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Saturday, June 29, 2013

कड़वा सच ...देख नहीं सकता...सुखद अहसास !

आज की चर्चा में आज सबसे पहले टैक्नोलोजी से परिचित हो जाइये जो सबके बडे काम आती है उसके बाद अपने मनपसन्द लिंक्स पर जाइये क्योंकि कितनी बार लेटेस्ट टैक्नोलोजी से परिचित ना होने के कारण हमारे बहुत से काम रुक जाते हैं और आज के वक्त में टैक्नोलोजी से परिचित होना खुद को अपडेट रखना बेहद अहम हिस्सा है ज़िन्दगी का ………वैसे आज सिर्फ़ लिंक्स दूँ तो चलेगा ना ………:)




start menu के प्रोग्राम फ़ाइल में अपने नाम का फोल्डर बनाये , प्रोग्राम फ़ाइल में ऐसा शार्टकट फोल्डर बनायें जहाँ से सभी प्रोग्राम ओपन करें, Make a shortcut in start menu program files.









































इस कहानी में सिर्फ नाम और पहचान बदल दी गई है। बाकी एक-एक बात बिलकुल सच है।













अब आज्ञा दीजिये फिर मिलते हैं तब तक के लिये सबके सब दिन शुभ हों ...!
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
कितने सुन्दर पंख तुम्हारे।
आँखों को लगते हैं प्यारे।।

फूलों पर खुश हो मँडलाती।
अपनी धुन में हो इठलाती...
(2)
*डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगा*

हिन्दी-हाइगा पर ऋता शेखर मधु
(3)
*सही मानिए, जिस दिन इस "कब" का उत्तर मिल जाएगा, 
उस दिन से कोई आपदा, विपदा, त्रासदी प्रलयंकारी हो कर हमें इतना नहीं सताएगी. 
क्योंकि तब प्रकृति का दोस्ताना हाथ हमारे साथ होगा. * उत्तराखंड हादसे के भी कई रूप हैं...

कुछ अलग सा पर गगन शर्मा, कुछ अलग सा 
(4)
हम जब भी कार्यपालिका की बात करते हैं अथवा उन पर दोषारोपण करते हैं तो उसके मूल में भाव उनके लोकसेवक होनें और उसमें कोताही बरतने का ही रहता है ! लेकिन यक्ष प्रश्न तो यही है कि जिनको हम लोकसेवक मानकर चलते हैं वास्तव में उनके मन में लोकसेवक होने का भाव रहता है या नहीं रहता है...

शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल
(5)
धू - धू कर बेख़ौफ़ जलने लगी लाशें , धर्म के नाम पर जहां होती थी बातें | अब बताओं न ... क्या होती है ये श्रद्धा ? किसे कहते हैं धर्म ? मंदिर , मस्जिद की चौखट में बैठकर एक २ श्लोक पर पैसों की बोली ? बेसहारों पर अत्याचार ? सब गुनाहों का हिसाब तो है यही ... फिर किस बात की है मनाही ...

(6)
रुंधे कंठ से फूट रहें हैं अब भी भुतहे भाव भजन----- शिवलिंग,नंदी,नाग पुराना किंतु झांझ,रुंधे कंठ से फूट रहें हैं अब भी भुतहे भाव भजन----- शिवलिंग,नंदी,नाग पुराना किंतु झांझ,मंजीरे,ढोलक चिमटे नये,नया हरबाना रक्षा सूत्र का तानाबाना भूखी भक्ति,आस्था अंधी ... 

(7)

काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
बधाई हो आपको...!
ज़ज़बा सलामत रहना चाहिए!

20 comments:

  1. अपने व्यस्त समय में से सार्थक लिंकों के साथ चर्चा करने के लिए... आपका आभार वन्दना जी!

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  2. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।

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  3. सुन्दर और पठनीय सूत्रों से सजी सुन्दर चर्चा !!
    सादर आभार आदरणीय !!

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  4. सुन्दर चर्चा-
    आभार आदरणीया-

    ReplyDelete
  5. शानदार चर्चा, मुझे शामिल करने के लिए आभार

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  6. सुन्दर चर्चा, आभार वन्दना जी!

    ReplyDelete
  7. सुंदर लिंकों के साथ सुंदर चर्चा,
    मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी,,,

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  8. Bahut badhiya....ab dheere,dheere links padhungi.....

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  9. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा

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  10. सुन्दर चर्चा

    ReplyDelete
  11. सुंदर लिंकों के साथ सुंदर चर्चा

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  12. sundar links chune hai aapne vandanaji ..shamil karne ke liye abhar ..

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  13. वाह बहुत ही बेहतरीन चर्चा और सुंदर लिंक्स, आभार.

    रामराम.

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  14. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार

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  15. @ ब्लॉगिंग के दो वर्ष पूरे....

    आदरणीय धीरेंद्र जी को कोटिश: शुभकामनायें.....

    आभासी - संसार के , नाते रहें अटूट
    नेह-प्रेम बिखरा यहाँ , लूट सके तो लूट
    लूट सके तो लूट , प्रेम से झोली भरले
    खूब लुटाकर प्रेम,सफल जीवन को करले
    तन क्षणभंगुर किंतु नाम होता अविनासी
    हो जायें साकार , सभी नाते आभासी ||

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  16. आज के लिंक्स तो कमाल हैं..

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  17. शानदार चर्चा, मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार !!

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  18. हमेशा की तरह सार्थक पोस्ट, हमारी पोस्ट को शामिल करने हेतु आभार..

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  19. बहुत सुंदर सूत्रों से सजाया है यह अंक
    संयोजन के लिये साधुवाद
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे समल्लित करने का आभार -----
    सादर

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