अधिकार, डोर सत्ता की लेता | लेकिन घोड़े सभी, नहीं पाले है काबुल | क्रिकेट में भी गधे, ठीक तो है ना राहुल || |
Some more Inhumane and Barbaric act by Pakistan
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जामा मस्जिद का 'मातोश्री' !Saleem akhter Siddiqui
हक बात
सिद्दीकी साहब लिखें, एक राज पर राज | गड़बड़झाला देख के, उठा रहे आवाज | उठा रहे आवाज, बना कानून खिलौना | मिटा रहे बचपना, नियम हो जाता बौना | मातो श्री की ठाठ, यहाँ भी जय जिद्दी की | अपना अपना राज, बड़ा मसला सिद्दीकी || |
भारतीय सेना के वीर जवानों को नमन !!
पूरण खंडेलवाल
पुख्ता पावन वृत्तियाँ, न्यौछावर सर्वस्व |
कीर्ति पताका फहरती, धावति रविकर अश्व |
धावति रविकर अश्व , मेध चाहे हो जाए |
मम माता तव शान, चढ़ाएंगे सिर-मुक्ता |एक नहीं सैकड़ों, बार धड़ शीश कटाए | लेना आप पिरोय, गिनतियाँ रखना पुख्ता || |
पागल बना मसीह, छुड़ाकर हाथ गए जो
रविकर
साथी *पहली बार जिसे पकड़ा था,वह था मेरा हाथ।और कहा था ,
पगले को सब ध्यान है, मिलन-विछोह *अनीह ।
जागृति हर एहसास है, पागल बना मसीह ।
पागल बना मसीह, छुड़ाकर हाथ गए जो ।
बाकी अब भी **सीह, डूब कर स्वयं गया खो ।
साठ वर्ष का साथ, मिलो फिर जीवन अगले ।
पकडूँ फिर से हाथ, मसीहा हम हैं पगले ।।
*बिन चेष्टा
**खुश्बू
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व्याकुल वनिता वत्स, महाकामी *वत्सादन |
हाय हाय रे मीडिया, देश-देश का भक्त ।
टी आर पी की दौड़ सह, विज्ञापन आसक्त ।
विज्ञापन आसक्त, आज तक पूजा बेदी ।
बलि बेदी पर शीश, मस्त है घर का भेदी ।
लगा दिया आरोप, विपक्षी भड़काते हैं ।
सत्ता के व्यक्तव्य , सख्त देखो आते हैं ।। |
'आहुति'तुम कहो तो....!!!
उद्धव लेकर चल पड़े, रो के रोके गोपि ।
मथुरा की धुन में किशन, झिड़के करके कोपि । झिड़के करके कोपि, दुखी मन गोपी बोले । शब्द रंग कुछ ख़्वाब, हस्त-रेखाएँ खोले । लम्हे रखी संजोय, बनाई राहें संभव। चलने को तैयार, चले ज्यों कृष्णा उद्धव ।। |
Kailash Sharma
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तेरे सामने नजर उठाऊँ कैसे............डॉ. अनिल चड्ढा
yashoda agrawal
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Rajesh Kumari
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प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है
अरुन शर्मा "अनंत"
(प्रिय अरुण !! कुछ समस्या आ रही है)
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हर क्षण मन से झरतीं क्षणिकाएं....
expression
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चारधाम : हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थल
RAJESH MISHRA
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Virendra Kumar Sharma
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udaya veer singh
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ग़ज़ल
Madan Mohan Saxena
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श्री लंका यात्रा-वृत्त ---भाग दो--- ---कोलम्बो ..
Dr. shyam gupta
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पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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आप कैसे तोड़ते हैं रोटी?
Kumar Radharaman
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संध्या आर्य
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महिला बोले तो????
Bamulahija dot Com
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"जय किसान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
♥ किसान ♥
सूरज चमका नील-गगन में।
फैला उजियारा आँगन में।।
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अति सुन्दर लिंक्स का चयन
जवाब देंहटाएंरविकर भाई आभार
मेरी पसंदीदा रचना भी यहाँ है
यह देख कर अतीव प्रसन्नता हुई
सादर
बहुत अच्छे मजेदार लिँक GREAT :-)
जवाब देंहटाएंकंप्यूटर वर्ल्ड हिँदी
उपयोगी लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी आपका!
बढ़िया चर्चा....
जवाब देंहटाएंलिंक्स का ढेर लगा दिया आपने...धीरे धीरे सभी पर जाती हूँ.
हमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया रविकर जी.
सादर
अनु
सूत्रों का काव्यात्मक विवेचन..उतना ही रोचक..
जवाब देंहटाएंसुंदर पठनीय लिंक्स की प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी !
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविकर सर प्रणाम, बेहद सुन्दर लिंक्स शामिल किये हैं प्रस्तुतिकरण भी बेहद शानदार है हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंकाफी अच्छे लिंक मिले पढने के लिये ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया और आभार आपका @रविकर जी !
जवाब देंहटाएंरविकर सर मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने हेतु पुनः आपका ह्रदय के अन्तःस्थल से अनेक-अनेक धन्यवाद. सादर.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया और आभार आपका @रविकर जी अनेक-अनेक धन्यवाद. सादर.
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा, सभी लिंक्स एक से बढ़कर एक
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार
काव्यात्मक टिप्पणियों के साथ रोचक लिंक्स...बहुत सुन्दर...आभार
जवाब देंहटाएंकाव्यात्मक टिप्पणियों के क्या कहने.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार!
करता हूँ मैं टिप्पणी, पढ़ कर पूरा लेख |
जवाब देंहटाएंयहाँ लिंक-लिक्खाड़ पर, जो चाहे सो देख |
जो चाहे सो देख, जमा हैं कई हजारों |
कुछ करते नापसंद, करूँ क्या लेकिन यारो ?
आदत से मजबूर, कई को बड़ा अखरता ||
काम-चलाऊ किन्तु, कभी रविकर भी करता ||
बहुत खूब बहुतखूब बहुतखूब !क्या कहने हैं रूपकात्मक अभिव्यक्ति के प्रेम की मिश्री के ,सौन्दर्य के पैरहन के .
जवाब देंहटाएंप्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है
अरुन शर्मा "अनंत"
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की) -
(प्रिय अरुण !! कुछ समस्या आ रही है)
सुन्दर सेतु ,काव्यात्मक टिपण्णी लिखाड़ी की ,शानदार कुंडलीनुमा चर्चा DNA सी सार्थक ,सजीव .
बहुत खूब बहुतखूब बहुतखूब !क्या कहने हैं रूपकात्मक अभिव्यक्ति के प्रेम की मिश्री के ,सौन्दर्य के पैरहन के .परवाज़ लग गए हैं शब्दों के पैरहन को
जवाब देंहटाएं'आहुति'
तुम कहो तो....!!!
उद्धव लेकर चल पड़े, रो के रोके गोपि ।
मथुरा की धुन में किशन, झिड़के करके कोपि ।
झिड़के करके कोपि, दुखी मन गोपी बोले ।
शब्द रंग कुछ ख़्वाब, हस्त-रेखाएँ खोले ।
लम्हे रखी संजोय, बनाई राहें संभव।
चलने को तैयार, चले ज्यों कृष्णा उद्धव ।।
सुन्दर सेतु ,काव्यात्मक टिपण्णी लिखाड़ी की ,शानदार कुंडलीनुमा चर्चा DNA सी सार्थक ,सजीव .
जवाब देंहटाएंएक विरोधाभास एक परम्परा से उपजी पीर है एक यथार्थ की चुभन है इस रचना में बेटियों के प्रति एक शाश्वत है माँ बाप .अति उत्कृष्ट रचना .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंसब टोक और बंदिशें सहती हैं बेटियाँ,
वारिस कपूत बेटे भी, पराई हैं बेटियाँ.
हर वक़्त इंतजार करती हैं प्यार का,
रह कर के मौन देती हैं प्यार बेटियाँ.
उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ
Kailash Sharma
Kashish - My Poetry
अगर तलाश करोगे कोई मिल ही जाएगा ,मगर वो आँखें(टिपण्णी ) हमारी कहाँ से लाएगा .(स्पेम से टिपण्णी निकाल लो )
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