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मंगलवार, जून 25, 2013

मंगलवारीय चर्चा-1287--हमें फूलों को सताना नहीं आता

आज की मंगलवारीय  चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को 

नमस्ते , उत्तराखंड की त्रासदी से रूबरू होते हुए कई दिन बीत गए प्रकृति का रोष शांत होने 

का नाम नहीं ले  रहा है चलिए सब के ब्लोग्स पर जाने से पहले इस त्रासदी को झेलने वालों

के लिए मिलकर  प्रार्थना करें ,महाम्रत्युन्जय मन्त्र का एक बार जाप करें ---(जिसमे शिव से 

अकाल मृत्यु रोकने के लिए प्रार्थना की गई है )
जूं स्वः त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम।  
उर्वारुकमिव बन्धनान म्रतोर्मुक्षीय माम्रतात भूर्भुवः स्वरों जूं सः हों  
 आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर---
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प्रभु, चाह न रही मुझको, अब तीरथ की।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !

जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!

कालीपद प्रसाद at मेरे विचार मेरी अनुभूति

"प्रलय हुई केदारनाथ में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) at उच्चारण - 

उत्तराखंड की तबाही (आल्हा छंद पर आधारित )

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यहाँ भगत सिंह रंगवाते हैं चोला रंग बसंती !

shikha kaushik at WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION 

ओ मेरे !............6

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बेशर्म राजनीति असहाय गणतंत्र


कहूँ कैसे सखी मोहे लाज लागै रे........डा श्याम गुप्त

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ग़ज़ल : गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों

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हम गर्वीले भारतीय..

Timsy Mehta at Meri Dharti~Ya Woh Taara

हमें फूलों को सताना नहीं आता

Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
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ये मेरा घर नहीं आशियाना है

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दुर्भाग्यपूर्ण है एक ब्लॉगर का तानाशाह बन जाना !

रवीन्द्र प्रभात at परिकल्पना - 

जाने क्यों इतना बहता है पानी

Yashwant Mathur at जो मेरा मन कहे
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पहाड़ों के सर भी गंजे हो जाते हैं---

डॉ टी एस दराल at चित्रकथा 




एक हमसफर चाहिए.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया at काव्यान्जलि 
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी  कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
यहाँ क़ानून एक समान सबके लिए पालना के लिए हैं .किसी को कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है .कोई यह नहीं कहेगा लागू करवाने वाले व्यक्ति को -तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है .कोई सदनिया (सांसद या विधायक )किसी ट्रेफिक पुलिस इंस्पेकटर को सदन में बुलाके लात घूसों से नहीं पिटेगा .यकीन मानिए ये मेरा इस मुल्क का पांचवां दौरा (फेरा )है विजिट है हर बार सोचा लिखूं ये रोजमर्रा के जीवन की बातें जो हमारे नागर बोध हमारी सिविलिटी (Civility )से ताल्लुक रखतीं हैं लेकिन हर बार हेल्थ इश्यूज हावी रहे रिपोर्टिंग पर . ...
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर Virendra Kumar Sharma
(2)
 रिम-झिम रिम-झिम बारिस आई 
फूलों पौधों को नहलाई ...
BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA पर 
Surendra shukla" Bhramar
(3)

साहित्यिक सहचर पर डॉ.राज सक्सेना
(4)
एक लम्बे सफ़र की तमाम यादों की आड़ी तिरछी रेखाओं से दिल और दिमांग के कमोबेस हर पन्ने पर  अक्श  तस्बीरों को  -- कहीं सफ़े पे  तो कहीं हासिये पे  सजोए  मैं सलाम बज़ाने हाज़िर हूँ,मेरी गुज़ारिश है कि आप सब मेरी  दस्तक को कुछ यूँ लें --  

   लौट  आई हूँ मै एक मुसफ़िर  की तरह 
   मेरी  गलियाँ  मेरा  ठिकाना  पूँछती  हैं...
(5)
जो नैसर्गिकरूप से, उमड़े वो है प्यार।
प्यार नहीं है वासना, ये तो है उपहार।।
--
उपवन सींचो प्यार से, मुस्कायेंगे फूल।
पौधों को भी चाहिए, नेह-नीर अनुकूल।...

26 टिप्‍पणियां:

  1. बहन राजेश कुमारी जी!
    मंगलवारीय चर्चा में आपने बहुत अच्छे सामयिक लिंकों का समावेश किया है!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. ख्याति के अनुरूप चर्चा मंच अपनी गरिमा बढ़ा रहा है | मंच में लगातार स्थान देने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. डॉ.राज सक्सेना जी!
      हिन्दी चिट्ठों की चर्चा में आज चर्चा मंच नम्बर 1 पर है।
      यह सब आपके अनुराग का ही फल है!

      हटाएं
  3. राजेश जी ,चर्चा मंच एक सम्मानीय ब्लॉग है और कम से कम इस पर ऐसी रचनाओं को स्थान देना चाहिए जिसमे सच्चाई हो या फिर खुद की अभिव्यक्ति जो कहीं न कहीं तो सच पर आधारित हो .राहुल गाँधी जी को बलात्कारी कहना न केवल उनका बल्कि हमारे कानून का अपमान है जिसने ऐसा घटिया इलज़ाम उन पर लगाने वाले अखिलेश जी की साजिश का भंडाफोड़ करने वाले को सजा दी है .सोनिया जी को तो कुछ कहने से यहाँ ब्लोग्गर बाज़ नहीं आते इतना ही बहुत है कि कुछ न समझते हुए इन्हें सियासत करने वाला ही कह दिया जाये किन्तु इतना घटिया इलज़ाम लगाना ,बर्दाश्त योग्य नहीं है और फिर वे अपने ब्लॉग पर कुछ भी लिखें कृपया उसे यहाँ स्थान मत दें .अन्य सभी लिनक्स सार्थक हैं .सराहनीय चर्चा तरुण जी की डायरी को छोड़कर .आभार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर

    1. आदरणीया जब देश में आर्थिक ढाँचा तबाह हो चुका हो , आधारभूत सुविधाये सिर्फ आश्वासनों तक सिमट गयी हो और संविधान और अखण्डता पर आस्था तक खेमो में बंट चुकी हो तब स्त्री , पुरुष से परे शासकों के निरंकुश चरित्र पर तीव्रतम कटाक्ष करना सेवक को अपरिहार्य लगा ।
      "लुटेरी दुल्हन" विशेषण पर मुझसे अधिक आप जानती होंगी वह बिलकुल मुफीद है , और "सुप्रीम कोर्ट" से बाले बाले बरी किये गए युवराज के कुकृत्य के बारे में थोड़ा प्रयास करने पर आपको सविस्तार जानकारी , समाचार पत्रों और विविध फोरम पर मिल ही जायेगी । वह केस राहुल गाँधी के लिए मनु सिंघवी ने लड़ा था , उनके द्वारा अदालत में दिए गए पत्र की प्रति भी आपको नेट पर आसानी से मिलेगी ... अब आश्चर्य सहित आपसे यह पूछने की घृष्ट ता करता हूँ कि "सुकन्या" नाम की अमेठी की पीडिता जिसे सपरिवार "गायब" कर दिया गया और दलित विधायक "किशोर समरीते" जिसे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का भारी दंड मिला , यदि आप उनके बारे में अंश मात्र भी जानती होंगी तो इसे नारी के ही पक्ष में उठी आवाज समझ कर अपने स्त्रीधर्म में अपनी टिपण्णी पर पुनर्विचार अवश्य करेंगी ।

      धन्यवाद !
      जय हिन्द !

      हटाएं
    2. प्रिय शालिनी जी कल नेट धीमा होने की वजह से पोस्ट पर प्रतिक्रिया नहीं कर पाई आज देखी ,चर्चामंच हर किसी को अपनी बात रखने का अवसर देता है बशर्ते बाते स्तरहीन या वल्गर न हो आपको जो बात नागवार गुजरी आपने प्रतिक्रिया दी तरुण जी ने उसका उत्तर दिया स्वस्थ चर्चा का चर्चा मंच भी सम्मान करता है और चर्चा से ही कुछ बातें स्पष्ट हो पाती हैं ये सही है हम लेखक हैं हमे लेखन में अपना पक्ष रखते हुए अपनी भाषा को संयत रखना चाहिए गाली गलौज से परहेज करना चाहिए|

      हटाएं
  4. बहुत सुन्दर व रोचक चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  5. सादर नमस्कार। सुचर्चा हेतु सादर आभार।। बहुत-बहुत धन्यवाद।।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय शास्त्री जी और आदरणीया राजेश कुमारी जी रोचक और सुन्दर चर्चा ..केदारनाथ की त्रासदी से प्रभु सब को उबारें आओ हम सब मिल कर दुआ करें ,,..मेरे बच्चों के ब्लॉग से अम्मा दौड़ो छाता लाओ को शास्त्री जी ने चुना ख़ुशी हुयी आइये बच्चों को यों ही चर्चा में रखें खुशियाँ बाँटें और लें ..जय श्री राधे
    भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय राजेश कुमारी जी एवं समस्त मंच परिवार को सादर वन्दे !

    दर्शन पर दर्शन उस पर दूरदर्शन अजब तमाशा है मौत भी ।
    बादल फटे दिखावे के जज्बातों से डोली आस्था की जोत भी ॥

    प्रचार की भूख , वोटबेंक पर टिका अस्थिर अस्तित्व और देश में "आपदा प्रबंधन" की सिरे से अनुपस्थिति झकझोर कर जगा रही है । अगर आज भी हमने इन्हें रोक टोका नहीं तो देश का भविष्य बहुत कठिन हो जाएगा ।

    चर्चामंच से लगातार मिल रहे साहसिक समर्थन के लिए पुन: ह्रदय से साधुवाद !
    कल की चर्चा में उपस्थित न हो सका , सो भी देख कर अभिभूत हुवा श्रीमती वंदना जी को क्षमा प्रार्थना सहित बहुत बहुत आभार !

    हिंदी और हिन्दोस्तान की सेवा में आपको उचित प्रतिसाद मिले , यही शुभकामना है !

    जय हिन्द !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय तरुण जी आपका हार्दिक स्वागत है आप सब के सहयोग और उत्कृष्ट लेखन की बदौलत ही चर्चामंच उच्च सोपानों पर कदम रख रहा है
      प्रचार की भूख , वोटबेंक पर टिका अस्थिर अस्तित्व और देश में "आपदा प्रबंधन" की सिरे से अनुपस्थिति झकझोर कर जगा रही है । अगर आज भी हमने इन्हें रोक टोका नहीं तो देश का भविष्य बहुत कठिन हो जाएगा । आपके विचारों से मैं पूर्ण इत्तफाक रखती हूँ दिल से अनुमोदन करती हूँ

      हटाएं
  8. सार्थक चर्चा प्रस्तुति ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. @तरुण जी -सोनिया जी को लुटेरी दुल्हन कहना उनकी जैसी गरिमामयी नेत्री की गरिमा से खिलवाड़ करना जैसा है और रही राहुल जी पर चले उस झूठे केस की बात तो अदालत का निर्णय किस आधार पर आया इसकी विस्तृत जानकारी आप जुटा लें .ये वही अदालत है जो बोफोर्स पर निर्णय देती है तो आप जैसे तथाकथित क्रांति कारी इसे बार बार हाईलाईट करते है पर जब राहुल जी पर चले झूठे केस को झूठा कहती है तब आप स्थानीय ख़बरों को अदालत के निर्णय पर भारी बताते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर लिंक्स प्रस्तुति,,,

    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार,,,राजेश जी,,,

    Recent post: एक हमसफर चाहिए.

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  11. जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
    कालीपद प्रसाद at मेरे विचार मेरी अनुभूति

    मैं ज्योतिर्लिन्गम हूँ .मेरा अप भ्रंश रूप शिवलिंग कहलाता है वही मेरा प्रतीक चिन्ह है .मैं परम ज्योति (प्रकाश )हूँ .ईसा ने भी यही कहा है -God is light .

    ब्रह्मा -विष्णु -महेश का भी रचता मैं ही हूँ मेरी ही रचना है यह त्रिमूर्ति .

    गुरुनानक देव ने भी यही कहा -एक हू ओंकार निराकार .काबा में भी मैं ही हूँ मेरा ही वृहद् स्वरूप वह संग -ए -असवद (पवित्र पत्थर )है वृहद् आकार का वह शिव लिंग ही है .मुसलमान इस पवित्र पत्थर के बोसे लेते हैं .रामेश्वरम में राम चन्द्र (चन्द्र वंशी राजा राम )मुझे ही पूजते हैं .गोपेश्वर (मथुरा स्थित मंदिर )में कृष्ण मुझे ही पूजते हैं .सर्वत्र मेरा ही गायन है .

    मैं आनंद का, प्रेम का, शान्ति का ,सागर हूँ .कर्तव्य बोध से मैं भी बंधा हूँ .अभी यह कायनात विकारों में आ चुकी है सर्वत्र विकारों का ही राज्य है .पांच विकार नर के पांच नारी के बना रहे हैं दशानन .सर्वत्र इसी माया रावण का राज्य है .मनमोहन तो निमित्त मात्र हैं .

    मेरा साधारण मनुष्य तन मैं अवतरण हो चुका है जिन लोगों ने मुझे पहचान लिया है वह मेरे साथ इस मैली हो चुकी सृष्टि के सफाई अभियान में लग चुकें हैं .योग बल से पवित्रता के संकल्प से अपना स्वभाव संस्कार बदल रहें हैं .शुभ वाइब्रेशन प्रकृति के पांच तत्वों को भी दे रहें हैं .इधर विकार भी चरम पर हैं .मैं किसी को दुःख नहीं देता हूँ .सब अपना कर्मबंध भोग रहे हैं .हिसाब किताब तो चुक्तु होना ही है .या तो सज़ा खाके या फिर पवित्र होकर .चक्र फिर से शुरू होना है सम्पूर्ण पवित्रता का .अभी तो सब अपवित्र बन पड़े हैं इसीलिए यह विनाश के बादल मंडरा रहे हैं यहाँ वहां .उत्तराखंड तो रिहर्सल है .टेलर है फिल्म तो अभी आनी है .विनाश और नव -निर्माण की यही कहानी है .

    एक बात और मनुष्य मात्र मेरा अंश नहीं है मेरा वंश है मेरी ही genealogy है मैं कण कण मैं नहीं हूँ .सूरज चाँद सितारों से परे, परे से भी परे ,ज्ञात सृष्टि की सीमा ,क्वासर्स से भी परे मैं ब्रह्म लोक ,परमधाम ,मुक्ति धाम ,का वासी हूँ वही सब आत्माओं का भी मूल वतन है .नेचुरल हेबिटाट है कुदरती आवास है .वहीँ से मैं आता हूँ -यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ......यहाँ भारत में ही मेरा अवतरण होता है यहीं सुखधाम स्वर्ग होता है यहीं फिर रौरव नरक होता है काल का पहिया ऐसे ही घूमता रहता है जिसका जैसा पुरुषार्थ उसका वैसा प्रारब्ध कर्म भोग कर्म फल .मैं तो अ-करता हूँ अभोक्ता ,अजन्मा हूँ .


    तुम खुद को शिवोहम कहते हो फिर मुझे ढूंढते भी हो .आत्मा सो परमात्मा कहने वाले महात्मा को बतलाओ -भाई तू तो महान आत्मा है फिर एक साथ परमात्मा कैसे हो सकता है फिर काहे गाते हो -आत्मा और परमात्मा अलग रहे बहु काल ,सुन्दर मेला तब लगा ,जब सतगुरु मिला दलाल .तो भाई आत्मा अलग है परमात्मा अलग है .वह तो है ही सर्व आत्माओं का बाप .फिर आत्मा (पुत्र )अपना ही बाप (परमात्मा )कैसे हो सकता है . अलग है .आत्मा ब्रह्म तत्व में लीन नहीं हो सकती है .ब्रह्म तत्व तो छटा महत तत्व है रिहाइश की जगह है आवास है तुम सब आत्माओं का .

    ॐ शान्ति .

    एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :

    http://kpk-vichar.blogspot.com/2013/06/blog-post_24.html?showComment=1372170092421#c6910857815792378883

    जिज्ञासा! जिज्ञासा !जिज्ञासा !

    ब्रह्मा मुख कमल से शिवभगवान उवाच

    जवाब देंहटाएं

  12. आदत सियासती है धोखे से वार की,
    तलवार से डरे ना सरकार से बचें,

    समेटे है सियासत के तमाम रंग है ग़ज़ल ,खूब सूरत चयन है सेतुओं का चर्चा -ए -मंच पर ,बिठाया है आपने हमको भी मंच पर .शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया शाश्त्री जी अरुण अनंत जी ......

    जवाब देंहटाएं
  13. अपनी मौत मरेंगें चुनावे २ ० १ ४ में और कूट लें कुछ दिन चांदी लाशों पर गुलिस्तान की .ॐ शान्ति .

    बेशर्म राजनीति असहाय गणतंत्र
    tarun_kt at Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

    जवाब देंहटाएं

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