देशभक्तिगीत"भारत को करता हूँ शत्-शत् नमन"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
Ghotoo
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मैं पूजित होने के लिए कब तक अभिशप्त रहूंगा
PAWAN VIJAY
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सर्प कब तक आस्तीनों में छुपे पलते रहेंगे ...
Digamber Naswa
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थम न जाए कहीं जुनूँ....फरिहा नकवी
yashoda Agrawal
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पंचचूली बेस कैंप यात्रा - धारचूला
नीरज जाट
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श्री कृष्ण और साम्यवाद ------ विजय राजबली माथुर
विजय राज बली माथुर
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किताबों की दुनिया - 138
नीरज गोस्वामी
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"हीरा जन्म अमोल था... " :: सत्यनारायण पाण्डेय
अनुपमा पाठक
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सुप्रभातम्! जय भास्करः! १५ :: सत्य नारायण पाण्डेय
अनुपमा पाठक
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पर्यावरण-पादप-प्रबंधन पर प्रदूषण पिल पड़ा-
रविकर
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हथियार के सौदागरों यूँ खून तुम पीते रहो।
रविकर
ग्राहक तुम्हें मिलते रहें, हर मौत के सामान के ।
व्यापार खुब फूले फले संग्राम बर्बर ठान के।
जब जर जमीं जोरू सरीखे मंद कारक हो गये।
तब युद्ध छेड़े जाति के कुछ धर्म के कुछ आन के।
विध्वंश हो होता रहे नुकसान मत रविकर सहो।।
हथियार के सौदागरों यूँ खून तुम पीते रहो।।
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कुकुभ छंद
छंद कुकुभ यह चार पद का अर्द्धमात्रिक छन्द है.
दो चरणों के हर पद में 30 मात्राएँ होती हैं
और यति १६,१४ पर होती है, पदां त में दो गुरु आते है।
हे माखनचोर नन्दलाला ,
है मुरली मधुर बजाये
धुन सुन मुरली की गोपाला...
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घरों में मातम और जन्मोत्सव?
पूछना तो नहीं चाहिए
लेकिन पूछ रही हूँ
क्या जरूरी है हर युग में
तुम्हारे जन्म से पहले नन्हों का संहार ...
एक प्रयास पर vandana gupta
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केवल राष्ट्र के लिए था यह सृजन
देश की स्वतंत्रता के लिए 1857 से लेकर 1947 तक क्रान्तिकारियों व आंदोलनकारियों के साथ ही लेखकों,कवियों और पत्रकारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय खूब लिखा गया। खूब पढ़ा गया। आज की तरह तब सम्प्रेषण के संसाधन बिलकुल न होते हुए भी वह सृजन आम आदमी तक पहुँचता था। हर देशवासी उस सृजन का सहयोग पाता था। यह भी विचारणीय है की उस समय का भारतीय भूगोल बहुत बड़ा था...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस पर अशेष शुभकामनाएँ
आभार....
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसबको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
सुन्दर सूत्र ... अच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी ग़ज़ल को स्थान दने के लिए ...
बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएं'श्री कृष्ण और साम्यवाद' पोस्ट को इस अंक में स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
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