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Friday, June 21, 2013

"उसकी बात वह ही जाने" (शुक्रवारीय चर्चा मंचःअंक-1282)

मित्रों!
        अगले शुक्रवार से आदरणीय रविकर जी नियमित हो जायेंगे। देखिए आज की कथा चर्चा में मेरी पसन्द के कुछ लिंक...!

       उत्तराखण्ड में बारिश के रूप में कुदरत ने अपना कहर बरपाया है हम तो केवल यही कह सकते हैं कि...उसकी बात वह ही जाने ......। घोटू जी लिखते हैं...उत्तराखंड की त्रासदी पर हे महादेव! ये तो हम सब जानते हैं , कि आप संहार के देवता है लेकिन हे केदार ! आप तो हैं बड़े उदार , आप तो भोलेनाथ भी कहाते है अपने भक्तों को , दुःख और पीड़ा से बचाते है तो फिर क्यों, श्रद्धा से आपको सर नमाने , आये हुए भक्तों की भीड़ पर , मौत का तांडव दिखा दिया....? शिकायत बादल से ...*मालूम है सबको ऐ बादल,जल-भंडार तो पास तुम्हारे अच्छा-खासा होगा,* *मगर क्या कभी किसी ने ये सोचा था, वह पानी खुद इतना प्यासा होगा।* * **गटक ली हजारों जिंदगियां पलभर में उसने,घर-चौबारे कुछ भी नहीं छोड़े,* *गंगा ने भी नहीं सोचा था,जीवनदायी वह नीर तेरा,इसकदर बुरा सा होगा।...अब कौन कहेगा ! तार आया है... अलविदा तार...भारत में टेलीग्राम सेवा की शुरुआत 160 साल पहले हुई थी. लेकिन अब उसे बंद करने का फैसला किया गया है. माना जा रहा है कि अब इस सेवा की उपयोगिता बहुत ही सीमित रह गई है. खासकर भारत में टेलीफोन सेवाओं के विस्तार, मोबाइल टेक्नॉलॉजी और एसएमएस जैसी सेवाओं ने टेलीग्राम की जरूरत को कम कर दिया है.....! तब रूठी थी बरखा-रानी।
अब बरसी तो इतनी बरसी,
घर में पानी, बाहर पानी।।


          ज़माना...हो गयी जिन्दगी आंसुओ के सैलाब में...! अपनी ही निकाली गंगा में जलमग्न हो गए शिव, क्यों ?...बचपन में स्वामी दयानंद की जीवनी में कई बार पढ़ा कि जब घर में एक दिन शिवरात्रि वाले दिन सब पंडित और घर के लोग व्रत रखे शिव की पूजा कर रहे थे ,तभी दयानन्द जी ने देखा सब सोने लगे और एक चूहा आया और शिवजी की प्रतिमा के आगे रखे प्रसाद को खाने लगा ,*तभी उनको बोध हुआ कि यह भगवान् अगर सर्व शक्तिमान है तो इसने चूहे को क्यों नहीं हटाया....? निर्विकार / मौन / निश्छल...सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।..सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्॥...केदारनाथ की पावन यात्रा में शामिल लोग अनायास बादल फटने से भूस्खलन से काल कलवित हो गये। देश विदेश से आये दर्शनार्थी फंस गये इस प्राकृतिक आपदा में टी.वी. पर समाचार की निरंतरता ने जहां लोगों को अपनों से जोड़ा तो दूसरी ओर भयावह घटना को दिखलाकर दिल दिमाग और जनमानस को दहला भी गया। लोग जुटे हैं सेवा में हम भी चिंतित हैं परिजनों के हाल जानने के लिए...! एक प्रश्न....अंतराल जीवन और मृत्यु का क्यों होता कभी सुख दायक कभी पीड़ा से भरा...? उदासी....उदासियाँ घर कर लेती हैं मन के कोनों में बिना शोर शराबे के.. उदासियों की आमद होती है बड़े चुपके से,क्यूंकि इनके पैरों की आहट नहीं होती. उदासियाँ अपने पैरों पर चिपका लेती हैं मोहब्बत के पंख,मोहब्बत के मर जाने के बाद..... ! शरीर के कुछ रोचक तथ्य...हमारा शरीर इस दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा है. इसका एक-एक अंग अपने आप में एक मिसाल है. अपनी बनावट, अपनी कार्यक्षमता, अपनी जटिलता के चलते यह दुनिया की दसियों मशीनों पर भारी पड़ता है. इंसान ने चाहे आसमान की ऊंचाईयां छू ली हों, या सागर की अतल गहराईयाँ नाप ली हों, पर मानव शरीर के कई रहस्य अभी भी अनसुलझे ही हैं...! मेरे माज़ी की परछायी...किसी के लिए मैं हकीकत नही तो ना सही ! हूँ मेरे माज़ी की परछायी , चलो वैसाही सही ! जब ज़माने ने मुझे क़ैद करना चाहा मैं बन गयी एक साया, पहचान मुकम्मल मेरी कोई नही तो ना सही ! रंग मेरे कयी रुप बदले कयी किसीकी हूँ सहेली, किसीके लिए पहेली हूँ गरजती बदरी या किरण धूपकी मुझे छू ना पाए कोई, मुट्ठीमे बंद करले मैं वो खुशबू नही. जिस राह्पे हूँ निकली वो निरामय हो मेरी इतनीही तमन्ना है...! इन्द्रधनुष रंगों से स्वप्न...था इक हारा हुआ इंसान चकनाचूर हुए थे सपने न मिल रही थी मंजिल गम में डूबा था गमगीन ....... जागी उम्मीद की किरण दिवाकर से मिली नजर इन्द्रधनुष रंगों से स्वप्न पाना उन्हें है बन सूरज ...! धर्मनिरपेक्षता को नया मुद्दा मत बनाइये, जनता सब जानती है उसे विकास चाहिए ...एक हिदू बाहुल्य देश का नेता कहता है है की वो धर्मनिरपेक्ष है, इसमें मिडिया उनके पीछे पड़ जाती है और उस मुद्दे को देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना देती है....! पहचान...मुझको जैसा चाहा * *दिया आकार * *गीली मिट्टी बन * *मैं ढल गई * *तुम्हारे साँचे में ..! गजल-ए-मुल्क....*उठ रही दीवार से, अब देश बचाना होगा |* *प्यार के हार से, हर मोड़ सजाना होगा |* *जिन्दगी भर जले, देश के हित लौ बनकर ,* *उन चिरागों को लहू, देके जलाना होगा....! पत्नी का फोटो...एक दिन दफ्तर में मेरी एक मात्र पत्नी का बिना सूचना के आगमन हुआ उसके चेहरे पर गुस्सा देख मुझे तूफान के पहले की आंधी का आभास हुआ अचानक उसका हाव-भाव बदल गया गुस्से से लाल चेहरा फूल सा खिल गया उसका पाकिस्तान की तरह इतनी जल्दी बदलाव मेरी समझ में नहीं आया ...! "जिन्दा हूँ मैं "...अपने फ़साने को मेरी आँखों में बसने दो !* *न जाने किस पल ये शमा गुल हो जाए....! ईश्वरीय चमत्कार न सही इंजिनीयरिंग की मिसाल है 13 सौ साल पुराना लक्ष्मण मंदिर...भारत के सबसे प्राचीन इंटों से बने मंदिरों में से एक लक्ष्मण मंदिर महानदी के किनारे खड़ा है आज के पिछड़ा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ की प्राचीन भव्यता और ज्ञान का प्रतीक बनकर। दक्षिण कोसल की राजधानी श्रीपुर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुरातत्व स्थलों में एक है...! 'पिता' पर स्वरचित रचनाएँ ....ऊँगली पकड़ा कर उसने कहा , चल तुझे दुनिया की राह बताऊँ, धीरे धीरे लडखडाते हुए इन, नन्हे क़दमों को आगे बढाऊँ, तू थक जाये या रुक जाए , तो मेरी छावं में सो जाना , मैं तेरा साया हूँ अभी मीलों तक है तेरे संग जाना, मैंने तुझे जनम न दिया, ऐसी कोई बात नहीं , पर तुझमे मेरा लहू है....! 
         बन जाते हैं वही मन -मीत ...खुशियाँ तुम को मिले हमेशा मेरी हार हो तेरी जीत पल-पल तुम्हें दुआएँ देता ऐसे हैं अलबेले गीत ...! वो शख़्स धीरे-धीरे सांसों में आ बसा है....बन के लकीर हर इक, हाथों में आ बसा है वो मिले थे इत्तेफ़ाक़न हम हंसे थे इत्तेफ़ाक़न अब यूं हुआ के सावन आंखों में आ बसा है...! परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ ...२0 वीं जून १९७३ को हाथ में हाथ लिए चले थे। दिल में सपने लिए चला था जीवन पथ पर अकेला ही अकेला , मौज मस्ती,बेफिक्री ,जीवन था अलबेला। जीवन पथ पर चलते चलते, पथ में मिले एक साथी हँसते खेलते उठते बैठते ,बन गये वो जीवन साथी...! "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" - 2013 आयोजित...ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल की ब्रेकिंग न्यूज में मैं रामप्यारे आपको एक सनसनी खेज खबर दे रहा हूं...दिल थाम के बैठिये. हमें विश्वसनीय सुत्रों से पता चला है कि इस बार "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड" समारोह आयोजित किया गया है....और खास बात यह है कि ये समारोह विश्व सुंदरी प्रतियोगिता की तर्ज पर दुनियां की तीन शानदार जगहों पर किया जायेगा...! 
       ओबीओ के तृतीय वर्षगाँठ पर हल्द्वानी में आयोजित सम्मेलन ... ओपन बुक्स ऑनलाइन यानि ओबीओ के साहित्य-सेवा जीवन के सफलतापूर्वक तीन वर्ष पूर्ण कर लेने के उपलक्ष्य में उत्तराखण्ड के हल्द्वानी स्थित एमआइईटी-कुमाऊँ के परिसर में दिनांक 15 जून 2013 को ओबीओ प्रबन्धन समिति द्वारा आयोजित ’विचार-गोष्ठी एवं कवि-सम्मेलन सह मुशायरा’ ओबीओ-सदस्यों के पारस्परिक सौहार्द्र और आत्मीयता का मुखर गवाह बना. कई-कई क्षण उद्दात्त हुए तथा सभी उपस्थित सदस्यों के स्मृति-पटल का अमिट हिस्सा बन गये.....आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री ’मयंक’ जी अपने काव्य-पाठ के उपरांत शीघ्र प्रस्थान कर गये. अपेक्षा थी कि अन्य युवा रचनाकारों को उनका सहृदय आशीर्वचन मिलता. आपके प्रस्थान का मुख्य कारण बरसाती मौसम का लगातार बिगड़ने लगना भी था. वैसे, सभी आगंतुकों के साथ-साथ आपके भी रुकने की अच्छी व्यवस्था की गयी थी...! मौला...मौला...मौला..'अभी' की इतनी सी है दुआ, क़ुबूल कर मौला...हमसे ये तबाही का मंज़र, देखा नहीं जाता मौला...! बेटी... एक बाप की चाहत,बेटा... एक बाप को राहत, ...बेटा-बेटी ....! 
जब सूखे थे खेत-बाग-वन,
तब रूठी थी बरखा-रानी।
अब बरसी तो इतनी बरसी,
घर में पानी, बाहर पानी।।...

21 comments:

  1. बहुत अच्छी चर्चा है शास्त्री जी....
    लिंक्स भी सुन्दर है...
    हमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया.

    सादर
    अनु

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  2. सुन्दर सूत्र..ईश्वर सबकी रक्षा करे।

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  3. आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी नमस्ते!
    इस आयोजन से पूर्व ओ.वी.ओ. के प्रति मेरे मन में जो भान्तियाँ और कुण्ठाएँ थी। उनका इस आयोजन के बाद समाधान हो गया है। मैं चाहता हूँ कि ऐसे आयोजन देश के कोने-कोने में होने चाहिएँ। देवभूमि उत्तराखण्ड के कुमाऊँ के प्रवेशद्वार हल्दवानी में प्रकृति के हरे-भरे एम.आई.ई.टी. कुमाऊँ के सुहावने परिसर ओ.बी.ओ का यह आयोजन सफल रहा। इसके लिए कर्तव्यनिष्ठ ओ.बी.ओं का पूरा परिवार बधाई का पात्र है।
    मैं तो आप सबके लिए साधुवाद ही दे सकता हूँ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
    --
    और हाँ!
    डॉ.प्राची सिंह की लगन और निष्ठा के लिए मेरे पास शब्द ही कम पड़ जाते हैं। उनकी अतिथि सेवा को तो कभी विस्मृत किया ही नहीं जा सकता है।
    --
    चर्चा मंच परिवार आपको बधाई देता है!

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  4. कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आपका आभार

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  5. आभार शास्त्री जी ! बहुत अच्छी चर्चा!!

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  6. bahutkhoob ,achhaa lagaa .pryaas srahaaniye hai. s.s.arya

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  7. विविध विषयों के सुंदर लिंक्स मिले, आभार.

    रामराम.

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  8. रोचक अंदाज़ में सुन्दर लिनक्स प्रस्तुत किये हैं आपने .आभार


    हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
    भारतीय नारी

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  9. बहुत बढिया और सार्थक चर्चा

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  10. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...

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  11. मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार ,बहुत सुन्दर चर्चा

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  12. शास्त्री जी से एक प्रश्‍न पूछना चाहॅूगा क्‍या हम सभी ब्‍लागर्स किसी भी प्रकार से उत्‍तराखण्‍ड में आई इस मुसीबत में फॅसे लोगों और वहॉ रह रहे परिवारों की कुछ आर्थिक मदद नहीं कर सकते हैं। जो कुछ भी बन पडे, अगर आपका जबाब हॉ में है तो क़पया बतायें और सुझायें

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  13. सारे लि्ंक्स पसंद आए... बड़ी सुन्दर चर्चा...

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  14. sundar links ....dhanyavad nd aabhar ...

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  15. बहुत दुखद है उत्तराखंड की प्राकर्तिक आपदा से भरे सूत्रों को लगाने का बुरा वक़्त भी आया है भगवान् फिर ऐसा कभी ना हो जो नहीं रहे उनकी आत्मा को शांति मिले जो फंसे हैं उनको राहत जल्द से जल्द मिले भगवान् उनकी रक्षा करे आदरणीय शास्त्री जी हार्दिक आभार

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  16. Behtareen prastuti....meri rachana samavisht karne ke liye anek dhanywaad.Uttarakhandkee apadeekee behad chinta hai.

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  17. बहुत सुन्दर चर्चा,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार.

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  18. बहुत सुंदर सूत्र, सुंदर चर्चा!

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  19. आफिस के काम से बाहर होने की वजह से चर्चा में सम्मिलित हो न पाया ...क्षमाँ प्रार्थी हूँ... मेरी रचना को चर्चा में जगह देने से आभारी हूँ http://pushpeyom.blogspot.com/2013/06/blog-post_9646.html

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