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बुधवार, जून 26, 2013

धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८

चर्चा मंच के परिवार ,मित्रों और हमारे सभी पाठकों को शशि पुरवार का स्नेह भरा नमस्कार ...... आज उतराखंड में प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखा रही है . सबसे पहले हम प्रार्थना करेंगे कि जो लोग अभी भी संकट में है वह सकुशल अपने परिजनों तक पहुँच जाये .इस सबके लिए मानव ही जिम्मेदार है ....... शायद इसीलिए प्रकृति आज प्रलयकारी रूप दिखा रही है . आज के लिंक्स में सभी रूप आपको देखने को मिलेंगे ..........कहीं मधुमास तो कहीं स्नेह ............! चलिए ज्यादा न कहते हुए सीधे लिंक्स की ओर प्रस्थान करते है .
सुप्रभात... आप सभी का दिन मंगलमय हो यही कामना है...!

गंगा नहाने आ गए


 

कल्पना रामानी
                पाप गठरी सिर धरे, गंगा नहाने आ गए। जन्म भर का मैल, सलिला में मिलाने आ गए।   ये छिपे रुस्तम कहाते, देश के हैं सभ्य जन, पीढ़ियों को तारने, माँ को मनाने आ गए।

रोया है पर्वत सुमन

श्यामल सुमन
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चमत्कार विज्ञान का, सुविधा मिली जरूर। भौतिक दूरी कम हुई, अपनापन से दूर।। होती थी कुछ देर पर, चिट्ठी से सम्वाद। मोबाइल में है कहाँ, उतना मीठा स्वाद।। साक्षर भाभी थी नहीं, भेया थे परदेश।

हथेलियाँ

Saras 
यह हथेलियाँ...सच्ची हमदर्दहोती हैं बिना कहे हरबात जान लेतीहैं हर आह...हरसिसकी घुल जातीहै इन लकीरोंमें जब थके चेहरेको ...वजूद सेअपने ढाँप लेतीहैं - दुखते रहते जबथकी पलकों केफाये हैं - नर्म गदेलियों से हरदर्द वह सोखलेती हैं -

पतवार

Mukesh Kumar Sinha 
झील का शांत जल ठंडा, शीतल पर एक पत्थर या कंकड़ के गिरते ही झंकृत कर देती है जल तरंग संगीत और फिर नाविक की पतवार जब करती है जल को पीछे की ओर आगे बढ़ता नाव और पृष्ठ भूमि से एक बंगला गीत "जोदी तोर डाक सुने केयू ना आसे तोबे एकला चलो रे ...... "

ख़ुदा खैर करे

Kailash Sharma 
आये बड़ी उम्मीद से, ख़ुदा खैर करे, तेरे दर मौत मिली, ख़ुदा खैर करे. दिल दहल जाता है देख कर मंज़र, क्या गुज़री उन पर, ख़ुदा खैर करे.

 टूटे पहाड़

त्रिवेणी 
*सुदर्शन****रत्नाकर***** *काली****थी****रात*** *हुई****जो****बरसात*** *निगल****गई*** *सूनी****हुईं****वादियाँ***** *टूटे****पहाड़*** *उफनती****नदियाँ****
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मेरे ख्वाब.

 

Rahul Paliwal
तुझे देखता रहू , या सांसो की डोर थामे रहु. न देखा, तो क्या जी पाउँगा। देखता रहा, सांसे न ले पाउँगा। कौन है तु. तू शायद, अलसुबह देखा ख्वाब हैं, जो इतना सच्चा लगता हैं कि साँसे रोक देता

छज्जू दा चौबारा

Rekha Joshi 
पड़ोस में कहीं बहुत ऊँची आवाज़ में ऍफ़ एम् रेडियो बज रहा था ”यह गलियाँ यह चौबारा यहाँ आना न दोबारा” गाना सुनते ही आनंद के मौसा जी परेशान हो गए ,”अरे भई कैसा अजीब सा गाना है ,ह
  मनोज जैसवाल : 

औरों को हम

 

 

  प्रवीण पाण्डेय) 
आदर्शों की छोटी चादर, चलो ढकेंगे, औरों को हम। आंकाक्षा मन पूर्ण उजागर, चलो छलेंगे, औरों को हम। इसकी उससे तुलना करना, चलो नाप लें, औरों को हम। निर्णायक बन व्यस्त विचरना, चलो ताप लें, औरों को हम।

उदासी

 अनुलता नायर  


मेरा परिचय
उदासियाँ घर कर लेती हैं मन के कोनों में बिना शोर शराबे के.. उदासियों की आमद होती है बड़े चुपके से,क्यूंकि इनके पैरों की आहट नहीं होती. उदासियाँ अपने पैरों पर चिपका लेती हैं मोहब्बत के पंख,मोहब्बत के मर जाने के बाद..

शापोद्धार

प्रतिभा सक्सेना 
* पाप का पहले करो प्रतिकार क्रम बदल दो एक ही उपचार मन बदल दो यही शापोद्धार ! * तन मिला जो तुम्हें परम समर्थ , मन मिला औ' बुद्धि, सोच-विचार .. जन्म सार्थक हुआ क्या मनु-पुत्र , प्राप्त कर इतना रुचिर संसार? * तोड़ डाली पर्वतों की रीढ़, घोल कर विष ,बाँध दी जलधार . खोखली कर दी धरा की कोख और उस पर घोर अत्याचार. वायु और प्रकाश का आकाश विकल धूमि

सेदोका

दिल के दरमियाँ - डॉ० भावना कुँअर - 

मानवता अब तार-तार है

प्रसन्न वदन चतुर्वेदी 
* मित्रों ! उत्तराखंड की घटना ने एक ऐसा घाव छोड़ा है जो शायद बरसों तक नहीं भर सकता | सबसे ज्यादा दुःख तो तब हुआ जब उस समय की कई घटनाओं के बारे में पता चला | कोई पानी बिना मर रहा था और कुछ लोग उस समय पानी का सौदा कर रहे थे और २०० रुपये अधिक दाम एक बोतल पानी का वसूल रहे थे | कुछ उस समय लाशों पर से गहने उतार रहे थे

"और अब कितना चलूँगा...?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) 
*थक गया हूँ और अब कितना चलूँगा। 
अब हमेशा के लिए विश्राम लूँगा।। 
वज्र सी अब है नहीं छाती मेरी, 
मूँग सीने पर भला कब तक दलूँगा।...

कविता: बिटिया ने सीखा

Shobhana Sanstha 
तुलसी के समीप जलता दीपक आँगन का करता प्रतिनिधित्व लगता नन्हा सूरज लेता हो जन्म रोज आँगन में । जब माँ अपनी बेटी को सिखाती है दीपक कैसे जलाना /लगाना बिटिया इसे महज छोटा काम समझती किन्तु बड़ी होने पर जब वो ससुराल में लगाती है तुलसी की क्यारी पर दीपक । तब चेहरा निखर जाता और बढ जाता है पिया का प्रेम दूर बजता मधुर गीत कानों में मिश्री घोल जाता - में तुलसी तेरे आँगन की ।

कार्टून कुछ बोलता है- उत्तराखंड त्रासदी !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
पीने में रम गया है मन ........

मीठे गरल का प्याला उतरा हलक में फिर लाल डोरे खेल रहे थे पलक में 
मुख में बसी फिर गालियाँ सड़क पे ढुलक रहा तन ...
sapne पर  shashi purwar

(2)
WHAT IS CATARACT?
Cataract is the clouding of the lens of your eye that impairs vision .Cataract is responsible for more than half of blindness in the world ,which is a grim fact because it is a treatable condition....
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर Virendra Kumar Sharma -

(3)
नोट : इस रचना का आनंद केवल नेता लोग ही ले सकते हैं

Hasya Kavi Albela Khatri पर Albela Khtari

(4)
कार्टून :- मत जइयो मेरी जॉं, तू यूँ मत जइयो

 काजल कुमार के कार्टून

(5)
सोनिया, मनमोहन ने पर्यटकों का रास्ता रोका !

सुबह जब मैं पहलगाम से श्रीनगर के लिए चला तो बातचीत में कार के ड्राईवर ने कहाकि "साहब केंद्र की सरकार कश्मीर को लेकर ऐसी बड़ी-बड़ी बातें करती है, जिससे देश के बाकी हिस्से में लोगों को लगता है कि हमारे लिए इतना कुछ किया जा रहा है, फिर भी कश्मीरी सरकार के खिलाफ हैं और ये जहर उगलते रहते हैं,  लेकिन सच्चाई ये नहीं है, हम कम में गुजारा करने को तैयार हैं, पर हमारी बुनियादी मुश्किलों के प्रति सरकार संवेदनशील तो हो। हमारी बुनियादी जरूरतें पूरी करना तो दूर कोई सुनने को राजी नहीं है। आतंकी हमले में बेकसूर कश्मीरियों को जान गंवानी पड़ रही है, लेकिन सरकार कभी संवेदना के दो शब्द नहीं बोलती। हालाकि मैं तो सुनने में ही ज्यादा यकीन करता हूं, लेकिन मुझे लगा कि ये ड्राईवर जमीनी हकीकत बयां कह रहा है, लिहाजा मैने उससे कहा कि आतंकवादी हमले में सिर्फ कश्मीरी ही नहीं सुरक्षा बल के जवान भी मारे जाते हैं। इसके बाद तो ड्राईवर ने सरकार के प्रति जो गुस्सा दिखाया, मैं खुद सुनकर हैरान रह गया। बोलने लगा साहब हम घटनाओं को कश्मीर में खड़े होकर देखते हैं और आप दिल्ली से इसे देखते हैं। हम दोनों देख रहे हैं कि हमला हुआ है और सुरक्षा बल के लोग मारे गए हैं। जितनी तकलीफ आपको है, उससे कम तकलीफ मुझे भी नहीं है। लेकिन बात तो सरकार की है। अगर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी इस हमले को लेकर गंभीर होती तो आज कश्मीर का दौरा रद्द कर सुरक्षा बलों को हिदायत देती कि आतंकियों को ढूंढ कर मारो। लेकिन यहां तो कल हमला हुआ, एक घंटे ये खबर जरूर न्यूज चैनलों पर थी, उसके बाद सब अपने काम में जुट गए। रही  बात सुरक्षा बलों की तो उन्हें मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की सुरक्षा के मद्देनजर उन रास्तों की निगरानी में लगा दिया गया, जहां से उन्हें गुजरना है।...
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव 

24 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात
    वाह !! उम्दा प्रस्तुति
    बहुत-बहुत धन्यवाद और दिल से आभार
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. शशि पुरवार जी!
    आपने आज बुधवार (26-06-2013) को धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....! अंक-१२८८ मे बहुत उपयोगी और अद्यतन लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा की है!
    आपका आभारी हूँ...!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. संवेदनशील स्थानों पर ये दौरे सुरक्षा कर्मियों और सेना के लिए सरदर्द हैं :(
    अच्छे लिंक्स !

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  4. बड़े ही रोचक और पठनीय सूत्र...आभार शशिजी

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  5. sabhi mitro ko suprabhat aapko links aur preastuti pasand aaye to hamara kary sarthak ho gaya .

    mayank me hamen bhi sthan dene ke liye shashtri ji ka tahe dil se shukriya :)
    shukriya chacha ji

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  6. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आपका-

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  7. श्रम आपका ,चुने हुए लिंक्स का आनन्द हमने उठाया- आभार शशि जी !

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  8. विविधता भरे लेख.

    शशि दी,आपके परिश्रम की सराहना और धन्यवाद।

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  9. .सार्थक व् सराहनीय लिंक्स संयोजन . आभार संजय जी -कुमुद और सरस को अब तो मिलाइए. आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  10. सुन्दर प्रस्तुति आभार।

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  11. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति .
    मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार!

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  12. सुन्दर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा...आभार..

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  13. सुन्दर कड़ियाँ संजोने के लिए मंच को साधुवाद एक भाई की पोस्ट यहाँ कॉपी पेस्ट कर रहा हूँ बहुत प्रासंगिक लगी ... जय हिन्द !

    मित्रों सारे दर्द एक तरफ लेकिन अभी बात देश के आगे सबसे बड़ी प्रलय की जो सब कुछ निगल जायेगी.

    एक बेहद खतरनाक मंदी के दौर से गुजर रहे है हम और अगर चेते नही तो भारत जल्दी ही ग्रीस और स्पेन बन जायेगा.
    वैसे मै ये खबर वित् मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी के मार्फ़त दे रहा हूँ लेकिन तकनीकी पहलुओं में ना जाकर संशेप में कुछ तथ्य रख रहा हूँ.

    मौजूदा समय में राजमा और अन्य दाले बर्मा से, सारी लकड़ी मलेशिया, कनाडा और न्यू ज़ीलैण्ड से,.... स्टेशनरी, हार्डवेयर और कंजूमर्स आईटम चीन से इम्पोर्ट हो रहे हैं. हमारे देश में हार्डवेयर के सस्ते आईटम्ज़ जैसे चिटकनी, हैण्डल, स्क्रू, कीलें और कब्ज़े भी बन ना बंद हो रहे हैं क्यूंकि चीन और भी सस्ते दाम में ये सब निर्यात कर रहा है. हमारे देश में अब स्कूली बच्चों के लिए रबड , पेंसिल और स्केल भी नहीं बन रहे है. प्लास्टिक की पानी वाली बोतले भी आयात हो रही हैं. यही नहीं खेती के लिए बीज, खाद और कीटनाशक भी आयात हो रहा है. इसके ऊपर सोने और तेल के इम्पोर्ट ने हालात पहले से बदतर कर रखे हैं.
    रिपोर्ट ये भी है कि बड़ी मात्रा में काली कमाई का पैसा नेता, नौकरशाह और उद्योगपति विदेश ले जा रहे हैं.
    इन सबका असर ये है की रूपए की कीमत इतिहास में अब सबसे नीचे जा पहुँची है. कुल मिलाकर अपनी भारत मा को बचाइए !!!

    मित्रों इस चीर हरण को रोकिये . कुछ करिये.

    By Subodh Agarwal

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  14. उम्दा लिंक्स से सजाया गया है आज का चर्चा मंच
    आशा

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  15. बहुत सार्थक चर्चा प्रस्तुति ...आभार

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  16. सत्य उजागर करने के लिए धन्यवाद |

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  17. एक सार्थक संकलन एवम प्रस्तुति शशि जी

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  18. बाहर था, मंच पर नहीं आ सका।
    यहां अपना लेख पाकर खुशी हुई

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