फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, अगस्त 18, 2017

"सुख के सूरज से सजी धरा" (चर्चा अंक 2700)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--

कविता  

"सुख के सूरज से सजी धरा"  


तुम शब्दयुक्त हो छन्दमुक्त,
बहती हो निर्मल धारा सी।
तुम सरल-तरल अनुप्रासयुक्त,
हो रजत कणों की तारा सी।

आलेख पंक्तियाँ जोड़-तोड़कर
बन जाती हो गद्यगीत।
संयोग-वियोग, भक्ति रस से,
छलकाती हो तुम प्रीत-रीत... 
--
--
--

तिश्नगी का मगर सिलसिला रह गया 

फिर वही का वही फ़ासिला रह गया 
तू गया और मैं देखता रह गया... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
--

कमजोर -  

अंतोन चेखव 

आज मैं अपने बच्चों की अध्यापिका यूलिमा वार्सीयेव्जा का हिसाब चुकता करना चाहता था। ''बैठ जाओ, यूलिमा वार्सीयेव्जा।'' मेंने उससे कहा, ''तुम्हारा हिसाब चुकता कर दिया जाए। हाँ, तो फैसला हुआ था कि तुम्हें महीने के तीस रूबल मिलेंगे, हैं न?'' ''नहीं,चालीस।'' ''नहीं तीस। तुम हमारे यहाँ दो महीने रही हो।'' ''दो महीने पाँच दिन।'' ''पूरे दो महीने। इन दो महीनों के नौ इतवार निकाल दो। इतवार के दिन तुम कोल्या को सिर्फ सैर के लिए ही लेकर जाती थीं और फिर तीन छुट्टियाँ... नौ और तीन बारह, तो बारह रूबल कम हुए। कोल्या चार दिन बीमार रहा, उन दिनों तुमने उसे नहीं पढ़ाया। सिर्फ वान्या को ही पढ़ाया और... 

भला कर भले मानुष 

आजकल जिस एप्प की चर्चा चल रही है, उसके बारे में एक ही विचार आया कि कोई किसी को पीठ पीछे गाली क्यों देना चाहता है ? अगर व्यक्ति कोई गलत बात कह रहा है, तो उसे जब तक सामने नहीं बताया जाएगा उसमें सुधार संभव नहीं है, पीठ पीछे कही बात जब तक उस तक पहुंचती है तब तक या तो वो व्यक्ति कईयों को नुकसान पहुंचा चुका होता है,या खुद नुकसान उठा चुका होता है ... ये जरूरी नहीं कि आपको जो बात गलत लगी वो उसके लिए भी गलत हो लेकिन आगाह करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए... 
अर्चना चावजी Archana Chaoji 

पास बेक़रारों का ... 

क़त्ल करके हसीं बहारों का 
तन गया सर रसूख़दारों का... 
Suresh Swapnil 
--
--
--
--

सिलिंग फैन में कितने डैने होते हैं 

हमारे बार में बीएसपी के रिटार्यड ला आफीसर सिंह साहब प्रेक्टिस करते हैं। वे जितने कानून में कुशाग्र हैं उतने ही करेंट अफेयर और इतिहास की जानकारी रखते हैं। आज उन्‍होंनें सुभाष चंद्र बोस और डॉ.राजेन्‍द्र प्रसाद के संबंध में बहुत रोचक किस्‍सा बताया, हालांकि बहुत से लोग इन किस्‍सों को जानते होंगें किन्‍तु हम इसे आपके समक्ष प्रस्‍तुत कर रहे हैं... 
--
--
--
--

लालच की सजा 

Fulbagiya पर डा0 हेमंत कुमार 
--

तक जाकर कहीं रोना होता है... !! 

आंसुओं से दुःख धुल जाते हैं... 
जब दुःख पहाड़ से हों आँखें पथरा जाती हैं... 
आंसू तब बहुत बौना होता है... 
पैठ जाता है जब भीतर तक दुःख, 
तक जाकर कहीं रोना होता है...  
अनुशील पर अनुपमा पाठक 
--

डार्क इंटरनेट क्‍या है -  

What is Dark Internet 

अगर इंटरनेट (Internet ) की बात की जाये तो आप तुरंत ही बतायेंगे कि आप इंटरनेट को अच्‍छे से जानते हैं, आप गूगल, फेसबुक, यूट्यूूब और इसके अलावा लाखों ऐसी वेबसाइट हैं जिन्‍हें अाप और आपके साथ दुनिया भर के लोग हर रोज इस्‍तेमाल करते हैं, लेकिन अगर हम कहें दुनिया भर के लोग इंटरनेट का जो हिस्‍सा इस्‍तेमाल करते हैं वह केवल पूरे इंटरनेट का केवल 5 प्रतिशत ही है तो शायद कई लोग यकीन नहीं मानेगें लेकिन ये सच है आप साधारण ताैर इंटरनेट को जो हिस्‍सा इस्‍तेमाल करते हैं या सीधे शब्‍दों में कहें तो आप इंटरनेट के जिस हिस्‍से तक पहुॅच रखते हैं वह Public Internet है इसेे Surface web भी कहते हैैं वह केवल 5 प्रतिशत ही है, अब प्रश्‍न है कि बाकी 95% इंटरनेट कौन प्रयोग करता है और वह कहां हैं तो आईये जानने की कोशिश करते हैं

इंटरनेट को access कर पाने के अनुसार उसे तीन भागों में बॉटा गया है -

  1. सर्फेस वेब (Surface Web)
  2. डीप वेब (Deep Web)
  3. डार्क वेब (Dark Web)... 
--

खण्डित आज़ादी का जश्न 

और एक ज्वलंत प्रश्न ? 

दिल पर हाथ रखकर बताना - क्या कभी ऐसी इच्छा नहीं हुई कि भारत ,पाकिस्तान और बांगला देश मिलकर एक बार फिर अखण्ड भारत बन जाएं ? आज के दौर में चाहे 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत अपनी आज़ादी का जश्न मनाए ,क्या वह हमारे उस अखण्ड भारत की आज़ादी का जश्न होता है ,जो आज से 70 साल पहले था... 

यह अभिलेखीकरण: 

अपने नायकों के साथ 

इतिहास में दर्ज होने का अवसर 

नौ अगस्त को संसद में, ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के 75 वर्ष पूरे होने के प्रसंग पर बोलते हुए तमाम पार्टियों के नेताओं ने, स्वतन्त्रता संग्राम में अपने-अपने नेताओं के योगदान का उल्लेख किया। दूसरी पार्टियों के नेताओं को या तो भूल गए या जानबूझकर उनकी अनदेखी कर दी। भाजपा के पास अपना कोई स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी नहीं है। सो प्रधान मन्त्री ने उन नेताओं के नाम छोड़ दिए जिनसे उनका पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयम् सेवक संघ नफरत करता है। लगभग तमाम राजनीतिक दलों और तटस्थ प्रेक्षकों ने मोदी के इस व्यवहार को अशालीन निरूपित किया। यह सब सुनते हुए, भाई सा’ब *डॉक्टर बंसीधरजी* बार-बार याद आने लगे... 
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी 

आईने..... 

पंकज कुमार शर्मा 

बरसो से जड़े हैं.. 
तेरे घर में जो आईने 
उनका खयाल करना... 
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal 
--

कहो न सखी 

sunita agarwal  

8 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंक संयोजन कई नई जानकारी प्राप्त हुयी मेरे ब्लॉग को यहाँ स्थान देने हेतु हार्दिक आभार ___/\__

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा। आभार 'उलूक' के कबूतरों की उड़ान को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा मंच पर लिन्क की गई सभी रचनायें बहुत अच्छी hain.

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा, मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा लिंक,सुन्दर चर्चा, मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।