मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा.
अपनी मित्र कल्पना की एक कविता
यहाँ प्रस्तुत करने का
लोभ नहीं संवरण कर पा रही हूँ. -
प्रतिभा. ...
शिप्रा की लहरें पर प्रतिभा सक्सेना
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इतिहास व महापुरुष हथियाने की कोशिश
भारत में सदियों से जाति व्यवस्था रही है। सभी जातियां अन्य दूसरी जातियों का सम्मान करते हुए, एक साझी संस्कृति में प्रेमपूर्वक रहती आई है। देश के महापुरुष भले किसी जाति के हों, वे सबके लिए आदरणीय व प्रेरणास्त्रोत होते थे। लेकिन आजादी के बाद देश के नेताओं ने एक तरफ जहाँ जातिवाद खत्म करने की मोटी मोटी बातें की, वहीं वोट बैंक की फसल काटने हेतु जातिवाद को प्रत्यक्ष बढ़ावा दिया। जिससे कई जातियों में प्रबल जातीय भाव बढ़ा और वे दूसरी जातियों पर राजनैतिक वर्चस्व बनाने के लिए लामबंद हो गई। नतीजा जातीय सौहार्द को तगड़ा नुकसान पहुंचा। महापुरुषों को भी जातीय आधार पर बाँट दिया गया। आजकल यह रिवाज सा ही प्रचलित हो गया कि महापुरुषों की जयन्तियां व उनकी स्मृति में आयोजन उनकी जाति के लोग ही करते है, बाकी को कोई मतलब नहीं रह गया...
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आनंद
उलझें रहे हम तुम सवालों में
रंगीन आसमानी नज़रों में कभी चाँद
कभी सितारें ढूँढ रहे अपने जबाबों में
सुध बुध बस कुछ नहीं
तल्लीन वक़्त के ख्यालों में ...
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महफ़ूज
वो अक्सर ख्यालों में ही महफ़ूज रहे
सामने जब जब आए
नजरें चुरा के चले गए...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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ये तो लगाए ही जाते हैं तोड़ने के लिए
आज थोड़ी लम्बी बात कर लेने दीजिए। कम से कम पैंतालीस बरस पहले की बात है यह। उम्र के छब्बीसवें बरस में था। मन्दसौर में काम कर रहा था। एक शुद्ध शाकाहारी, अहिंसक परिवार का, मुझसे नौ-दस बरस छोटा एक किशोर मेरे परिचय क्षेत्र में था। प्रायः रोज ही मिलना होता था उससे। मैंने अनुभव किया कि कुछ दिनों से वह अनमना, उचाट मनःस्थिति में चल रहा है। हम लोग अच्छी-भली बात कर रहे होते कि अचानक ही उठ खड़ा होता - ‘चलूँगा भैया।’ मैं रोकता तो नहीं किन्तु लगता, मेरी किसी बात से अचानक ही खिन्न हो गया होगा। मैं अपनी कही बातों को याद करने की कोशिश करता। सब ठीक-ठाक लगता। फिर भी एक अपराध-भाव मुझे घेर लेता। ऐसा लगाता...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात शास्त्री जी ! बेहतरीन सूत्रों का बहुत सुन्दर संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
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