मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इस अपमान को
सम्मान कब तक पुकारूं ?
साहित्य जगत में एक कहावत खूब प्रचलित है,
तू मेरी पीठ खुजा,
मैं तेरी पीठ खुजाऊं।
यानी तू मुझे सम्मानित कर,
मैं तुझे सम्मानित कर दूंगा।
और सम्मान भी क्या,
बस एक प्रमाण पत्र भर हो,
वो ही काफी है। हां,.
DrZakir Ali Rajnish
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रिश्तों की डोर
(राखी पर 10 हाइकु)
1.
हो गए दूर
संबंध अनमोल
बिके जो मोल!
2.
रक्षा का वादा
याद दिलाए राखी
बहन-भाई!
3....
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नियति... !!
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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रोज़ाना :
फिल्म प्रचार की नित नई युक्तियां
हाल ही में अनुपम खेर ने अपनी नई फिल्म ‘रांची डायरीज’ के पोस्टर जारी किए। इस इवेंट के लिए उन्होंने मुंबई के उपनगर में स्थित खेरवाड़ी को चुना। 25-30 साल पहले यह फिल्मों में संघर्षरत कलाकारों की प्रिय निम्न मध्यवर्गीय बस्ती हुआ करती थी। कमरे और मकान सस्ते में मिल जाया करते थे। मुंबई में अनुपम खेर का पहला ठिकाना यहीं था। यहीं 8x10 के एक कमरे में वे चार दोस्तों के साथ रहते थे। उनकी नई फिल्म ‘रांची डायरीज’ में छोटे शहर के कुछ लड़के बड़े ख्वाबों के साथ जिंदगी की जंग में उतरते हैं। फिल्म की थीम अनुपम खेर को अपने अतीत से मिलती-जुलती लगी तो उन्होंने पहले ठिकाने को ही इवेंट के लिए चुना लिया। इस मौके पर उन्होंने उन दिनों के बारे में भी बताया और अपने संघर्ष का जिक्र किया।
प्रचार के लिए अतीत के लमहों को याद करना और सभी के साथ उसे शेयर करना अनुपम खेर को विनम्र बनाता है। प्रचारकों को अवसर मिल जाता है। इसी बहाने चैनलों और समाचार पत्रों में अतिरिक्त जगह मिल जाती है...
ajay brahmatmaj
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कार्टून :-
बेटी पढ़ाओ बेटी छुपाओ
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टाइम मशीनः
शिवः अमर्ष
सती के अथाह प्रेम में डूबे शिव उनकी बेजान देह लिए हिमालय की घाटियों-दर्रों में भटकते रहे. न खाने की सुध, न ध्यान-योग की. सृष्टि में हलचल मच गई, सूर्य-चंद्र-वायु-वर्षा सबका चक्र गड़बड़ हो गया. तारकासुर ने हमलाकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था. प्रजा त्राहि-त्राहि कर उठी थी. तारकासुर की अंत केवल शिव की संतान ही कर सकती थी, सो ब्रह्मा चाहते थे कि अब किसी भी तरह शिव का विवाह हो जाए. बिष्णु ने अपने चक्र से सती की देह का अंत तो कर दिया, लेकिन महादेव का बैराग बना रहा...
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हमारे चश्म में अब भी लचक है
न यह समझो के बस दो चार तक है
रसूख़ अपना ज़मीं से ता’फ़लक़ है...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक सूत्र आज के चर्चामंच में ! मेरी लेख को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
आदरणीय शास्त्री जी,मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंBahut badhia....
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा।
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