शुभम दोस्तों..
हाजिर हूँ
मैं
सरिता भाटिया
आएं मेरे साथ
लिए हाथों में हाथ
बढ़ते हैं
आज की सोमवारीय चर्चा
की तरफ
शगुन
एक साल बाद
पुलिस की छवि
यह कैसा देश में बदलाव हुआ
अंगूठा
मुझे पहले यूँ लगता था ..
हो गई बेवा गजल
कुछ अनकही
बातचीत की कला
अब सुनामी की चेतावनी
खुदा ही के लिए
फेसबुक अकाउंट किसी ने खोला है
पाराशर मंदिर हिमाचल प्रदेश
ऐसी गजल गाता नहीं
दोहे
कुण्डलिया छंद
क्योंकि तुम प्रेम हो
आम हो गया ख़ास
देती हूँ आज की चर्चा को विराम
आपको सुनाते हुए
बड़ों को नमस्कार
छोटों को प्यार
शुभविदा ...
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
दिल का पैगाम साहिबा लाया ...
छंद भावो के फिर सजा लाया...
sapne पर shashi purwar
(2)
मैंने उसको....सताया नही !!!
कलम हाथ में लिए बैठा हूँ उसने कुछ सुझाया ही नही,
बोला दिल कुछ,मुझसे ऐसे
किसी ने मुझे,दुखाया ही नही ...
यादें...परAshok Saluja
(3)
विशेष सूचना
सभी दोस्तों से गुज़ारिश है कि वो 'पिता दिवस' पर समर्पित स्वरचित रचनाएँ हमें प्रेषित करें रचनाएँ 6 से 8 पंक्तिओं की होनी चाहिए प्राप्त सभी रचनाएँ ब्लॉग पर प्रकाशित की जाएंगी सर्वश्रेष्ठ 3 या 4 रचनाओं को 'अंजुम पत्रिका' के जुलाई अंक में प्रकाशित किया जाएगा एवं ब्लॉग प्रसारण के विशेष रचना कोना में स्थान दिया जाएगा रचनाओं का चयन वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा किया जाएगा रचनाएँ भेजने की अंतिम तिथि 14 जून,2013 है रचनाएँ निम्न ईमेल पर प्रेषित करें saru.bhatia66@gmail.com
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
(4)
रिश्ते और ऑरथराइटिस
जब भी कोई कष्ट में चलता दिखता है ,तो सबसे पहला ख़याल यही आता है दिक्कत तो इस बंदे के जोड़ों में ही होगी । इसका एकमात्र कारण यही है कि कोई भी परेशानी हमारे सबसे कमजोर पलों में ही हावी हो पाती है और कोई भी बीमारी शरीर के दुर्बल होते अंगों पर ही अपना असर दिखा पाती है । मुझे लगता है कि जहाँ हम खुद को बहुत सामर्थ्यवान समझते हैं वहीं हम सबसे ज्यादा कमजोर भी होते हैं....
झरोख़ापरनिवेदिता श्रीवास्तव
(5)
"जिन्दादिली का प्रमाण दो"
जिन्दा हो गर, तो जिन्दादिली का प्रमाण दो।
मुर्दों की तरह, बुज-दिली के मत निशान दो।।...
(1)
दिल का पैगाम साहिबा लाया ...
छंद भावो के फिर सजा लाया...
sapne पर shashi purwar
(2)
मैंने उसको....सताया नही !!!
कलम हाथ में लिए बैठा हूँ उसने कुछ सुझाया ही नही,
बोला दिल कुछ,मुझसे ऐसे
किसी ने मुझे,दुखाया ही नही ...
(3)
विशेष सूचना
सभी दोस्तों से गुज़ारिश है कि वो 'पिता दिवस' पर समर्पित स्वरचित रचनाएँ हमें प्रेषित करें रचनाएँ 6 से 8 पंक्तिओं की होनी चाहिए प्राप्त सभी रचनाएँ ब्लॉग पर प्रकाशित की जाएंगी सर्वश्रेष्ठ 3 या 4 रचनाओं को 'अंजुम पत्रिका' के जुलाई अंक में प्रकाशित किया जाएगा एवं ब्लॉग प्रसारण के विशेष रचना कोना में स्थान दिया जाएगा रचनाओं का चयन वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा किया जाएगा रचनाएँ भेजने की अंतिम तिथि 14 जून,2013 है रचनाएँ निम्न ईमेल पर प्रेषित करें saru.bhatia66@gmail.com
(4)
रिश्ते और ऑरथराइटिस
जब भी कोई कष्ट में चलता दिखता है ,तो सबसे पहला ख़याल यही आता है दिक्कत तो इस बंदे के जोड़ों में ही होगी । इसका एकमात्र कारण यही है कि कोई भी परेशानी हमारे सबसे कमजोर पलों में ही हावी हो पाती है और कोई भी बीमारी शरीर के दुर्बल होते अंगों पर ही अपना असर दिखा पाती है । मुझे लगता है कि जहाँ हम खुद को बहुत सामर्थ्यवान समझते हैं वहीं हम सबसे ज्यादा कमजोर भी होते हैं....
झरोख़ापरनिवेदिता श्रीवास्तव
(5)
"जिन्दादिली का प्रमाण दो"
जिन्दा हो गर, तो जिन्दादिली का प्रमाण दो।
मुर्दों की तरह, बुज-दिली के मत निशान दो।।...
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जवाब देंहटाएंआदरणीया सरिता भाटिया जी!
जवाब देंहटाएंआपने सोमवार का चर्चा मंच बहुत करीने से सजाया है!
आपके श्रम को नमन!
आभार!
waah behad sundar prastuti , alag andaaj me pesh kiya hai , sabhi links bahut sundar hardik badhai sarita ji
जवाब देंहटाएंhamen mayank me sthan dene ke liye abhaar
सुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएं@ पहले मुझे यूँ लगता था......
जवाब देंहटाएंये नूतन - सी गज़ल प्यारी,बड़ी भोली सी चाहत है
महक जूही की शेरों में , कयामत है - कयामत है
नगीना है , ये मीना है , कहन का क्या करीना है
गज़ल है या कि मधुबाला ,इनायत है - इनायत है
जहाँ मुमताज है ज़िंदा , महल ये संगमरमर का
जहां के वास्ते मांगी , मोहब्बत की इबादत है
बधाई हो ! गज़ल अच्छी , ये रस की माधुरी लाई
खिंची मुस्कान की रेखा,मिली इस दिल को राहत है .
@ ऐसी गज़ल गाता नहीं.........
जवाब देंहटाएंदर्द में खुद को डुबोना व्यर्थ है
है किसी का कुछ यहाँ जाता नहीं ||
सब मगन हैं अपने-अपने स्वार्थ में
अब बुलाने से कोई आता नहीं ||
ढो रहा है दर्द क्यों उस शख्स का
जो निभा पाया यहाँ नाता नहीं ||
सुंदर हृदय-स्पर्शी गज़ल के लिए बधाई..............
गुरु जी को प्रणाम
जवाब देंहटाएंमेरी विशेष सूचना को मयंक कोना में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
रोचक कोना बहुत सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंBahut hi sunder prastuti hai aapki.........Thanks
जवाब देंहटाएंवाह आदरणीया वाह आज की चर्चा लाजवाब है अलग अंदाज में प्रस्तुतीकरण मन मोह गया, आपका श्रम सराहनीय है हार्दिक बधाई स्वीकारें. मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मंच सजा है।
जवाब देंहटाएंलग रहा है जैसे कोई त्यौहार है।
बहुत सुंदर
सरिता ही सभी लिंक्स बहुत ही मनोहारी हैं आपका बहुत बहुत आभार की आपने सभी सुन्दर लिंक्स से रूबरू कराया ... और मेरी रचना को स्थान दिया अपनी चर्चा में सादर आभार ...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत ही शानदार हे ! मेरी पोस्ट को सामिल करने के लिए आप दिल से आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट
क्या हे फेसबुक स्केम और स्पेम, यह केसे फेलता हे और इनसे केसे बचा जा सकता हे ....एक बार इसे जरुर पडे
बहुत सुंदर चर्चा सरिता जी ! बहुत अच्छी सामग्री उपलब्ध कराई आज आपने ! आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
रोचक सूत्र .....आभार !
जवाब देंहटाएंसभी सूत्र बहुत शानदार महत्वपूर्ण है जिसके लिए प्रिय सरिता जी आप और आदरणीय शास्त्री जी बधाई के पात्र हैं|
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स दिए है आपने सरिता जी आभार.
जवाब देंहटाएंमेरा पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
आप के मान-सम्मान देने का बहुत-बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंस्वस्थ रहें !
बहुत ही सुंदर लिंक्स, सरिता जी आभार.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार,,,
बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट
क्या आपको अपना मोबाइल नम्बर याद नहीं