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बुधवार, अगस्त 30, 2017

"गम है उसको भुला रहे हैं" (चर्चा अंक-2712)


विधाता छंद 

रविकर 
यहाँ आनंद आभासी मगर हर व्यक्ति चाहे है।
दुखों का है गहन अनुभव हृदय रविकर कराहे है।
मिलेगी जिंदगी में कामयाबी किन्तु उसको ही-


जिसे विश्वास खुद पर, जो लिए मजबूत बाँहे है।।

गुरु: उच्च का नहीं....... 

विष्णु बैरागी  

बिद्रूप चेहरे 

पुरुषोत्तम पाण्डेय 
 जाले -  

मखमल जैसी वीर बहूटी----। 

डा0 हेमंत कुमार  

पाती प्रेम की 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 

वह लबों पर थी ग़ज़ल सी आई  

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’  

पति परमेश्वर  

(लघु कथा) 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi  

हथेलियों पर चाँद !!  

तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 

6 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंकों के साथ सुन्दर-सतरंगी चर्चा।
    आपका आभार रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात दिनेश भाई
    बेहतरीन प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. उषा स्वस्ति..
    उम्दा लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
    आभार

    जवाब देंहटाएं

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